Friday, October 27, 2017

गरीब मरीजो की सेवा में समर्पित समर्पण चेरिटेबल सेंटर ।

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गरीब मरीजो की सेवा में समर्पित समर्पण चेरिटेबल सेंटर ।
पिछले दिनों ग्राहक पंचायत के कार्यकर्ताओ द्वारा ग्वालियर स्थित समर्पण चेरिटेबल सेंटर ( हॉस्पिटल ) का भ्रमण किया गया । वहा जाकर देखा की xray 60 रु में , ultrasound 300 रु में , तथा c.t. scan तथा अन्य सभी जाँचे मार्केट रेट से आधी कीमत पर की जा रही है ।
समर्पण चेरिटेबल सेंटर ( हॉस्पिटल ) के कुल 6 जाँच सेंटर ग्वालियर में है ।
संस्था के संचालनकर्ताओ से बात की तो बताया की हम लोग लाभ नही कमाते है , हम सेवा संस्था है , इसलिए हमारा इतने कम में काम हो जाता है व मेंटनेन्स का खर्च भी निकल आता है । जब अन्य सभी जाँच सेंटरों की तुलना की तो पता चला की सभी कई गुना अधिक कीमत मरीजो से वसूल रहे है ।

इनके द्वारा उचित दाम वसूलने के कारण कुछ डॉक्टर ऐसे भी है जो समर्पण हॉस्पिटल की रिपोर्ट को इसलिए फेक देते है क्योकि उन्हें इनसे कमिसन प्राप्त नहीं होता है , ऐसे डॉक्टर कमिसनखोर है जो इनकी रिपोर्ट फेकते है । जबकि कोई भी डॉक्टर मरीजो को किसी विशेष जाँच सेंटर से जाँच कराने हेतु बाध्य नहीं कर सकते है । यह अनुचित व्यवहार की श्रेणी में आता है । डॉक्टरों के ऐसा व्यवहार किये जाने पर मरीज cmho मोतीमहल ऑफिस अथवा medical council of m.p. या सुनवाई ना होने पर ग्राहक पंचायत को शिकायत कर सकते है।
ऐसे कमिसनखोर डॉक्टरों को ग्राहक पंचायत ग्वालियर द्वरा सीघ्र ही expose किया जायेगा ।
कमिसनखोर व आर्थिक रूप से लालची डॉक्टरों के इस दौर में समर्पण हॉस्पिटल पर मरीजो को जाँच के मामले में अच्छा अनुभव प्राप्त होगा । तथा आर्थिक रुप से हानि भी नही होगी ।
मरीज समर्पण पर कम दामो में जाँचे कराकर अन्य जाँच सेंटरों की अवैध वसूली से बच सकते है ।
ग्राहक हित में शेयर करें
सतर्क रहे - आर्थिक शोषण से बचे

Thursday, October 26, 2017

ration ghotala

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prepad meter

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जिले में सबसे ताकतवर होता है लेखपाल

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ऐसे नियम कानून बनने या लागू होने के तुरंत बाद बहुत ही अल्प काल में उसमे संशोधन होने शुरू हो जाते है

प्रतिष्ठा में
श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ,
माननीय प्रधान मंत्री ,
भारत गणराज्य , नईदिल्ली
महोदय
बड़ा दुःख का विषय है कि आजादी के 70 वर्ष बाद भी हमारे विभिन्न मंत्रालयों में बैठे बड़े व छोटे बाबू किसी भी नियम कानून का ड्राफ्ट / प्रारूप अंग्रेजी काल की तरह इतना जटिल एवम बहु-अर्थीय बना रहे है कि जिनसे समाधान कम , समस्या ज्यादा पैदा हो जाती है I ऐसा कैसे है कि अनेको विकसित देश जनता के लिए नियम इतने सरल / स्पष्ट बनाने में सफल रहते है , जिनका एक और सिर्फ एक ही अर्थ निकलता हो I इसका तो अर्थ यही है कि ये अधिकारी जानबूझकर निर्भरता / श्रेष्ठता सिद्ध करने के उद्देश्य से बनाते है या देश की जमीनी समस्या/हकीकत से कटे रहते है I
ऐसे नियम कानून बनने या लागू होने के तुरंत बाद बहुत ही अल्प काल में उसमे संशोधन होने शुरू हो जाते है , उदाहरण स्वरुप
१. केन्द्रीय इलेक्ट्रीसिटी एक्ट २००३ I
२. सैनिको के लिए बनाए गए OROP नियम , जिसमे लगभग 300 पृष्ठों
से ज्यादा ही है I
३. हाल ही में बने GST एक्ट , जिसको लेकर सम्पूर्ण देश के व्यापारियों
में अव्यवस्था , आशंका सी फैली हुई है I ऐसा नहीं है कि सभी
व्यापारी चोर और बेईमान है I टैक्स की स्लैब में हो रहे संशोधनों को
छोड़ भी दे परन्तु इसे लागू करने के तरीके इतने जटिल बना दिए गए
है कि ईमानदार और छोटे से छोटे व्यापारी भी परेशान है I
देश का ज्यादातर व्यापारी वर्ग भाजपा का बंधुआ वोटर है , अगर उनमे इतनी बेचैनी है तो सोचिये इसका राजनैतिक परिणाम क्या हो सकता है I
आशा है आप हमारे इस सुझाव पर भी ध्यान देकर , नियम / कानूनों को सरल बनाने की पहल करेंगे I
धन्यवाद सहित
भवदीय
ई विक्रम सिंह

