Tuesday, December 29, 2020

जागो ग्राहक जागो

 जागो ग्राहक जागो*

राष्ट्रीय जागरूक उपभोक्ता समिति
उपभोक्ताओं का ध्यान आकर्षित करना चाहती है की हाल ही में *समित्ति को जानकारी प्राप्त हुई है *की सभी गैस संचालक उपभोक्ताओ से mandatory inspaction के नाम पर 200 rs की वसूली प्रती वर्ष कर rahay हे। यह अवेध हे। जबकी नियमानुसार (1)बर्नर(एक चूल्हा)हे तो 100रूपए टैक्स 18 रूपए टोटल 118 रूपए
दो बर्नर (दो चूल्हा ) हे तो ₹150 प्लस जीएसटी 27.50.पैसे टोटल मिलाकर ₹177.50 पैसे है यह पैसा गैस मेंडेटरी इन्सपेक्शन के नाम पर गैस एजेंसी संचालक ले* सकता है*
पर इसका भी प्रति 3 साल में एक बार का नियम है (हर साल नहीं) पर इसके लिए गैस एजेंसी संचालक लिखित में गैस कंपनी का लेटर उपभोक्ता को दिखाना होगा एवं मैकेनिक का आधार कार्ड एवं आईडी कार्ड यह सब करने वाले के पास में होना चाहिए तब जाकर चार्ज ले सकता हैऔर उसकी भी रशीद उपभोक्ता को एजेंसी संचालक से प्राप्त कर सकता है अगर ऐसा नहीं होता है तो उपभोक्ता जिला आपूर्ति नियंत्रक महोदय कलेक्टर कार्यालय एवं संबंधित गैस कंपनी जैसे इंडियन ऑयल ,एच.पी., बीपीसीएल इनके मैनेजर से शिकायत कर सकते हैं *एव राष्ट्रीय जागरूक उपभोक्ता समिति को भी शिकायत कर सकता है
राष्ट्रीय कार्यालय 207 बंशी ट्रेड सेन्टर 9425092385,9329245351
राजस्थान प्रदेश कर्यालय
कोतवाली बाजार भरतपुर
प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप खंडेलवाल
7339716078
प्रदेश कार्यालय 0731-4996767
इंदौर जिला अध्यक्ष
कविता जी 89828916578*

Thursday, July 2, 2020

ओईस्टर मशरूम उगाने का प्रशिक्षण

हमलोग MPG e Business Private limited कंपनी के द्वारा काम करते हैं।

कंपनी का कुछ नियम है जो👇
👉इस प्रकार है: - कंपनी में आपको अपना सर्वप्रथम रजिस्ट्रेशन कराना होगा...,रजिस्ट्रेशन फीस 5300रू है।

रजिस्ट्रेशन के फायदे:-

1)कंपनी का ट्रेनर आपका घर जाकर ओईस्टर मशरूम उगाने का प्रशिक्षण देगी।

2)प्रशिक्षण के साथ 10किलो बीज भी कंपनी देगी,100 पॉलीथिन बैग,वेवेस्टिं पाउडर।

3)certificate

4) आपके द्वारा उपज की हुई सुखा मशरूम भी खरीदेगी 800रू किलो।

5) रेफरल इनकम👉यानी कि आप अपने साथ और किसान भाइयों को मशरूम की खेती सीखकर पैसे कमा सकते हो।

जब दूसरी बार मशरूम का बीज आप खरीदोगे तब आपको 10 किलो का 3400रू लगेगा...,पॉलीथिन बैग और पाउडर भी देंगे उसी 3400रू में।

अब आप निर्णय लीजिए कि आपको क्या करना है?

