राज सूचना आयुक्त से मांगी गयी सूचना की अपील की सुनवाई न कराये जाने के सम्बन्ध में
Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
अटैचमेंट1:49 pm (17 मिनट पहले)
अटैचमेंट1:49 pm (17 मिनट पहले)
webmaster.upic
प्रेषक :-अशोक कुमार गोयल, गणेशपुर रहमानपुर, चिनहट , लखनऊ-226028
पत्रांक 11 (16)/अपर्णा यादव, दिनांक 28.07-2017
सेवा में,
श्री जावेद उस्मानी
राज्य मुख्य सूचना आयुक्त ,
उत्तर प्रदेश सूचना आयोग,
गोमती नगर, लखनऊ-226010
विषय :- राज्य सूचना आयुक्त श्री अरविन्द सिंह बिस्ट के समक्ष बिना जाँच के, सिविल मुक़दमे की तरह सुनी जा रही अपील S-3-2451/A/2017 की सुनवाई दिनांक 03-08-2017 को, योग्यतम अभ्यर्थियो को चयनित कर सूचना आयुक्त के पद पर आसीन किये जाने तक, स्थगित किये जाने के सम्बन्ध में –
महोदय,
उक्त सूचना आयुक्त श्री बिस्ट के समक्ष अपीलकर्ता के किसी भी मामले की सुनवाई न कराये जाने के सम्बन्ध में श्री जावेद उस्मानी, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त, उ०प्र० सूचना आयोग, लखनऊ को प्रेषित विभिन्न प्रार्थना पत्रों का संज्ञान लेते हुए, उन पर की गयी कार्यवाही से अवगत नही कराया गया है और लगातार अपीलकर्ता की अपीलों की सुनवाई सूचना आयुक्त श्री बिस्ट के समक्ष नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत नियत की जा रही हैं
1)- सूचना आयुक्त श्री बिस्ट ने वर्ष 2011 में एक तालाब पर अवैधानिक कब्जे के सम्बन्ध में मांगी गयी सूचना के मामले को उजागर न होने देने के लिये दिनांक 24.04.2014 झगड़ा कर शिकायतकर्ता को अपने सुनवाई कक्ष से अपने स्टाफ द्वारा बाहर निकलवा कर अपमानित किया और फिर उसके घर रात्रि दस बजे बिना महिला पुलिस के हजरतगंज, लखनऊ की पुलिस भेज कर अवैधानिक तरीके से जेल भिजवाया जा चूका है | इस स्थित में भी श्री बिस्ट के समक्ष सुनवाई नियत करना सिद्ध करता है कि आयोग द्वारा शिकायतकर्ता को सूचना न मांगने देने की दिशा मे पर्याप्त क्रूरतम उपाय किये जा रहे हैं जबकि धारा 18 के तहत की गयी शिकायत पर आयोग के पास मात्र दण्ड आयात करने का ही एक मात्र उपचार है | इस प्रकार आयोग द्वारा भ्रस्टाचार के पक्ष में शिकायती पत्र RTI ACT 2005 की धारा 18, 19 एवं 20 मे प्राप्त शक्ति का प्रयोग कर जाँच एवं दंडात्मक कार्यवाही के विधिक दायित्व का निर्वहन नही किया है और न ही अन्य विधिक कार्यवाही ही की है अर्थात सूचना आयोग में RTI ACT 2005 के आदेशात्मक प्रावधानों से इतर सूचना मांग कर भ्रस्टाचार को उजागर करने वाले नागरिकों के विरुद्ध उनके सूचना मांगने के वैधानिक अधिकारों का हनन करते हुए सरकारी विभागों के हिताय एक पक्षीय कार्यवाही की जा रही है l इतना ही नही उक्त आयुक्त ने अपने अधिकार क्षेत्र से बढ़ के 2 अवमानना वाद भी चलित किये हैं जिसका आशय यही निकलता है कि उक्त आयुक्त इस RTI ACT की विधियों को मामने को तैयार नही हैं|
2)- उक्त नागरिक उत्पीडन का कारण ये ही दर्शित होता है कि उक्त सूचना आयुक्त का चयन इनकी योग्यता परखे बिना, समाजवादी पार्टी के मुखिया का समधी होने की हैसियत से सपा सरकार मे उपहार स्वरूप दिया गया है I जिस कारण इनके क्रिया कलाप एवं व्यवहार इस एक्ट के संगत नही है I ये सूचना दिलाने के बजाय सूचना मांगने वाले नागरिकों को आयोग से भगाने/जेल भिजने का काम करते आ रहे है I
3)- उक्त अपील पर सिविल मुकदमे की तरह, जाँच के पूर्व ही सुनवाई की तिथि नियत करना, ये सिद्ध करता है कि RTI ACT में नियत प्रावधानों के अनुसार सूचना दिलाने की कार्यवाही नही होनी है, इस प्रकार सउद्देश्य गठित आयोग द्वारा RTI ACT की खुली अवमानना करके, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1) मे नागरिकों को दी गयी आज़ादी का अतिक्रमण किया जा रहा है l यदपि राज्य सरकार द्वारा आयोग के इस अलोक तांत्रिक कार्य का संज्ञान लिया जाना अपेक्षित है |
