Friday, September 29, 2017

shops cannot charge extra value added tax (VAT) on items sold on discounted price


The District Consumer Disputes Redressal Forum in Chandigarh has once again ruled that shops cannot charge extra value added tax (VAT) on items sold on discounted price, saying that by doing so they are "indulging in unfair trade practice".
Penalising Benetton India Private Ltd, the forum, presided by Rajan Dewan, observed: "The act of Benetton in charging VAT on discounted product clearly proves deficiency in service, having indulged into unfair trade practice on their part, which certainly had caused immense mental and physical harassment."
The four-page order, signed on September 25, clearly mentioned that a similar question arose earlier for the determination of VAT before this commission twice -- first in 2015 and later in the corresponding year.
VAT was charged on consumer goods before the Goods and Services Tax came into being on July 1.
"On September 1, 2015, it has been held that no one can charge more than the MRP (maximum retail price) and the MRP includes all taxes, including VAT and other taxes. When the MRP is inclusive of all taxes, then VAT and other taxes cannot be charged separately," the order said.
Citing the second case of charging extra VAT, the commission in the latest order observed that while dismissing the appeal filed by Benetton on February 18, 2016, held that "if it is clearly mentioned as MRP inclusive of all taxes, charging five per cent VAT or tax is certainly against the trade practice".
"The ratio of the aforecited judicial pronouncements are squarely applicable to the present lis (suit)," said the commission.
It directed Benetton to refund the excess amount charged as 12.5 per cent VAT, Rs 219, to the complainant and pay a compensation of Rs 1,000 for mental agony and physical harassment.
Benetton had pleaded the product was not sold on the MRP but in a discounted scheme.
--IANS
vg/him/vd

Wednesday, September 20, 2017

डिसकाउंट है तो एड वाली कार भी चलेगी by Mr. Prashant Chahal.


Navbharat Times Online NBT Faridabad This news has appeared in Faridabad Times of Navbharat Times dtd. 21st September 2014. A mail has been sent to the Editor which is self explanatory. The perspective buyer are advised to read the mail as reproduced below in case they are planning to buy the car.
"I refer to the article that appeared on front page of Faridabad Times dtd. 21st September 2014 undertitle डिसकाउंट है तो एड वाली कार भी चलेगी by Mr. Prashant Chahal.
I wish the writer may have checked the facts before writing such an article. The article which is being understood covers that the buyer can bring the car by paying 25% down payment and the main theme is display of advertisement on the car even the personal car.
I would like to bring certain facts for an appropriate covering in the report:
1. The car is not available on down payment of 25% amount. One has to pay rest of the amount in 60 installment.
2. Two years EMIs are required to be paid. Rest of three years i.e 36 EMIs are reimbursed on meeting certain conditions like installation of GPS, covering certain specified distances in a month and the car is required to carry on advertisement on some %age (60%) area of the car body.
3. The company may not have the permission to display advertisements as the display of advertisement on the car body is not allowed under Motor Vehicle Rules. This information has been sought from concerned statutory agencies under RTI Act 2005.
In view of above
, I would request for a, immediate corrective article in the newspaper so as to save perspective buyers from unethical and misleading purchase.
Thanks and Regards"

विषय : सरकारी विभागों द्वारा विभागीय कार्य हेतु प्राइवेट गाड़िया का मासिक अनुबंध

आवेदन का विवरण
शिकायत संख्या 40014317007142
दिनांक : २० सितम्बर २०१७
श्री योगी आदित्य नाथ जी , 
मुख्य मन्त्री , उत्तरप्रदेश , लखनऊ
विषय : सरकारी विभागों द्वारा विभागीय कार्य हेतु प्राइवेट गाड़िया का मासिक अनुबंध
मान्यवर ,
हम आपका ध्यान हमारे पत्र दिनांक १५ मई २०१७ (सुलभ सन्दर्भ के लिए प्रतिलिपि संलग्न) की तरफ आकृष्ट कराना चाहते है | आपके दफ्तर ने भी हमारी शिकायत को जनसुनवाई के अंतर्गत अलीगढ के संभागीय परिवहन विभाग को भेज कर निस्तारित कर दिया |
महोदय , हमारी शिकायत को 4 माह से अधिक समय हो गया , किन्तु कोई भी अपेक्षित कार्यवाही परिलक्षित नहीं दिख रही | जबकि समय सीमा के अंतर्गत विभाग द्वारा कृत कार्यवाही की रिपोर्ट आपके कार्यालय में भी आनी चाहिए |
अभी भी तमाम सरकारी विभागों द्वारा प्राइवेट गाडिया ( बिना टेक्सी परमिट वाली ) किराए पर चल रही है , यह मोटर वेहिकल कानून का सरासर उल्लंघन है |
इस मुद्दे पर एक और तथ्य भी सामने आया है कि विभागों में चलने वाली प्राईवेट गाडियों में बहुत सारी गाडिया तो उसी विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों की है जो कि उनके द्वारा अर्जित अवैध कमाई से अपने किसी रिश्तेदार के नाम से ली गई है , यही कारण है कि ऐसे मामलों में कोई भी कार्यवाही न करकर उसे दफ्तर दाखिल कर दिया जाता है |
महोदय से पुनः प्रार्थना है कि इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुवे प्रदेश भर में विभिन्नं सरकारी विभागों में किराए पर चल रही गाडियों का सत्यापन करवाते हुवे दोषी अधिकारियों को भी दण्डित करने की कृपा करे |
धन्यवाद सहित
भवदीय ,
बिमल कुमार खेमानी , संरक्षक
ई विक्रम सिंह , अध्यक्ष , ट्रेप ग्रुप
प्रतिलिपि :
1. श्री स्वतंत्र देव सिंह , उप्र परिवहन मंत्री , उत्तरप्रदेश , लखनऊ
2. श्री यासर शाह , उप्र परिवहन राज्य मंत्री , उत्तरप्रदेश , लखनऊ
3. मुख्य सचिव , उत्तरप्रदेश शासन , लखनऊ