धन्यवाद
D.L.K.Dhakad Khachrod district Ujjain MP. mo7470436777

Monday, June 8, 2020

सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को शिकायत भेजने के लिए इस ईमेल आईडी

सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को शिकायत भेजने के लिए इस ईमेल आईडी पर करें शिकायत : supremecourt@nic.in
प्रधानमन्त्री को शिकायत भेजने के लिए इस ईमेल आईडी पर करें शिकायत : narendramodi1234@gmail.com
ग्रहमंत्री जी को शिकायत भेजने के लिए इस ईमेल आईडी पर करें शिकायत : jsf@mha.gov.in AND s.police1@mha.gov.in
NBFC कम्पनियों के खिलाफ इन ईमेल आईडी पर भी की जा सकती है शिकायत !
Delhi Zone :     nbfconewdelhi@rbi.org.in
Mumbai Zone : nbfcomumbai@rbi.org.in
Chennai Zone : nbfcchennai@rbi.org.in
Kolkata Zone : nbfcokolkata@rbi.org.in

Wednesday, June 3, 2020

विधायक/ सांसद विकास निधि से क्षेत्र में हुए कार्यों की सूचना, सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रयोग कर लेले सकते है

विधायक/ सांसद विकास निधि से क्षेत्र में हुए कार्यों की सूचना, सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रयोग कर लेले सकते है सकते है, कई बार देखने को मिलता है कि उक्त निधि से एक ही कार्य को कई बार किया गया है और राशि का बंदरबांट हुआ है, ऐसी सूचना प्राप्त कर संबंधित आलोक में जांच कराई जा सकती है तथा ऐसे दुरुपयोग को रोका जा सकता है।
उक्त संबंध में निम्न प्रकार से सूचना मांगी जा सकती है।
हमारे जनप्रतिनिधी सांसद / विधायक श्री ..... , ...... विधानसभा/लोक सभा द्वारा अबतक प्रस्तावित योजनाओं तथा उसको पूरा किए जाने के संबंध में मुझे निम्नांकित विन्दूवार सूचना पूर्ण विवरण व सत्यापित प्रमाण के साथ उपलब्ध करावें।
1. उक्त द्वारा प्रस्तावित योजनाओं का नाम सहित तिथिवार ब्यौरा एवं संबंधित टेंडरों का भी ब्यौरा उपलंब्ध कराते हुए यह भी बतावें कि उक्त योजनाओं का कार्य कब से प्रारम्भ की जानी थी और कबतक इसे पूरा किया जाना था।
2. उक्त प्रस्तावित योजनाओं में से कितने योजना अबतक पूरा किया जा चुका है, उक्त पर आए खर्चों का ब्यौरा।
3. उक्त में से कितनी योजनाएं अबतक अधूरी है, पर अनुमानित खर्चों का भी व्योरा उपलब्ध करावें।।
4. उक्त में से कितनी योजनाओं का कार्य अबतक प्रारम्भ नहीं हुई है, उक्त हेतु आवंटित राशि का भी ब्यौरा उपलब्ध करावें।
ऐसी सूचना मांग कर संबंधी आलोक में आगे की कार्यवाई हेतु लिखी जा सकती है।

Tuesday, June 2, 2020

बीपीएल एवं एपीएल सूची के संबंध में मुझे निम्नांकित सूचना प्रमाण के साथ उपलब्ध करावें