अतः आपसे अनुरोध है कि सूचना आयुक्त द्वारा उक्त प्रकार अधिनियम के असंगत की जा रही औचित्यहीन सुनवाई को रोक (नाट प्रेस) दिया जाये, जब तक नियमतः चयनित योग्य अभियार्थियो का सूचना आयुक्तों के पद पर आसीन नही किया जाता है I
अपीलकर्ता
(अशोक कुमार गोयल)
प्रेषक :-अशोक कुमार गोयल, गणेशपुर रहमानपुर, चिनहट , लखनऊ-226028
पत्रांक 11 (16)/अपर्णा यादव, दिनांक 28.07-2017
सेवा में,
श्री जावेद उस्मानी
राज्य मुख्य सूचना आयुक्त ,
उत्तर प्रदेश सूचना आयोग,
गोमती नगर, लखनऊ-226010
विषय :- राज्य सूचना आयुक्त श्री अरविन्द सिंह बिस्ट के समक्ष बिना जाँच के, सिविल मुक़दमे की तरह सुनी जा रही अपील S-3-2451/A/2017 की सुनवाई दिनांक 03-08-2017 को, योग्यतम अभ्यर्थियो को चयनित कर सूचना आयुक्त के पद पर आसीन किये जाने तक, स्थगित किये जाने के सम्बन्ध में –
महोदय,
उक्त सूचना आयुक्त श्री बिस्ट के समक्ष अपीलकर्ता के किसी भी मामले की सुनवाई न कराये जाने के सम्बन्ध में श्री जावेद उस्मानी, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त, उ०प्र० सूचना आयोग, लखनऊ को प्रेषित विभिन्न प्रार्थना पत्रों का संज्ञान लेते हुए, उन पर की गयी कार्यवाही से अवगत नही कराया गया है और लगातार अपीलकर्ता की अपीलों की सुनवाई सूचना आयुक्त श्री बिस्ट के समक्ष नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत नियत की जा रही हैं
1)- सूचना आयुक्त श्री बिस्ट ने वर्ष 2011 में एक तालाब पर अवैधानिक कब्जे के सम्बन्ध में मांगी गयी सूचना के मामले को उजागर न होने देने के लिये दिनांक 24.04.2014 झगड़ा कर शिकायतकर्ता को अपने सुनवाई कक्ष से अपने स्टाफ द्वारा बाहर निकलवा कर अपमानित किया और फिर उसके घर रात्रि दस बजे बिना महिला पुलिस के हजरतगंज, लखनऊ की पुलिस भेज कर अवैधानिक तरीके से जेल भिजवाया जा चूका है | इस स्थित में भी श्री बिस्ट के समक्ष सुनवाई नियत करना सिद्ध करता है कि आयोग द्वारा शिकायतकर्ता को सूचना न मांगने देने की दिशा मे पर्याप्त क्रूरतम उपाय किये जा रहे हैं जबकि धारा 18 के तहत की गयी शिकायत पर आयोग के पास मात्र दण्ड आयात करने का ही एक मात्र उपचार है | इस प्रकार आयोग द्वारा भ्रस्टाचार के पक्ष में शिकायती पत्र RTI ACT 2005 की धारा 18, 19 एवं 20 मे प्राप्त शक्ति का प्रयोग कर जाँच एवं दंडात्मक कार्यवाही के विधिक दायित्व का निर्वहन नही किया है और न ही अन्य विधिक कार्यवाही ही की है अर्थात सूचना आयोग में RTI ACT 2005 के आदेशात्मक प्रावधानों से इतर सूचना मांग कर भ्रस्टाचार को उजागर करने वाले नागरिकों के विरुद्ध उनके सूचना मांगने के वैधानिक अधिकारों का हनन करते हुए सरकारी विभागों के हिताय एक पक्षीय कार्यवाही की जा रही है l इतना ही नही उक्त आयुक्त ने अपने अधिकार क्षेत्र से बढ़ के 2 अवमानना वाद भी चलित किये हैं जिसका आशय यही निकलता है कि उक्त आयुक्त इस RTI ACT की विधियों को मामने को तैयार नही हैं|
2)- उक्त नागरिक उत्पीडन का कारण ये ही दर्शित होता है कि उक्त सूचना आयुक्त का चयन इनकी योग्यता परखे बिना, समाजवादी पार्टी के मुखिया का समधी होने की हैसियत से सपा सरकार मे उपहार स्वरूप दिया गया है I जिस कारण इनके क्रिया कलाप एवं व्यवहार इस एक्ट के संगत नही है I ये सूचना दिलाने के बजाय सूचना मांगने वाले नागरिकों को आयोग से भगाने/जेल भिजने का काम करते आ रहे है I
3)- उक्त अपील पर सिविल मुकदमे की तरह, जाँच के पूर्व ही सुनवाई की तिथि नियत करना, ये सिद्ध करता है कि RTI ACT में नियत प्रावधानों के अनुसार सूचना दिलाने की कार्यवाही नही होनी है, इस प्रकार सउद्देश्य गठित आयोग द्वारा RTI ACT की खुली अवमानना करके, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1) मे नागरिकों को दी गयी आज़ादी का अतिक्रमण किया जा रहा है l यदपि राज्य सरकार द्वारा आयोग के इस अलोक तांत्रिक कार्य का संज्ञान लिया जाना अपेक्षित है |
