दिनांक ०९ मई २०१७
श्री राम नायक जी ,
माननीय राज्यपाल , उत्तरप्रदेश ,
राज भवन , लखनऊ
विषय : सूचना कानून के सम्बन्ध में
महोदय ,
हम आपका त्वरित ध्यान सूचना अधिकार कानून में उत्तरप्रदेश राज्य सूचना आयोग में की जाने वाली अनियमितता की तरफ आकृष्ट करना चाहते है
१. कानून की धारा २७ के अनुसार सक्षम सरकार को इस कानून के तहत कुछ नियम बनाने की शक्ति प्रदान की है , जो निम्नवत है
27 (2)(a) the cost of the medium or print cost price of the
materials to be disseminated under sub-section (4)
of section 4;
27 (2)(b) the fee payable under sub-section (1) of section 6
27 (2)(c) the fee payable under sub-sections (1) and (5) of
section 7;
27 (2)(d) the salaries and allowances payable to and the
terms and conditions of service of the officers and
other employees under sub-section (6) of section
13 and sub-section (6) of section 16
27 (2)(d) the procedure to be adopted by the Central
Information Commission or State Information
Commission, as the case may be, in deciding the
appeals under sub-section (10) of section 19; and
27 (2)(e) any other matter which is required to be, or may
be, prescribed
क. जिसका प्रयोग करते हुवे उत्तरप्रदेश शासन ने उत्तरप्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली, २०१५ बनाई |
ख. सूचना अधिकार कानून एवम इसके अंतर्गत बनाए गए नियमो के विरुद्ध उत्तरप्रदेश राज्य सूचना आयोग अपने अंतरिम आदेश या फाइनल आदेशो की प्रति के लिए अपीलकर्ता / शिकायतकर्ता से सिविल न्यायालयों की तरह नक़ल सवाल डालने के लिए बाध्य करता है , तथा रु 10/- की स्टाम्प भी लगवाता है और इस नक़ल सवाल के पश्चात भी आयोग के आदेश अपीलकर्ता / शिकायतकर्ता के पास नहीं भेजा जाता अपितु उसे ही आयोग में आकर लेना होता है |
ग. महोदय , लखनऊ से बाहर का व्यक्ति आयोग के आदेश को प्राप्त करने हेतु ३/४ दिन नहीं रुक सकता , और उसे आयोग के आदेशो की प्रति से वंचित ही रहना पड़ता है |
घ. महोदय , इस तरह से आदेश हेतु शुल्क प्रदान करने का न तो कानून में न ही नियमावली में कोई प्रावधान किया गया है |
ङ. महोदय , केन्द्रीय सूचना आयोग या अन्य किसी भी राज्य आयोग में ऐसी पद्धति प्रचलित नहीं है एवम आयोग के आदेश अपीलकर्ता / शिकायतकर्ता के पास स्पीड पोस्ट से पहुंचाया जाता है जिसके लिए किसी तरह का भी शुल्क लागू नहीं है |
२. उत्तरप्रदेश राज्य सूचना आयोग की कार्य प्रणाली भी काफी त्रुटिपूर्ण है, यहाँ कोई भी सूचना आयुक्त प्रातः ११ बजे से पहले नहीं आते तथा भोजनावकाश तक ही सुनवाई करते है , अतः उनका ज्यादा ध्यान सिर्फ तारीखे देने तक ही रहता है , अपील / शिकायत का निस्तारण की तरफ नहीं |