केंद्र सरकार प्रत्येक वर्ष गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले परिवारों की गरीबी को दूर करने के लिए योजनाएं तैयार करती है, जिसके लिए सर्वे करवाती है,परंतु इस सर्वे में धांधली होने की बातें प्रायः दृष्टिगत होती है,  गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को बी पी एल सूची
से बाहर रखा जाता है, ए पी एल परिवारों को बी पी एल सूची में सम्मलित कर दिया जाता है, सरकार की योजना का वास्तविक लाभ में बंदरबांट हो जाता है, वास्तविक हकदार इस से वंचित रह जाते है। इसी धांधली के कारण गरीबों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। इस धांधली को रोकने हेतु सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रयोग निम्न प्रकार से किया जा सकता है।
बीपीएल एवं एपीएल सूची के संबंध में मुझे निम्नांकित सूचना प्रमाण के साथ उपलब्ध करावें।
1. बीपीएल परिवारों की सूची व उनके अंक।
2. एपीएल परिवरों की सूची।
3. बी पी एल सूची में दर्ज परिवारों के सर्वेक्षण प्रपत्र जिसके आधार पर उन्हें इस सूचियों में सम्मलित किया गया।
4. ए.पी.एल सूची में दर्ज परिवारों के सर्वेक्षण प्रपत्र जिसके आधार पर उन्हें इस सूचियों में सम्मलित किया गया।
5. उक्त सर्वेक्षण करने वाले कर्मियों का नाम सहित उन पदाधिकारियों का भी नाम बतावें जिनके देख रेख में सर्वेक्षण कार्य हुआ है।
6. ऐसी सूची भी उपलब्ध करावे जो परिवार पूर्व के बीपील से वर्तमान में एपीएल में आए है।
7. ऐसी सूची भी उपलब्ध करावे जो परिवार पूर्व के एपीएल से वर्तमान में बीपीएल में आए है।
8. बीपीएल तथा एपीएल के चयन से संबंधित बिभागीय दिशानिर्देश व मानक व मापदंड की छाया प्रति।
9. अबतक इन सूचियों का पुनरीक्षण से संबंधित व्योरा सहित उक्त के उपरांत अविधिक तरीके से दर्ज ऐसी सूचियों में से कितनी खामियाँ पाई गई ।
10. उक्त खामियों को दूर करने हेतु किए गए कार्यवाई का व्योरा सहित अद्यतन स्थिति।
11. अबतक उक्त संबंध में कितनी शिकायत प्राप्त हुआ है, प्रत्येक पर की गई कार्यवाई का व्योरा।
12. उक्त संबंधी में वरीय पदाधिकारियों द्वारा की गई जांच व दिए गए निर्देश।

पेय जल आपूर्ति के संबंध में मुझे निम्नांकित सूचना पूर्ण व्योरा व सत्यपित प्रमाण के साथ उपलब्ध करावें

बिभाग की निष्क्रियता के कारण आए दिन जल आपूर्ति की समश्याए देखने को मिलती है, खासकर गर्मी के दिनों में त्राहिमाम मचने लगती है, ऐसी बिभागीय निष्क्रियता की समश्या से निजात सूचना अधिकार अधिनियम का उपयोग कर पाई जा सकती है।
पेय जल आपूर्ति के संबंध में मुझे निम्नांकित सूचना पूर्ण व्योरा व सत्यपित प्रमाण के साथ उपलब्ध करावें।
1. ....क्षेत्र की  की जनसंख्या के मुताविक प्रतिदिन पेयजल की जरूरत कितनी है, और बिभागीय रिकार्ड के अनुसार किडनी आपूर्ति की जाती है।
2. उक्त आपूर्ति का निर्धारण जिस जनसंख्या के हिसाब से की गई है का व्योरा, सहित बढ़ी हुई जनसंख्या के हिसाब से उक्त आपूर्ति के निर्धारण हेतु की गई कार्यवाई का अद्यतन व्योरा।
3. उक्त पेयजल की आपूर्ति के बिभिन्न श्रोतों का व्योरा सहित इसमें पिछले 5 वर्षों में किए गए इजाफा का व्योरा सहित प्रत्येक पर किए गए खर्चों का भी व्योरा उपलब्ध करावें।
4.पिछले 5 वर्षों में उक्त क्षेत्र में नल जल सम्बन्धन हेतु कितने आवेदन प्राप्त हुए, कितने नए सम्बन्धन दिए गए, कितने सम्बन्धन दिए जाने हेतु लंबित है का वर्षवार व्योरा।
5. पिछले 2 वर्षों में पेय जल आपूर्ति के संबंध में कितनी शिकायतें प्राप्त हुई है, प्रत्येक पर हुई कार्यवाई व की निदान की अद्यतन स्थिति।
6. पेयजल आपूर्ति के संबंध में अद्यतन बिभागीय निर्देश सहित संबंधित नियमावली की भी छाया प्रति।
7. नाल जल सम्बन्धन से संबंधित नियमावली व अद्यतन बिभागीय निर्देश।
8. पेयजल आपूर्ति तथा नल जल सम्बन्धन से संबंधित उक्त बिभागीय निर्देशों के अनुपालन की अद्यतन स्थिति।
9. उक्त निर्देशों का अनुपालन नहीं किए जाने पर सम्बन्धितों के बिरुद्ध कार्यवाई के प्रावधानों का व्योरा व संबंधित दिशानिर्देश।
10. पिछले 2 वर्षों में ऐसे उलंघन के कितने मामले प्रमाणित हुआ, तथा कितने मामलों में सम्बन्धितों के बिरुद्ध कार्यवाई हुई, का व्योरा सहित संबंधित प्रमाण की छाया प्रति।

