एसडीएम और तहसीलदार के बिरुद्ध बिभागीय कार्यवाही औऱ अभियोजन के स्वीकृति की मांग-
सेवा में
1. मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश,शासन,लखनऊ
2. प्रमुख सचिव,नियुक्ति एवं कार्मिक,उत्तर प्रदेश शासन,लखनऊ
3. आयुक्त एवं सचिव,राजस्व परिषद्,लखनऊ
4. अभियोजन निदेशक,अभियोजन निदेशालय,उत्तर प्रदेश,लखनऊ
5. आयुक्त,विन्ध्याचल,मण्डल,मिर्ज़ापुर
6. जिलाधिकारी,मिर्ज़ापुर
सेवा में
1. मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश,शासन,लखनऊ
2. प्रमुख सचिव,नियुक्ति एवं कार्मिक,उत्तर प्रदेश शासन,लखनऊ
3. आयुक्त एवं सचिव,राजस्व परिषद्,लखनऊ
4. अभियोजन निदेशक,अभियोजन निदेशालय,उत्तर प्रदेश,लखनऊ
5. आयुक्त,विन्ध्याचल,मण्डल,मिर्ज़ापुर
6. जिलाधिकारी,मिर्ज़ापुर
विषय- बिभागीय कार्यवाही करने एवं अभियोग की स्वीकृति प्रदान करने के सम्बन्ध में |
महोदय,
कृपया माननीय मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी शासनादेश संख्या- 1/2017/386/चैतीस-लो0शि0-5/2017 लोक शिकायत अनुभाग-5 दिनांक 19 जून, 2017 व शासनादेश संख्या-01/2018/117/पैतीस-2-2018-3/39(4)/18 नियोजन अनुभाग-2 दिनांक 8 फरवरी, 2018 का संदर्भ लें |
निवेदन हैं कि अधोहस्ताक्षरी ने आईजीआरएस पोर्टल पर आयुक्त,विंध्याचल मण्डल,मिर्ज़ापुर के समक्ष तहसीलदार,सदर,मिर्ज़ापुर के बिरुद्ध शिकायत दर्ज करायी थी, जिसका शिकायत क्रमांक-40019917005880 हैं | अधोहस्ताक्षरी ने अपनी शिकायत में स्पष्ट रूप से निवेदन किया था कि “शिकायत तहसीलदार के बिरुद्ध हैं ऐसे में शिकायत की जांच तहसीलदार से न कराई जाय” | सर्वप्रथम शिकायत को आयुक्त महोदय, ने जिलाधिकारी मिर्ज़ापुर को अंतरित कर दिया और जिलाधिकारी मिर्ज़ापुर द्वारा उसे उपजिलाधिकारी, सदर मिर्ज़ापुर को आवश्यक कार्यवाही हेतु भेज दिया और अंत में उपजिलाधिकारी, सदर, मिर्ज़ापुर ने इसे तहसीलदार सदर को भेज दिया, जो शिकायत में आरोपित अधिकारी हैं | उक्त शिकायत पर तहसीलदार,सदर ने अपने बिरुद्ध शिकायत की जांच स्वयं करते हुये शिकायतकर्ता के संबंध में ही मानहानिकारक टिप्पणी करते हुये अपनी रिपोर्ट उपजिलाधिकारी सदर प्रेषित कर दिया और उपजिलाधिकारी ने उसका बिना परीक्षण किए अपनी स्वीकृति देते हुये उसे जिलाधिकारी,मिर्ज़ापुर को भेज दिया गया और जिलाधिकारी और मंडलायुक्त ने भी उसे स्वीकृत कर, शिकायत निस्तारित कर दिया |
उक्त प्रकरण में उपजिलाधिकारी सदर ने आरोपित अधिकारी (तहसीलदार) को उसी के बिरुद्ध प्रस्तुत शिकायत की जांच अग्रसारित कर उपरोक्त उल्लिखित शासनादेश का उल्लंघन किया हैं, और तहसीलदार ने भी अपने बिरुद्ध प्राप्त शिकायत पर जांच रिपोर्ट लगाकर सरकार के निर्देशों का उल्लंघन किया हैं | अत: उपरोक्त आधार पर निवेदन हैं कि शासनादेश संख्या-01/2018/117/पैतीस-2-2018-3/39(4)/18 नियोजन अनुभाग-2 दिनांक 8 फरवरी, 2018 के क्रम में उपजिलाधिकारी,सदर और तहसीलदार,सदर के बिरुद्ध आवश्यक कार्यवाही करने की कृपा करें |