Monday, September 18, 2017

बैलेंस जांचना और मिनी स्टेटमेंट लेना भी मुफ्त नहीं

कोई भी सेवा मुफ्त नहीं देता बैंक
शुरुआत होती है खाता खुलवाने से. बैंक आपसे इसके भी पैसे लेता है. एक तय रकम होती है. उतना तो आपको हर समय खाते में रखना ही पड़ेगा. फिर आपके सामने एटीएम कार्ड लेने का विकल्प है. इसके लिए आपको पैसे खर्च करने होते हैं. कुछ बैंक कार्ड बनवाने के लिए पैसे नहीं लेते. लेकिन सारे बैंक कार्ड के इस्तेमाल के लिए एक सालाना रकम ज़रूर वसूलते हैं. पैसे निकालने पर भी पैसे कटते हैं. बैंक आपको खाते से संबंधित जानकारियां देने के लिए जो SMS भेजता है, उसके भी पैसे चार्ज करता है. फिर इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग भी हैं. ये सुविधाएं भी मुफ्त नहीं मिलतीं. चेकबुक के भी पैसे लगते हैं.
कई तरह के होते हैं बैंक अकाउंट्स, अलग-अलग हैं सबके नियम
बैंक अकाउंट्स कई तरह के होते हैं. करंट डिपॉज़िट अकाउंट. सेविंग्स अकाउंट, जिसे बचत खाता भी कहते हैं. रेकरिंग अकाउंट. फिक्स्ड डिपॉज़िट अकाउंट. सब खातों के नियम अलग हैं. आम लोगों का साबका ज़्यादातर बचत खाते और फिक्स्ड डिपॉज़िट खाते से पड़ता है.
लगातार घट रहा है सेविंग्स और फिक्स्ड डिपॉज़िट पर मिलने वाला ब्याज
आप अपने खाते में जो पैसे रखते हैं, उसका इस्तेमाल कर बैंक अपनी कमाई करता है. इसीलिए खाते में रखे उन पैसों के बदले बैंक आपको ब्याज देता है. ब्याज की दर दिनों-दिन गिरती जा रही है. बचत खाते पर कभी तकरीबन 8% ब्याज मिला करता था. फिर घटकर 6% हो गया. अब ज़्यादातर बैंक 4% ब्याज देते हैं. यस बैंक सेविंग्स अकाउंट पर सबसे ज़्यादा 6 फीसद ब्याज देने का खूब प्रचार करता है. लेकिन इस ऐड में शर्तों वाले सितारे जुड़े होते हैं. नियम और शर्तें लागू टाइप्स. शर्त ये है कि अगर बचत खाते में 1 लाख से ज़्यादा पैसे जमा हैं, तो उस पर 6% ब्याज मिलेगा. 1 लाख से कम पैसा रखने वालों को वही 4% इंटरेस्ट मिलेगा.
जो लोन बैंक देता है, उस पर लगने वाला ब्याज बढ़ता जा रहा है
बैंक कई तरह के लोन देता है. होम लोन. कार लोन. बाइक लोन. एजुकेशन लोन. पर्सनल लोन. गोल्ड लोन. बिज़नेस लोन. क्रेडिट कार्ड के ज़रिए भी हम छोटे-छोटे कर्ज़ ही ले रहे होते हैं. इन सब पर अलग-अलग तरह का ब्याज वसूला जाता है. ब्याज की दर बढ़ती जाती है. ऐसा नहीं कि सभी बैंकों की ब्याज दरें एक जैसी हों. ICICI बैंक 8.35% की दर से होम लोन देता है. कार लोन पर ICICI 9.75% ब्याज लेता है. पर्सनल लोन पर इंटरेस्ट रेट 10.99% है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) 8.35% ब्याज पर होम लोन देता है. GST आने के बाद होम, पर्सनल और ऑटो लोन महंगा नहीं हुआ है. उन पर सर्विस टैक्स नहीं लगाया गया है. हां, लोन के आवेदन को आगे बढ़ाने और उस पर कार्रवाई करने के लिए बैंक जो प्रोसेसिंग फीस लेता है, वो महंगी हो गई हैं.
बैलेंस जांचना और मिनी स्टेटमेंट लेना भी मुफ्त नहीं
खाते में मौजूद बैलेंस की जांच करना, एटीएम का पिन बदलना और मिनी स्टेटमेंट लेना ‘गैर वित्तीय’ (नॉन-फाइनेन्शियल) गतिविधियों में गिने जाते हैं. मिनी स्टेटमेंट में आपके बैंक खाते में मौजूद रकम और पिछले कुछ ट्रांज़ेक्शन्स की जानकारी होती है. माने पिछली बार कब कितना रुपया आया. कितना निकाला गया. कई निजी बैंक इसके लिए भी ग्राहक से पैसे लेते हैं.
GST के बाद और महंगी हुई है बैंकिंग
1 जुलाई से GST (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स) लागू होने के बाद बैंकिग सेवाएं और महंगी हुई हैं. पहले इन पर 15% टैक्स लगता था. अब इसे बढ़ाकर 18% कर दिया गया है. पहले ग्राहक को 100 रुपए के ट्रांज़ेक्शन पर जितने रुपए देने होते थे, अब उससे 3 रुपए ज़्यादा खर्च करने होंगे. एटीएम से होने वाला लेन-देन, क्रेडिट और डेबिट कार्ड्स, इंश्योरेंस प्रीमियम और लोन की किस्त पर पहले 15% सर्विस टैक्स देना होता था. सर्विस टैक्स मतलब उस सुविधा को इस्तेमाल करने के एवज में दिया जाने वाला शुल्क. चेक बुक और डिमांड ड्राफ्ट्स जैसी सुविधाएं भी महंगी हुई हैं. फिक्स्ड डिपॉज़िट, बैंक अकाउंट डिपॉज़िट जैसी कुछ सुविधाएं फिलहाल GST से बाहर रखी गई हैं.
बैंक ट्रांज़ेक्शन से जुड़े कुछ नियमों पर गौर कीजिए:
– HDFC, ICICI और एक्सिस जैसे निजी बैंक महीने में 4 बार मुफ्त ट्रांज़ेक्शन की सुविधा देते हैं. इसके बाद जब भी आप अकाउंट में पैसे जमा करेंगे या निकालेंगे, तो एक सीमा से ऊपर हर ट्रांज़ेक्शन पर बैंक 150 रुपए लेगा. मिसाल के लिए HDFC बैंक में ये चार्ज 25,000 रुपए से ऊपर के ट्रांज़ेक्शन पर लगता है. इसमें सेस और अतिरिक्त टैक्स भी लगते हैं. तो कुल चार्ज 150 से ऊपर का बनेगा.
– HDFC तो बचत खाते के साथ-साथ सैलरी अकाउंट्स पर भी ये चार्ज लगाएगा.
– वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों के खातों पर ये शुल्क नहीं लगेगा.
– अगर आपके पास बेसिक सेविंग्स अकाउंट है, तो महीने में 4 बार पैसा निकालने पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा. पैसा जमा करने पर भी कोई शुल्क नहीं देना होगा.
 होम ब्रांच और नॉन-होम ब्रांच के नियमों में भी फर्क है. होम ब्रांच यानी जहां आपका खाता है. नॉन-होम ब्रांच मतलब उसी बैंक की किसी और ब्रांच से लेन-देन करना.
– ICICI महीने में 4 बार होम ब्रांच से पैसा निकालने पर कोई शुल्क नहीं लेता. उसके बाद प्रति 1,000 रुपए पर 8 रुपए का शुल्क वसूला जाता है. थर्ड पार्टी लेन-देन की सीमा घटाकर 50,000 रुपए प्रति दिन कर दी गई है.
– नॉन-होम ब्रांच से पैसा निकालने पर ICICI पहला ट्रांज़ेक्शन मुफ्त करने देता है. उसके बाद प्रति 1,000 रुपए पर 8 रुपए का अतिरिक्त चार्ज लगाया जाता है. इस तरह के लेनदेन पर बैंक आपसे एक महीने में ज़्यादा से ज़्यादा 150 रुपए लेगा.

