Saturday, May 27, 2017

सरस्वती हॉस्पिटल का पंजीयन निरस्त

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ग्वालियर डॉक्टर एस एस जादौन द्वारा सरस्वती हॉस्पिटल का पंजीयन निरस्त करने हेतु नोटिस जारी किया ।
#ग्राहक पंचायत
पहलवान सिंह निवासी चिनोर द्वारा कुछ माह पूर्व अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ग्वालियर को शिकायत की गई थी कि उनके पिता रमेश कुशवाहा का उपचार सरस्वती हॉस्पिटल , कम्पू में किया गया और उपचार के दौरान 1लाख रुपए लिए गए। टांको से खून बहने की स्थिति में पहलवान के पिता को घर के लिए जबरन छुट्टी कर दी गई जबकि उसकी हालत मरणासन्न थी खून की उल्टी होने पर उन्हें सरस्वती हॉस्पिटल में पुनःभर्ती कराया जहां उपचार के दौरान रोगी रमेश कुशवाहा की मृत्यु दि,20/02/17 को हो गई ।
ग्राहक पंचायत ग्वालियर द्वारा पहलवान सिंह के माध्यम से अस्पताल के उपचार पेपर्स लिए गए, उपचार पेपर देखने पर ग्राहक पंचायत को ज्ञात हुआ कि सरस्वती हॉस्पिटल में गजराराजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर में कार्यरत शासकीय चिकित्सक डॉक्टर राजेश प्रजापति एसोसिएट प्रोफेसर सर्जरी विभाग एवं डॉक्टर अर्चना प्रजापति (अर्चना आर्य) निजी सरस्वती हॉस्पिटल का संचालन कर रहे है , और दुसरी और राज्य सरकार से वेतन भी प्राप्त कर रहे है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए ग्राहक पंचायत ग्वालियर द्वारा संबंधित डॉक्टर्स की शिकायत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ग्वालियर को की गई ।
Cmho द्वारा डॉ बिंदु सिंघल ब डॉ अमित रघुबंसी की कमेटी गठित की गई । कमेटी द्वारा शिकायत सही पाई गई की डॉ अर्चना ब डॉ राजेश प्रजापति शाशकीय चिकित्सक हो कर निजी हॉस्पिटल चला रहे है तथा अयोग्य बीएएमएस चिकित्सकों की सेवाएं ली गई एवम् अन्य अनियमितता पाई गई ।
कमेटी द्वारा सरस्वती हॉस्पिटल बंद करने की अनुशंसा की गई तथा इस संबंध में डॉ ss jadon cm&ho द्वारा हॉस्पिटल को बंद करने का निर्णय लेकर डॉ अर्चना आर्य संचालक सरस्वती हॉस्पिटल को नोटिस जारी किया गया
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खुल्मखुला लूट

