Friday, July 28, 2017

सुंदर, तन्हा युवती का सहारा लेते हैकर

सुंदर, तन्हा युवती का सहारा लेते हैकर
फेसबुक पर एक खूबसूरत लड़की की तस्वीर. रिलेशनशिप स्टेटस, उलझा हुआ. ऑनलाइन धोखाधड़ी की शुरुआत कुछ इसी तरह होती हैं. कुछ पुरूष झांसे में आते हैं और फिर बर्बादी का सिलसिला शुरू होता है.
दुनिया भर में सक्रिय धोखेबाज हैकर "हनी ट्रैप" यानि हुस्न का झांसा देकर ऑनलाइन ठगी कर रहे हैं. अब ऐसी जालसाजी में ईरान सरकार का नाम भी आ रहा है. हैकरों को लगता है कि ईरान सरकार ने एक खूबसूरत महिला के इंटरनेट अकाउंट के सहारे तेहरान के शत्रु देशों के अहम अधिकारियों को फांसने की कोशिश की.
फेसबुक, लिंक्डइन, व्हट्सऐप और ब्लॉगर में अप्रैल 2016 से एक महिला का प्रोफाइल था. नाम था, मिया ऐश. उसके प्रोफाइल में एक युवती की सुंदर तस्वीर थी. प्रोफाइल में उसकी उम्र 20 से 30 साल के बीच लगी. प्रोफाइल के मुताबिक वह एक पेशेवर फोटोग्राफर है जो लंदन में रहती है. उसे घूमना, फुटबॉल देखना और संगीत पसंद है. डेल सिक्योवर्क्स का दावा है कि यह प्रोफाइल डिटेल न्यूयॉर्क के एक फोटोग्राफर के लिंक्डइन प्रोफाइल से चुरायी गयी.
डेल सिक्योरवर्क्स के मुताबिक मिया ऐश के मैसेज में खास किस्म के जासूसी वायरस थे. फोटोग्राफी सर्वे कहा जाने वाला एक वायरस मैसेज खोलने के बाद एक्टिव होता था. वहीं पपीरेट नाम का एक और मेलवेयर हमलावर को पीड़ित के कंप्यूटर और नेटवर्क का पूरा कंट्रोल दे देता था
डेल सिक्योवर्क्स को पूरा यकीन है कि यह प्रोफाइल ईरान के हैकिंग ग्रुप कोबाल्ट जिप्सी ने बनाया है. ईरान की सरकार से जब इस पर प्रतिक्रिया मांगी तो उसने कोई जवाब नहीं दिया.
मिया ऐश मध्य पूर्व की तेल कंपनियों में काम करने वाले तकनीशियनों और इंजीनियरों को ललचाती थी. डेल सिक्योरवर्क्स के मुताबिक मिया ऐश की आड़ में सऊदी अरब, इस्राएल, अमेरिका और भारत के लोगों को भी निशाना बनाया. डेल सिक्योरवर्क्स के सीनियर सिक्योरिटी रिसर्चर एलिसन विकॉफ के मुताबिक, "ये सारे लोग फोटोग्राफी के काम के चलते उससे नहीं मिलना चाहते, बल्कि उन्हें लगता है कि वाह, वह जवान है, सुंदर है, उसे घूमना पसंद है और वह बिदांस भी है."
अब मिया ऐश की असलियत सामने आ चुकी है. लिंक्डइन समेत कई इंटरनेट कंपनियों ने इस प्रोफाइल को डिलीट कर दिया है. इस मामले के सामने आने के बाद पता चला है कि सोशल मीडिया और नेटवर्किंग साइट्स पर बड़े पैमाने पर जासूसी और धोखाधड़ी हो रही है.
स्पैम से किन देशों को है खतरा?
हमले से परेशान
सेंधमारी यानि फिशिंग (Phishing) अटैक ने सबसे अधिक चीन (20.21 फीसदी), ब्राजील (18.23 फीसदी) और संयुक्त अरब अमीरात (11.07 फीसदी) के उपभोक्ताओं को प्रभावित किया है. फिशिंग के जरिये संवेदनशील जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है.
भारत नहीं पीछे
भारत स्पैम पैदा करने वाले देशों की सूची में सबसे ऊपर है. दुनिया में तकरीबन 14 फीसदी स्पैम मेल भारत से भेजे गये. पिछली तिमाही के मुकाबले इसमें 4.4 फीसदी की वृद्धि हुई. इसके बाद वियतनाम और अमेरिका का नंबर आता है.
रूस और इटली
अनचाहे मेल प्राप्त करने के मामले में रूस चौथे और इटली पांचवें स्थान है. पिछले साल दुनिया के तकरीबन 5.4 फीसदी अनचाहे ईमेल इटली के मेलबॉक्स में गये तो रूस में यह आंकड़ा 5.6 फीसदी का था.
जनसंख्या पर लक्ष्य
साल 2016 में दुनिया के 7.3 फीसदी स्पैम ने चीन के मेल-बॉक्स को भी निशाना बनाया. दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला यह देश स्पैम मेल भेजने वालों की तीसरी सबसे बड़ी पसंद रहा.
तकनीक पर चोट
दूसरे स्थान पर है जापान, जहां तकरीबन 7.6 फीसदी स्पैम मेल पहुंचे. जापान के प्रशासन ने देश में स्पैम की इस भारी तादाद पर चिंता जताई है. पिछले आंकड़ों की तुलना में इन स्पैम में 2.36 फीसदी की बढ़त देखी गई है.
पहली पसंद
स्पैम से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में पहले स्थान पर है जर्मनी. जर्मनी दुनिया में बेशक अपने अनुशासन और नियम कायदों के पालन के लिये जाना जाता है लेकिन स्पैम पर इसका कोई बस नहीं. साल 2016 में दुनिया के 14.1 फीसदी स्पैम जर्मनी भेजे गये.
रिपोर्ट: अपूर्वा अग्रवाल
ओएसजे/एके (रॉयटर्स) DW

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