उक्त प्रकरण में अधोहस्ताक्षरी ने तहसीलदार द्वारा मानहानिकारक टिप्पणी करने के लिए भारतीय दण्ड संहिता के धारा 500(मानहानि) के तहत और उपजिलाधिकारी द्वारा सरकार के निर्देशों का अनुपालन न करने के लिए धारा 166क (क्षति कारित करने के लिए विधि का उल्लंघन) के तहत माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट,मिर्ज़ापुर के न्यायालय में प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया था,जिसका निस्तारण माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इस आदेश के साथ कर दिया कि “तहसीलदार और उपजिलाधिकारी लोक सेवक हैं और प्रार्थिनी ने लोक सेवक के विरुद्ध अभियोग स्वीकृति का कोई आदेश/प्रलेख पत्र पत्रावली में प्रस्तुत नहीं किया हैं” | अधोहस्ताक्षरी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश के बिरुद्ध माननीय जनपद न्यायाधीश,मिर्ज़ापुर के यहाँ निगरानी प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया हैं जो मिस्लेनियस अप्लीकेशन 34/18 के रूप में पंजीकृत हैं, जिसमें सुनवायी हेतु अग्रिम तिथि 27/04/2018 नियत हैं | हालांकि 166क और धारा 500 आई0पी0सी0 के अपराध में अभियोजन के स्वीकृति की कोई आवश्यकता नहीं हैं फिर भी माननीय न्यायालय में अभियोजन से स्वीकृति का प्रश्न उठ सकता हैं | चुकीं तहसीलदार और उपजिलाधिकारी ने इस मामले में जानबुझ कर शासन के निर्देशों और विधि का उल्लंघन किया हैं ऐसे में निवेदन हैं कि संबन्धित आरोपित अधिकारी के खिलाफ अभियोग की स्वीकृति प्रदान करें, ताकि अधोहस्ताक्षरी के विधिक अधिकारों की हकरसी हो | धन्यवाद |
पत्रांक-95 दिनांक-11 अप्रैल 2018 भवदीय
कृपया माननीय मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी शासनादेश संख्या- 1/2017/386/चैतीस-लो0शि0-5/2017 लोक शिकायत अनुभाग-5 दिनांक 19 जून, 2017 व शासनादेश संख्या-01/2018/117/पैतीस-2-2018-3/39(4)/18 नियोजन अनुभाग-2 दिनांक 8 फरवरी, 2018 का संदर्भ लें |
निवेदन हैं कि अधोहस्ताक्षरी ने आईजीआरएस पोर्टल पर आयुक्त,विंध्याचल मण्डल,मिर्ज़ापुर के समक्ष तहसीलदार,सदर,मिर्ज़ापुर के बिरुद्ध शिकायत दर्ज करायी थी, जिसका शिकायत क्रमांक-40019917005880 हैं | अधोहस्ताक्षरी ने अपनी शिकायत में स्पष्ट रूप से निवेदन किया था कि “शिकायत तहसीलदार के बिरुद्ध हैं ऐसे में शिकायत की जांच तहसीलदार से न कराई जाय” | सर्वप्रथम शिकायत को आयुक्त महोदय, ने जिलाधिकारी मिर्ज़ापुर को अंतरित कर दिया और जिलाधिकारी मिर्ज़ापुर द्वारा उसे उपजिलाधिकारी, सदर मिर्ज़ापुर को आवश्यक कार्यवाही हेतु भेज दिया और अंत में उपजिलाधिकारी, सदर, मिर्ज़ापुर ने इसे तहसीलदार सदर को भेज दिया, जो शिकायत में आरोपित अधिकारी हैं | उक्त शिकायत पर तहसीलदार,सदर ने अपने बिरुद्ध शिकायत की जांच स्वयं करते हुये शिकायतकर्ता के संबंध में ही मानहानिकारक टिप्पणी करते हुये अपनी रिपोर्ट उपजिलाधिकारी सदर प्रेषित कर दिया और उपजिलाधिकारी ने उसका बिना परीक्षण किए अपनी स्वीकृति देते हुये उसे जिलाधिकारी,मिर्ज़ापुर को भेज दिया गया और जिलाधिकारी और मंडलायुक्त ने भी उसे स्वीकृत कर, शिकायत निस्तारित कर दिया |
