Thursday, October 26, 2017

ऐसे नियम कानून बनने या लागू होने के तुरंत बाद बहुत ही अल्प काल में उसमे संशोधन होने शुरू हो जाते है

प्रतिष्ठा में
श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ,
माननीय प्रधान मंत्री ,
भारत गणराज्य , नईदिल्ली
महोदय
बड़ा दुःख का विषय है कि आजादी के 70 वर्ष बाद भी हमारे विभिन्न मंत्रालयों में बैठे बड़े व छोटे बाबू किसी भी नियम कानून का ड्राफ्ट / प्रारूप अंग्रेजी काल की तरह इतना जटिल एवम बहु-अर्थीय बना रहे है कि जिनसे समाधान कम , समस्या ज्यादा पैदा हो जाती है I ऐसा कैसे है कि अनेको विकसित देश जनता के लिए नियम इतने सरल / स्पष्ट बनाने में सफल रहते है , जिनका एक और सिर्फ एक ही अर्थ निकलता हो I इसका तो अर्थ यही है कि ये अधिकारी जानबूझकर निर्भरता / श्रेष्ठता सिद्ध करने के उद्देश्य से बनाते है या देश की जमीनी समस्या/हकीकत से कटे रहते है I
ऐसे नियम कानून बनने या लागू होने के तुरंत बाद बहुत ही अल्प काल में उसमे संशोधन होने शुरू हो जाते है , उदाहरण स्वरुप
१. केन्द्रीय इलेक्ट्रीसिटी एक्ट २००३ I
२. सैनिको के लिए बनाए गए OROP नियम , जिसमे लगभग 300 पृष्ठों
से ज्यादा ही है I
३. हाल ही में बने GST एक्ट , जिसको लेकर सम्पूर्ण देश के व्यापारियों
में अव्यवस्था , आशंका सी फैली हुई है I ऐसा नहीं है कि सभी
व्यापारी चोर और बेईमान है I टैक्स की स्लैब में हो रहे संशोधनों को
छोड़ भी दे परन्तु इसे लागू करने के तरीके इतने जटिल बना दिए गए
है कि ईमानदार और छोटे से छोटे व्यापारी भी परेशान है I
देश का ज्यादातर व्यापारी वर्ग भाजपा का बंधुआ वोटर है , अगर उनमे इतनी बेचैनी है तो सोचिये इसका राजनैतिक परिणाम क्या हो सकता है I
आशा है आप हमारे इस सुझाव पर भी ध्यान देकर , नियम / कानूनों को सरल बनाने की पहल करेंगे I
धन्यवाद सहित
भवदीय
ई विक्रम सिंह

No comments:

Post a Comment