ग्राहक पंचायत की मांग पर खाते में औसत बैलेंस 5000 रुपए रखने के फैसले पर फिर से सोच रहा है एसबीआई

ग्राहक पंचायत की मांग पर खाते में औसत बैलेंस 5000 रुपए रखने के फैसले पर फिर से सोच रहा है एसबीआई
सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा कि वह ग्राहकों की प्रतीक्रिया मिलने के बाद मासिक औसत राशि बरकरार नहीं रखने पर लगने वाले शुल्क की समीक्षा कर रहा है. बैंक के प्रबंध निदेशक (राष्ट्रीय बैंकिंग समूह) रजनीश कुमार ने कहा, ‘‘हमें इस संबंध में उपभोक्ताओं की प्रतिक्रियाएं मिली हैं और हम उनकी समीक्षा कर रहे हैं. बैंक उन्हें ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लेगा.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम आंतरिक स्तर पर विमर्श कर रहे हैं कि क्या वरिष्ठ नागरिकों या विद्यार्थियों जैसे उपभोक्ताओं की कुछ निश्चित श्रेणी के लिए शुल्क में सुधार की जानी चाहिए या नहीं. ये शुल्क कभी भी पत्थर की लकीर नहीं होते हैं.’’
एसबीआई ने पांच साल के अंतराल के बाद इस साल अप्रैल में मासिक औसत बैलेंस बरकरार नहीं रखने पर शुल्क को फिर से लागू किया था. इसके तहत खाते में मासिक औसत नहीं रख पाने पर 100 रुपये तक के शुल्क और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का प्रावधान किया गया था. शहरी इलाकों में मासिक औसत बैलेंस पांच हजार रुपये तय किया गया था. इसके 50 प्रतिशत कम हो जाने पर 50 रुपये और जीएसटी का तथा 75 प्रतिशत कम हो जाने पर 100 रुपये और जीएसटी का प्रावधान था. ग्रामीण इलाकों के लिए मासिक औसत बैलेंस 1000 रुपये तय किया गया था तथा इससे बरकरार नहीं रखने पर 20 से 50 रुपये और जीएसटी का प्रावधान किया गया था.
कुमार ने कहा कि बैंक के पास 40 करोड़ से अधिक बचत खाते हैं. इनमें से 13 करोड़ बैंक खाते बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट या प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत हैं. इन दोनों खातों को मासिक औसत बैलेंस की शर्त से बाहर रखा गया था. उन्होंने कहा कि शेष 27 करोड़ खाताधारकों का 15-20 प्रतिशत मासिक औसत राशि नहीं रखते हैं. बैंक ने मई महीने के लिए मासिक औसत राशि की शर्त को लेकर 235 करोड़ रुपये का शुल्क वसूला था.
उल्लेखनीय है कि ग्राहक पंचायत द्वारा संपूर्ण देश भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया गया था ताकि ग्राहकों पर शुल्क की बढ़ोत्तरी वापस ली जा सके ।

