Thursday, April 9, 2020

SCST एक्ट के तहत कितनी FIR दर्ज की गई

RTI लगाने के लिए अन्य तथ्य बताकर या शेयर कर मदद करें..."
1. IPS कावेन्द्र सिंह सागर DCP जयपुर(पश्चिम)
2. RPS संध्या यादव ACP सदर जयपुर(पश्चिम)
के जयपुर(पश्चिम) जिले में पदस्थापन के बाद से निम्न सूचना RTI के तहत माँगी जा रही है -
1. इन दोनों की पदस्थापन अवधि में SCST एक्ट के तहत कितनी FIR दर्ज की गई? समस्त की प्रतियाँ उपलब्ध करावें...
2. इन दोनों की पदस्थापन अवधि में SCST एक्ट के आरोपों वाले कितने परिवाद दर्ज किए गए? समस्त की प्रतियाँ उपलब्ध करावें...
3. उपर्युक्त अवधि में SCST एक्ट के तहत दर्ज FIR में से किन-किन FIR का अनुसंधान संध्या यादव को दिया गया? FIR संख्या एवं पुलिस थाना का विवरण उपलब्ध करावें...
4. उपर्युक्त अवधि में SCST एक्ट के तहत दर्ज FIR में से किन-किन FIR का अनुसंधान प्रमोद स्वामी RPS को दिया गया? FIR संख्या एवं पुलिस थाना का विवरण उपलब्ध करावें...
5. समस्त प्रकार की जिन-जिन FIR का अनुसंधान संध्या यादव द्वारा किया गया उनकी प्रतियां उपलब्ध करावें, उक्त सूचना में उन FIR को भी शामिल करें जिनका अनुसंधान किसी अन्य पुलिसकर्मी से संध्या यादव को दिया गया...
6. कावेन्द्र द्वारा जिन-जिन FIR में पूर्णतः अथवा आंशिक अनुसंधान किया है, उक्त समस्त FIR की प्रतियाँ उपलब्ध करावें...
इनके अलावा भी क्या-क्या सूचना, RTI के तहत लेनी चाहिए...?
नोट : इसके पश्चात इन FIR में पीड़ितों से सम्पर्क भी करेंगे...