Sunday, October 15, 2017

ONLINE FRAD

इंटरनेट ने ज़िंदगी आसान कर दी है. ख़ास तौर से खरीददारी और पेमेंट के मामले में. अब ज़्यादातर पेमेंट्स के लिए बैंक को बीच में नहीं लाना पड़ता. पेटीएम, नेट बैंकिंग, फोन बैंकिंग जैसे कितने ही तरीके हैं, जिनसे आप घर बैठे पैसे इधर से उधर कर सकते हैं. कॅश हैंडलिंग की समस्या से छुटकारा तो मिल गया है, लेकिन दूसरी तरह की दिक्कतें बढ़ी है. फ्रॉड करनेवाले नए-नए तरीके खोज निकाल रहे हैं, जिससे आपकी जेब पर डाका डाल सके. अगर आप ज़रा से भी लापरवाह हुए, तो चोट मिलना तय है. ऐसी ही एक घटना साउथ इंडिया की एक टीचर वेलपुरी पवित्रा के साथ हुई है.

OLX का वो ऐड जो एक स्कैम की बुनियाद बना

पवित्रा के पास एक पुराना स्ट्रोलर था. स्ट्रोलर माने बच्चा गाड़ी. उन्होंने पुराने सामान की खरीद-फरोख्त करने वाली साईट OLX पर इसे डाल दिया. काफी दिनों तक उन्हें कोई खरीददार नहीं मिला. पवित्रा ऐड डालकर भूल भी गईं. फिर एक दिन अचानक एक आदमी का उन्हें OLX के मेसेंजेर पर मैसेज आया. उसने पूछा कि स्ट्रोलर इतनी कम कीमत में कैसे है, किस कंडीशन में है वगैरह-वगैरह. पवित्रा ने सब बताया. घर आ कर चेक करने की ऑफर भी दी.
दो दिन बाद उस आदमी का पवित्रा को फोन आया. उसने अपना नाम विशाल बताया. तय कीमत पर स्ट्रोलर खरीदने की इच्छा दिखाई. उसने कहा कि वो मुंबई में रहता है और पुणे में रहती अपनी बहन को ये स्ट्रोलर भेजकर सरप्राइज़ देना चाहता है. पवित्रा ने सोचा कि कितना प्यारा इंसान है, जो अपनी सिस्टर के बच्चे के लिए चुपके से गिफ्ट भेज रहा है.

असल माजरा क्या था?

उस आदमी ने पवित्रा से कहा कि वो ऑनलाइन ट्रांसफर कर देगा. बहन कल पवित्रा के घर आकर स्ट्रोलर ले जाएगी. पवित्रा ने उससे मेल आईडी मांगी, जिसपर अकाउंट डिटेल्स भेजी जाए. उसने रिक्वेस्ट की कि वो Whatsapp पर भेज दे. पवित्रा ने मान लिया. भेज दी डिटेल्स.
अभी डिटेल्स भेज के 3 मिनट भी नहीं हुए थे कि पवित्रा के मोबाइल पर एक ऐसा एसएमएस आया, जो अमूमन बैंक की तरफ से आता है. इस एसएमएस में कहा गया था कि उनके अकाउंट में 13,500 रुपए जमा हो गए हैं. पवित्रा चौंक गई. क्योंकि होने 3,500 थे.
पवित्रा ने उस आदमी को Whatsapp पर पूछा कि ये क्या ब्लंडर है? उसने जवाब दिया कि ये जल्दबाज़ी में हुआ है. ये पैसे वो अपनी मां को भेज रहा था और गलती से आ गए पवित्रा के अकाउंट में. उसने 10 हज़ार रुपए अपनी मां के अकाउंट में ट्रांसफर करने की रिक्वेस्ट की. पवित्रा ने हामी भर दी.

