Sunday, July 30, 2017

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ 2017 में अऋणी व डिफाल्टर कृषकों के फार्म जमा करने की अंतिम तिथि 16 अगस्त

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ 2017 में अऋणी व डिफाल्टर कृषकों के फार्म जमा करने की अंतिम तिथि 16 अगस्त है ।मध्यप्रदेश के  कृषि विकास विभाग के उप संचालक ने कृषकों से आग्रह किया है कि वे अंतिम तिथि का इंतजार ना करते हुए शीघ्र ही अपने फार्म पास की बैंक शाखा में जमा कराएं ताकि उनकी फसलों का बीमा योजना के तहत सुनिश्चित हो सकें।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सोयाबीन फसल के लिए प्रीमियम राशि 440 रूपए प्रति हेक्टेयर तथा उड़द एवं मूंग के लिए क्रमशः 342 रूपए नियत है। भरे हुए फार्मो के साथ भू-अधिकार पुस्तिका की फोटो कॉपी, बोनी का प्रमाण पत्र संबंधित से प्राप्त कर पहचान पत्र के अंतर्गत आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, राशन कार्ड, पेन कार्ड इत्यादि में से कोई एक इसके अलावा बैंक खाता की पासबुक फोटो कॉपी उपलब्ध करानी होगी। तत्‍संबंध में अन्य जानकारी के लिए कृषि, राजस्व, पंचायत विभाग के स्थानीय कर्मचारी से सम्पर्क किया जा सकता है।

Friday, July 28, 2017

सुंदर, तन्हा युवती का सहारा लेते हैकर

सुंदर, तन्हा युवती का सहारा लेते हैकर
फेसबुक पर एक खूबसूरत लड़की की तस्वीर. रिलेशनशिप स्टेटस, उलझा हुआ. ऑनलाइन धोखाधड़ी की शुरुआत कुछ इसी तरह होती हैं. कुछ पुरूष झांसे में आते हैं और फिर बर्बादी का सिलसिला शुरू होता है.
दुनिया भर में सक्रिय धोखेबाज हैकर "हनी ट्रैप" यानि हुस्न का झांसा देकर ऑनलाइन ठगी कर रहे हैं. अब ऐसी जालसाजी में ईरान सरकार का नाम भी आ रहा है. हैकरों को लगता है कि ईरान सरकार ने एक खूबसूरत महिला के इंटरनेट अकाउंट के सहारे तेहरान के शत्रु देशों के अहम अधिकारियों को फांसने की कोशिश की.
फेसबुक, लिंक्डइन, व्हट्सऐप और ब्लॉगर में अप्रैल 2016 से एक महिला का प्रोफाइल था. नाम था, मिया ऐश. उसके प्रोफाइल में एक युवती की सुंदर तस्वीर थी. प्रोफाइल में उसकी उम्र 20 से 30 साल के बीच लगी. प्रोफाइल के मुताबिक वह एक पेशेवर फोटोग्राफर है जो लंदन में रहती है. उसे घूमना, फुटबॉल देखना और संगीत पसंद है. डेल सिक्योवर्क्स का दावा है कि यह प्रोफाइल डिटेल न्यूयॉर्क के एक फोटोग्राफर के लिंक्डइन प्रोफाइल से चुरायी गयी.
डेल सिक्योरवर्क्स के मुताबिक मिया ऐश के मैसेज में खास किस्म के जासूसी वायरस थे. फोटोग्राफी सर्वे कहा जाने वाला एक वायरस मैसेज खोलने के बाद एक्टिव होता था. वहीं पपीरेट नाम का एक और मेलवेयर हमलावर को पीड़ित के कंप्यूटर और नेटवर्क का पूरा कंट्रोल दे देता था
डेल सिक्योवर्क्स को पूरा यकीन है कि यह प्रोफाइल ईरान के हैकिंग ग्रुप कोबाल्ट जिप्सी ने बनाया है. ईरान की सरकार से जब इस पर प्रतिक्रिया मांगी तो उसने कोई जवाब नहीं दिया.
मिया ऐश मध्य पूर्व की तेल कंपनियों में काम करने वाले तकनीशियनों और इंजीनियरों को ललचाती थी. डेल सिक्योरवर्क्स के मुताबिक मिया ऐश की आड़ में सऊदी अरब, इस्राएल, अमेरिका और भारत के लोगों को भी निशाना बनाया. डेल सिक्योरवर्क्स के सीनियर सिक्योरिटी रिसर्चर एलिसन विकॉफ के मुताबिक, "ये सारे लोग फोटोग्राफी के काम के चलते उससे नहीं मिलना चाहते, बल्कि उन्हें लगता है कि वाह, वह जवान है, सुंदर है, उसे घूमना पसंद है और वह बिदांस भी है."
अब मिया ऐश की असलियत सामने आ चुकी है. लिंक्डइन समेत कई इंटरनेट कंपनियों ने इस प्रोफाइल को डिलीट कर दिया है. इस मामले के सामने आने के बाद पता चला है कि सोशल मीडिया और नेटवर्किंग साइट्स पर बड़े पैमाने पर जासूसी और धोखाधड़ी हो रही है.
स्पैम से किन देशों को है खतरा?
हमले से परेशान
सेंधमारी यानि फिशिंग (Phishing) अटैक ने सबसे अधिक चीन (20.21 फीसदी), ब्राजील (18.23 फीसदी) और संयुक्त अरब अमीरात (11.07 फीसदी) के उपभोक्ताओं को प्रभावित किया है. फिशिंग के जरिये संवेदनशील जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है.
भारत नहीं पीछे
भारत स्पैम पैदा करने वाले देशों की सूची में सबसे ऊपर है. दुनिया में तकरीबन 14 फीसदी स्पैम मेल भारत से भेजे गये. पिछली तिमाही के मुकाबले इसमें 4.4 फीसदी की वृद्धि हुई. इसके बाद वियतनाम और अमेरिका का नंबर आता है.
रूस और इटली
अनचाहे मेल प्राप्त करने के मामले में रूस चौथे और इटली पांचवें स्थान है. पिछले साल दुनिया के तकरीबन 5.4 फीसदी अनचाहे ईमेल इटली के मेलबॉक्स में गये तो रूस में यह आंकड़ा 5.6 फीसदी का था.
जनसंख्या पर लक्ष्य
साल 2016 में दुनिया के 7.3 फीसदी स्पैम ने चीन के मेल-बॉक्स को भी निशाना बनाया. दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला यह देश स्पैम मेल भेजने वालों की तीसरी सबसे बड़ी पसंद रहा.
तकनीक पर चोट
दूसरे स्थान पर है जापान, जहां तकरीबन 7.6 फीसदी स्पैम मेल पहुंचे. जापान के प्रशासन ने देश में स्पैम की इस भारी तादाद पर चिंता जताई है. पिछले आंकड़ों की तुलना में इन स्पैम में 2.36 फीसदी की बढ़त देखी गई है.
पहली पसंद
स्पैम से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में पहले स्थान पर है जर्मनी. जर्मनी दुनिया में बेशक अपने अनुशासन और नियम कायदों के पालन के लिये जाना जाता है लेकिन स्पैम पर इसका कोई बस नहीं. साल 2016 में दुनिया के 14.1 फीसदी स्पैम जर्मनी भेजे गये.
रिपोर्ट: अपूर्वा अग्रवाल
ओएसजे/एके (रॉयटर्स) DW

राज सूचना आयुक्त से मांगी गयी सूचना की अपील की सुनवाई न कराये जाने के सम्बन्ध में