Saturday, May 30, 2020

बैंकों से प्रधानमंत्री रोजगार योजना एवं अन्य योजनाओं में ऋण प्राप्त करने में लोगों को काफी कठिनाइयों का सामाना करना पड़ता है

विभिन्न बैंकों से प्रधानमंत्री रोजगार योजना एवं अन्य योजनाओं में ऋण प्राप्त करने में लोगों को काफी कठिनाइयों का सामाना करना पड़ता है। युवाओं को स्वरोजगार से जोडऩे का सपना दिखाकर उद्योग विभाग आवेदन ले रहा है लेकिन बैंकों इन्हें ऋण देने में आनाकानी कर रहे है। स्थिति यह है कि इन्हीं बैंकों से कई एेसे लोग है जिन्होंने करोड़ों रुपए का लोन अधूरे दस्तावेज से ही ले लिया लेकिन जो युवा आगे बढऩे के लिए लघु व कुटीर उद्योग केलिए ऋण मांग रहे हैं, बैंक उसे देने से बच रहे हैं। उधर, सरकार कई योजनाएं ला रही है। इनमें सरकार सब्सिडी देती है लेकिन बैंक लोन देने से कतरा रहे हैं।
नाजायज राशि लेकर बाद में आवंटन देने वाले बैंकों से ऋण पहले मिल जाता है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत निम्न प्रकार की सूचना,मांग कर इन क्षेत्रों में हो रही गड़बड़ी पर अंकुश लगाया जा सकता है।
जिला उद्द्योग केंद्र की अनुसंशा जो आपके बैंकों को ऋण उपलब्ध कराने हेतु वित्तीय वर्ष ... से वित्तीय वर्ष ....के मध्य प्राप्त हुआ है के संबंध में मुझे निम्नांकित बिंदुवार सूचना  पूर्ण व्योरा एवं सत्यापित प्रमाण के साथ उपलब्ध करावें।
1. उक्त अवधि में आपके बैंक को उद्योग बिभाग से ऋण उपलब्ध कराने हेतु प्राप्त अनुसंशा की वर्षवार मासिक तिथिवार सूची।
2. संबंधित ऐसा ऋण उपलब्ध कराने हेतु बैंक को प्राप्त सभी स्तरों से प्राप्त निर्देश, आदेश, नियमावली इत्यादि की छाया प्रति।
3. उक्त प्राप्त सभी अनुसंशाओ में से कितने को कितने को ऋण प्रदान किया गया है की तिथि सहित उपलब्ध कराई गई ऋण की राशि का भी व्योरा दें।
4. कितने अनुसंशाओं पर ऋण अबतक उपलब्ध नहीं कराई गई है, उसकी अद्यतन स्थिति भी बतावें।
5. कितने प्राप्त अनुशंसाओं को पुनः उद्योग बिभाग को वापस किया गया है कि तिथि सहित उन तथ्यों की भी सूचना दे जिस आधार पर उक्त को वापस किया गया है।
6. सरकार के ऐसे अनुशंसा पर ऋण उपलब्ध नहीं कराए जाने के आधारों का व्योरा उपलब्ध करावे।
7. आपके बैंकों को उक्त संबंधित ऋण देने हेतु दिए लक्ष्य का भी वर्षवार व्योरा दें।