Thursday, September 14, 2017

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expoge for panchyat work

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consumer voice: किसी ने ऑनलाइन पैसे निकाल लिए, तो ऐसे मिलेंगे आपके...

consumer voice: किसी ने ऑनलाइन पैसे निकाल लिए, तो ऐसे मिलेंगे आपके...: नरेंद्र पाल एक सरकारी स्कूल में टीचर हैं. चंडीगढ़ के पास जीरकपुर में रहते हैं. एक रात 12 बजने के कुछ पहले उनके फ़ोन पर एक SMS आया. इसमें कु...

lok vani

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village panchyat audit report

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स्कुलो में व्याप्त अनियमितताओं के सम्बन्ध में

स्कुलो में व्याप्त अनियमितताओं के सम्बन्ध में
दिनांक १४ सितम्बर २०१७
मण्डल आयुक्त ,
अलीगढ मण्डल , अलीगढ
महोदय ,
विगत दिनों देश के गुरुग्राम स्थित एक बहुत ही प्रतिष्ठित विद्यालय में एक ७ वर्षीय छात्र की ह्त्या एवम दिल्ली में एक छात्र के साथ स्कुल के ही एक कर्मचारी द्वारा यौन उत्पीडन एवम अन्य घटनाए प्रकाश में आई है I
अलीगढ के भी अभिभावकों में ये सभी खबरे बहुत ही चिंताए उत्पन्न कर रही है , कारण यहाँ के सभी महंगे महंगे प्राइवेट स्कुल बच्चो की सुरक्षा पर बहुत ही उदासीन है एवम जमकर सभी तरह के मानको की अवज्ञा कर रहे है , जिनमे प्रमुख
१ सभी स्कुल में मानको के विपरीत एक क्लास में बहुत अधिक संख्या में छात्र छात्राओं का पठन पाठन एक ही सेक्शन में 60 / 70 छात्र छात्राए , जो की मानको के विपरीत है I
२ मनमाने ढंग से बिना किसी गाइड लाइन को अनुसरण किये फ़ीस में बढ़ोत्तरी करना I
३ स्कुल परिसर में सभी जगह यहाँ तक की क्लास रूम में भी CCTV कैमरे लगवाना I
४ स्कुल बसों का मानको के विपरीत संचालन , जिसमे
क. वाहनों को संचालन करने वाले ड्रावर कंडक्टर का किसी तरह का सत्यापन न करवाना I
ख. खटारा बसों , टेम्पो या वेन में उनकी क्षमता से अधिक बच्चो को ठूंस ठूस कर भरना
ग. अनाध्रिकित रूप से LPG से वाहनों का संचालन I
घ. यातायात पुलिस या परिवहन विभाग द्वारा समय समय पर इनकी कोई भी चेकिंग न करवाना I
५ स्कुल परिसर में वाहन पार्किंग की सुविधा न होना एवम वाहन चालाक ड्राइवर / कंडक्टर के लिए कोई सुविधा का निर्माण न करना I
६ स्कुल परिसर में छात्रो एवम स्टाफ के लिए अलग अलग शौचालय की सुविधा I
७ स्कुल परिसर में छात्र एवम छात्राओं के लिए अलग अलग शौचालय एवम छात्राओं के शौचालय में महिला सफाई कर्मचारी की नियुक्ति I
८ स्कुल में अग्निशमन एवम प्राथमिक चिकित्सा हेतु कोई व्यवस्था न होना I
इसके अलावा
1. इनको संचालित करने वाली सोसाइटी नियम विरुद्ध है I
2. इन स्कुल में कोई भी ट्रेंड शिक्षक नहीं है , और जो रखे गए है उनको भी नियमानुसार तनखाह एवम अन्य सुविधा कर्मचारी राज्य बीमा तथा भविष्य निधि की सुविधा नहीं है I
3. सबसे अहम् इन प्राइवेट स्कुल में RTE की घोर अवज्ञा , इनमे नियमानुसार गरीब तबके के बच्चो का दाखिला नहीं दिया जाता I
इन सबके लिए कही न कही सरकारी स्कुलो में फैली हुई अव्यवस्था भी है , जहां शिक्षा विभाग द्वारा जम कर भ्रष्टाचार किया जा रहा है , जहां बहुत अच्छी पगार पाने वाले शिक्षक भी या तो स्कूले में जाते ही नहीं या फिर सही तरीके से नहीं पढ़ाते I
आप मण्डल में सर्वोच्च एवम सक्षम अधिकारी है , अतः हम आपसे अनुरोध करते है कि सभी स्कुल में जिला विद्यालय विभाग द्वारा आवश्यक आदेश निर्गत करवाते हुवे उपरोक्त सभी को लागू करवाए एवम प्रत्येक स्कुल में समय समय पर सभी सुरक्षा एवम अन्य आवश्यकीय सुविधा की जांच हेतु एक कमिटी का गठन भी करवाए जिसमें शहर में कार्यरत सामाजिक संगठन के प्रतिनिधि / प्रतिष्ठिल लोग भी हो जो की स्कुलो का समय समय पर निरीक्षण कर सभी सुविधाओं को दुरुस्त करवाए I
वृहत्तर समाज हित में आप आपेक्षित कार्यवाही करेंगे एवम अपने स्तर से भी समय समय पर स्कुलो की आकस्मिक चेकिंग करवा कर, सभी अभिभावकों को उपकृत करेंगे इसी प्रार्थना के साथ , सधन्यवाद
भवदीय
ट्रेप ग्रुप आफ आर टी आई एक्टिविस्ट ,
अध्यक्ष , ई विक्रम सिंह , 094127 32908
अलीगढ अभिभावक एसोशिएशन (रजि) ,
अध्यक्ष , उमेश श्रीवास्तव , 090581 29523
वात्सल्य सेवा संस्थान (पंजी) ,
अध्यक्ष , आलोक वार्ष्णेय , 098373 31535
आर्ट आफ लिविंग ,
प्रशिक्षक , मुनीश जैन , 099270 05038
भारत स्वाभिमान ट्रस्ट ( पतंजलि ) ,
अध्यक्ष , राकेश कुमार शर्मा , 094122 72780
प्रतिलिपि
1.जिलाधिकारी , अलीगढ
2.जिला विद्यालय निरीक्षक , अलीगढ