राज सूचना आयुक्त से मांगी गयी सूचना की अपील की सुनवाई न कराये जाने के सम्बन्ध में
Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
अटैचमेंट1:49 pm (17 मिनट पहले)
webmaster.upic
प्रेषक :-अशोक कुमार गोयल, गणेशपुर रहमानपुर, चिनहट , लखनऊ-226028
पत्रांक 11 (16)/अपर्णा यादव, दिनांक 28.07-2017
सेवा में,
श्री जावेद उस्मानी
राज्य मुख्य सूचना आयुक्त ,
उत्तर प्रदेश सूचना आयोग,
गोमती नगर, लखनऊ-226010
विषय :- राज्य सूचना आयुक्त श्री अरविन्द सिंह बिस्ट के समक्ष बिना जाँच के, सिविल मुक़दमे की तरह सुनी जा रही अपील S-3-2451/A/2017 की सुनवाई दिनांक 03-08-2017 को, योग्यतम अभ्यर्थियो को चयनित कर सूचना आयुक्त के पद पर आसीन किये जाने तक, स्थगित किये जाने के सम्बन्ध में –
महोदय,
उक्त सूचना आयुक्त श्री बिस्ट के समक्ष अपीलकर्ता के किसी भी मामले की सुनवाई न कराये जाने के सम्बन्ध में श्री जावेद उस्मानी, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त, उ०प्र० सूचना आयोग, लखनऊ को प्रेषित विभिन्न प्रार्थना पत्रों का संज्ञान लेते हुए, उन पर की गयी कार्यवाही से अवगत नही कराया गया है और लगातार अपीलकर्ता की अपीलों की सुनवाई सूचना आयुक्त श्री बिस्ट के समक्ष नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत नियत की जा रही हैं
1)- सूचना आयुक्त श्री बिस्ट ने वर्ष 2011 में एक तालाब पर अवैधानिक कब्जे के सम्बन्ध में मांगी गयी सूचना के मामले को उजागर न होने देने के लिये दिनांक 24.04.2014 झगड़ा कर शिकायतकर्ता को अपने सुनवाई कक्ष से अपने स्टाफ द्वारा बाहर निकलवा कर अपमानित किया और फिर उसके घर रात्रि दस बजे बिना महिला पुलिस के हजरतगंज, लखनऊ की पुलिस भेज कर अवैधानिक तरीके से जेल भिजवाया जा चूका है | इस स्थित में भी श्री बिस्ट के समक्ष सुनवाई नियत करना सिद्ध करता है कि आयोग द्वारा शिकायतकर्ता को सूचना न मांगने देने की दिशा मे पर्याप्त क्रूरतम उपाय किये जा रहे हैं जबकि धारा 18 के तहत की गयी शिकायत पर आयोग के पास मात्र दण्ड आयात करने का ही एक मात्र उपचार है | इस प्रकार आयोग द्वारा भ्रस्टाचार के पक्ष में शिकायती पत्र RTI ACT 2005 की धारा 18, 19 एवं 20 मे प्राप्त शक्ति का प्रयोग कर जाँच एवं दंडात्मक कार्यवाही के विधिक दायित्व का निर्वहन नही किया है और न ही अन्य विधिक कार्यवाही ही की है अर्थात सूचना आयोग में RTI ACT 2005 के आदेशात्मक प्रावधानों से इतर सूचना मांग कर भ्रस्टाचार को उजागर करने वाले नागरिकों के विरुद्ध उनके सूचना मांगने के वैधानिक अधिकारों का हनन करते हुए सरकारी विभागों के हिताय एक पक्षीय कार्यवाही की जा रही है l इतना ही नही उक्त आयुक्त ने अपने अधिकार क्षेत्र से बढ़ के 2 अवमानना वाद भी चलित किये हैं जिसका आशय यही निकलता है कि उक्त आयुक्त इस RTI ACT की विधियों को मामने को तैयार नही हैं|
2)- उक्त नागरिक उत्पीडन का कारण ये ही दर्शित होता है कि उक्त सूचना आयुक्त का चयन इनकी योग्यता परखे बिना, समाजवादी पार्टी के मुखिया का समधी होने की हैसियत से सपा सरकार मे उपहार स्वरूप दिया गया है I जिस कारण इनके क्रिया कलाप एवं व्यवहार इस एक्ट के संगत नही है I ये सूचना दिलाने के बजाय सूचना मांगने वाले नागरिकों को आयोग से भगाने/जेल भिजने का काम करते आ रहे है I
3)- उक्त अपील पर सिविल मुकदमे की तरह, जाँच के पूर्व ही सुनवाई की तिथि नियत करना, ये सिद्ध करता है कि RTI ACT में नियत प्रावधानों के अनुसार सूचना दिलाने की कार्यवाही नही होनी है, इस प्रकार सउद्देश्य गठित आयोग द्वारा RTI ACT की खुली अवमानना करके, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1) मे नागरिकों को दी गयी आज़ादी का अतिक्रमण किया जा रहा है l यदपि राज्य सरकार द्वारा आयोग के इस अलोक तांत्रिक कार्य का संज्ञान लिया जाना अपेक्षित है |
अतः आपसे अनुरोध है कि सूचना आयुक्त द्वारा उक्त प्रकार अधिनियम के असंगत की जा रही औचित्यहीन सुनवाई को रोक (नाट प्रेस) दिया जाये, जब तक नियमतः चयनित योग्य अभियार्थियो का सूचना आयुक्तों के पद पर आसीन नही किया जाता है I
अपीलकर्ता
(अशोक कुमार गोयल)
पता :- गणेशपुर - रहमानपुर ,थाना चिनहट, लखनऊ -226028
E-Mail :- akgoel1954@gmail.com
मोबाईल :- 8009444448
3 अटैचमेंट

Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
अटैचमेंट2:02 pm (5 मिनट पहले)
chief, cmup, Governor, psecup.adminref
सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु इस आशय से प्रेषित है कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत राज्य सूचना आयुक्त द्वारा दिनांक 03.08-2017 को सुनेगे ? RTIएक्ट को नस्ट करने का मामला है तो व्यापक न्याय हित में श्री बिस्ट को तत्काल सूचना आयुक्त के पद से हटकर निष्पक्ष जाँच कराया जाना अपेक्षित है कृत कार्यवाही से मुझे भी अवगत कराया जाये
संलग्नक उपरोक्तानुसार
---------- अग्रेषित संदेश ----------
प्रेषक: Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
दिनांक: 28 जुलाई 2017 को 1:49 pm
विषय: राज सूचना आयुक्त से उनकी पुत्री के सम्बन्ध में मांगी गयी सूचना की अपील की सुनवाई न कराये जाने के सम्बन्ध में
प्रति: webmaster.upic@gmail.com
--
भवदीय,

(अशोक कुमार गोयल)
अध्यक्ष
सूचना का अधिकार कार्यकर्ता वेलफेयर एसोसिएशन,
3 अटैचमेंट

Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
अटैचमेंट2:06 pm (0 मिनट पहले)
presidentofind., persinfotech
सूचनार्थ एवं अपने स्तर से इस भ्रस्टाचार के प्रकरण व अकूत संपत्ति एकत्र किये जाने की जाँच करने हेतु प्रेषित है
कृत कार्यवाही से मुझे भी अवगत कराया जाये
---------- अग्रेषित संदेश ----------
प्रेषक: Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
दिनांक: 28 जुलाई 2017 को 2:02 pm
विषय: Fwd: राज सूचना आयुक्त से उनकी पुत्री के सम्बन्ध में मांगी गयी सूचना की अपील की सुनवाई न कराये जाने के सम्बन्ध में
प्रति: chief secretary <csup@up.nic.in>, cmup <cmup@up.nic.in>, Governor <hgovup@up.nic.in>, "psecup.adminref@nic.in" <psecup.adminref@nic.in

Thursday, July 27, 2017

MUMBAI: A garment trader from Girgaum, who allegedly uploaded a photograph of his former girlfriend


MUMBAI: A garment trader from Girgaum, who allegedly uploaded a photograph of his former girlfriend in a state of undress on a social networking site after she refused to marry him, was arrested by the police on Saturday.

Nischay Bansal (24), a resident of Sikka Nagar in VP Road, has been charged under relevant sections of the Information Technology Act and for threatening and outraging the modesty of woman. The cellphones of the victim and Bansal were seized for the purpose of investigation. "The victim and Bansal studied in the same school and college. They were in a relationship, which their families were unaware of," said a police officer. In 2011, the victim had clicked some selfies with her cellphone while she was alone at home. "The victim had not shared the photographs with anyone. But Bansal managed to get the picture transferred on his cellphone without her knowledge," said an officer from LT Marg police station.


Bansal later showed the victim the photograph. "The victim was furious and asked Bansal to delete it. This led to an argument between the two after which the victim called off the relationship. Bansal kept asking the victim to rekindle their relationship, but the victim refused," the officer said.


In October 2013, when Bansal learnt that the victim's family had planned to get her married off, he sent a text message threatening her.


In November 2013, Bansal managed to trace her fiance and showed the victim's photograph to him. The accused told her fiance that he had been in a relationship with the victim after which the marriage was called off, the police said. Bansal reportedly told the victim that he would not allow her to marry and kept pressurizing her to tie the knot. The victim informed her parents about the harassment and lodged a police complaint.