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पोस्ट महिपाल सिंह रावत
भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस छोटी सी लड़ाई में साथ दे !
आज सफर करते समय रामनगर बस डिपो ड्राइवर द्वारा हमें एक ऐसे होटल Invitation Restaurant Garhmukteshwar /
Annapurna Dhaba Garhmukteshwar पर रुके जो कि "उत्तराखण्ड परिवहन रामनगर डिपो" द्वार अनुबन्धित है।तथा गाङी No UK 07PA0867 और रामनगर से दिल्ली गाड़ी इस होटल पर रुकी हमने कुछ नाश्ता करने के लिये सोचा और 4 प्लेट छोले भटूरे तथा 4 कोल्ड ड्रिंक का ऑर्डर दिया।और जब बिल हाथ मे आया तो। हम सभी हैरान थे छोले भटूरे के जो रेट मेनू कार्ड पर लिखे थे वे उस से कई गुना अधिक थे । तथा यही हाल कोल्ड ड्रिंक का भी था। हरएक बोतल पर उस के प्रिन्ट रेट से दो - तीन गुना चार्ज कर रहा था । तथा जब इस संबंध में ढाबा मालिक से बात की तो वो वैट और पता नहीं कौन कौन से टेक्स की बात कर रहा था।
हमने जो भी ऑर्डर किया था उस का पूरा बिल (रूपये) दे कर अपना पिंड उस होटल से छुडाया।
तथा साथ ही साथ इस बात की शिकायत बस ड्राइवर तथा कंडक्टर से की तो वह बोला ये तो इन का रोज का काम है इन ढाबे वालो का और कहने लगे कि हमें "रामनगर डिपो" के द्वारा सख्त निर्देश है । कि यहां पर गाडी रोकी जाए। अगर हम यहां गाडी नहीं रोकते है तो बस ड्राइवर और कंडक्टर को 1000/- रुपये का (टोटल 2000/-) प्रति चक्कर के हिसाब से जुर्माना देना पडता है डिपो में ।
मित्रो देख लीजिये किस प्रकार से खुले आम लूटाजा रहा है, यही हाल खतौली, मीरपुर, बिजनोर में भी है।और बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि ऐसे होटल "उत्तराखण्ड परिवहन निगम" द्वारा अनुबन्धित है । और मुझे लगा है कि इस तरह का वाक्य सिर्फ मेरे ही साथ हुआ है।मगर ऐसा नहीं था उस बस मे बैठे और 8 से 10 लोगो के साथ भी ऐसी ही खुल्मखुला लूट हुई थी।
जगह का नाम है : Garhmukteshwar गढगंगा
Address :
Invitation Restaurant Garhmukteshwar /
Annapurna Dhaba Garhmukteshwar
मित्रो इस पोस्ट को इतना आगे पहुचाओ कि ये घटना फिर किसी और के साथ न हो और परिवहन निगम इस होटल पर कुछ कार्यवाही जरूर करें।
M. S. Rawat
Ghaziabad ( U.P.)
9899182800

Thursday, May 25, 2017

Bad/Objectionable/Misleading Advertisement :

Bad/Objectionable/Misleading Advertisement :
Dear Consumers if you hear or view bad / objectionable/ misleading advertisement on Radio, TV or Print media then please make written complaint to Advertising and Standards Council of India on their website: www.ascionline.org
You can also make complaint on WhatsApp No 07710012345
All consumers please note this and help us to correct the system.
खोट्या, फसव्या व अश्लील जाहीराती ऐकल्या, पाहील्या वा वाचल्या असल्यास बिंधास्त लेखि तक्रार एडव्हर्टाईझींग स्टॅडर्डस काऊंसील आॅफ इंडीया च्या वेबसाइट वा व्हाट्स अप नं 07710012345 वर करा व ग्राहक राजा आहे हे दाखवुन द्या।
Consumer is king!
Vijay Sagar
President
Akhil Bhartiya Grahak Panchayat Pune Mahanagar Branch
634, Sadashiv Peth, Gole Complex,
Pune 411030

विषय : अलीगढ में अवैध कालोनी एवम अवैध निर्माण , जिम्मेदारी किसकी ?