वक़्त रहते दिमाग न चलता तो नुकसान हो ही गया था

पवित्रा से उस आदमी ने कहा कि वो अकाउंट की जगह पेटीएम से पैसे ट्रांसफर करे. साथ ही जल्दी भी मचाने लगा. कहा कि उसकी मां क्लिनिक में है और उन्हें वहां का बिल देना है. इस जल्दबाजी से पवित्रा को थोड़ा शक़ हुआ. उसने ट्रांसफर से पहले एक बार फिर से अपना अकाउंट चेक करने की सोची. ऑनलाइन चेक करने पर उसने पाया कि ऐसा कोई ट्रांजैक्शन हुआ ही नहीं था. डबल चेक करने के लिए उन्होंने अपने बैंक के कस्टमर केयर पर फोन किया.
वहां से भी पता चला कि कोई पैसे नहीं जमा हुए हैं. जिस वक़्त वो बैंक से बात कर रही थीं, उन्हें विशाल के मैसेज आए जा रहे थे. फोन रख कर पवित्रा ने उससे कहा कि उसने कोई अमाउंट रिसीव नहीं किया है. फिर उसे कॉल कर के सवाल करने शुरू किए. घबराकर उस आदमी ने फोन रख दिया. फिर उठाया ही नहीं. पवित्रा कई पलों तक सोचती रही कि वो नुकसान उठाने की कगार तक पहुंच गई थी. अगर वक़्त रहते शक़ न होता तो चूना लग चुका था.
पवित्रा ने सारा माजरा फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा. साथ ही whatsapp की बातचीत के स्क्रीनशॉट्स भी लगाए. मामला तत्काल वायरल हो गया. जोकि अच्छा ही है. लोगों को पता चलना चाहिए कि किस-किस तरह से आप ऑनलाइन ठगे जा सकते हैं.

Can a restaurant charge more than MRP

Dear friends,
In YUM YUM CHA restaurant in Khan market New Delhi has the MRP of catch water @ Rs.60/- whereas the MRP in open market is Rs 25/- (Source Google Search and local Market) and which is billed it is billed for Rs.95/-
1. Do the supplies of these types of products have duel pricing by the company separate for eating houses for the same type of products.
2. Can a restaurant charge more than MRP and plus take service charges from the consumers.
It amounts to cheating with consumers.
Please Join together to stop these type of malpractices in the market report the matter to concerned authorities (be a sNo automatic alt text available.mart consumer) or complaint at www.dignityindia.org
far as I know, there can be separate MRP if the restaurant has ordered the same from the manufacturer. For ex if you buy a coke can in an indigo flight, it comes for 100 with the same MRP. But charging above the MRP should be reported.

Friday, October 13, 2017

300 घंटे तक लगातार बिजली सप्‍लाई देने वाला ये अनोखे पावरपैक 12 सालों तक आपको बिजली की सप्‍लाई देता रहेगा

यह बात सुनने में कितनी अजीब लगती है कि कोई पावरबैंक कैसे इतना पावरफुल हो सकता है कि उससे घर के बिजली पंखे सब कुछ चल सकें। 300 घंटे तक लगातार बिजली सप्‍लाई देने वाला ये अनोखे पावरपैक 12 सालों तक आपको बिजली की सप्‍लाई देता रहेगा। यानि कि 12 सालों तक आपको बिजली के बिल से आजादी मिल जाएगी।
दिल्‍ली के एक इवेंट में हाल ही में एक ऐसा ही पावरबैंक देखने को मिला, जिसका रिजल्‍ट चौंकाने वाला है। भारत में पैदा हुए समाज सेवी और उद्योगति मनोज भार्गव ने दिल्‍ली के इस इवेंट में लोगों को एक डॉक्‍यूमेंटरी फिल्‍म दिखाई। बिलियन्स इन चेंज 2 नाम की इस शॉर्ट फिल्‍म में कुछ ऐसे प्रोडक्‍ट और सॉल्‍यूशन दिखाए गए हैं, जिनके इस्‍तेमाल से आम लोगों की रोजमर्रा की तमाम जरूरतें आसानी से पूरी हो सकती हैं। इसी इवेंट के दौरान पोर्टेबल सोलर डिवाइस हंस 300 पावरपैक और हंस सोलर उपकरण के लॉंच की घोषणा की गई।
मनोज भार्गव की कंपनी द्वारा बनाए गए ये प्रोडक्‍ट सच में एक सोलर पावर स्‍टेशन हैं। जो सोलर ऊर्जा से भारी मात्रा में बिजली बनाकर उसे लंबे समय के लिए स्‍टोर कर सकते हैं। जिससे तमाम लोगों को या कहें कि किस के घर में बिजली की सभी जरूरतों को बहुत कम खर्चे में काफी समय तक पूरा किया जा सकता है।
हंस 300 पावरपैक की अद्भुत क्षमता
यह छोटा सा सोलर पावर बैंक इतनी ज्‍यादा बिजली बनाता और स्‍टोर करता है, जिससे घर की लाइटें, पंखे, टीवी वगैरह कई घरेलू उपकरण मजे से चलाए जा सकते हैं। आपको बता दें कि यह शक्‍तिशाली पावरपैक किसी आम सोलर बैटरी सिस्‍टम से बहुत ज्‍यादा पावरफुल है।
यह उपकरण 150 घंटे और 300 घंटे के पावर बैकअप वाले दो मॉडल्‍स में पेश किया गया है। जिनकी कीमत क्रमश: 10 हजार और 14 हजार है। यही नहीं इस उपकरण पर पूरे 12 साल की वारंटी है। कहने का मतलब यह है कि एक बार घर पर लगाने के बाद आपको 2 सालों तक बिजली के बिल से आजादी मिल सकती है।
अगले साल मई से खरीद सकेंगे लोग
बिलियन्स इन चेंज 2 कंपनी की अपने दो पावरबैंक ‘हंस पावरपैक और हंस सोलर ब्रिफकेस’ को अगले साल मई में मार्केट लॉन्‍च की योजना है। मनोज भार्गव बताते हैं कि इस हाईटेक 21वीं सदी में भी दुनिया भर के लाखों करोंड़ो लोग गावों में बिना बिजली के ही रहने को मजबूर हैं। उनके ये सोलर उपकरण शहरों से ज्‍यादा गांवों के लिए वरदान हैं
और जानकारी के लिए वीडियो भी देखें