फेसबुक पर भारतीय महिलाओं की खास सुरक्षा

फेसबुक पर भारतीय महिलाओं की खास सुरक्षा
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने कुछ ऐसे नये सुरक्षा फीचर पेश किये हैं, जिनसे महिला यूजर्स को ज्यादा सुरक्षा महसूस होगी. देखिए कैसे.
फेसबुक इस्तेमाल करने वाली भारतीय महिलाओं को ज्यादा सुरक्षित महसूस करवाने के लिए ये सोशल साइट कुछ नये फीचर्स ले कर आया है. फेसबुक पर किसी महिला ने अपनी फोटो डाली और किसी हैकर ने वहां से उसकी प्रोफाइल फोटो डाउनलोड कर किसी जगह गलत इस्तेमाल कर डाला. ऐसी शिकायतें कई यूजर्स ने दर्ज करायी हैं. अब लाये गये नये सुरक्षा फीचर्स के कारण कोई भी महिलाओं के प्रोफाइल फोटो डाउनलोड नहीं कर सकेगा.
कंपनी ने अपने रिसर्च में पाया कि भारत की कई महिला यूजर्स इस सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपनी प्रोफाइल फोटो में अपना चेहरा नहीं दिखाती. उन्हें पता चला कि इसके पीछे महिलाओं का ये डर काम करता है कि कोई भी उनकी फोटो डाउनलोड कर उसका कहीं और दुरुपयोग कर सकता है. पहले ऐसी कई घटनाएं सामने भी आ चुकी हैं.
भारतीय महिलाओं के इस डर को दूर करने के लिए फेसबुक ने स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मिल कर ऐसे दो टूल विकसित किये, जो महिलाओं को फेसबुक पर डाले अपने प्रोफाइल के ऊपर बेहतर नियंत्रण की संभावना देते हों. फेसबुक की प्रोडक्ट मैनेजर आरती सोमन कंपनी के ही एक ब्लॉग में बताती हैं, इससे "उन्हें ऑनलाइन सुरक्षित रहने में मदद मिलेगी."
जब किसी महिला ने पहले सेफगार्ड का इस्तेमाल किया हो, तो उसकी प्रोफाइल पर एक हल्की परत सी चढ़ी दिखेगी और फोटो के चारों ओर एक नीला बॉर्डर होगा. इस सेटिंग के कारण कोई अनजान व्यक्ति उनकी तस्वीर ना तो डाउनलोड कर सकेगा और ना ही कहीं शेयर या टैग कर पाएगा. यहां तक कि स्क्रीन शॉट लेना भी संभव नहीं होगा.
दूसरा ओवरले फोटो पर एक अतिरिक्त डिजाइन जैसा दिखेगा, जिसके कारण चेहरा साफ समझ नहीं आएगा और इसी कारण कोई उसे डाउनलोड करना या कॉपी करना भी नहीं चाहेगा. फिलहाल फेसबुक ने इसे भारत में पेश किया है लेकिन आगे चल कर भारत में हुए अनुभव को साथ लेकर कंपनी इस सुविधा को और देशों में भी ला सकती है. फेसबुक के प्रवक्ता की मानें तो आगे चल कर "इनका विस्तार करते हुए ये टूल पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए उपलब्ध कराये जाएंगे." फेसबुक के इस समय केवल भारत में ही 18.4 करोड़ सक्रिय यूजर हैं, जो कि विश्व में अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा फेसबुक यूजर देश है.
आरपी/एमजे (एएफपी)
फेसबुक को यूं चमकाएं
अनफॉलो
ऐसे लोगों को अनफॉलो कर दीजिए जो सिर्फ बकवास करते हैं. ये लोग या तो अपनी सेल्फी डालते हैं या फिर फॉरवर्ड किए मेसेज को शेयर करते हैं. इन्हें अनफ्रेंड करने की जरूरत नहीं, बस अनफॉलो कर लीजिए.
परेशानपंथी पेज
आपके दोस्त कुछ फेसबुक पेज फॉलो करते हैं और उनका कॉन्टेंट शेयर करते हैं. आपको यह पसंद नहीं आप तो इसे ब्लॉक कर सकते हैं. ऐसी पोस्ट देखें तो राइट कॉर्नर पर ड्रॉपडाउन पर क्लिक करें और Hide All पर क्लिक कर दें.
फेसबुक को बताएं
आप फेसबुक को बता सकते हैं कि क्या आपको नापसंद हैं. वहीं राइट कॉर्नर पर ड्रॉपडाउन में जाएं और I don’t to wanna see this पर क्लिक कर दें.
फेसबुक सर्वे
वहीं राइट कॉर्नर में ड्रॉपडाउन में जाएं और Take A Survey पर क्लिक करें. इस सर्वे के जवाब पढ़कर फेसबुक आपको समझ जाएगा.
न्यूज फीड प्रेफरेंस
होमपेज पर राइट कॉर्नर में News Feed Preference में जाएं. वहां आपको दिखेगा कि आप सबसे ज्यादा क्या देखते हैं. वहां आप मैनेज कर सकते हैं कि क्या नहीं देखना है.
रिपोर्ट: विवेक कुमार DW

Wednesday, July 26, 2017

LX17070093868.

While visiting various public domains based on a complaint received against this brand it is shocking to note many complaints. The reference complaint is pertaining to an order No. Order#LX17070093868. The company informed non-availability of item based on which the consumer cancels the order and requested for refund on 13th July 2017. The amount still not refunded despite several mails and attemps for telephonic calls. Poor communication is also reported by several consumers on poor communication. Hope the company updates the status of refund here

मोती की खेती से कमाए लाखों , मीठा पानी (पीने वाला पानी) मे करें खेती MODS OF CHEATING

मोती की खेती से कमाए लाखों , मीठा पानी (पीने वाला पानी) मे करें खेती
किसान भाई बहुउद्देशीय योजना के साथ मोती उत्पादन कर सकते हैं
महिलाऐ -छात्र- छात्राऐं, रिटायर लोग पार्ट टाइम ,फुल टाइम काम करके लाखों कमा सकते हैं. प्रशिक्षण के लिए एवं अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे
Amit K Bamoriya 9770085381
Sulakshana Bamoriya 9584120929
प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए इच्छुक व्यक्ति कृपया प्रशिक्षण की तारीख से कम से कम 5 दिन पहले सूचित करें
नेक्स्ट प्रशिक्षण कि तारीख
29-30 JULY 2017
12-13 & 27-28 August
प्रशिक्षण सुबह 10 बजे से सुरु होगा 5:00तक और दूसरे दिन 10 से शाम 5:00बजे तक
फीस 5500/-खाना रहना इंक्लूड (Only for date 29-30 july )
संपर्क करें-
सुलक्षणा बमाेरिया
9407461361
9770085381
बमाेरिया मोती फार्म एवं ट्रेनिंग सेंटर (ISO 9001-2015 Certified) 🇮🇳
(मोती /कड़कनाथ /बटेर / मछली एवं बकरी फार्म )
कामतीरंगपुर, मढई राेड, साेहागपुर
Pipariya se 22 km
Hoshangabad se 50 km
Kuchh train Sohagpur bhi rukti he. Delhi taraff se aane wale New Delhi Jablpur Shridham Exp se Pipariya aa skte he
(ट्रेनिंग के बाद में हम आपके देगें - 👉🏻Pearl Farming Book,
👉🏻Sample Material ..
👉🏻और एक मोती भी
Please Confirm Seat Deposit 1000/-
-HDFC Bank Hoshangabad Amit Kumar
Saveing Ac no.50100079403714
Ifsc HDFC0003695
Or
Paytm 9584120929
Bamoriya farm (ISO 9001-2015 Certified) (Kadaknath Murga.. Bater.. And Pearl Farm)
Teh. Sohagur
Distt Hoshangabad
Pin 461771 MP
9770085381 wtsapp/ call
9584120929 wtsapp /call
Amit k Bamoriya -Facebook
Pearl farm -Facebook
Bamoriya Pearl Farm - youtube
Other Contact Number -
9407461361
Only above number will work at Madai Area
Nearest Railway Station
Pipariya 461775
Sohagpur 461771

medical negligence case

In a landmark judgement, the apex court last week had ordered one of the largest compensations ever recorded in the country for a medical negligence case that drew attention from all quarters. Following the direction of the Supreme Court, Tamil Nadu government would now have to pay an amount of Rs 1.8 crore to an 18-year-old Chennai girl who lost her vision at the time of birth due to negligence of doctors in a government-run institute.

The incident has once again pressured the concerned authorities to ponder about a medical negligence law that can curb the rising incidence of such oversight in the healthcare sector.

A Delhiite has  a similar story to share...
Be it Chennai or Delhi, the story of a patient suffering due to medical negligence remains the same. The young girl waged a long battle of 18 years after suffering a permanent loss in vision before a compensation award was announced for her that could ease her struggle from hereon. Similar to the case in point, a resident of Sanjay Basti, Timarpur, Waseem Illiyas also fought for almost seven years before his plea was heard.

Waseem's father had been ill for over 10 years. Due to constant troubles in swallowing, Waseem had got him operated in 2008 but the incorrectly executed surgery aggravated the senior citizen's troubles. “He had some problem in swallowing food. After eating something, he could not digest the food and vomited. We took him to Sant Parmanand hospital on July 29, 2008 and consulted Dr Smita Gupta and Dr Gita Srivastava who were ENT specialists. The doctors advised for a throat operation. My father was discharged within four days of the surgery. However, soon after, he was in even more pain and the problem persisted,” he tells iamin.

After a complaint was submitted to Delhi Medical Council (DMC) by Waseem, it was highlighted that doctors had not followed standard surgical practices. The conscent form that Waseem signed earlier did not even mention the surgical procedure for which consent was being taken. “Lack of any explanation to the patient in the conscent form is a procedural lapse,” stated the report given by DMC.

Waseem had to run errands at AIIMS, Safdarjung and other hospitals to get his father treated. “The doctors at Sant Parmanand hospital had found a small pouch in my father's throat. Many doctors who I referred later suggested that a surgery was totally uncalled for. I was charged Rs 60,000 despite the erroneous surgical procedure. My father suffered a lot all through. He died in 2012 after enduring the pain for four long years,” grieves Waseem.

A long battle of seven years against the hospital authorities eventually fetched Waseem a compensation of Rs 1 lakh. As per the directions of Consumer disputes Redressal Forum (north) at Tis Hazari issued last year, three defaulting doctors have jointly paid the amount for negligence in March this year. 


Be aware of your rights!
Cases like these have prompted an average Indian to be aware of his rights to fight back when faced with such injustice. In conversation with iamin, Consumer Rights expert S.K Virmani suggests that whenever a patient on a relative finds himself in such situation, the first thing he should do is ‘immediately take a copy of the medical report for records’. “He should then complain to the hospital concerned or the state medical council,”  he suggests.

Virmani , in a brief interview, also talks about the convoluted procedures. Excerpts:

  • In Waseem’s case, is this compensation of Rs 1 lakh enough considering the suffering of the patient?
We also have a similar case where the father of the 18-year-old girl in Chennai challenged against the compensation of Rs 5 lakh given to him earlier. Now, S.C. has ordered a compensation of Rs 1.8 crore for them.

If the consumer is not satisfied with the judgment, he has a right to file an appeal in the superior forum or courts within a stipulated time.

  • Why does it take so long to resolve such cases?
The complaints of medical negligence being of specialised nature are adjudicated with the support of report from experts, which probably takes more time. 

  • Please explain the role of consumer helpline in such cases.
Government of India has set up consumer helplines which are mainly providing guidance and information to the consumers. The consumer helplines also are also forwarding the complaints to the service providers for redressal by which they help in resolving the complaints out of court.

In case the consumer desires to seek any compensation, the only authorities for providing the compensation are forums or courts

  • In your opinion, should there be an ombudsman at private and government hospitals to mediate in such cases and make it more convenient for people to fight back?
Yes, the ombudsman like any other sector of services such as Banking, Insurance Electricity could be supportive to address the consumer concerns..

कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में किसानों के लिए चल रही योजनाओ की जानकारी दी ।

कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में किसानों के लिए चल रही योजनाओ की जानकारी दी ।

  • सॉयल हेल्थ कार्ड (एसएचसी) योजना जिससे किसान अपनी मिट्टी में उपलब्ध बड़े और छोटे पोषक तत्वों का पता लगा सकते हैं। इससे उर्वरकों का उचित प्रयोग करने और मिट्टी की उर्वरता सुधारने में मदद मिलेगी।
  • नीम कोटिंग वाले यूरिया को बढ़ावा दिया गया है ताकि यूरिया के इस्तेमाल को नियंत्रित किया जा सके, फसल के लिए इसकी उपलब्धता बढ़ाई जा सके और उर्वरक की लागत कम की जा सके। घरेलू तौर पर निर्मित और आयातित यूरिया की संपूर्ण मात्रा अब नीम कोटिंग वाली है।
  • परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) को लागू किया जा रहा है ताकि देश में जैव कृषि को बढ़ावा मिल सके। इससे मिट्टी की सेहत और जैव पदार्थ तत्वों को सुधारने तथा किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई (पीएमकेएसवाई) योजना को लागू किया जा रहा है ताकि सिंचाई वाले क्षेत्र को बढ़ाया जा सके, जिसमें किसी भी सूरत में सिंचाई की व्यवस्था हो, पानी की बर्बादी कम हो, पानी का बेहतर इस्तेमाल किया जा सके।
  • राष्ट्रीय कृषि विपणन योजना (ई-एनएएम) की शुरूआत 04.2016 को की गई थी। इस योजना से राष्ट्रीय स्तर पर ई-विपणन मंच की शुरूआत हो सकेगी और ऐसा बुनियादी ढांचा तैयार होगा जिससे देश के 585 नियमित बाजारों में मार्च 2018 तक ई-विपणन की सुविधा हो सकेगी। अब तक 13 राज्यों के 455 बाजारों को ई-एनएएम से जोड़ा गया है। यह नवाचार विपणन प्रक्रिया बेहतर मूल्य दिलाने, पारदर्शिता लाने और प्रतिस्पर्धा कायम करने में मदद करेगी, जिससे किसानों को अपने उत्पादो के लिए बेहतर पारिश्रमिक मिल सकेगा और ‘एक राष्ट्र एक बाजार’ की दिशा में आगे बढ़ा जा सकेगा।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को खरीफ मौसम 2016 से लागू किया गया और यह कम प्रीमियम पर किसानों के लिए उपलब्ध है। इस योजना से कुछ मामलो में कटाई के बाद के जोखिमों सहित फसल चक्र के सभी चरणों के लिए बीमा सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
  • सरकार 3 लाख रुपये तक के अल्प अवधि फसल ऋण पर 3 प्रतिशत दर से ब्याज रियायत प्रदान करती है। वर्तमान में किसानों को 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज दर से ऋण उपलब्ध है जिसे तुरन्त भुगतान करने पर 4 प्रतिशत तक कम कर दिया जाता है। ब्याज रियायत योजना 2016-17 के अंतर्गत, प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में किसानों को राहत प्रदान करने के लिए 2 प्रतिशत की ब्याज रियायत पहले वर्ष के लिए बैंकों में उपलब्ध रहेगी। किसानों द्वारा मजबूरी में अपने उत्पाद बेचने को हतोत्साहित करने और उन्हें अपने उत्पाद भंडार गृहों की रसीद के साथ भंडार गृहों में रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे छोटे और मझौले किसानों को ब्याज रियायत का लाभ मिलेगा, जिनके पास फसल कटाई के बाद के 6 महीनों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड होंगे।
  • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) को सरकार उनकी जरूरतों के मुताबिक राज्यों में लागू कर सकेगी, जिसके लिए राज्य में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। राज्यों को उऩकी जरूरतों, प्राथमिकताओं और कृषि-जलवायु जरूरतों के अनुसार योजना के अंतर्गत परियोजनाओँ/कार्यक्रमों के चयन, योजना की मंजूरी और उऩ्हें अमल में लाने के लिए लचीलापन और स्वयत्ता प्रदान की गई है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम), केन्द्र प्रायोजित योजना के अंतर्गत 29 राज्यों के 638 जिलों में एनएफएसएम दाल, 25 राज्यों के 194 जिलों में एनएफएसएम चावल, 11 राज्यों के 126 जिलों में एनएफएसएम गेहूं और देश के 28 राज्यों के 265 जिलों में एनएफएसएम मोटा अनाज लागू की गई है ताकि चावल, गेहूं, दालों, मोटे अऩाजों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाया जा सके। एनएफएसएम के अंतर्गत किसानों को बीजों के वितरण (एचवाईवी/हाईब्रिड), बीजों के उत्पादन (केवल दालों के), आईएनएम और आईपीएम तकनीकों, संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकीयों/उपकणों, प्रभावी जल प्रयोग साधन, फसल प्रणाली जो किसानों को प्रशिक्षण देने पर आधारित है, को लागू किया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय तिलहन और तेल (एनएमओओपी) मिशन कार्यक्रम 2014-15 से लागू है। इसका उद्देश्य खाद्य तेलों की घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए तिलहनों का उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना है। इस मिशन की विभिन्न कार्यक्रमों को राज्य कृषि/बागवानी विभाग के जरिये लागू किया जा रहा है।
  • बागवानी के समन्वित विकास के लिए मिशन (एमआईडीएच), केन्द्र प्रायोजित योजना फलों, सब्जियों के जड़ और कन्द फसलों, मशरूम, मसालों, फूलों, सुगंध वाले वनस्पति,नारियल, काजू, कोको और बांस सहित बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए 2014-15 से लागू है। इस मिशन में ऱाष्ट्रीय बागवानी मिशन, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, नारियल विकास बोर्ड और बागवानी के लिए केन्द्रीय संस्थान, नागालैंड को शामिल कर दिया गया है।

किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए अऩ्य कदम इस प्रकार हैः

  • सरकार ने कृषि उत्पाद और पशुधन विपणन (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2017 को तैयार किया जिसे राज्यों के संबद्ध अधिनियमों के जरिये उनके द्वारा अपनाने के लिए 04.2017 को जारी कर दिया गया। यह अधिनियम निजी बाजारों, प्रत्यक्ष विपणन, किसान उपभोक्ता बाजारों, विशेष वस्तु बाजारों सहित वर्तमान एपीएमसी नियमित बाजार के अलावा वैकल्पिक बाजारों का विकल्प प्रदान करता है ताकि उत्पादक और खरीददार के बीच बिचौलियों की संख्या कम की जा सके और उपभोक्ता के रुपए में किसान का हिस्सा बढ़ सके।
  • सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य के अंतर्गत गेहूं और धान की खरीद करती है। सरकार ने राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों के अनुरोध पर कृषि और बागवानी से जुड़ी उन वस्तुओं की खरीद के लिए बाजार हस्ताक्षेप योजना लागू की है जो ऩ्यनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत शामिल नहीं है। बाजार हस्ताक्षेप योजना इन फसलों की पैदावार करने वालों को संरक्षण प्रदान करने के लिए लागू की गई है ताकि वह अच्छी फसल होने पर मजबूरी में कम दाम पर अपनी फसलों को न बेचें।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीफ और रबी दोनों तरह की फसलों के लिए अधिसूचित होता है जो कृषि आयोग की लागत और मूल्यों के बारे में सिफारिशों पर आधारित होता है। आयोग फसलों की लागत के बारे में आंकडे एकत्र करके उनकी विश्लेषण करता है और न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश करता है। देश में दालों और तिलहनों की फसलों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऊपर खरीफ 2017-18 के लिए बोनस की घोषणा की है। सरकार ने पिछले वर्ष भी दालों और तिलहनों के मामले में न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऊपर बोनस देने की पेशकश की थी।
  • सरकार के नेतृत्व में बाजार संबंधी अन्य हस्तक्षेप जैसे मूल्य स्थिरीकरण कोष और भारतीय खाद्य निगम का संचालन भी किसानों की आमदनी बढ़ाने का अतिरिक्त प्रयास है।
  • उपरोक्त के अलावा सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मधु मक्खियां रखने 

Monday, July 24, 2017

बीमा कम्पनी फसल बीमा का निर्धारण कैसे करती है तथा किसान को प्रति हैक्टेयर रबी और खरीफ में कितना पैसा मिलेगा |

बीमा कम्पनी फसल बीमा का निर्धारण कैसे करती है तथा किसान को प्रति हैक्टेयर रबी और खरीफ में कितना पैसा मिलेगा |

दावों का निर्धारण (व्यापक आपदाएँ)

किसान भाई आप लोग यह जानना चाहते होंगे की बीमा कम्पनी फसल बीमा की राशि कैसे निर्धारित करती है | आज आप को एक उदाहरण से यह बताना चाहता हूँ की बीमा कंपनी बीमा का निर्धारण कैसे करती है | इस मध्यम से आप लोग अपने फसल की बीमा करवा सकते है |
पहले यह जानते है की बीमा राशि मिलता किसको है |
वास्तविक उपज विनिद्रिष्ट थ्रेशहोल्ड उपज के सापेक्ष कम पड़ती है तो परिभाषित क्षेत्र में उस फसल को उगाने वाले सभी बीमाकृत किसान उपज में उसी मात्रा की कमी से पीड़ित माने जाएँगे |
अब जानते हैं की किस प्रकार कम्पनी बीमा राशि की निर्धारण करती है |
( थ्रेशहोल्ड उपज – वास्तविक उपज ) ͟ ͟͟× बीमाकृत राशि