Wednesday, September 13, 2017

Unfair treatment of bank customers

Dr Urjit Patel
Governor,
Reserve Bank of India
Sub: Unfair treatment of bank customers
 Dear Dr Patel,
We, a group of bank consumers and non-governmental organisations (NGOs) are disturbed at the unfair treatment that bank customers suffer in the form of frequent, arbitrary and one-sided increase in banking charges, or the refusal of banks to automatically pass on contractual benefits such as lower interest to those with floating rate home loans, or the rampant mis-sellling of third-party products such as insurance.
 The attached memorandum is the consensus view of a group of knowledgeable consumer activists, policy watchers, bankers, and trade unions, request urgent policy changes to ensure that banks treat bank customers fairly.
Dr Patel, we are confident you will have the memorandum examined and initiate action at the earliest. We look forward to active engagement and a line of acknowledgement from your office
Memorandum
The Reserve Bank of India (RBI) as the banking regulator has been proactive in improving the customer service rendered by banks. However, the RBI has not taken banks to task on the many customer-unfriendly practices that are increasing with impunity.
Over the years, the RBI has remained silent on several anti-depositor actions of banks. The Banking Ombudsman's rulings also tend to side with banks, making no attempt to observe the pattern of complaints which would amply bring out rampant mis-selling of insurance and wealth management products. We have identified some specific areas and request RBI’s intervention to take corrective steps after engaging with customers. 
1.     Digital Payments: While the Union Government is pushing consumers into digital transactions, we are not adopting global best practices to protect consumers. On 11 August 2016 (https://www.rbi.org.in/scripts/bs_viewcontent.aspx?Id=3235) the RBI issued a draft circular on limiting customer liability and shifting the onus of proving customer fault on banks.  RBI had sought feedback from public before 31 August 2016. However, it has not yet been converted into a Master Circular.
 We feel that with the increased use of digital payments post the demonetisation drive, it is necessary to have in place a mechanism or system to protect customers from unauthorised banking transactions. A Master circular/notification by the Reserve Bank on limiting liability in an unauthorised banking transaction will make a huge impact on protecting customers from frauds.
2.      Bank Account Number Portability: We feel effective portability of bank accounts is a good anti-dote to several restrictive practices followed by the banks. This has been successfully implemented in the telecom sector and helped consumers. No practical portability option exists at present due to tie in primarily due to standing instructions for both incomes (pensions, annuities, dividends, interest) and expenses (utilities etc.) and the difficulties associated with changing those standing instructions.
Portability of loan exists on paper, but has to be made easier and seamless to execute without imposing fiscal and non-fiscal burden on the consumer.
 The Prime Minister’s Awas Yojana now provides interest subsidy to loan taken by eligible households. Allowing lenders to overcharge for such loan consumers is allowing them to appropriate this subsidy provided from taxpayers’ funds. It is the duty of the government and regulators to ensure that the lenders do not appropriate this taxpayers’ money by overcharging the borrowers and create barriers when the borrower wants to shift this loan.
3.     Unfair agreements: Banks cannot have one-sided terms and conditions in their agreements with consumers. One-sided loan agreements with details buried in the fine print are bleeding customers. The Reserve Bank, in its communication must be specific about barring the levy of unfair charges otherwise bankers take undue advantage and fleece consumers. A basic model agreement must be prescribed by the RBI to limit banks from harming customers.
4.     Charges: Frequent increase in charges and billing customers by stealth through opt-out clauses that are not noticeable must be stopped immediately. For e.g. HDFC Bank started levying charges for an invite only program, which unethically assumes that the customer is already in and willing to pay for it. The levy is stopped only when the consumer notices it and calls the bank to protest, this too is not an easy process.
 5.     Faulty Systems: Wrong emails being tagged by faulty algorithms of banks and finance companies, are leading to emails being sent to people who have no borrowing or accounts. This is a serious issue that will affect people's credit history; the use of such faulty algorithms and defeats the purpose of KYC and causes serious harassment.
 6.     Master Circular Changes: Frequent changes in the Master Circular or Notifications by RBI require banks to make changes in their Core Banking Systems.  This leads to high IT costs, which are ultimately passed on to consumers. The RBI must restrict changes in its circulars to 4 times a year to keep costs in check.
7.     Consumer Charter: The RBI issued the Charter of Customer Rights on 3 December 2014 recognising five basic rights of bank customers and asks banks to adapt and implement it after their Board's approval. These are: (i) Right to Fair Treatment; (ii) Right to Transparency; Fair and Honest Dealing; (iii) Right to Suitability; (iv) Right to Privacy; and (v) Right to Grievance Redress and Compensation.
The Charter covers almost every problem that consumers were likely to face. Three years later, the RBI has not fixed timeframes for grievance redressal nor announced penalties for failure to treat consumers fairly, despite repeated appeals by consumer groups. Consequently, the Charter remains a toothless statement.
A Master circular/notification by the Reserve Bank giving teeth to the Charter of Customer Rights with clear provisions fixing timelines for redressal and escalation, penalty for negligent service and interest/compensation to customers for losses caused due to mis-selling is urgently needed.
Yours truly,

Grahakjago (S.K.Virmani)©: Unethical business revenue by banks on account of ...