अवेध जीएसटी वसूली को लेकर ग्राहक रहे सतर्क , ऐसे करे शिकायत ।

अवेध जीएसटी वसूली को लेकर ग्राहक रहे सतर्क , ऐसे करे शिकायत ।
बाजार में इन दिनों बहुत से व्यापारियों /  रेस्टोरेंट संचालको द्वारा रजिस्ट्रेशन नंबर लिए बिना ही जीएसटी वसूला जा रहा है । साथ ही ऐसे खाद्य पदार्थ जो कि टैक्स फ्री हैं उनकी कीमतें भी जीएसटी का हवाला देकर बढ़ा दी गई है । इस संबंध में ग्राहकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है ।
ऐसे व्यापारी या रेस्टोरेंट्स जिनके द्वारा रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है वह GST नहीं वसूल सकते । यदि वसूला गया तो वह अवैध है।
यदि जीएसटी /कंपोजीशन स्कीम लागू नहीं हो तो उसका विवरण भी बिल पर स्पष्ट लिखने के निर्देश हैं । ग्राहक बिल पर GSTIN जरूर देखें । फल व सब्जियों को जीएसटी से छूट मिली हुई है । साथ ही बिना ब्रांड एवं खुले खाद्य पदार्थों पर भी कोई टैक्स नहीं है । ऐसी स्थिति में ऐसे खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ा दिए जाने पर ग्राहक व्यापारी को दाम कम करने बाबत निवेदन करें । दाम कम नहीं किए जाने पर ग्राहक शिकायत करें । अधिकतम विक्रय मूल्य पर अथवा उससे अधिक पर GST वसुलना अवैध है ।
दुकानदारों को जीएसटी के पूर्व एवं जीएसटी के बाद टैक्स की स्थिति का तुलनात्मक चार्ट प्रदर्शित करने के निर्देश दिए गए हैं ।व्यापारी या रेस्टोरेंट द्वारा बिल पर लिखा गया जीएसटी नंबर फर्जी या असली है  यह जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर देखे


जीएसटी के संबंध में शिकायत होने पर ग्राहक जीएसटी सेवा केंद्र अथवा राज्य सरकार को भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं ।
शिकायत हेतु संपूर्ण भारतवर्ष के जीएसटी सेवा केंद्रों के संपर्क सूत्र हेतू निम्न लिंक पर क्लिक करे


या निम्न पर भी शिकायत दर्ज करा सकते है ।
Email - helpdesk@gst.gov.in
Phone - 01123370115
Twitter - @askGST_Goi
@finminindia

~ अ. भा. ग्राहक पंचायत 

Wednesday, October 4, 2017

Does the calculation below make sense to you ?

Does the calculation below make sense to you ?
Just to remind.. How much we pay for buying an item worth Rs 1000
Assume that I need to buy an item of base price of Rs 1000.
Assume it attracts GST @18%
I will need to pay Rs 1000 + Rs 180 = Rs 1180 for that item.
Now, I need to earn Rs 1180 first, to be able to pay this amount.
Assume that I am in the 20% Income Tax bracket (income between Rs 5 Lakhs and Rs 10 Lakhs per year).
If I earn Rs 1486.15, then I will have to pay Income Tax of Rs 297.23 (@20%), and a Cess of Rs 8.92 (@3% of the Income Tax), and that will leave me with an earning (after Income Tax) of Rs 1180.
Hence, to buy an item of base price Rs 1000, I need to earn Rs 1486.15.
Which means that I pay Rs 486.15 in taxes on the purchase of an item of Rs 1000.
And that, dear people, implies a tax of over 48.6% paid overall (through both direct and indirect taxes).
Now, this figure will be far higher for items in the 28% GST slab. (It will be 61.2% in total taxes).