दिनांक २५ मई २०१७
मुख्य मंत्री को खुला पत्र
माननीय योगी आदित्यनाथ जी ,
मुख्य मन्त्री , उत्तरप्रदेश , लखनऊ
विषय : अलीगढ में अवैध कालोनी एवम अवैध निर्माण , जिम्मेदारी किसकी ?
महोदय ,
विगत दिनों अलीगढ के समाचार पत्रों में प्रकाशित उपरोक्त विषय से सम्बंधित समाचार पढ़कर कोई आश्चर्य नहीं हुवा I ऐसा निश्चय ही उत्तरप्रदेश के अन्य शहरों में भी अवैध निर्माण जैसे बहुमंजिला इमारते / अवैध कालोनिया अवश्य ही बनाई गई होंगी I अतः इनका नियमितीकरण / ध्वस्तीकरण होना ही चाहिए I परन्तु यक्ष प्रश्न यह है कि प्रदेश में लम्बे समय से सुनियोजित विकास हेतु विकास प्राधिकरण बनाए गए है , जिनके शीर्ष पर प्रदेश के सबसे योग्य एवम दक्ष मानी जाने वाली सेवा से आये आइएस / पीसीएस अधिकारिओ को विराजमान किया जता है I अतः क्या इन अधिकारियों को शहर में आँखे खोलकर चलने की मनाही है , शहर में जब कभी अवैध निर्माण की पहली ईंट लगती है तो इन विभागों का जीव सूंघता हुवा मिनटों में वहाँ पहुँच जाता है I
अतः अवैध निर्माणों का नियमितीकरण अथवा ध्वस्तीकरण तो शायद होता रहेगा , परन्तु जिन अधिकारियों ( उपाध्यक्ष , टाउन प्लानर , सीनियर एवम जूनियर इंजिनियर आदि ) के कार्य काल में ये अवैध निर्माण विकसित हुवा उनकी सेवा का ध्वस्तीकरण शायद ही कभी हो पाए , क्यूंकि तन्त्र की इस श्रृंखला में इनके बिग ब्रदर इनकी रक्षार्थ तन्त्र की उच्च सोपान पर विराजमान है I
महोदय , क्या आपके कार्यकाल में भ्रष्टाचार के इन कु-कृत्यों के लिए सम्पूर्ण ध्वस्तीकरण नहीं तो कम से कम इनकी सेवा पुस्तिका में एक कील भी नहीं ठोकी जा सकती , जिससे कि भविष्य के लिए सनद रहे और वक्त ज़रूरत काम आये I
धन्यवाद सहित
भवदीय
ई विक्रम सिंह
ई मेल : vikram06@gmail.com
संलग्न : अखबार की खबर की छाया प्रति
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Monday, May 22, 2017