थ्रेशहोल्ड उपज                     

जंहा किसी अधिसूचित बीमा इकाई में फसल की थ्रेशहोल्ड उपज पिछले 7 वर्षों की औसत उपज (राज्य सरकार/केन्द्र शासित राज्य सरकार द्वारा यथा अधिसूचित अधिकतम 2 वर्षों को छोड़कर) एवं उस फसल के क्षतिपूर्ति स्तर से गुणा करने पर प्राप्त होगी |

उदाहरण :-

रबी 2014 – 15 फसल मौसम के लिए टीवाई से संबंधी एक्स संगणन बीमा इकाई क्षेत्र हेतु पिछले 7 वर्षों के लिए गेंहू की परिकल्पित उपज नीचे सरणी में दी गई है :-
वर्ष2008 – 092009 – 102010 – 112011 – 122012 – 132013 – 142014 – 15
उपज (कि.ग्रा./हे. )45003750200004250180043001750

वर्ष 2010 – 11, 2012 -13 और 2014 – 15 को प्राकृतिक आपदा वर्ष घोषित किया गया था |
सात वर्षों की कुल उपज प्रति हैक्टेयर 22,350 कि.ग्रा. है और दो सर्वाधिक खराब आपदा वर्षों की प्रति हैक्टेयर 35 50 कि.ग्रा. अर्थात (1800+1750) कि.ग्रा. है | इस प्रकार , की गई व्यवस्था के अनुसार अधिकतम दो आपदा वर्षों को छोड़कर पिछले 7 वर्षों की औसत उपज 22350 – 3550 = 18,800 / 5 अर्थात 3760 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर है | इस प्रकार, क्षतिपूर्ति स्तर 90 प्रतिशत, 80 प्रतिशत और 70 प्रतिशत के लिए थ्रेशहोल्ड उपज क्रमश: 3384, 3008 और 2632 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर है |

नुकसान मूल्यांकन की समय सीमा और विवरण की प्रस्तुति

  1. सूचना प्राप्त होने की तारीख से 48 घंटों के भीतर नुकसान मूल्यांकन कर्ता की नियुकित |
  2. नुकसान मूल्यांकन कार्य को अगले 10 दिनों के भीतर पूरा किया जाएगा |
  3. किसान के दावों का निपटान / भुगतान का कार्य नुकसान मूल्यांकन विवरण की तारीख से अगले 15 दिनों के भीतर (बशर्ते प्रीमियम की प्राप्ति हो चुकी हो) के भीतर किया जाए |
  4. अधिसूचित बीमा इकाई में कुल बीमाकृत क्षेत्र का 25 प्रतिशत से अधिक होने पर अधिसूचित फसल के तहत प्रभावित क्षेत्र होने की स्थिति में सभी पात्र किसान (जिन्होंने अधिसूचित फसल के लिए बीमा लिया है और जो क्षतिग्रस्त हुआ है तथा विनिर्धारित समय के भीतर कृषिक्षेत्र में कोई आपदा के बारे में सूचना दी है) अधिसूचित बीमा इकाई में फसल कटाई उपरांत होने वाले नुकसान से ग्रस्त माने जाएँगे और उन्हें वित्तीय सहायता का पात्र मन जाएगा | नुकसान की प्रतिशतता बीमा कम्पनी द्वारा प्रभावित क्षेत्र के नमूना सर्वेक्षण (यथा निर्धारित संयुक्त समिति द्वारा) की अपेक्षित प्रतिशतता द्वारा तय किया जाएगा |
  5. यदि क्षेत्र दृष्टिकोण आधारित (फसल कटाई प्रयोग पर आधारित) दावा फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान के दावों से अधिक है तो प्रभावित किसानों को विभिन्न दावों का अंतर देय होगा | यदि फसल कटाई के बाद का दावा अधिक है, तो प्रभावित किसानों से कोई भी वसूली आदि प्रक्रिया नहीं अपनाई जाएगी |

व्याख्या

  1. फसल के लिए बीमाकृत राशि = 50,000 रु.
  2. बीमा इकाई का प्रभावित क्षेत्र = 80 प्रतिशत (नमूना सर्वेक्षण का पात्र)
  3. बीमाकृत जोखिम के संचालन के कारण प्रभावित क्षेत्र / फील्डों में मूल्यांकन कृत नुकसान = 50 प्रतिशत
  4. फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान के तहत देय दावे = 50,000 रु. × 50 प्रतिशत = 25,000 रु.
  5. मौसम के अंत तक विवरण कृत उपज में कमी = 60 प्रतिशत
  6. बीमा इकाई स्तर पर क्षेत्र दृष्टिकोण पपर आधरित अनुमानित दावा = 50,000 रु. × 60 प्रतिशत = 30,000 रु.
  7. मौसम के अंत में भुगतान योग्य शेष राशि = 30,000 रु. – 25,000 = 5,000 रु.

  नुकसान / दावों की विवरण का समय और पद्धति

  1. किसान सीधे बीमा कंपनी, संबंधित बैंक, स्थानीय कृषि विभाग, सरकारी / जिला पदाधिकारी अथवा नि:शुल्क दूरभाष संख्या वाले फोन के अनुसार बीमाकृत किसान द्वारा किसी को भी तत्काल रूप से सूचित किया जाए (48 घंटो के भीतर) |
  2. दी गई सूचना में सर्वेक्षणवार बीमाकृत फसल और प्रभावित रकबा का विवरण अवश्य होना चाहिए |
  3. किसान / बैंक द्वारा अगले 48 घंटों के भीतर प्रीमियम भुगतान सत्यापन की विवरण की जाए |

दावों का मूल्यांकन करने के लिए अपेक्षित दस्तावेज साक्ष्य

सभी दस्तावेज साक्ष्यों सहित विविधवत भरे गये दावों के भुगतान के प्रयोजनार्थ प्रस्तुत किया जाएगा | तथापि, यदि सभी कालमों से संबंधित सूचना सुलभ रूप से उपलब्ध नहीं है, तो अर्ध रूप में भरा गया प्रपत्र बीमा कम्पनी को भेज दिया जाएगा और बाद में नुकसान होने के 7 दिनों के भीतर पूर्णत: भरा हुआ प्रपत्र भेजा जा सकता है |
  • मोबाईल अनुप्रयोग यदि कोई है, के द्वारा तस्वीरें लेकर फसल नुकसान का साक्ष्य प्रस्तुत करना |
  • नुकसान और नुकसान की गहनता संबंधी घटना, यदि कोई है, को संपुष्ट करने के प्रयोजनार्थ स्थानीय अख़बार की खबर की प्रति और कोई अन्य उपलब्ध साक्ष्य प्रस्तुत किया जाएगा |
खरीब फसल के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा करवाने  की आखरी तारीख 31 जुलाई तक ही हैI
स्त्रोत: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, भारत सरकार