Monday, October 2, 2017

panchayat work

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सभी स्कुल में मानको के विपरीत एक क्लास में बहुत अधिक संख्या में छात्र छात्राओं का पठन पाठन एक ही सेक्शन में 60 / 70 छात्र छात्राए , जो की मानको के विपरीत है I

दिनांक ०१ अक्तूबर २०१७
अध्यक्ष , केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ,
शिक्षा केन्द्र, 2, सामुदायिक केंद्र,
प्रीत विहार, दिल्ली - 110092
ई-मेल: chmn-cbse.nic.in
महोदय ,
विगत दिनों देश के गुरुग्राम स्थित एक बहुत ही प्रतिष्ठित विद्यालय में एक ७ वर्षीय छात्र की ह्त्या एवम दिल्ली में एक छात्र के साथ स्कुल के ही एक कर्मचारी द्वारा यौन उत्पीडन एवम अन्य घटनाए प्रकाश में आई है I
अलीगढ के भी अभिभावकों में ये सभी खबरे बहुत ही चिंताए उत्पन्न कर रही है , कारण यहाँ के सभी महंगे महंगे प्राइवेट स्कुल बच्चो की सुरक्षा एवम सुविधाओं पर बहुत ही उदासीन है एवम जमकर सभी तरह के मानको की अवज्ञा कर रहे है , जिनमे प्रमुख
१ सभी स्कुल में मानको के विपरीत एक क्लास में बहुत अधिक संख्या में छात्र छात्राओं का पठन पाठन एक ही सेक्शन में 60 / 70 छात्र छात्राए , जो की मानको के विपरीत है I
२ मनमाने ढंग से बिना किसी गाइड लाइन को अनुसरण किये फ़ीस में बढ़ोत्तरी करना I
३ स्कुल परिसर में सभी जगह यहाँ तक की क्लास रूम में भी CCTV कैमरे लगवाना I
४ स्कुल बसों का मानको के विपरीत संचालन एवम बोर्ड के दिशा निर्देशों के विपरीत , जिसमे
क. वाहनों को संचालन करने वाले ड्रावर कंडक्टर का किसी तरह का सत्यापन न करवाना I
ख. खटारा बसों , टेम्पो या वेन में उनकी क्षमता से अधिक बच्चो को ठूंस ठूस कर भरना
ग. अनाध्रिकित रूप से LPG से वाहनों का संचालन I
घ. यातायात पुलिस या परिवहन विभाग द्वारा समय समय पर इनकी कोई भी चेकिंग न करवाना I
५ स्कुल परिसर में वाहन पार्किंग की सुविधा न होना एवम वाहन चालाक ड्राइवर / कंडक्टर के लिए कोई सुविधा का निर्माण न करना I
६ स्कुल परिसर में छात्रो एवम स्टाफ के लिए अलग अलग शौचालय की सुविधा न होना I
७ स्कुल परिसर में छात्र एवम छात्राओं के लिए अलग अलग शौचालय एवम छात्राओं के शौचालय में महिला सफाई कर्मचारी की नियुक्ति I
८ स्कुल में अग्निशमन एवम प्राथमिक चिकित्सा हेतु कोई व्यवस्था न होना I
९ स्कुल में छात्र छात्राओं के दोपहर में टिफिन करने की कोई व्यवस्था नहीं है और बच्चे सभी भीषण गर्मियों में जब लू चल रही हो तापमान ४७ डिग्री तक पहुँच जाता है , और सर्दियों में सहित लहर चलती है . प्राइमरी क्लास के नौनिहाल भी बाहर मैदान में खुले में बैठकर अपना टिफिन खाने को बाध्य है , जिसके कारण यदा कदा ये बच्चे लू और ठण्ड से प्रभावित भी होते रहते है
इसके अलावा
1. इनको संचालित करने वाली सोसाइटी नियम विरुद्ध है I
2. इन स्कुल में कोई भी ट्रेंड शिक्षक नहीं है , और जो रखे गए है उनको भी नियमानुसार तनखाह एवम अन्य सुविधा कर्मचारी राज्य बीमा तथा भविष्य निधि की सुविधा नहीं है I
3. सबसे अहम् इन प्राइवेट स्कुल में RTE की घोर अवज्ञा , इनमे नियमानुसार गरीब तबके के बच्चो का दाखिला नहीं दिया जाता I
वृहत्तर छात्र हित में हम सभी निम्न संगठन आपसे अनुरोध करते है कि अलीगढ के भी प्राइवेट स्कुलो द्वारा बरती जा रही अनियमितताओं का संज्ञान लेते हुवे , सभी स्कुलो के लिए एक स्थानीय स्थाई जांच कमेटी का गठन करवाये , जिसमे जिले के शिक्षा विभाग , परिवहन विभाग , सामाजिक संगठनो के प्रतिनिधि शामिल हो , और उनकी रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड , आवश्यक कार्यवाही कर , अलीगढ जिले के सभी अभिभावकों को उपकृत करेंगे I
आशा है न्यायहित में आप तवरित कार्यवाही करने की कृपा करेंगे ,
धन्यवाद सहित ,
भवदीय
संरक्षक , बिमल कुमार खेमानी , अध्यक्ष , ई विक्रम सिंह , 094127 32908
ट्रेप ग्रुप आफ आर टी आई एक्टिविस्ट ,
अध्यक्ष , उमेश श्रीवास्तव , 090581 29523 सचिव , अभय शर्मा
अलीगढ अभिभावक एसोशिएशन (रजि) ,
सचिव , आलोक वार्ष्णेय , 098373 31535 अध्यक्ष , रामनरेश यादव
वात्सल्य सेवा संस्थान (पंजी) ,
प्रशिक्षक , मुनीश जैन , 099270 05038 प्रशासक , DDC, दीपक खंडेलवाल
आर्ट आफ लिविंग ,
अध्यक्ष , राकेश कुमार शर्मा , 094122 72780 सचिव
भारत स्वाभिमान ट्रस्ट ( पतंजलि ) ,
प्रतिलिपी : P.A. , मानव संसाधन मंत्री , भारत सरकार , इसे माननीय मंत्री महोदय के संज्ञान में लाने हेतु