Sunday, April 5, 2020

SCST एक्ट के दुरूपयोग का सर्वोत्तम उदाहरण

SCST एक्ट के दुरूपयोग का सर्वोत्तम उदाहरण..."
हम जिनको यादव समझ रहे थे वो निकली अनुसूचित जाति से...
कुछ लोग अनुसूचित जाति का कहलाने में शर्म महसूस करते हैं लेकिन SCST एक्ट का दुरूपयोग करना हो तो तुरन्त तैयार हो जाते हैं...राजस्थान में इक्का दुक्का लोगों को ही पता होगा कि संध्या यादव RPS और कावेन्द्र सिंह सागर IPS अनुसूचित जाति से आते हैं...
घटना दिनांक 30.03.2020 के 5 दिन बाद, मेरे द्वारा FIR दर्ज करने के लिए इत्तिला दिनांक 01.04.2020 देने के पश्चात, दिनांक 03.04.2020 को जयपुर शहर के सदर पुलिस थाना में मेरे खिलाफ छेड़छाड़ और SCST एक्ट के तहत मुक़दमा दर्ज कराया गया है...
यह मुक़दमा मेरे मुक़दमे से बचने के लिए दर्ज कराया गया है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि कानून का दुरूपयोग करने वाले कुछ पुलिसकर्मी, कोरोना जैसी महामारी के बीच भी अनगिनत गलत काम करने में लगे हुए हैं...
संध्या यादव और कावेन्द्र सिंह सागर ने षड्यंत्र रचकर मेरे खिलाफ FIR दर्ज कराई है जिसमें मेरे खिलाफ कुल 2 आरोप लगाए गए हैं, जो निम्न हैं-
आरोप 1. महामारी के दौरान, की गई नाकाबन्दी में, गोवर्धन सिंह एडवोकेट को रोककर पूछताछ की तो गोवर्धन सिंह ने आपत्तिजनक तरीके से घूरकर देखा और अभद्र भाषा का प्रयोग किया और देख लेने की धमकी दी।
असली तथ्य : दिनांक 30.03.2020 को संध्या यादव ने आपराधिक मामलों में वकील के रूप में पैरवी करने से नाराज होकर, मुझे जानते हुए भी मेरे साथ बदतमीजी की एवं कराई...साथ ही अपने उच्च अधिकारी के आदेश को कूटरचित करते हुए अपनी लिखाई में निरस्त कर दिया। गौरतलब बात यह भी है कि मैं घटना के दौरान संध्या यादव के पास गया ही नहीं तथा न ही हमारे बीच कोई संवाद हुआ...उसकी बात को सही मान भी लिया जाए तो उसने 30.03.2020 को मेरे द्वारा की गई कथित छेड़छाड़ के सम्बन्ध में कोई रोजनामचा रपट, प्रार्थना-पत्र अथवा FIR दर्ज क्यों नहीं करवाई...?उक्त FIR मेरे द्वारा शिकायत करने के 2 दिन बाद यानि कुल मिलाकर 5 दिन बाद, सोच समझकर दिनांक 03.04.2020 को क्यों दर्ज कराई गई...? यह SCST एक्ट के दुरूपयोग का सर्वोत्तम उदाहरण है...
आरोप 2 : गोवर्धन सिंह ने सम्बन्धित पुलिस थाने तथा SP/DCP कावेन्द्र सिंह सागर को संध्या यादव के खिलाफ FIR दर्ज कराने के लिए, SC की महिला अधिकारी को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से झूठा प्रार्थना-पत्र दिया...
असली तथ्य : मुझे कतई यह जानकारी नहीं थी कि संध्या यादव RPS, ACP सदर जयपुर(पश्चिम) तथा कावेन्द्र सिंह सागर IPS, DCP जयपुर(पश्चिम), अनुसूचित वर्ग से आते हैं क्योंकि इन दोनों का नाम इस तरह का है जिससे कोई भी व्यक्ति भ्रमित हो सकता है...यदि यह मान भी लिया जाए कि मुझे इन दोनों के SC वर्ग से होने का पता था तो भी क्या भारत में, SC वर्ग के किसी व्यक्ति के द्वारा, अपराध करने पर कोई नागरिक उनके खिलाफ किसी भी थाने में प्रार्थना-पत्र नहीं दे सकता है...? इस प्रकार तो यदि कोई भी नागरिक SC वर्ग से आने वाले किसी व्यक्ति के संज्ञेय अपराध की इत्तिला संबंधित पुलिस थाने में देगा तो इत्तिला देते ही उसके खिलाफ एक SCST एक्ट का मुकदमा होने लगेगा...
एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि संज्ञेय अपराध घटने के सम्बंध में मेरे प्रार्थना-पत्र पर आज तक न तो FIR दर्ज हुई, न ही कोई अनुसंधान हुआ और न ही मेरी शिकायत, अभी तक झूठी पाई गई है, ऐसी अवस्था में बिना न्यायालय निर्णय के यह कैसे माना जा सकता है कि मेरी शिकायत से SCST एक्ट का कोई अपराध घट गया है...