Saturday, July 15, 2017

इंटरनेट: घनी असुरक्षा के बीच बच्चे और साइबर क़ानून

इंटरनेट: घनी असुरक्षा के बीच बच्चे और साइबर क़ानून
इंटरनेट के सन्दर्भ में बच्चों की असुरक्षा का मतलब आखिर है क्या? इसके लिए हम कुछ तकनीकी पहलुओं को समझने की कोशिश करते हैं.
सुरक्षित इंटरनेट के सन्दर्भ में बच्चे कौन हैं?: यूं तो फेसबुक कहता है कि 13 साल की उम्र में उसके मंच का उपयोग किया जा सकता है, स्नेप चैट, व्हाट्स एप, वायबर, गूगल प्लस भी यही कहते हैं, किन्तु भारत में नियम अनुसार 18 साल से कम उम्र का कोई भी व्यक्ति “बच्चा” माना जाता है और इससे कम उम्र में इस तरह इंटरनेट के उपयोग की अनुमति नहीं है.
होता क्या है? सच यह है कि कम उम्र के व्व्यक्तियानी बच्चे अपनी उम्र के बारे में गलत जानकारी देकर या झूठ बोलकर इंटरनेट के अलग-अलग मंचों पर खुद को दर्ज करते हैं.
बाल पोर्नोग्राफी, बच्चों का अश्लील चित्रण और यौनिक उपयोग: किसी के भी द्वारा ऐसी सामग्री जिसमें बच्चों का अश्लील, यौनिक चित्रण हो या इस मकसद के लिए बच्चों का उपयोग हो, उसका प्रकाशन और प्रसारण {सूचना प्रोद्योगिकी कानून 2008 की धारा 67बी (ए)}.
जो कोई भी ऐसी सामग्री का निर्माण करता है, सामग्री इकठ्ठा करता है, ऐसे चित्र बनाता है, ऐसे वेबसाईट देखता है-उपयोग करता है, डाउनलोड करता है, प्रोत्साहित करता है, साझा करता है, जिसमें बच्चों का अश्लील, कामुक, यौनिक प्रस्तुतीकरण होता है; {सूचना प्रोद्योगिकी कानून 2008 की धारा 67बी (बी)}. किसी बच्चे को अन्य बच्चों के साथ आनलाइन यौनिक-अश्लील सम्बन्ध बनाने के लिए प्रेरित करता है या दबाव डालता है और बच्चों का आनलाइन-इंटरनेट पर शोषण-दुरुपयोग करता है.
इन दशाओं में अपराध साबित होने पर 7 साल ही सजा और 10 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है.
पीछा करना और नजर रखना (सायबर स्टॉकिंग): जब किसी व्यक्ति का ईमेल या इंटरनेट गतिविधियों/इलेक्ट्रानिक संचार के जरिये लगातार और निरंतरता के साथ पीछा किया जाता है, तो उसे सायबर स्टाकिंग कहा जाता है. ऐसे मामलों में सूचना प्रोद्योगिकी कानून की धारा 66ए, 66सी और 66ई के साथ साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 506 और 509 लागू होती है.
सायबर बुलिंग - इंटरनेट, ईमेल या अन्य किसी इलेक्ट्रानिक संचार तकनीक का उपयोग करते हुए किसी को प्रताड़ित करना, नीचा दिखाना, उलाहना देना, अपमानित करने या धमकाने जैसे व्यवहार को सायबर बुलिंग कहा जाता है. ऐसे मामलों में सूचना प्रोद्योगिकी कानून की धारा 66ए, 66सी और 66ई के साथ साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 506 और 509 लागू होती है.
अश्लील या पोर्न सामग्री प्रसारित करना: ईमेल, इंटरनेट या सूचना तकनीक के किसी माध्यम से यौन व्यवहार सम्बन्धी चित्र, ध्वनि, कार्टून, एनीमेशन, विडियो समेत कोई भी सन्देश भेजना.
गृह मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा जारी एडवायजरी
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने 4 जनवरी 2012 को बच्चों के खिलाफ होने वाले सायबर अपराधों को रोकने और उनसे निपटने के लिए एडवायजरी जारी की थी. उसके कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं -
1. कानून लागू करने के लिए जिम्मेदार संस्थाओं, मसलन पुलिस, अभियोजन और न्यायपालिका और सामान्य समाज को सूचना प्रोद्योगिकी कानून 2008 के बारे में प्रशिक्षित किये जाने, संवेदनशील बनाए जाने और सक्रीय कार्यवाही के लिए तत्पर बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों और सेमीनार का आयोजन किया जाना चाहिए. इसमें बच्चों के खिलाफ होने वाले सायबर अपराधों पर मुख्य ध्यान हो.
2. किशोर न्याय अधिनियम के तहत बनी विशेष किशोर पुलिस इकाईयों को संवेदनशील बनाने और प्रशिक्षित किया जाना चाहिए.
3. पालकों, शिक्षकों और बच्चों को जागरूक किया जाए कि वे किसी भी तरह के आपत्तिजनक सामग्री-अश्लील प्रस्तुति को बारे में रिपोर्ट करें. बच्चों को सायबर अपराधों के बारे में जानकारी दी जाना चाहिए.
4. ऐसी वेबसाईट और शोषण नेटवर्किंग साइट्स की निगरानी की जाना चाहिए, जो अश्लील और बच्चों के आपत्तिजनक चित्रण का प्रसार करती हैं. जरूरी है कि “पालकों की निगरानी-नियंत्रण में इंटरनेट के उपयोग का साफ्टवेयर-पेरेंटल कंट्रोल सॉफ्टवेयर” का इस्तेमाल हो.
5. डिजिटल/तकनीकी सबूतों को इकठ्ठा किये जाने और उनकी सुरक्षा से सम्बंधित प्रशिक्षण हो.
6. जिन बच्चों के साथ अपराध या शोषण हुआ हो, उनकी पहचान को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए.
7. पुलिस नियंत्रण कक्ष और बच्चों के संरक्षण के लिए संचालित हो रही हेल्पलाइन 1098 के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम होना चाहिए.
8. राज्य पुलिस की वेबसाईट, सोशल नेटवर्किंग साइट्स और विभिन्न वेब ब्राउजर्स पर बच्चों के लिए इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग से सम्बंधित सामग्री वाला विशेष कोना होना चाहिए.
9. ऐसी व्यवस्था विकसित होना चाहिए, जिससे सायबर कैफे के रिकॉर्ड्स को एक केन्द्रीय स्थान से जांचा जा सके.
भारत में कानूनी प्रावधान
भारत में साइबर अपराध को रोकने के लिए सामान्य तौर आई.टी एक्ट यानी साइबर अपराध के मामलों में सूचना तकनीक कानून 2000 और सूचना तकनीक (संशोधन) कानून 2008 का उपयोग किया जाता है. सूचना तकनीक नियम 2011 के तहत भी कार्रवाई की जाती है. इस कानून में निर्दोष लोगों को साजिशों से बचाने के इतंजाम भी हैं. इसके साथ ही अलग-अलग अपराधों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), कॉपीराइट कानून 1957, कंपनी कानून, सरकारी गोपनीयता कानून, आतंकवाद निरोधक कानून सहित कई अन्य कानूनों की धाराओं का भी उपयोग किया जाता है. इसी तरह बच्चों के साथ हुए साइबर यौन अपराध के मामले में पॉक्सो भी लगाया जा सकता है.
बच्चों को साइबर अपराध से बचाने के लिए न्यायालयों में मामले भी चल रहे हैं. विधायिका भी इसके लिए चिंतित है. संसदीय समिति ने भी इस पर अपनी सिफारिशें दी है. हाल ही में भारत सरकार ने बच्चों की पोर्नग्राफी पर अंकुश लगाने के लिए भारत में करीब 900 से ज्यादा वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया गया है. यानी इन्हें अब भारत में नहीं देखा जा सकता.
इस बात की जानकारी एक सवाल के जवाब में लोकसभा में केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने दी. उन्होंने यह भी बताया कि गृह मंत्रालय जल्द ही महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर टपराध रोकथाम पर एक प्रोजेक्ट शुरु करने जा रहा है. पोर्न साइट्स को ब्लॉक ना करने को लेकर जुलाई 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की थी.
साइबर अपराध को रोकने के लिए सूचना तकनीक कानून एवं अन्य कानूनों की निम्न धाराएं लगाई जाती हैं -
आपत्तिजनक एवं अफवाहपूर्ण सामग्री
अगर कोई आदमी सोशल मीडिया या दूसरे ऑनलाइन माध्यम से किसी दूसरे आदमी या समूह की भावनाओं को भड़काता है, अफवाह फैलाता है या फिर किसी की छवि खराब करता है या छवि खराब करने के लिए झूठी जानकारी डालता है या धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, तो उस पर सूचना तकनीक कानून की धारा 66ए के तहत केस दर्ज किया जाता है.
(सरकार ने सूचना तकनीक कानून की धारा 66ए के तहत होने वाली गिरफ्तारी के मामले में गाइड लाइंस जारी कर रखी है. इसके तहत प्रावधान है कि किसी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीनियर पुलिस अधिकारी की यानी ग्रामीण इलाके में डीएसपी स्तर पर और शहरी इलाकों में आईजी स्तर पर मंजूरी लेना जरूरी है. ऐसे बहुत सारे मामले देखे गए हैं, जिसमें आलोचनाओं के कारण विरोधियों को दबाने के लिए इसका उपयोग किया गया. इस मामले में कोर्ट ने भी कहा है कि पूर्वाग्रह के कारण भी इस धारा का दुरूपयोग किया गया है. साइबर अपराध में सबसे ज्यादा इस धारा के तहत केस दर्ज किया जाता है.)
धारा 66ए के तहत दोषी पाए जाने पर 3 साल तक कैद की सजा और या जुर्माने का प्रावधान है. इस अपराध को जमानती अपराध माना गया है.
सूचना तकनीक कानून, 2008
इस अधिनियम के अनुसार बच्चा वह माना जाएगा जो कि 18 वर्ष से कम उम्र का हो. इस अधिनियम की दो धाराओं में विशेष रूप से बच्चों से जुड़े अपराध का जिक्र किया गया है.
धारा 67 (ठ) के अनुसार बच्चों से जुड़ी किसी भी यौन सामग्री (वीडिओ, ऑडियो या लिखित सन्देश) के प्रसारण या वितरण पर सम्बंधित व्यक्ति को 5 साल तक का कारावास तथा 10 लाख तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है और यही अपराध दोहराने पर 7 साल तक का कारावास तथा 10 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है. साथ ही नेट पर बच्चों के यौन संबंधों को दिखाने या जोड़ने पर भी इस धारा के अंतर्गत अपराध माना जाएगा.
परन्तु यह धारा केवल इलेक्ट्रॉनिक माध्यम तक ही सीमित है. विज्ञान, साहित्य या सिखाने के लिए किसी भी प्रकार का प्रकाशन इस धारा के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में नहीं आता है.
धारा 77 में वर्णित प्रावधानों के अनुसार इस अधिनियम के अंतर्गत बच्चों के विरुद्ध किए गए किसी भी अपराध में समझौता करना वर्जित है और ही कोई भी न्यायालय इसमें समझौता नहीं करा सकती, ना ही ऐसा कोई आदेश पारित कर सकती है.
केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995
इसका मकसद है केबल टेलिविजन पर प्रसारित कार्यक्रमों का नियमन करना, जिससे बच्चों को संरक्षण मिलता रहे. इसमें प्रावधान है कि केबल सेवा (टेलिविजन) पर ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं दिखाया जाना चाहिए, जिससे बच्चों का अपमान हो.
ऐसा कोई विज्ञापन केबल सेवा पर नहीं दिखाया जाना चाहिए, जिससे बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़े या उनमें अस्वस्थ तरीकों के बारे में दिलचस्पी पैदा हो या उन्हें भीख मांगने के लिए लिय मजबूर करे या उन्हें अमर्यादित या अभद्र रूप में दिखाए.
इसमें पांच साल तक की सजा और जुर्माने या दोनों का प्रावधान है.
लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012
लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 यानी पोक्सो कानून बच्चों के इंटरनेट पर शोषण को रोकने और अपराधियों को सजा दिलाने की कोशिश में बहुत महत्वपूर्ण कानून है. यह कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि बच्चों का अश्लील प्रदर्शन भी उनके लैंगिक शोषण और अपराधों का ही हिस्सा है. इसके लिए दस साल तक की सजा का प्रावधान है.
पोक्सो कानून कहता है कि यदि कोई व्यक्ति यह जानता है कि कहीं बच्चों का इस तरह शोषण या अश्लील या लैंगिक प्रदर्शन के लिए उपयोग हो रहा है, तो यह उसकी कानूनी जिम्मेदारी है कि वह इसकी सूचना पुलिस को दे. ऐसा नहीं करने पर उसे भी सजा दिए जाने का प्रावधान है.
इस कानून के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान इस प्रकार हैं -
लैंगिक उत्पीड़न क्या है?
धारा 11 लैंगिक उत्पीड़न - किसी व्यक्ति द्वारा किसी बच्चे का लैंगिक उत्पीड़न माना जाएगा, जब ऐसा व्यक्ति -
1. लैंगिक आशय से कोई शब्द कहता है या ध्वनि या अंग विक्षेप करता है या कोई वस्तु या शरीर का कोई भाग इस आशय के साथ प्रदर्शित करता है कि बच्चे द्वारा ऐसा शब्द या ध्वनि सुनी जाए या ऐसा अंग विक्षेप या वस्तु या शरीर का भाग देखा जाए, या
2. लैंगिक आशय से उस व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के जरिये किसी बच्चे को अपने शरीर या शरीर का कोई भाग प्रदर्शित करने के लिए कहता है,
3. अश्लील साहित्य के प्रयोजन के लिए किसी प्रारूप या मीडिया में किसी बच्चे को कोई वस्तु दिखाता है, या
4. बच्चे को या तो सीधे या इलेक्ट्रानिक, अंकीय या किसी अन्य साधनों के माध्यम से बार-बार या निरंतर पीछा करता है या देखता है या संपर्क बनाता है, या
5. बच्चे के शरीर के किसी भाग या बच्चे को लैंगिक कृत्य में अन्तर्वलित इलेक्ट्रॉनिक फिल्म या अंकीय या अन्य किसी रीति के माध्यम से वास्तविक या बनावटी तस्वीर खींचकर मीडिया का किसी भी रूप में उपयोग करने की धमकी देता है, या
6. अश्लील प्रयोजन के लिए किसी बच्चे को प्रलोभन देता है या उसके लिए परितोषण देता है.
अश्लील साहित्य के प्रयोजनों के लिए बच्चों का उपयोग और उसके लिए दंड
अश्लील साहित्य के प्रयोजन के लिए बच्चों का उपयोग और उसके लिए दंड (पोक्सो कानून का अध्याय तीन)
धारा 13. अश्लील साहित्य के प्रयोजनों के लिए बच्चों का उपयोग - जो कोई भी, बच्चों का उपयोग मीडिया (जिसके अंतर्गत टेलिविजन चैनलों या विज्ञापन या इंटरनेट या कोई अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप या मुद्रित प्रारूप द्वारा प्रसारित कार्यक्रम या विज्ञापन, चाहे ऐसे कार्यक्रम या विज्ञापन का आशय व्यक्तिगत उपयोग या वितरण के लिए हो या नहीं) के किसी प्रारूप में लैंगिक प्रतितोषण, जिसके अंतर्गत -
(क) किसी बच्चे की जननेन्द्रियों का प्रदर्शन,
(ख) किसी बच्चे का उपयोग वास्तविक या नकली लैंगिक कार्यों (प्रवेशन के साथ या बिना) में करना,
(ग) किसी बच्चे का अशोभनीय या अश्लीलतापूर्ण प्रदर्शन है,
वह किसी बच्चे का अश्लील साहित्य के प्रयोजन के लिए उपयोग करने के अपराध का दोषी होगा.
{इस धारा के प्रयोजनों के लिए “किसी बच्चे का उपयोग” पद के अंतर्गत मुद्रण, इलेक्ट्रॉनिक, कम्प्यूटर या अन्य तकनीक के किसी माध्यम से अश्लील साहित्य तैयार, उत्पादन, प्रस्तुति, प्रसारण, सुकर और वितरण करने के लिए किसी बच्चे के अन्तर्वलित करना है.}
दंड - विभिन्न धाराओं में किये गए कृत्यों के लिए पांच साल से दस साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
धारा 15. बच्चे को अंतर्ग्रस्त (शामिल) करने वाले अश्लील साहित्य के भण्डारण (साहित्य रखने) के लिए दंड - यदि कोई व्यक्ति, जो वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए बच्चे को शामिल करने वाली सामग्री का किसी भी रूप में भण्डारण करता है, वह भी तीन साल तक की सजा या जुर्माने या दोनों से दण्डित होगा.
धारा 20. मामले को रिपोर्ट करने के लिए मीडिया, स्टूडियो या फोटो चित्रण सुविधाओं की बाध्यता - मीडिया या होटल या लॉज या अस्पताल या क्लब या स्टूडियो या फोटो चित्रण सम्बन्धी सुविधाओं का कोई कर्मी (या उसका कोई जिम्मेदार व्यक्ति) उन लोगों को बिना बताए, जो बच्चे के अश्लील या लैंगिक उत्पीडन के उपयोग में शामिल हैं, बच्चों के लैंगिक शोषण से सम्बंधित कृत्य (जिसमें अश्लील साहित्य, लिंग सम्बन्धी या बच्चे या बालक या बालिका का अश्लील प्रदर्शन करना भी है) के बारे में विशेष किशोर पुलिस इकाई या स्थानीय पुलिस को इसकी जानकारी अनिवार्य रूप से उपलब्ध करवाएगा.
धारा 21. यदि कोई व्यक्ति या संस्थान ऐसे अपराध की रिपोर्ट नहीं करता है, तो उसे भी छः महीने से एक साल की सजा या जुर्माने या दोनों की सजा हो सकती है.
चाइल्ड लाइन (फोन नंबर 1098)
चाइल्ड लाइन भारत के सभी बच्चों के संरक्षण के मकसद से संचालित होने वाली टेलीफोन आधारित मुफ्त सहायता सेवा है.
इसका उपयोग टोल फ्री नंबर 1098 का उपयोग करके लिया जा सकता है.
इसमें कोशिश होती है कि सूचना मिलने पर जरूरतमंद बच्चे तक एक घंटे में सहायता पंहुचा दी जाए.
चाइल्ड लाइन पुलिस, अस्पताल और बाल संरक्षण इकाई के साथ समन्वय स्थापित करके काम करती है.
बच्चों के शोषण के मामलों में भी इस सेवा के बहुत सक्रिय भूमिका है.