Sunday, October 1, 2017

बैंक के छुपे हुए चार्ज, जो वो काटते हैं और हमें पता भी नहीं चलता

बैंक के छुपे हुए चार्ज, जो वो काटते हैं और हमें पता भी नहीं चलता

कोई भी सेवा मुफ्त नहीं देता बैंक
शुरुआत होती है खाता खुलवाने से. बैंक आपसे इसके भी पैसे लेता है. एक तय रकम होती है. उतना तो आपको हर समय खाते में रखना ही पड़ेगा. फिर आपके सामने एटीएम कार्ड लेने का विकल्प है. इसके लिए आपको पैसे खर्च करने होते हैं. कुछ बैंक कार्ड बनवाने के लिए पैसे नहीं लेते. लेकिन सारे बैंक कार्ड के इस्तेमाल के लिए एक सालाना रकम ज़रूर वसूलते हैं. पैसे निकालने पर भी पैसे कटते हैं. बैंक आपको खाते से संबंधित जानकारियां देने के लिए जो SMS भेजता है, उसके भी पैसे चार्ज करता है. फिर इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग भी हैं. ये सुविधाएं भी मुफ्त नहीं मिलतीं. चेकबुक के भी पैसे लगते हैं.

नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद बैंकिंग सेक्टर में कई बदलाव हुए हैं.