Friday, May 29, 2020

इंदिरा आवास आवंटन में गरीबों की अनदेखी

इंदिरा आवास आवंटन में गरीबों की अनदेखी, धनवानों को आवासों का आवंटन, एक ही परिवार को दो या अधिक बार आवंटन, बिना निर्माण के ही सभी किश्तों का भुगतान इत्यादि इत्यादि मामले सामने आते है। इन धांधलियों पर सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रयोग कर रोक लगाई जा सकती है।
इस संबंध में निम्न प्रकार से सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रयोग कर सकते है।
मेरे पंचायत......, वर्ष ... से .... के मध्य इंदिरा आवास आवंटन के संबंध में मुझे निम्नांकित विंदुवार सूचना सत्यपित प्रमाण के साथ उपलब्ध करावें।
1. उक्त अबधि में आवंटित इंदिरा आवास की सूची।
2. लाभार्थियों के चयन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया।
3. जिस खुली बैठक में लाभार्थियों का चयन किया गया की कार्यवाई पंजी।
4. चयनित लाभार्थियों के बी पी एल सूची का व्योरा व प्रमाण।
5. उक्त चयनित अभ्यर्थियों को भुगतान की गई किश्तों का व्योरा।
6. ऐसे लाभार्थियों की सूची जिनके परिजनों को पूर्व में भी आवास आवंटित हुआ है।
7. ऐसे लाभार्थियों की भी सूची उपलब्ध करावे जिन्होंने  राशि लेकर भी आवास निर्माण नहीं किया है।
8. कितने ऐसे लाभार्थियों के बिरुद्ध प्राथमिकी की अनुशंसा हुई है, कितने मामले में इन अनुसंशा का अनुपालन हुआ है।
9. कितने लाभार्थियों के मामले में अबतक जांच हुई है, संबंधित जांच किन पदाधिकारियों ने की है तिथि सहित संबंधित का व्योरा दें।

Wednesday, May 27, 2020

प्राक्कलन (इस्टीमेट) घोटाला

प्राक्कलन (इस्टीमेट) घोटाला की समझ रखते हुए इस संबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रयोग कर इसपर कैसे रोक लगा सकते है।
विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु पहले प्राक्कलन तैयार कर तकनीकी एवं प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की जाती है। प्राक्कलन असल लागत से बहुत बढ़ा कर बनाया जाता है, जिससे प्रत्येक योजना में कार्यान्वयन से बहुत बड़ी राशि का लाभ ठेकदार को मिल जाता है और राजकोष का अपव्यय होता है। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत इन योजनाओं का संपूर्ण ब्यौरा मांगा जा सकता है और राशि के दुरुपयोग को रोका जा सकता है।
इस संबंध में निम्न प्रकार से सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रयोग कर सकते है।
Xyz योजना के क्रियान्वयन के संबंध में मुझे निम्नांकित बिंदुवार सूचना सत्यपित प्रमाण के साथ उपलब्ध करावे।
1 संबंधित योजना का डीपीआर(प्राक्कलन)किस कंसल्टेंसी से बनवाई गई है का ब्यौरा सहित उक्त कंसल्टेंसी का चयन जिन आधारों पर जिन प्रक्रियाओं के द्वारा किया गया है का भी ब्यौरा एवं प्रमाण उपलब्ध कराई जाए।
2.उक्त कंपनी डीपीआर जिस स्थलीय जांच व प्रक्रिया के द्वारा बनाया है का ब्यौरा सहित संबंधित  डीपीआर की सत्यापित छायाप्रति।
3. उक्त योजना का प्रथम डीपीआर किस तिथि को बानी, और इसमें कितनी बार डीभिएसन हुआ है ,का व्योरा सहित सभी डिभिएसन के दस्तावेजों की छाया प्रति।
4.  उक्त सभी डिभिएसन के आधार का  ब्यौरा भी उपलब्ध करावें।
5. संबंधित डीपीआर व सभी डिभिएसन की प्रशासनिक स्वीकृति व आवंटित राशि का भी ब्यौरा  एवं प्रमाण उपलब्ध करावें।
6. संबंधित योजना के टेंडर प्रक्रिया का व्योरा सहित टेंडर किस दर पर किया गया का भी सत्यापित छायाप्रति दें।
इत्यादि इत्यादि जैसी सूचना मांगी जा सकती है। अपने विचार व अनुभव व प्रयोग को साझा अवश्य करेंगे

