Monday, July 22, 2019

सब कुछ ठीक रहा तो बहुत जल्द बाड़मेर पुलिस अधीक्षक और बालोतरा पुलिस उप अधीक्षक की विदाई तय है।

बाड़मेर पुलिस को पुलिस कहना गलत व अव्यवहारिक होगा। इन्हे आवारा गुंडों का गिरोह कहना उचित होगा। क्योंकि यह लोग महिलाओं की एफआईआर दर्ज नहीं करते, पीड़ितों से दस्तावेज छीन कर सबूत नष्ट कर देते हैं, यह लोग विधिवत कार्रवाई नहीं करते इसलिए आमजन आत्महत्या कर रहा हैं, महिलाएं आत्महत्या कर रही हैं, पुलिस वाले नशे में धुत होकर थाने में निर्दोष लोगों को बुरी तरह पीटते व प्रताड़ित करते हैं, दारू पीकर उत्पात मचाते हैं। यह लोग इंसान कतई नहीं हो सकते। इन गुंडो ने खाकी वर्दी अवश्य पहन रखी है जैसे बीहड़ के गुंडे पहनते है। सब कुछ ठीक रहा तो बहुत जल्द बाड़मेर पुलिस अधीक्षक और बालोतरा पुलिस उप अधीक्षक की विदाई तय है।
पुलिस वाले कितने बेशर्म व भावनाविहीन हो गए हैं यह आप इस बात के अंदाज लगा सकते हैं कि आए दिन पुलिस वालों की काली करतूतों का मीडिया भंडाफोड़ कर रहा है, लोग सोशल साइट्स के जरिए विरोध कर रहे हैं, पुलिस के गलत कामों की वजह से लोग आत्महत्या कर रहे हैं, लोग दहशत मे घुट-घुट कर जी रहे हैं फिर भी इन जानवरों में कोई शर्म नहीं है। यह वाकई इंसानों की परिभाषा से बाहर हो गये हैं। इन लोगों में जरा भी शर्म होती तो यह जिस काम की तनखा लेते है, जिस तनखा से अपने परिवार का पेट पालते है, अपने बच्चों को शिक्षा देते है, अपना जीवन जीते है उस कर्तव्य की कुछ तो लाज रखते, कुछ तो शर्म करते। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो रहा है।
इसका मूल कारण यह है कि हमारे बाड़मेर जिले के चुने हुए सांसद व विधायकों में ईमानदारी, साहस व अकल की कमी है तथा वह भ्रष्ट है। कोई बजरी चोरी में लिप्त हैं, कोई अवेध शराब व्यवसाय मे लिप्त है, कोई अवैध संपत्ति बनाने में लिप्त हैं, कोई किसी अपराधी के साथ मिला हुआ है, कोई सरकारी जमीनों पर कब्जे करने के कृत्य में लिप्त हैं, कोई ट्रांसफर-पोस्टिंग चाहने वाले लोगों से अवैध रूप से रिश्वतखोरी में लिप्त हैं। यह येन केन प्रकारेण पैसा जमा करना चाहते हैं, ताकि फिर से अगली बार चुनाव में पैसा लुटाकर लोगों को बेवकूफ बनाए और जाति का झुनझुना पकड़ा कर फिर से चुनाव जीते। इन लोगों का यही लक्ष्य व असली चरित्र है। इसी कारण हमारे द्वारा चुनकर विधानसभा व लोकसभा में भेजे गए लोग भ्रष्ट पुलिसवालों की गुंडागर्दी के खिलाफ ईमानदारीपूर्वक आवाज नहीं उठाते, इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए आगे नहीं बढ़ते।
इन लोगों ने अपनी जाति के नाम पर लोगों से वोट तो ले लिए लेकिन अब ये लोग जनता का भला नहीं कर रहे हैं उस जनता में वह लोग भी शामिल हैं जो उनकी जाति के हैं, उनकी गोत्र के हैं, उनके परिवार के भी है।
इसका कारण यह है कि जनता भोली-भाली है तथा जनता की मूर्खता का फायदा उठाकर यह लोग जीत जाते हैं और मौज करते हैं। एक कहावत है कि जब तक मूर्ख जिंदा है तब तक समझदार भूखा नहीं मरेगा।
जिंदा कौम 5 वर्ष तक इंतजार नहीं किया करती लेकिन हमारे देश की भोली-भाली जनता जीते हुए लोगों से अगले 5 वर्षों मे कभी यह सवाल नहीं करती कि :-
चुनाव से पहले आप लोग आते थे और हाथ जोड़कर हमेशा साथ देने का वादा करते थे...अब आप वादाखिलाफी क्यों कर रहे हो ?
आपने हमारे लिए क्या काम किया है ?
इन भ्रष्ट पुलिस वालों के खिलाफ आपने क्या कार्यवाही की है व क्या कर रहे हो ?
बाड़मेर जिले में लोग सरकारी अधिकारियों के अत्याचारों के कारण रोज आत्महत्या कर रहे हैं इसकी रोकथाम के लिए आपने क्या कार्यवाही की है व क्या कर रहे हो ?
पुलिस वाले मामला दर्ज नहीं करते और लोगों को प्रताड़ित करते हैं इसके लिए आपने क्या कार्यवाही की है व क्या कर रहे हो ?
बाड़मेर जिले में भ्रष्टाचार दिन दुगुनी और रात चौगुनी गति से सुरसा के मुंह की तरह बढ़ रहा है इसकी रोकथाम के लिए आपने क्या कार्यवाही की है व क्या कर रहे हो ?
हालांकि यह सब बातें उन नेताओं को पता होती है लेकिन वह बड़े ही चालाक है। वह आए दिन जहां पर भी रहते है वहां अपने क्षेत्र के सभी अखबारों के ई-पेपर पढ़ते हैं, सोशल साइट्स के जरिए हर घटना पर नजर रखते हैं, मीडिया पर ध्यान रखते हैं, एक दो व्यक्तियों को सिर्फ इसलिए ही बिठाए रखते हैं ताकि वह उन्हे हर चीज की रिपोर्ट देते रहें। लेकिन वह घटने वाली सभी घटनाओं व दुर्घटनाओं में सिर्फ और सिर्फ अपना फायदा देखते हैं। अधिकारियों से सेटिंग रखने के प्रयास में लगे रहते हैं तथा अपने आसपास चमचों का जमावड़ा रखते हैं जो उन्हें नफे-नुकसान के बारे में बताते रहते हैं घटनाओं को तोड़-मरोड़ कर बताते है और वह उन चमचों मे पूर्ण आस्था रखते हैं। आमजन की बातों, पीड़ाओं व दुख दर्द से उन्हें कोई वास्ता नहीं है तथा आमजन से वह अगले चुनाव से पहले रू-ब-रू होना भी नही चाहते है। क्योंकि उन्हें पता है कि जनता मुर्ख है और ऐसी ही रहेगी। जनता आवाज नहीं उठाती और नेताओं को देखते ही जनता नतमस्तक हो जाती हैं व उनके चरण स्पर्श करती हैं।
जनता भी चुनाव आते ही नेताओं की जाति देखती है, खर्चा देखती है, इसलिए उस गलती का दुष्परिणाम जनता भुगत रही है।
सुमेर लाल शर्मा

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