Grahakjago (S.K.Virmani)©: Unethical business revenue by banks on account of ...: An article titled "Do the charges for SMS services being charged by State Bank of India are ethical?" was written on the blog on...

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Grahakjago (S.K.Virmani)©: Digital payments- beginning of unfair banking prac...: Govt. of India came out with an idea to encourage Digital payments. The digital payment has an exponential growth during demonetization as...

Sunday, September 10, 2017

जर्मनी के इस नागरिक ने खुद को इंडियन बताकर तीन बार विधायकी के चुनाव जीत लिए


जर्मनी के इस नागरिक ने खुद को इंडियन बताकर तीन बार विधायकी के चुनाव जीत लिए



अपने देश में एक आदमी है. रहने वाला जर्मनी का है. उसके पास पासपोर्ट भी जर्मनी का है. नाम है रमेश चेन्नामनेनी. मन में तो ये सवाल उठ ही रहा होगा कि एक जर्मन नागरिक के बारे में इतनी तफसील से क्यों बताया जा रहा है. आपको जवाब भी दे देते हैं. रमेश चेन्नामनेनी नाम का ये आदमी तीन बार विधायक रह चुका है. राज्य है तेलंगाना, विधानसभा क्षेत्र है करीमनगर जिले का वेमुलावाडा और पार्टी है तेलंगाना राष्ट्र समिति. अरे वही के. चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस. जब गृह मंत्रालय को पता चला कि राज्य का एक विधायक जर्मनी का नागरिक है, तो अब उसकी सदस्यता खत्म कर दी गई है.

फर्जी कागज लगाकर खुद को बता दिया था भारतीय!

मेश से राजनैतिक रंजिश रखने वाले कांग्रेस पार्टी के ए श्रीनिवास ने बाद में बीजेपी जॉइन कर ली थी. श्रीनिवास ने 2009 में आरोप लगाया था कि रमेश ने फर्जी दस्तावेज के सहारे भारत की नागरिकता हासिल कर ली है. इसी आधार पर उन्होंने चुनाव के लिए नॉमिनेशन भी फाइल किया है. श्रीनिवास इस आरोप को लेकर हाई कोर्ट चले गए. हाई कोर्ट ने 13 अगस्त 2013 को आदेश दिया कि रमेश के पास दोहरी नागरिकता है, इस लिहाज से वो कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.

 संविधान कहता है- दोहरी नागरिकता हो तो नहीं लड़ सकते चुनाव

दोहरी नागरिकता का मतलब है कि एक ही आदमी के पास दो देशों की नागरिकता है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद साफ हो गया कि रमेश भारत और जर्मनी दोनों देशों के नागरिक हैं. भारतीय संविधान में नियम है कि अगर कोई भी आदमी दोहरी नागरिकता रखता है, तो वो भारत में चुनाव नहीं लड़ सकता है. चुनाव लड़ने के लिए उसे दूसरे देश की नागरिकता छोड़नी पड़ेगी.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

रमेश चेन्नामनेनी हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. 11 अगस्त 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने गृहमंत्रालय को मामला को देखने और इस पर फैसला लेने का निर्देश दिया. हालांकि गृह मंत्रालय ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया, जिसके बाद चेन्नामनेनी एपेक्स कोर्ट चले गए. यहां गृह मंत्रालय को एक हफ्ते में फैसला लेने का निर्देश दिया. 6 सितंबर 2017 को गृह मंत्रालय ने पाया कि रमेश के पास भारत की नहीं, जर्मनी की नागरिकता है. इसके बाद उनकी विधायकी खत्म करने का फैसला लिया.

1993 में ली थी जर्मनी की नागरिकता

चेन्नामनेनी 1993 में भारत से जर्मनी चले गए थे. वहां उन्होंने जर्मन महिला से शादी कर ली और जर्मनी की नागरिकता ले ली. इसके बाद उन्होंने भारत की नागरिकता छोड़ दी. चुनाव लड़ने के लिए चेन्नामनेनी भारत आ गए. 31 मार्च 2008 को उन्होंने भारतीय नागरिकता के लिए अप्लाई किया. बकौल चेन्नामनेनी 23 फरवरी 2009 को उन्हें भारत की नागरिकता भी मिल गई. भारतीय संविधान के भाग 2 के अनुच्छेद 5 से 11 में भारत का नागरिक होने की शर्तें बताई गई हैं. अनुच्छेद 10 कहता है कि किसी आदमी को 365 दिन यानी एक साल तक भारत में रहना होता है, तभी उसे इस देश की नागरिकता मिलेगी. चेन्नामनेनी का कहना है कि वो भारतीय नागरिकता के लिए अप्लाई करने से पहले एक साल तक भारत में रह चुके थे. हालांकि उनकी नागरिकता को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज देने वाले श्रीनिवास ने कोर्ट को बताया कि रमेश भारत में सिर्फ 96 दिन ही रहे थे और उसके बाद नागरिकता के लिए अप्लाई कर दिया था. इस लिहाज से उन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती है.

तेलुगू देशम पार्टी से लड़ा था पहला चुनाव



भारत आने के बाद रमेश ने अपना पहला चुनाव चंद्रबाबू नायडू की पार्टी से लड़ा था.