कई तरह के होते हैं बैंक अकाउंट्स, अलग-अलग हैं सबके नियम
बैंक अकाउंट्स कई तरह के होते हैं. करंट डिपॉज़िट अकाउंट. सेविंग्स अकाउंट, जिसे बचत खाता भी कहते हैं. रेकरिंग अकाउंट. फिक्स्ड डिपॉज़िट अकाउंट. सब खातों के नियम अलग हैं. आम लोगों का साबका ज़्यादातर बचत खाते और फिक्स्ड डिपॉज़िट खाते से पड़ता है.
लगातार घट रहा है सेविंग्स और फिक्स्ड डिपॉज़िट पर मिलने वाला ब्याज
आप अपने खाते में जो पैसे रखते हैं, उसका इस्तेमाल कर बैंक अपनी कमाई करता है. इसीलिए खाते में रखे उन पैसों के बदले बैंक आपको ब्याज देता है. ब्याज की दर दिनों-दिन गिरती जा रही है. बचत खाते पर कभी तकरीबन 8% ब्याज मिला करता था. फिर घटकर 6% हो गया. अब ज़्यादातर बैंक 4% ब्याज देते हैं. यस बैंक सेविंग्स अकाउंट पर सबसे ज़्यादा 6 फीसद ब्याज देने का खूब प्रचार करता है. लेकिन इस ऐड में शर्तों वाले सितारे जुड़े होते हैं. नियम और शर्तें लागू टाइप्स. शर्त ये है कि अगर बचत खाते में 1 लाख से ज़्यादा पैसे जमा हैं, तो उस पर 6% ब्याज मिलेगा. 1 लाख से कम पैसा रखने वालों को वही 4% इंटरेस्ट मिलेगा.
जो लोन बैंक देता है, उस पर लगने वाला ब्याज बढ़ता जा रहा है
बैंक कई तरह के लोन देता है. होम लोन. कार लोन. बाइक लोन. एजुकेशन लोन. पर्सनल लोन. गोल्ड लोन. बिज़नेस लोन. क्रेडिट कार्ड के ज़रिए भी हम छोटे-छोटे कर्ज़ ही ले रहे होते हैं. इन सब पर अलग-अलग तरह का ब्याज वसूला जाता है. ब्याज की दर बढ़ती जाती है. ऐसा नहीं कि सभी बैंकों की ब्याज दरें एक जैसी हों. ICICI बैंक 8.35% की दर से होम लोन देता है. कार लोन पर ICICI 9.75% ब्याज लेता है. पर्सनल लोन पर इंटरेस्ट रेट 10.99% है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) 8.35% ब्याज पर होम लोन देता है. GST आने के बाद होम, पर्सनल और ऑटो लोन महंगा नहीं हुआ है. उन पर सर्विस टैक्स नहीं लगाया गया है. हां, लोन के आवेदन को आगे बढ़ाने और उस पर कार्रवाई करने के लिए बैंक जो प्रोसेसिंग फीस लेता है, वो महंगी हो गई हैं.
सरकार कैशलेस ट्रांज़ेक्शन को बढ़ावा दे रही है, लेकिन कई जगह इस पर अतिरिक्त चार्ज लगता है.
बैलेंस जांचना और मिनी स्टेटमेंट लेना भी मुफ्त नहीं
खाते में मौजूद बैलेंस की जांच करना, एटीएम का पिन बदलना और मिनी स्टेटमेंट लेना ‘गैर वित्तीय’ (नॉन-फाइनेन्शियल) गतिविधियों में गिने जाते हैं. मिनी स्टेटमेंट में आपके बैंक खाते में मौजूद रकम और पिछले कुछ ट्रांज़ेक्शन्स की जानकारी होती है. माने पिछली बार कब कितना रुपया आया. कितना निकाला गया. कई निजी बैंक इसके लिए भी ग्राहक से पैसे लेते हैं.
GST के बाद और महंगी हुई है बैंकिंग
1 जुलाई से GST (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स) लागू होने के बाद बैंकिग सेवाएं और महंगी हुई हैं. पहले इन पर 15% टैक्स लगता था. अब इसे बढ़ाकर 18% कर दिया गया है. पहले ग्राहक को 100 रुपए के ट्रांज़ेक्शन पर जितने रुपए देने होते थे, अब उससे 3 रुपए ज़्यादा खर्च करने होंगे. एटीएम से होने वाला लेन-देन, क्रेडिट और डेबिट कार्ड्स, इंश्योरेंस प्रीमियम और लोन की किस्त पर पहले 15% सर्विस टैक्स देना होता था. सर्विस टैक्स मतलब उस सुविधा को इस्तेमाल करने के एवज में दिया जाने वाला शुल्क. चेक बुक और डिमांड ड्राफ्ट्स जैसी सुविधाएं भी महंगी हुई हैं. फिक्स्ड डिपॉज़िट, बैंक अकाउंट डिपॉज़िट जैसी कुछ सुविधाएं फिलहाल GST से बाहर रखी गई हैं.
बैंक ट्रांज़ेक्शन से जुड़े कुछ नियमों पर गौर कीजिए:
– HDFC, ICICI और एक्सिस जैसे निजी बैंक महीने में 4 बार मुफ्त ट्रांज़ेक्शन की सुविधा देते हैं. इसके बाद जब भी आप अकाउंट में पैसे जमा करेंगे या निकालेंगे, तो एक सीमा से ऊपर हर ट्रांज़ेक्शन पर बैंक 150 रुपए लेगा. मिसाल के लिए HDFC बैंक में ये चार्ज 25,000 रुपए से ऊपर के ट्रांज़ेक्शन पर लगता है. इसमें सेस और अतिरिक्त टैक्स भी लगते हैं. तो कुल चार्ज 150 से ऊपर का बनेगा.
– HDFC तो बचत खाते के साथ-साथ सैलरी अकाउंट्स पर भी ये चार्ज लगाएगा.
– वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों के खातों पर ये शुल्क नहीं लगेगा.
– अगर आपके पास बेसिक सेविंग्स अकाउंट है, तो महीने में 4 बार पैसा निकालने पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा. पैसा जमा करने पर भी कोई शुल्क नहीं देना होगा.
– होम ब्रांच और नॉन-होम ब्रांच के नियमों में भी फर्क है. होम ब्रांच यानी जहां आपका खाता है. नॉन-होम ब्रांच मतलब उसी बैंक की किसी और ब्रांच से लेन-देन करना.
– ICICI महीने में 4 बार होम ब्रांच से पैसा निकालने पर कोई शुल्क नहीं लेता. उसके बाद प्रति 1,000 रुपए पर 8 रुपए का शुल्क वसूला जाता है. थर्ड पार्टी लेन-देन की सीमा घटाकर 50,000 रुपए प्रति दिन कर दी गई है.
– नॉन-होम ब्रांच से पैसा निकालने पर ICICI पहला ट्रांज़ेक्शन मुफ्त करने देता है. उसके बाद प्रति 1,000 रुपए पर 8 रुपए का अतिरिक्त चार्ज लगाया जाता है. इस तरह के लेनदेन पर बैंक आपसे एक महीने में ज़्यादा से ज़्यादा 150 रुपए लेगा.