Thursday, April 9, 2020

SCST एक्ट के तहत कितनी FIR दर्ज की गई

RTI लगाने के लिए अन्य तथ्य बताकर या शेयर कर मदद करें..."
1. IPS कावेन्द्र सिंह सागर DCP जयपुर(पश्चिम)
2. RPS संध्या यादव ACP सदर जयपुर(पश्चिम)
के जयपुर(पश्चिम) जिले में पदस्थापन के बाद से निम्न सूचना RTI के तहत माँगी जा रही है -
1. इन दोनों की पदस्थापन अवधि में SCST एक्ट के तहत कितनी FIR दर्ज की गई? समस्त की प्रतियाँ उपलब्ध करावें...
2. इन दोनों की पदस्थापन अवधि में SCST एक्ट के आरोपों वाले कितने परिवाद दर्ज किए गए? समस्त की प्रतियाँ उपलब्ध करावें...
3. उपर्युक्त अवधि में SCST एक्ट के तहत दर्ज FIR में से किन-किन FIR का अनुसंधान संध्या यादव को दिया गया? FIR संख्या एवं पुलिस थाना का विवरण उपलब्ध करावें...
4. उपर्युक्त अवधि में SCST एक्ट के तहत दर्ज FIR में से किन-किन FIR का अनुसंधान प्रमोद स्वामी RPS को दिया गया? FIR संख्या एवं पुलिस थाना का विवरण उपलब्ध करावें...
5. समस्त प्रकार की जिन-जिन FIR का अनुसंधान संध्या यादव द्वारा किया गया उनकी प्रतियां उपलब्ध करावें, उक्त सूचना में उन FIR को भी शामिल करें जिनका अनुसंधान किसी अन्य पुलिसकर्मी से संध्या यादव को दिया गया...
6. कावेन्द्र द्वारा जिन-जिन FIR में पूर्णतः अथवा आंशिक अनुसंधान किया है, उक्त समस्त FIR की प्रतियाँ उपलब्ध करावें...
इनके अलावा भी क्या-क्या सूचना, RTI के तहत लेनी चाहिए...?
नोट : इसके पश्चात इन FIR में पीड़ितों से सम्पर्क भी करेंगे...