चेन्नामनेनी ने अविभाजित आंध्र प्रदेश में 2009 का विधानसभा चुनाव तेलुगू देशम पार्टी से लड़ा था. एक साल बाद चेन्नामनेनी ने पार्टी छोड़ दी और विधानसभा से इस्तीफा दे दिया. तेलंगाना राष्ट्र समिति जॉइन करने के बाद चेन्नामनेनी पुरानी ही सीट से उपचुनाव में उतरे और जीत हासिल की. 2013 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने चेन्नामनेनी का निर्वाचन रद कर दिया. चेन्नामनेनी एपेक्स कोर्ट पहुंचे और स्टे ले लिया. स्टे जारी करने के दौरान एपेक्स कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया था कि चेन्नामनेनी विधानसभा चुनाव में वोट नहीं डाल सकते हैं. जब स्टे प्रभावी था, उसी दौरान 2014 में विधानसभा के चुनाव हुए और चेन्नामनेनी ने तीसरी बार चुनाव में जीत हासिल की.

अकाउंट से कट गए.. लेकिन ATM से नहीं निकले पैसे, तो ऐसे पाएं वापस




दिल्ली के मयूर विहार फेस वन में रहने वाले अमित कुमार चौहान ने तीन बार एटीएम से दस हजार रुपए निकालने की कोशिश की. दो बार सॉरी की पर्ची बाहर आई पर तीसरी बार बैंक स्टेटमेंट में दस हजार की कटौती दिखाई गई जबकि पैसे इस बार भी नहीं निकले. लेकिन उनकी समस्या तब और बढ़ गई जब बैंक ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया और ट्रांजैक्शन को सफल बताया. 

बैंक ने नहीं मानी गलती: अमित चौहान की जब अपनी समस्या लेकर बैंक पहुंचे तो मैनेजर ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया और ट्रांजैक्शन को सफल बताया. इसको लेकर अमित ने बैंक के नोडल ऑफिस को मेल कर शिकायत दर्ज कराई. लेकिन समस्या का समधान नहीं हुआ.

ओम्बड्समैन ऑफिसर करेगा आपकी मदद: एटीएम संबंधी किसी भी शिकायत के लिए आप ओम्बड्समैन के पास जा सकते हैं, जो बैंक संबंधी मामलों की शिकायत की सुनवाई करता है. ओम्बड्समैन बैंक से रोजाना का लेखा-जोखा मंगाकर सही स्थिति की जांच करते हैं और किसी के गलती कर बच निकलने की गुंजाइश बिल्कुल नहीं बचती.

कन्जयूमर कोर्ट में कर सकते हैं शिकायत: बैंकिंग के मामले में कन्जयूमर कोर्ट भी आपकी मदद कर सकती है, जो आपके पास एक अतिरिक्त विकल्प है.

Saturday, September 9, 2017

रूप मंत्रा क्रीम , कैप्सूल व फेसवास के भ्रामक विज्ञापनों से ग्राहक सावधान रहे

ग्राहक अलर्ट -

रूप मंत्रा क्रीम , कैप्सूल व फेसवास के भ्रामक विज्ञापनों से ग्राहक सावधान रहे । ग्राहक पंचायत की शिकायत पर विज्ञापन को भ्रामक घोषित कर हटाने हेतु निर्देशित किया गया।

ग्राहक पंचायत ग्वालियर द्वारा एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया को शिकायत की गई थी कि रूप मंत्रा ब्रांड द्वारा फिल्म अभिनेत्री प्रीति जिंटा से अपने ब्रांड का विज्ञापन ,अखबारो व tv में प्रकाशित करवाकर ग्राहकों को भ्रमित कर अपने उत्पाद खरीदने के लिए प्रेरित किया जा रहा है । भ्रामक विज्ञापन दैनिक भास्कर ग्वालियर के 10 जून 2017 के अंक में प्रकाशित हुआ था ।

सीसीसी ( कंजूमर केयर काउंसिल ) ने प्रिंट विज्ञापन और शिकायत पर सावधानीपूर्वक विचार किया निष्कर्ष निकाला कि -

सुंदरता से जिंदगी में मुसकान और उत्साह आने दे" "सिर्फ हल्दी चंदन ही नहीं" रूपमंत्र आयुर्वेदिक क्रीम मैं है एलोवेरा द्राक्षा तुलसी और मुलेठी जेसी 12 जड़ी बूटियों का अद्वैतिया संतुलित मिश्रण जो आपके चेहरे का रंग भितर से निखारने व चमकाने में आती सहायक है! यह डार्क सर्कल्स व झाइयो को कम करके आपके रंग को साफ रखने में मदद करता है " झुरिया, झाय्या, काले गेरे, सालापन, बेजान त्वचा "की सुरक्षा में सहायक । आदी तथ्य
उत्पाद की प्रभावकारिता के आंकड़ों के साथ प्रमाणित नहीं थे, और अतिशयोक्ति से गुमराह करने वाले होकर झूठे है ।

इसके अलावा, विज्ञापन चित्र में जो कि सेलिब्रिटी प्रीति जिंटा के काले रंग का रंग 3 सप्ताह में गोरा हो रहा है, चित्र अतिशयोक्तिपूर्ण होकर ग्राहकों को गुमराह कर रहा है । विज्ञापन ने एएससीआई संहिता के अध्याय I.1 और I.4 का उल्लंघन किया ।
विज्ञापन को वापस लेने या संशोधित करने हेतु कहा गया ।

ग्राहक पंचायत सभी ग्राहकों से अनुरोध करता है कि रूप मंत्रा क्रीम के विज्ञापन से प्रभावित होकर क्रीम , केप्सूल , फेसवॉश खरीदे जाने पर विज्ञापन में दर्शाए गए दावों के अनुसार निष्कर्ष न निकलने पर ग्राहक इस संबंध में क्षतिपूर्ति हेतु राज्य उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज करा कर क्षतिपूर्ति प्राप्त कर सकता है ।

भ्रामक विज्ञापनों से किसी प्रकार का नुकसान होने की स्थिति में ग्राहक पंचायत को भी अवगत करा सकते हैं ।