School Bus और Van एक Reality Check

School Bus और Van एक Reality Check
आपको बताते हैं कि ख़बरों की दुनिया में डर और जानकारी के बीच क्या फर्क होता है ? पिछले कुछ दिनों से देश के ज़्यादातर माता-पिता डरे हुए हैं. स्कूल में 7 साल के एक बच्चे की हत्या के बाद ये डर... देश के हर परिवार को परेशान कर रहा हैं. लोग जैसे ही इस डर से उबरने की कोशिश करते हैं.... वैसे ही हमारा मीडिया प्रद्युम्न की मौत से जुड़ा नया खुलासा करके.. उन्हें और डरा देता है. लोगों को डर और नाटकीयता से भरी हुई ख़बरें दिखाई जा रही हैं.. और Reporters को किसी जासूसी धारावाहिक का किरदार बनाकर पेश किया जा रहा है. लेकिन इस दौरान लोगों को जागरूक बनाने वाली ख़बरें सामने नहीं आ रही हैं. ज़ी न्यूज़ ने इस समस्या का इलाज करने के लिए अलग तरह की रिपोर्टिंग की है. हम एक एक करके.. उन समस्याओं पर फोकस कर रहे हैं.. जो देश के हर माता पिता के सामने आती हैं. ये सिर्फ एक ख़बर नहीं है.. बल्कि ये ख़बरों की एक सीरीज़ है जिसकी मदद से हम देश के सभी परिवारों को जागरुक करना चाहते हैं.
आज आपका मंत्र है... Scan... Analyse और Share.. यानी ख़बर को देखिए... हमारे विश्लेषण की मदद से उसे समझिए और फिर अपने परिवार और दोस्तों के साथ इसे शेयर कीजिए. इस तरह आप पूरे सिस्टम में सकारात्मक बदलाव करने का दबाव बना पाएंगे.
इस सीरीज़ में पहली समस्या है स्कूल बस. आपने ये महसूस किया होगा कि आपके बच्चे जिस स्कूल बस या Van से जाते हैं.. वो उनकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करती है. School Bus और Van में अक्सर क्षमता से ज़्यादा बच्चे सवार होते है.. और पैसा बचाने के लिए सुरक्षा के नियमों को तोड़ा जाता है. हमने इस विषय पर एक Reality Check किया है.. आप इसे ध्यान से देखिए.. हो सकता है कि हमारी रिपोर्ट में जो कुछ आपको दिखाई देगा.. वो आपके बच्चों के साथ भी हो रहा हो. इसके बाद हम आपको स्कूल बस से जुड़े नियम और शिकायत करने का तरीका बताएंगे. अगर आप हमारी इस मुहिम से जुड़कर अपनी बात कहना चाहते हैं तो #SchoolTerror पर Tweet करें
अब आपको बताते हैं कि अगर किसी स्कूल बस या Van में ऐसा हो रहा हो.. तो आप क्या कर सकते हैं.सुप्रीम कोर्ट की Guidelines के मुताबिक आपके बच्चे को स्कूल ले जाने वाली बस में First Aid Box और आग बुझाने वाला यंत्र होना बहुत ज़रूरी है...इसीलिए कल जब आप अपने बच्चे को स्कूल बस में बैठाने के लिए जाएं तो इन दोनों बातों का ध्यान रखें अगर ऐसा नहीं है तो आप स्कूल से इस बात की शिकायत कर सकते हैं इसके अलावा आप ये भी चेक कर लें कि स्कूल बस के ड्राइवर के पास लाइसेंस है या नहीं ? और क्या बस के स्टाफ का पुलिस वेरिफिकेशन करवाया गया है ? इसके अलावा उनके पास ID Card होना चाहिए.
आपको ये भी देखना होगा कि आपके बच्चे की स्कूल बस..... पीले रंग की होनी चाहिए... जिस पर हरे रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम और फोन नंबर लिखा होना ज़रूरी है...अगर बस किसी प्राइवेट ठेकेदार की है तो बस के आगे On School Duty लिखा होना चाहिए. इसके अलावा स्कूल Cab या Bus की कुल सीटों की संख्या से ज़्यादा.. बच्चो को नहीं बैठाया जा सकता है...बस के स्टाफ के पास हर बच्चे की पूरी जानकारी होनी चाहिए जैसे बच्चे का नाम, उसके घर का पता, फोन नंबर और बच्चे का ब्लड ग्रुप भी...CBSE की नई Guidelines के मुताबिक स्कूल बस में GPS सिस्टम और CCTV कैमरे लगे होने चाहिए. अगर कोई स्कूल... सुरक्षा के लिए बनाए गये इन नियमों की अनदेखी कर रहा है तो आपको जागरूक होने की ज़रूरत है..नियमों की अनदेखी के लिए सबसे पहले आप स्कूल के प्रशासन से शिकायत करें. अगर स्कूल इसके बाद भी आपकी बात नहीं सुनता है तो अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए आप Child Helpline नंबर 1098 पर फोन कर सकते हैं. CHILDLINE नामक ये Helpline... 24 घंटे बच्चों की मदद लिए तैयार रहती है.
इसके अलावा CBSE Helpline Number 1800-11-8002 पर भी आप शिकायत कर सकते हैं . ये नियम- कानून आपके बच्चे की सुरक्षा के लिए बनाए गये हैं और किसी हादसे को रोकने के लिए नियमों की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है..7 साल के एक बच्चे की हत्या ने स्कूलों की लापरवाही की पोल देश के सामने खोल दी है लेकिन बहुत कम स्कूलों ने इससे सबक लिया है. इसलिए आपको समय-समय पर स्कूल की चेकिंग करनी होगी. ये काम आप और हम मिलकर करेंगे. क्योंकि आपकी और आपके परिवार की सुरक्षा से जुड़ी ख़बरें दिखाना.. मीडिया का दायित्व है.
- Zee जानकारी