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:
1. मेरे पास एक दस्तावेजी साक्ष्य यह भी है कि मेरे पास लॉकडाऊन के दौरान आने व जाने के लिए DCP कार्यालय की एक लिखित अनुमति थी, जिसको संध्या यादव ने अपनी लिखाई से निरस्त किया है...जबकि कोई अधीनस्थ पुलिस अधिकारी अपने उच्चाधिकारी का आदेश निरस्त नहीं कर सकता है...वकील कोर्ट ऑफिसर होने के नाते कानून व्यवस्था का अहम हिस्सा होता है अतः लॉकडाऊन में राजस्थान सरकार के निर्देशों के अनुसार वकील को नहीं रोका जाना चाहिए था...उक्त दस्तावेजी साक्ष्य की जाँच आज तक नहीं हो पाई है...
2. मेरे खिलाफ अनगिनत झूठे मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनको उच्च न्यायालय ने झूठा मानते हुए यह आदेश भी राजस्थान सरकार को दिए हैं कि "राजस्थान सरकार गोवर्धन सिंह एवं उसके परिवार को उचित सुरक्षा उपलब्ध करवाते हुए यह भी सुनिश्चित करे कि इनको किसी भी तरीके(manner) से हानि(harm) नहीं पहुँचे..." लेकिन मेरे जीवन का यह पहला झूठा मुक़दमा है जिसमें मेरे खिलाफ छेड़छाड़ और SCST एक्ट का आरोप लगाया गया है...
3. मैं मुझसे जुड़े SCST के साथियों से पूछना चाहता हूँ कि क्या मैंने कभी जातिसूचक शब्द इस्तेमाल किए हैं...? यदि इसका जवाब "नहीं" में है तो आप सभी साथी इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ खड़े होकर मेरी आवाज बुलन्द करें...
4. SCST एक्ट का दुरुपयोग कर, यदि पुलिसकर्मी मुझ जैसे वकील को, इस मामले में झूठा फँसा देते हैं तो यह तय मानिएगा कि अगला नम्बर आपका ही है...
5. मेरा दोष केवल यह है कि मैंने संध्या यादव के खिलाफ कुछ आपराधिक प्रकरणों में न्यायालय के समक्ष पैरवी की, यदि न्यायालय के समक्ष पैरवी करने का दण्ड SCST एक्ट से मिलने लगेगा तो अगला नम्बर जज साहब, कोर्ट स्टाफ और अन्य वकीलों का आने वाला है...इन दिनों में महामारी के चलते न्यायालय भी केवल जरूरी काम निपटा रहे हैं, इसी स्थिति को देखकर इन लोगों ने अनुचित फायदा उठाने का कुत्सित प्रयास किया है...संध्या यादव और कावेन्द्र सिंह सागर IPS ने उक्त FIR को गोपनीय क्यों रखा साथ ही न्यायालय में भी क्यों नहीं भेजी जबकि 24 घण्टे के भीतर सभी FIR न्यायालय में भेजना अनिवार्य होता है, यह प्रमाण है कि उक्त लोग झूठ खुलने के भय से कितने डरे हुए थे...?
6. इस खेल के पीछे गोविन्द गुप्ता जैसे कुछ IPS अधिकारी भी संलिप्त है लेकिन मैं उनको आगाह करना चाहता हूँ कि IPS बनने के बाद तुमको देश से क्या चाहिए, अब तो षडयंत्र करना बन्द करो भाई...
7. इस मामले में उक्त सभी तथ्य CS, DGP, ADGP Crime, ADGP CR, मुख्यमंत्री, सम्बंधित MLA और MP के ध्यान में भी लाए जा सकते हैं...साथ ही मेरे खिलाफ दर्ज झूठे मुकदमे के अनुसंधान अधिकारी प्रमोद स्वामी RPS को भी समझाया जा सकता है कि वह उच्चाधिकारियों के कहने पर गलत काम नहीं करे क्योंकि जब कानून का शिकंजा कसता है तो स्थितियां बदल जाती है...
8. मैंने राजस्थान पुलिस अकादमी में कई RPS अफसरों को पढ़ाया है, मैं मुझसे पढ़े हुए सभी RPS अफसरों से पूछना चाहता हूं कि क्या इस तरह किसी देशभक्त के खिलाफ SCST एक्ट का दुरुपयोग उचित है...?
9. मैंने facebook के माध्यम से लाखों नागरिकों को मालिक होने का अहसास कराया है आज मैं ऐसे सभी लोगों से आह्वान करता हूँ कि आगे आकर इस सरकार और मुख्यमंत्री से सवाल करें...
अंतिम बात :
2010 की पिछली लड़ाई मैंने कुछ साथियों के दम पर लड़कर जीती लेकिन यह धर्मयुद्ध मैं नहीं लड़ूँगा क्योंकि मेरी अपेक्षा है कि उक्त धर्मयुद्ध देश के नागरिक(मालिक) लड़कर मुझे न्याय दिलाएँ ताकि दोबारा कोई पुलिसकर्मी ऐसा दुस्साहस न कर सके...
आपका अपना