३. (क) उत्तरप्रदेश राज्य सूचना आयोग में अगर जन सूचना अधिकारी नहीं पहुंचता तो तारीख लगा दी जाती और एक एक अपील / शिकायत हेतु ८ / 10 तारीखे तक लग जाती है , वहीँ दूसरी तरफ अगर जन सूचना अधिकारी या उसका प्रतिनिधि पहुँचता है तथा अपीलकर्ता / शिकायतकर्ता नहीं पहुँचता तो फिर उसका तुरंत निस्तारण लोक प्राधिकरण के पक्ष में कर दिया जाता है / सूचना आयुक्त अपील / शिकायत के गुण दोष की परीक्षा ही नहीं करता |
(ख) आयोग के समक्ष अपील करते वक्त ही अपीलकर्ता सूचना प्राप्त होने से सम्बंधित सभी विवरण मय सभी संलग्नक प्रेषित किये जाते है , जिसके अध्ययन से ही अपीलकर्ता का पक्ष स्पष्ट हो जाता है , अतः आयुक्त दिए गए सभी दस्तावेजो के आधार पर निर्णय ले सकता है | आयोग के समक्ष तो यही प्रश्न रहेगा कि सूचना प्रदान की गई , या नहीं प्रदान की गई या फिर अधूरी दी गई , अतः आयुक्त को तो जन सूचना अधिकारी से ही पूछना आवश्यक है |
४. उत्तरप्रदेश एक बहुत बड़ा राज्य है जिसके कारण आम अपीलकर्ता / शिकायतकर्ता या फिर सरकारी विभाग के लोगो को सुनवाई हेतु बहुत समय और धन खर्च करना पड़ता है | जन सूचना अधिकारी का खर्च तो सरकार वहन करती है वहीँ अपीलकर्ता / शिकायतकर्ता को
अपना काम धंधा बंद कर अपने पैसे भी खर्च करने पड़ते है |
आपके सन्दर्भ हेतु यहाँ यह अप्रसांगिक नहीं की बहुत सारे राज्यों में सूचना आयोग की पीठे अलग अलग शहरों में स्थापित कर रखी है जिससे किसी को भी लम्बी यात्रा या खर्च नहीं करना होता , वहीँ केन्द्रीय सूचना आयोग तो अपने यहाँ वीडियो कांफ्रेस के जरिये ही सुनवाई करता है , जिससे अपीलकर्ता / शिकायतकर्ता का ही नहीं सभी सरकारी विभागों के खर्च की बहुत बड़ी राशि बच जाती है और अधिकारियों का समय भी |
अतः उत्तरप्रदेश राज्य सूचना आयोग को भी दुरुस्त करते हुवे इस कानून की मूल भावना के अंतर्गत सरकारों की गतिविधियों की पारदर्शक जानकारी सस्ती , सुगम एवम सरलता से जनता को प्राप्त हो , इस अनुरोध के साथ हम आपसे निम्न अनुरोध करना चाहते है |
क. राज्य सूचना आयोग द्वारा अपने आदेश में अपनाई जाने वाली असंवैधानिक प्रक्रिया बंद करवाई जाय तथा अपीलकर्ता को आयोग के फैसले निशुल्क स्पीड पोस्ट से प्रेषित किये जाय
ख. राज्य सूचना आयोग की पीठ ३/४ जगह अलग अलग स्थापित की जाए या फिर केन्द्रीय आयोग की तर्ज पर विडिओ कांफ्रेंस द्वारा सुनवाई की जाय |
ग. राज्य के सूचना आयुक्त अपील / शिकायतों का निस्तारण गुण दोष के आधार पर करते हुवे अनावश्यक तारीखों पर तारीख देकर नहीं टाले |
आशा है आप हमारे उपरोक्त सुझावों पर गंभीरता पूर्वक विचार कर अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुवे राज्य सरकार को आवश्यक निर्देश प्रदान कर इन सुझावों को कार्यान्वित करवाने की कृपा करे |
भवदीय ,
बिमल कुमार खेमानी , संरक्षक
ई विक्रम सिंह , अध्यक्ष , ट्रेप ग्रुप
प्रतिलिपि :
१. माननीय योगी आदित्यनाथ जी , मुख्य मंत्री , उत्तरप्रदेश शासन , लखनऊ
२. प्रशासनिक सुधार अनुभाग , उत्तरप्रदेश सरकार , लखनऊ
३. मुख्य सूचना आयुक्त , उत्तरपदेश राज्य सूचना आयोग , लखनऊ
४. प्रेस