अतः आपसे अनुरोध है कि सूचना आयुक्त द्वारा उक्त प्रकार अधिनियम के असंगत की जा रही औचित्यहीन सुनवाई को रोक (नाट प्रेस) दिया जाये, जब तक नियमतः चयनित योग्य अभियार्थियो का सूचना आयुक्तों के पद पर आसीन नही किया जाता है I
अपीलकर्ता
(अशोक कुमार गोयल)
पता :- गणेशपुर - रहमानपुर ,थाना चिनहट, लखनऊ -226028
E-Mail :- akgoel1954@gmail.com
मोबाईल :- 8009444448
3 अटैचमेंट
E-Mail :- akgoel1954@gmail.com
मोबाईल :- 8009444448
3 अटैचमेंट
Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
अटैचमेंट2:02 pm (5 मिनट पहले)
chief, cmup, Governor, psecup.adminref
सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु इस आशय से प्रेषित है कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत राज्य सूचना आयुक्त द्वारा दिनांक 03.08-2017 को सुनेगे ? RTIएक्ट को नस्ट करने का मामला है तो व्यापक न्याय हित में श्री बिस्ट को तत्काल सूचना आयुक्त के पद से हटकर निष्पक्ष जाँच कराया जाना अपेक्षित है कृत कार्यवाही से मुझे भी अवगत कराया जाये
संलग्नक उपरोक्तानुसार
---------- अग्रेषित संदेश ----------
प्रेषक: Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
दिनांक: 28 जुलाई 2017 को 1:49 pm
विषय: राज सूचना आयुक्त से उनकी पुत्री के सम्बन्ध में मांगी गयी सूचना की अपील की सुनवाई न कराये जाने के सम्बन्ध में
प्रति: webmaster.upic@gmail.com
सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु इस आशय से प्रेषित है कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत राज्य सूचना आयुक्त द्वारा दिनांक 03.08-2017 को सुनेगे ? RTIएक्ट को नस्ट करने का मामला है तो व्यापक न्याय हित में श्री बिस्ट को तत्काल सूचना आयुक्त के पद से हटकर निष्पक्ष जाँच कराया जाना अपेक्षित है कृत कार्यवाही से मुझे भी अवगत कराया जाये
संलग्नक उपरोक्तानुसार
---------- अग्रेषित संदेश ----------
प्रेषक: Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
दिनांक: 28 जुलाई 2017 को 1:49 pm
विषय: राज सूचना आयुक्त से उनकी पुत्री के सम्बन्ध में मांगी गयी सूचना की अपील की सुनवाई न कराये जाने के सम्बन्ध में
प्रति: webmaster.upic@gmail.com
--
भवदीय,
भवदीय,
(अशोक कुमार गोयल)
अध्यक्ष
सूचना का अधिकार कार्यकर्ता वेलफेयर एसोसिएशन,
3 अटैचमेंट
Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
अटैचमेंट2:06 pm (0 मिनट पहले)
presidentofind., persinfotech
सूचनार्थ एवं अपने स्तर से इस भ्रस्टाचार के प्रकरण व अकूत संपत्ति एकत्र किये जाने की जाँच करने हेतु प्रेषित है
कृत कार्यवाही से मुझे भी अवगत कराया जाये
---------- अग्रेषित संदेश ----------
प्रेषक: Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
दिनांक: 28 जुलाई 2017 को 2:02 pm
विषय: Fwd: राज सूचना आयुक्त से उनकी पुत्री के सम्बन्ध में मांगी गयी सूचना की अपील की सुनवाई न कराये जाने के सम्बन्ध में
प्रति: chief secretary <csup@up.nic.in>, cmup <cmup@up.nic.in>, Governor <hgovup@up.nic.in>, "psecup.adminref@nic.in" <psecup.adminref@nic.in
सूचनार्थ एवं अपने स्तर से इस भ्रस्टाचार के प्रकरण व अकूत संपत्ति एकत्र किये जाने की जाँच करने हेतु प्रेषित है
कृत कार्यवाही से मुझे भी अवगत कराया जाये
---------- अग्रेषित संदेश ----------
प्रेषक: Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
दिनांक: 28 जुलाई 2017 को 2:02 pm
विषय: Fwd: राज सूचना आयुक्त से उनकी पुत्री के सम्बन्ध में मांगी गयी सूचना की अपील की सुनवाई न कराये जाने के सम्बन्ध में
प्रति: chief secretary <csup@up.nic.in>, cmup <cmup@up.nic.in>, Governor <hgovup@up.nic.in>, "psecup.adminref@nic.in" <psecup.adminref@nic.in
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