अगले साल से ई-कॉमर्स कंपनियों को MRP के अलावा अन्य जानकारियां भी करनी होंगी प्रिंट

अगले साल से ई-कॉमर्स कंपनियों को MRP के अलावा अन्य जानकारियां भी करनी होंगी प्रिंट
देश में तेजी से बढ़ते ऑनलाइन शॉपिंग ट्रेंड को देखते हुए सरकार ने कन्ज्यूमर्स के हितों की रक्षा के लिए नया कदम उठाया है। अगले साल से ई-कॉमर्स कंपनियों को MRP के अलावा बाकी जानकारियां भी प्रिंट करनी होंगी। नए नियम 1 जनवरी 2018 से लागू होंगे। कंपनियों को नए नियम लागू करने के लिए 6 महीने का वक्त दिया गया है।
सरकार ने लीगल मेट्रॉलजी (पैक्जेड कमोडिटीज) रूल्स, 2011 में पिछले महीने एक संशोधन किया है। कंपनियों को नए नियम मानने के लिए 6 महीने का समय दिया गया है। जानकारी के मुताबिक ई-कॉमर्स कंपनियों को सामान पर MRP के अलावा उत्पाद बनाने की तारीख, खराब होने की तारीख, कुल वजन, बनाने वाला देश और कन्ज्यूमर केयर डिटेल्स भी प्रिंट करनी होंगी।
मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि कंपनियों को काफी समय दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि जनवरी 2018 से ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म से बिकने वाले सभी प्रॉडक्ट्स पर ये सभी जानकारियां देना अनिवार्य होगा। कंपनियों को ये सभी जानकारियां बड़े शब्दों में दिखानी होंगी जिससे कन्ज्यूमर्स को पढ़ने में कोई दिक्कत न हो।
सरकार ने यह कदम ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ मिलने वाली शिकायतों के कारण उठाना पड़ा है। नए नियमों का भारतीय ऑनलाइन मार्केट पर राज करने वाली फ्लिपकार्ट, ऐमजॉन इंडिया, स्नैपडील, ग्रोफर्स और बिगबास्केट जैसी कंपनियों पर सबसे अधिक असर पड़ेगा।

PNB ने IT के नाम पर डबल TAX काट लिया, बैंक अध्यक्ष, MD, मैनेजर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट

PNB ने IT के नाम पर डबल TAX काट लिया, बैंक अध्यक्ष, MD, मैनेजर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट
संभल। पंजाब नेशनल बैंक ने एक एफडी की परिपक्वता पर आयकर के नाम पर दोगुना टैक्स काट लिया। ध्यान दिलाने पर भी वापस नहीं किया। अंतत: उपभोक्ता फोरम में मामला पहुंचा। फोरम ने उपभोक्ता को 2,15,152 रुपये वापस देने एवं पालन ना करने पर पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक निदेशक दिल्ली तथा शाखा प्रबंधक की गिरफ्तारी का आदेश देते हुए वारंट जारी किये हैं। संभल जिले के गुन्नौर निवासी नवनीत यादव ने अपनी नाबालिग पुत्री के भविष्य को सुरक्षित करने की दृष्टि से पंजाब नेशनल बैंक की गुन्नौर शाखा में 20,12,252 रुपए जमा करके एक मल्टी बेनिफिट डिपॉजिट स्कीम प्रमाणपत्र लिया। जिसमें परिपकवक्ता की तिथि 20 फरवरी 2014 अंकित की गयी।
परिपक्वता की अवधि पूरी होने पर 37,51,934 रुपए देने की बात अंकित की गई। बालिग होने पर नवनीत यादव की बेटी प्रियंका यादव ने परिपक्वता का अवधि पर जमा धनराशि ब्याज सहित मांगी तो पंजाब पीएनबी शाखा गुन्नौर ने मात्र 33,09,927 रुपए का ही भुगतान किया।
शेष 4.42 लाख रुपये का भुगतान 2 दिन के बाद करने का आश्वासन दिया लेकिन साल भर बैंक का चक्कर काटने के बाद भी बैंक प्रबंधक ने रकम वापस नहीं की। 2 वर्ष तक इंतजार करने के बाद प्रियंका यादव ने उपभोक्ता मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ता देवेंद्र वार्ष्णेय के माध्यम से जिला उपभोक्ता फोरम संभल में वाद दायर किया। बैंक ने अपने जवाब में जमा धनराशि पर आयकर कटौती करने की बात कही लेकिन उपभोक्ता फोरम संभल ने 31 अगस्त 2016 को आदेश दिया कि आयकर कटौती मात्र 2,26,855 रुपए की की है। यह धनराशि 2,15,152 रुपए अदा नहीं करने का कोई स्पष्टीकरण पीएनबी ने नहीं दिया।
अधिवक्ता देवेंद्र वार्ष्णेय के तर्कों से सहमत होते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने पंजाब नेशनल बैंक को आदेश दिया है कि 2,15,152 रुपए मय ब्याज ₹5000 क्षतिपूर्ति 2000 रु वाद व्यय सहित उपभोक्ता को दो माह के अंदर वापस करें लेकिन बैंक ने उपभोक्ता फोरम के आदेश का अनुपालन नहीं किया। इस पर उपभोक्ता फोरम ने पंजाब नेशनल बैंक के अध्यक्ष व प्रबंधक निदेशक एवं गुन्नौर शाखा के प्रबंधक के खिलाफ वारंट जारी कर गिरफ्तारी के आदेश दिए। गिरफ्तारी वारंट जारी करने से पंजाब नेशनल बैंक के कर्मचारियों में भी खलबली मची हुई है।
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SBI ने शुल्‍क में की 75 फीसदी कटौती, कल से मिलेगा फायदा

ग्राहक पंचायत का संघर्ष रंग लाया
खुशखबरी : SBI ने इस शुल्‍क में की 75 फीसदी कटौती, कल से मिलेगा फायदा
यदि आपका एसबीआई (SBI) में अकाउंट हैं तो यह खबर आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. जी हां, स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने कुछ नियमों में बदलाव किया है, जिसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा. दरअसल बैंक ने इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग को प्रोत्साहन देने के लिए इलेक्ट्रानिक लेनदेन पर लगने वाले शुल्क में भारी कटौती की है.
डिजिटल भुगतान को दिया जाएगा बढ़ावा
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए एसबीआई ने एनईएफटी और आरटीजीएस के माध्‍यम से पैसे ट्रांसफर करने वाले शुल्क में 75 प्रतिशत तक की कटौती की है. शुल्‍कों में यह कमी शनिवार से लागू होगी. बैंक की तरफ से एक बयान जारी कर कहा गया है कि इससे उसके 5.27 करोड़ ग्राहकों को फायदा होगा. बयान में कहा गया है कि शुल्कों में यह कटौती बैंक द्वारा दी जा रही इंटरनेट बैंकिंग (आईएनबी) और मोबाइल बैंकिंग (एमबी) सेवाओं के जरिए किए जाने वाले लेनदेन पर लागू होगी.
और पढ़ें : एसबीआई में एफडी निकासी के बदले नियम, देना होगा 0.50% का जुर्माना
शुल्क कटौती 15 जुलाई से लागू
बैंक की यह शुल्क कटौती 15 जुलाई से लागू होगी. इसके लिए बैंक ने संशोधित एनईएफटी और आरटीजीएस शुल्क जारी किए हैं. संशोधित शुल्कों के अनुसार 10,000 रुपये तक के कोष के हस्तांतरण पर एनईएफटी शुल्क दो रुपये से घटाकर एक रुपये कर दिया गया है. एक लाख रुपये तक के हस्तांतरण पर दो रुपये का शुल्क लगेगा. इसी तरह एक से दो लाख रुपये तक के हस्तांतरण पर एनईएफटी शुल्क मौजूदा 12 रुपये से घटाकर तीन रुपये किया गया है. वहीं दो लाख रुपये से अधिक के कोष हस्तांतरण पर यह शुल्क पांच रुपये होगा. अभी तक यह 20 रुपये था.
सभी नए शुल्कों पर 18 प्रतिशत जीएसटी
वहीं आरटीजीएस लेनदेन के लिए दो लाख रुपये से पांच लाख रुपये के हस्तांतरण के लिए शुल्क पांच रुपये होगा. अभी तक इस तरह के लेनदेन के लिए बैंक का शुल्क 20 रुपये है. यदि ग्राहक आरटीजीएस के जरिए पांच लाख रुपये से अधिक का हस्तांतरण करता है तो उस पर 10 रुपये का शुल्क लगेगा, जो अभी तक 40 रुपये है. यदि बैंक शाखाओं में कार्यकारियों के जरिए कोष का हस्तांतरण किया जाता है तो उस पर शुल्क दरें भिन्न होंगी. सभी नए शुल्कों पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा.
बैंक ने तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस) के जरिए 1,000 रुपये तक के हस्तांतरण पर शुल्क समाप्त कर दिया है. एसबीआई के प्रबंध निदेशक रजनीश कुमार ने कहा, ‘हमारी रणनीति तथा भारत सरकार की डिजिटल अर्थव्यवस्था की पहल के तहत हमने इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग को प्रोत्साहन के लिए एनईएफटी और आरटीजीएस लेनदेन पर शुल्कों में कटौती की है. मार्च के अंत तक एसबीआई के इंटरनेट बैंकिंग ग्राहकों की संख्या 3.27 करोड़ थी और मोबाइल बैंकिंग ग्राहकों की संख्या दो करोड़ थी. एसबीआई दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल है. यह परिसंपत्तियों, जमाओं, मुनाफा, शाखाओं और कर्मचारियों के लिहाज से देश का सबसे बड़ा वाणिज्यिक बैंक है.

Thursday, July 13, 2017

फार्म कहाँ से ले और कहाँ पर जमा करें

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का फॉर्म कैसे प्राप्त करें? कहाँ कोन से कागजात के साथ जमा करें?

 फार्म कहाँ से ले और कहाँ पर जमा करें
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (के लिए फॉर्म भरने के दो तरीके हैं।
  1. ऑफ लाइन (बैंक जाकर)
  2. दूसरा ऑनलाइन।

 

ऑफ लाइन आवेदन किस प्रकार करें

आपके नजदीक जो भी बैंक है उस बैंक में जाकर आप प्रधानमंत्री फसल बीमा का फॉर्म लेकर वहीं पर जमा कर दीजिए।

फॉर्म भरने के लिए क्या-क्या कागजात चाहिए ?

  1. आवेदक का एक फोटो
  2. किसान का आईडी कार्ड (पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड)
  3. किसान का एड्रेस प्रूफ (ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड)
  4. अगर खेत आपका खुद का है तो खेत का खसरा नंबर / खाता नंबर का पेपर जरूर साथ लें।
  5. खेत पर फसल बोई है, इसका प्रूफ। प्रूफ के तौर पर किसान पटवारी, सरपंच, प्रधान जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों से एक पत्र लिखवाकर जमा कर सकते हैं। हर राज्य में ये व्यवस्था अलग अलग है। नजदीकी बैंक जाकर इस बारे में ज्यादा जानकारी ले सकते हैं।
  6. अगर खेत बटाई या किराए पर लेकर फसल बोई गई है, तो खेत के असली मालिक के साथ करार की कॉपी की फोटोकॉपी साथ जरूर लें। इसमें खेत का खरसा नंबर / खाता नंबर जरूर साफ तौर पर लिखा होना चाहिए।
  7. अगर आप चाहते हैं कि फसल को नुकसान होने की स्थिति में पैसा सीधे आपके बैंक खाते में जाए, तो एक कैंसिल्ड चैक भी लगाना जरूरी होगा।

कुछ जरुरी बातें

  • फसल बोने के अधिकतम 10 दिनों के अंदर ही आपको प्रधानमंत्री बीमा फसल योजना का फॉर्म भरना जरूरी हैं।
  • फसल कटाई से लेकर अगले 14 दिनों तक अगर आपकी फसल को प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान होता है, तो भी आप इस बीमा योजना का लाभ उठा सकते हैं।
  • इस योजना में आपको फसल खराब होने पर तभी बीमा की रकम मिल सकेगी जब आपकी फसल किसी भी प्राकृतिक आपदा के ही कारण खराब हुई हो। जैसे औला, जलभराव, बाढ़, तूफान, तूफानी बरसात, जमीन धंसना इत्यादि।

अगर खेत किराए पर लिया है तो?

देश में करोड़ों ऐसे किसान हैं जो खेती के लिए खेत किराए पर लेते देते हैं। किराए (बटाई) पर खेत लेकर खेती करने वाले किसानों को भी इस योजना में शामिल किया गया है।