उक्त प्रकरण में उपजिलाधिकारी सदर ने आरोपित अधिकारी (तहसीलदार) को उसी के बिरुद्ध प्रस्तुत शिकायत की जांच अग्रसारित कर उपरोक्त उल्लिखित शासनादेश का उल्लंघन किया हैं, और तहसीलदार ने भी अपने बिरुद्ध प्राप्त शिकायत पर जांच रिपोर्ट लगाकर सरकार के निर्देशों का उल्लंघन किया हैं | अत: उपरोक्त आधार पर निवेदन हैं कि शासनादेश संख्या-01/2018/117/पैतीस-2-2018-3/39(4)/18 नियोजन अनुभाग-2 दिनांक 8 फरवरी, 2018 के क्रम में उपजिलाधिकारी,सदर और तहसीलदार,सदर के बिरुद्ध आवश्यक कार्यवाही करने की कृपा करें |
उक्त प्रकरण में अधोहस्ताक्षरी ने तहसीलदार द्वारा मानहानिकारक टिप्पणी करने के लिए भारतीय दण्ड संहिता के धारा 500(मानहानि) के तहत और उपजिलाधिकारी द्वारा सरकार के निर्देशों का अनुपालन न करने के लिए धारा 166क (क्षति कारित करने के लिए विधि का उल्लंघन) के तहत माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट,मिर्ज़ापुर के न्यायालय में प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया था,जिसका निस्तारण माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इस आदेश के साथ कर दिया कि “तहसीलदार और उपजिलाधिकारी लोक सेवक हैं और प्रार्थिनी ने लोक सेवक के विरुद्ध अभियोग स्वीकृति का कोई आदेश/प्रलेख पत्र पत्रावली में प्रस्तुत नहीं किया हैं” | अधोहस्ताक्षरी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश के बिरुद्ध माननीय जनपद न्यायाधीश,मिर्ज़ापुर के यहाँ निगरानी प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया हैं जो मिस्लेनियस अप्लीकेशन 34/18 के रूप में पंजीकृत हैं, जिसमें सुनवायी हेतु अग्रिम तिथि 27/04/2018 नियत हैं | हालांकि 166क और धारा 500 आई0पी0सी0 के अपराध में अभियोजन के स्वीकृति की कोई आवश्यकता नहीं हैं फिर भी माननीय न्यायालय में अभियोजन से स्वीकृति का प्रश्न उठ सकता हैं | चुकीं तहसीलदार और उपजिलाधिकारी ने इस मामले में जानबुझ कर शासन के निर्देशों और विधि का उल्लंघन किया हैं ऐसे में निवेदन हैं कि संबन्धित आरोपित अधिकारी के खिलाफ अभियोग की स्वीकृति प्रदान करें, ताकि अधोहस्ताक्षरी के विधिक अधिकारों की हकरसी हो | धन्यवाद |
पत्रांक-95 दिनांक-11 अप्रैल 2018 भवदीय
(मनीष कुमार सिंह) एडवोकेट, निवासी-
ग्राम-गोतवाँ,पोस्ट-जमुआ बाज़ार,मिर्ज़ापुर |
मोबाइल न0- 9621800325
ईमेल- mirzapur.singh@gmail.com
ग्राम-गोतवाँ,पोस्ट-जमुआ बाज़ार,मिर्ज़ापुर |
मोबाइल न0- 9621800325
ईमेल- mirzapur.singh@gmail.com
No comments:
Post a Comment