भ्रामक विज्ञापनों  से सतर्क रहें - आर्थिक नुकसान से बचे ।


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Friday, September 8, 2017

विषय : केंद्र सरकार द्वारा ट्रांजेक्शन पर अधिक चार्ज लगाने एवं खाते मे न्यूनतम बेलेन्स की लिमिट बढ़ाने के विरोध मे ।

अ भा ग्राहक पंचायत भोपाल
ज्ञापन
मा प्रधानमंत्री भारत सरकार
दिल्ली
विषय : केंद्र सरकार द्वारा ट्रांजेक्शन पर अधिक चार्ज लगाने एवं खाते मे न्यूनतम बेलेन्स की लिमिट बढ़ाने के विरोध मे ।
महोदय,
अ भा ग्राहक पंचायत ग्राहकों के हितों के लिए पूरे देश मे काम करता है । ग्राहक संरक्षण हेतु समय समय पर सरकार को ग्राहक विरोधी नीतियों से अवगत कराने का काम ग्राहक पंचायत द्वारा किया गया। इसी बात को ध्यान में रखकर ग्राहक पंचायत के कार्यकर्ताओं ने पूरे देश भर में केस लेस व्यवस्था पर अपनी नजर लगातार बनाए रखी और इस प्रणाली पर ग्राहकों को किस प्रकार की समस्या से जूझना पड़ रहा है और इस व्यवस्था की पूर्ण ना होने के कारण से सरकार को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है। बैंक की ग्राहक विरोधी नीतियों के कारण से आर्थिक नुकसान हो रहा है ग्राहक जब कैशलेस सोसायटी की ओर सरकार का सहयोग करना चाहता है तो बैंक की ग्राहक विरोधी नीतियां आड़े आती है। ट्रांजैक्शन पर चार्ज के नाम पर ग्राहकों को ठगा जा रहा है ग्राहक द्वारा ATM से बिल पेमेंट करने पर चार्ज लिया जाता है ATM से राशि निकालने पर चार्ज लिया जाता है खाते में न्यूनतम बैलेंस की सीमा बढ़ा दी गई है। यह निर्णय ग्राहक हित में नहीं है। सरकार को भी इससे हानी हो रहा है। व्यक्ति ट्रांजैक्शन चार्ज लगने के कारण से अपने खाते से एक बार में ही राशि निकाल लेता है। जो सरकार की मंशा थी कि व्यक्ति का पैसा उसके खाते में ही रहे और आवश्यकता अनुसार वो उसे उपयोग करे उस पर कही न कही धक्का लग रहा है। और केस लेस प्रणाली में रुकावट उत्पन्न हो रही है।
अ भा ग्राहक पंचायत द्वारा बैंक की ग्राहक विरोधी नीतियों को लेकर समाज के बीच में लगातार हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। इसमें लाखों की संख्या में लोगों ने अपनी सहमति दर्ज कराई है।
अतः माननीय प्रधानमंत्री जी से ग्राहक पंचायत का आग्रह है कि बैंक ट्रांजैक्शन पर लगने वाले सारे चार्ज समाप्त कर दिए जाएं एवं न्यूनतम बैलेंस राशि जो खाते में होना चाहिए उसकी लिमिट भी पहले जितनी हो। ट्रांजैक्शन समाप्त करने पर केस लेस सोसाइटी का जो सपना है आपका वह साकार होगा और देश प्रगति की ओर बढ़ेगा
धन्यवाद
भोपाल महानगर
सचिव ग्राहक पंचायत

Tuesday, September 5, 2017

170 ml की जगह 100 ml के कप में बेच रहे थे चाय 1 लाख ₹ जुर्माना

ग्राहक अलर्ट 

170 ml की जगह 100 ml के कप में बेच रहे थे चाय 1 लाख ₹ जुर्माना ।

विगत दिवस रेलवे की मुंबई की विजिलेंस टीम ने अचानक रतलाम रेलवे स्टेशन पर r.n. व्यास स्टाल ,मेसर्स होटल सनराइज और उजाला के नमकीन व अन्य स्टालों पर जांच की । 

पाया की 170 ML के कप में 150 ml की जगह 100 ML के कप में 60 से 70 ML चाय बेचीं जा रही है ।

रेलवे स्टेशन पर स्थित स्टाल संचालकों द्वारा इस प्रकार की लूट भारतवर्ष के प्रत्येक रेलवे स्टेशन पर की जा रही है । इस संबंध में ग्राहक अलर्ट रहे । इस प्रकार धोखाधड़ी का व्यवहार कर स्टॉल संचालकों द्वारा प्रत्येक दिन करोड़ों ग्राहकों से अरबों रुपए की ठगी की जा रही है ।

इस प्रकार की अनियमितता ध्यान में आने पर यात्रीगण तुरंत स्टेशन पर स्थित डिप्टी SS या ट्रेन में स्थित tc को शिकायत करें ।
अन्यथा इस संबंध में ग्राहक पंचायत को भी अवगत करा सकते हैं ।

पूरा दाम देने पर पूरा माल या वस्तु लेना ग्राहक का अधिकार है।

सतर्क रहें - आर्थिक शोषण से बचे

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Monday, September 4, 2017

SHAMEonORANGEBUSTOURS&TRAVELS

#SHAMEonORANGEBUSTOURS&TRAVELS
Orange Tours & Travels
Complaint on serious issue- PNR #5266502 Shiraz Ali - Compliant ticket # 127385
Date of travel - 28th Aug 2017.
From Trivandarum to Bangalore.
GUYS request you all to SHARE THIS VIDEO ON ALL PAGES AND YOUR WALL. PLEASE use the #SHAMEONORANGEBUSTOURS&TRAVELS on your post.