Sunday, April 5, 2020

SCST एक्ट के दुरूपयोग का सर्वोत्तम उदाहरण

SCST एक्ट के दुरूपयोग का सर्वोत्तम उदाहरण..."
हम जिनको यादव समझ रहे थे वो निकली अनुसूचित जाति से...
कुछ लोग अनुसूचित जाति का कहलाने में शर्म महसूस करते हैं लेकिन SCST एक्ट का दुरूपयोग करना हो तो तुरन्त तैयार हो जाते हैं...राजस्थान में इक्का दुक्का लोगों को ही पता होगा कि संध्या यादव RPS और कावेन्द्र सिंह सागर IPS अनुसूचित जाति से आते हैं...
घटना दिनांक 30.03.2020 के 5 दिन बाद, मेरे द्वारा FIR दर्ज करने के लिए इत्तिला दिनांक 01.04.2020 देने के पश्चात, दिनांक 03.04.2020 को जयपुर शहर के सदर पुलिस थाना में मेरे खिलाफ छेड़छाड़ और SCST एक्ट के तहत मुक़दमा दर्ज कराया गया है...
यह मुक़दमा मेरे मुक़दमे से बचने के लिए दर्ज कराया गया है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि कानून का दुरूपयोग करने वाले कुछ पुलिसकर्मी, कोरोना जैसी महामारी के बीच भी अनगिनत गलत काम करने में लगे हुए हैं...
संध्या यादव और कावेन्द्र सिंह सागर ने षड्यंत्र रचकर मेरे खिलाफ FIR दर्ज कराई है जिसमें मेरे खिलाफ कुल 2 आरोप लगाए गए हैं, जो निम्न हैं-
आरोप 1. महामारी के दौरान, की गई नाकाबन्दी में, गोवर्धन सिंह एडवोकेट को रोककर पूछताछ की तो गोवर्धन सिंह ने आपत्तिजनक तरीके से घूरकर देखा और अभद्र भाषा का प्रयोग किया और देख लेने की धमकी दी।
असली तथ्य : दिनांक 30.03.2020 को संध्या यादव ने आपराधिक मामलों में वकील के रूप में पैरवी करने से नाराज होकर, मुझे जानते हुए भी मेरे साथ बदतमीजी की एवं कराई...साथ ही अपने उच्च अधिकारी के आदेश को कूटरचित करते हुए अपनी लिखाई में निरस्त कर दिया। गौरतलब बात यह भी है कि मैं घटना के दौरान संध्या यादव के पास गया ही नहीं तथा न ही हमारे बीच कोई संवाद हुआ...उसकी बात को सही मान भी लिया जाए तो उसने 30.03.2020 को मेरे द्वारा की गई कथित छेड़छाड़ के सम्बन्ध में कोई रोजनामचा रपट, प्रार्थना-पत्र अथवा FIR दर्ज क्यों नहीं करवाई...?उक्त FIR मेरे द्वारा शिकायत करने के 2 दिन बाद यानि कुल मिलाकर 5 दिन बाद, सोच समझकर दिनांक 03.04.2020 को क्यों दर्ज कराई गई...? यह SCST एक्ट के दुरूपयोग का सर्वोत्तम उदाहरण है...
आरोप 2 : गोवर्धन सिंह ने सम्बन्धित पुलिस थाने तथा SP/DCP कावेन्द्र सिंह सागर को संध्या यादव के खिलाफ FIR दर्ज कराने के लिए, SC की महिला अधिकारी को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से झूठा प्रार्थना-पत्र दिया...
असली तथ्य : मुझे कतई यह जानकारी नहीं थी कि संध्या यादव RPS, ACP सदर जयपुर(पश्चिम) तथा कावेन्द्र सिंह सागर IPS, DCP जयपुर(पश्चिम), अनुसूचित वर्ग से आते हैं क्योंकि इन दोनों का नाम इस तरह का है जिससे कोई भी व्यक्ति भ्रमित हो सकता है...यदि यह मान भी लिया जाए कि मुझे इन दोनों के SC वर्ग से होने का पता था तो भी क्या भारत में, SC वर्ग के किसी व्यक्ति के द्वारा, अपराध करने पर कोई नागरिक उनके खिलाफ किसी भी थाने में प्रार्थना-पत्र नहीं दे सकता है...? इस प्रकार तो यदि कोई भी नागरिक SC वर्ग से आने वाले किसी व्यक्ति के संज्ञेय अपराध की इत्तिला संबंधित पुलिस थाने में देगा तो इत्तिला देते ही उसके खिलाफ एक SCST एक्ट का मुकदमा होने लगेगा...
एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि संज्ञेय अपराध घटने के सम्बंध में मेरे प्रार्थना-पत्र पर आज तक न तो FIR दर्ज हुई, न ही कोई अनुसंधान हुआ और न ही मेरी शिकायत, अभी तक झूठी पाई गई है, ऐसी अवस्था में बिना न्यायालय निर्णय के यह कैसे माना जा सकता है कि मेरी शिकायत से SCST एक्ट का कोई अपराध घट गया है...
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:
1. मेरे पास एक दस्तावेजी साक्ष्य यह भी है कि मेरे पास लॉकडाऊन के दौरान आने व जाने के लिए DCP कार्यालय की एक लिखित अनुमति थी, जिसको संध्या यादव ने अपनी लिखाई से निरस्त किया है...जबकि कोई अधीनस्थ पुलिस अधिकारी अपने उच्चाधिकारी का आदेश निरस्त नहीं कर सकता है...वकील कोर्ट ऑफिसर होने के नाते कानून व्यवस्था का अहम हिस्सा होता है अतः लॉकडाऊन में राजस्थान सरकार के निर्देशों के अनुसार वकील को नहीं रोका जाना चाहिए था...उक्त दस्तावेजी साक्ष्य की जाँच आज तक नहीं हो पाई है...
2. मेरे खिलाफ अनगिनत झूठे मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनको उच्च न्यायालय ने झूठा मानते हुए यह आदेश भी राजस्थान सरकार को दिए हैं कि "राजस्थान सरकार गोवर्धन सिंह एवं उसके परिवार को उचित सुरक्षा उपलब्ध करवाते हुए यह भी सुनिश्चित करे कि इनको किसी भी तरीके(manner) से हानि(harm) नहीं पहुँचे..." लेकिन मेरे जीवन का यह पहला झूठा मुक़दमा है जिसमें मेरे खिलाफ छेड़छाड़ और SCST एक्ट का आरोप लगाया गया है...
3. मैं मुझसे जुड़े SCST के साथियों से पूछना चाहता हूँ कि क्या मैंने कभी जातिसूचक शब्द इस्तेमाल किए हैं...? यदि इसका जवाब "नहीं" में है तो आप सभी साथी इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ खड़े होकर मेरी आवाज बुलन्द करें...
4. SCST एक्ट का दुरुपयोग कर, यदि पुलिसकर्मी मुझ जैसे वकील को, इस मामले में झूठा फँसा देते हैं तो यह तय मानिएगा कि अगला नम्बर आपका ही है...
5. मेरा दोष केवल यह है कि मैंने संध्या यादव के खिलाफ कुछ आपराधिक प्रकरणों में न्यायालय के समक्ष पैरवी की, यदि न्यायालय के समक्ष पैरवी करने का दण्ड SCST एक्ट से मिलने लगेगा तो अगला नम्बर जज साहब, कोर्ट स्टाफ और अन्य वकीलों का आने वाला है...इन दिनों में महामारी के चलते न्यायालय भी केवल जरूरी काम निपटा रहे हैं, इसी स्थिति को देखकर इन लोगों ने अनुचित फायदा उठाने का कुत्सित प्रयास किया है...संध्या यादव और कावेन्द्र सिंह सागर IPS ने उक्त FIR को गोपनीय क्यों रखा साथ ही न्यायालय में भी क्यों नहीं भेजी जबकि 24 घण्टे के भीतर सभी FIR न्यायालय में भेजना अनिवार्य होता है, यह प्रमाण है कि उक्त लोग झूठ खुलने के भय से कितने डरे हुए थे...?
6. इस खेल के पीछे गोविन्द गुप्ता जैसे कुछ IPS अधिकारी भी संलिप्त है लेकिन मैं उनको आगाह करना चाहता हूँ कि IPS बनने के बाद तुमको देश से क्या चाहिए, अब तो षडयंत्र करना बन्द करो भाई...
7. इस मामले में उक्त सभी तथ्य CS, DGP, ADGP Crime, ADGP CR, मुख्यमंत्री, सम्बंधित MLA और MP के ध्यान में भी लाए जा सकते हैं...साथ ही मेरे खिलाफ दर्ज झूठे मुकदमे के अनुसंधान अधिकारी प्रमोद स्वामी RPS को भी समझाया जा सकता है कि वह उच्चाधिकारियों के कहने पर गलत काम नहीं करे क्योंकि जब कानून का शिकंजा कसता है तो स्थितियां बदल जाती है...
8. मैंने राजस्थान पुलिस अकादमी में कई RPS अफसरों को पढ़ाया है, मैं मुझसे पढ़े हुए सभी RPS अफसरों से पूछना चाहता हूं कि क्या इस तरह किसी देशभक्त के खिलाफ SCST एक्ट का दुरुपयोग उचित है...?
9. मैंने facebook के माध्यम से लाखों नागरिकों को मालिक होने का अहसास कराया है आज मैं ऐसे सभी लोगों से आह्वान करता हूँ कि आगे आकर इस सरकार और मुख्यमंत्री से सवाल करें...
अंतिम बात :
2010 की पिछली लड़ाई मैंने कुछ साथियों के दम पर लड़कर जीती लेकिन यह धर्मयुद्ध मैं नहीं लड़ूँगा क्योंकि मेरी अपेक्षा है कि उक्त धर्मयुद्ध देश के नागरिक(मालिक) लड़कर मुझे न्याय दिलाएँ ताकि दोबारा कोई पुलिसकर्मी ऐसा दुस्साहस न कर सके...
आपका अपना

Thursday, February 13, 2020

बैंक प्रबंधक द्वारा ग्राहकों की शिकयतों

बैंक  प्रबंधक द्वारा ग्राहकों की शिकयतों  के  त्वरित समाधान  के  लिए  ग्राहक  पंचयात भर्थना शाखा  ने  किया सम्मानित उक्त अवसर  पर उपस्थित भर्थना  के पदाधिकारी निशांत पोरवाल अमित श्रीवास्तव संजय माधवानी
सह प्रान्त  संघठन  मंत्री  कुलदीप तिवारी