खाली पेट लीची खाने से मारे गए बच्चे

खाली पेट लीची खाने से मारे गए बच्चे
बिहार में रहस्यमयी तरीके से सैकड़ों बच्चों की मौत की वजह बनी बीमारी का पता चला है. वैज्ञानिकों का दावा है कि बच्चों की मौत खाली पेट लीची खाने से हुई..
1990 के दशक में बिहार में गर्मियों में बच्चों की अचानक मौत का सिलसिला शुरू हुआ. हर साल 100 से ज्यादा बच्चे एक ही तरीके से मारे जाने लगे. स्वस्थ होने के बावजूद उन्हें अचानक चक्कर आता, बदन अकड़ जाता और फिर वे बेहोश हो जाते. आधे बच्चे फिर कभी आंख नहीं खोल पाए. डॉक्टरों को पता ही नहीं चला कि ऐसा क्यों हो रहा है.
लेकिन अब अमेरिका और भारत के वैज्ञानिकों ने रहस्यमयी मौतों का कारण खोजने के दावा किया है. मेडिकल साइंस की पत्रिका 'द लैंसेट' में छपे शोध के मुताबिक बच्चे लीची के जहर हाइपोग्लिसिन से मारे गए.
बिहार का मुजफ्फरपुर जिला अपनी लीचियों के लिए मशहूर है. हर साल सीजन के दौरान दर्जनों मजदूर अपने परिवार के साथ बगीचे में ही रहते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक इस दौरान बच्चों ने अक्सर खाली पेट जमीन पर गिरी हुई लीचियां खायीं.
लीची में एक किस्म का विष हाइपोग्लिसिन होता है जो शरीर में ग्लूकोज के निर्माण को रोक देता है. शरीर में यह जहर जाते ही बच्चों के खून में शुगर की मात्रा अचानक गिर गई. रात में खाना न खाने की वजह से उनके शरीर में पहले ही बहुत कम ऊर्जा थी, ऊपर से शुगर लेवल के और नीचे गिरने से सेहत अचानक बिगड़ गई.
खाली पेट लीची खाकर जहर का शिकार हुए बच्चे अचानक चीखते और फिर अकड़कर बेहोश हो जाते. वैज्ञानिकों के मुताबिक मस्तिष्क में बहुत ही खतरनाक सूजन होने से ऐसा चलते होता था. मई और जून 2014 के दौरान मुज्जफरपुर के अस्पताल में भर्ती बच्चों की जांच के दौरान मस्तिष्क में सूजन का पता चला.
ऐसी ही बीमारी कैरेबियाई द्वीपों में भी सामने आ चुकी है. कैरेबियाई द्वीपों में एकी नाम के फल की वजह से ऐसा हो रहा था. एकी में भी लीची की तरह हाइपोग्लिसिन होता है जो शरीर को ग्लूकोज बनाने से रोकता है.
कैरेबिया में हुई रिसर्च के नतीजों को मुज्जफरपुर से मिलाने के बाद ही वैज्ञानिकों ने यह दावा किया. अब मुजफ्फरपुर के लोगों को बताया गया है कि वे अपने बच्चों को पक्के तौर पर रात में खाना खिलाएं. और बच्चों को ज्यादा लीची न खाने दें. अधिकारियों ने इस बात पर भी जोर दिया है कि हाइपोग्लिकैमिया या लो ब्लड शुगर के पीड़ित बच्चों को फौरन इमरजेंसी इलाज मिलना चाहिए.
खायें लेकिन संभलकर
सेब
एक सेब रोज, यह सलाह हर कोई देता है. लेकिन इसके बीज नहीं खाने चाहिए. सेब के बीज में एमिगडलिन होता है. पाचक रसों से मिलने पर यह हाइड्रोजन साइनाइड बना सकता है. इसीलिए बेहतर है कि सेब खाएं और उसके बीज नहीं.
आलू
बहुत ही लंबे समय तक रखे गए आलू को खाने से बचें. आलू के अंकुर में विषैला ग्लाइकोएल्केलायड होता है. कच्चे और हरे आलू को भी न खाएं. उसमें सोलैनिन होता है जो सेहत के लिए अच्छा नहीं होता.
फुगु मछली
जापान में फुगु मछली को लजीज माना जाता है. लेकिन इसे पकाने में बेहद सावधानी बरतनी पड़ती है. इस मछली के लिवर में टेट्रोडोटॉक्सिन होता है. यह साइनाइड से 1,200 गुना ज्यादा जहरीला होता है.
टमाटर
हरे टमाटर नहीं खाने चाहिए. इनमें भी सोलैनिन होता है. इसका सेवन करने से सिरदर्द और उल्टी की शिकायत हो सकती है.
जायफल
इसकी चुटकी भर मात्रा नुकसान नहीं पहुंचाती. लेकिन अगर एक बार में चार ग्राम से ज्यादा जायफल खाया जाए तो नाक बहने और सिरदर्द होने की समस्या हो सकती है. असल में जायफल में एलेमिसिन, मिरिस्टिसिन और सैफरोल तत्व होते हैं जो नशीले भी होते हैं.
बादाम
बहुत ज्यादा मात्रा में जंगली बादाम खाने से बचना चाहिए. ज्यादा सेवन से शरीर पर विषैला असर होता है. बादाम अगर कड़वा हो, तो ना खाएं.
जैतून का तेल
इसके कई फायदे हैं. लेकिन छोंक लगाने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. 180 डिग्री से ज्यादा गर्म होने पर ओलिव ऑयल के तत्व विषैले कपाउंड में बदलने लगते हैं.
ब्रेड
ब्रेड कई प्रकार की होती है. इन्हें आटे या मैदे से बनाया जाता है. लेकिन गूंथे हुए मैदे पर खमीर चढ़ने के दौरान पोटेशियम ब्रोमेट बनता है. हालांकि ब्रेड बनाने के दौरान यह ब्रोमेट ब्रोमाइड में बदल जाता है. लेकिन अगर ब्रेड बनाने में सावधानी न बरती जाए तो ब्रोमेट बरकरार रहता है और ट्यूमर जैसी घातक बीमारी दे सकता है.
Source- DW

Saturday, May 20, 2017

सब बर्बाद कर रहा मांस का जायका

सब बर्बाद कर रहा मांस का जायका
40 बड़े निवेशकों ने दुनिया भर की फूड कंपनियों से अपील की है कि वे शाकाहार को बढ़ावा दें. 1,250 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिकों का कहना है कि मीट खाने और बेचने के चक्कर में धरती बर्बाद हो जाएगी..
इंसान की खुराक में प्रोटीन की अहम भूमिका है. प्रोटीन शरीर में मांसपेशियों का निर्माण करता है. फिलहाल दुनिया भर में प्रोटीन का सबसे मुख्य जरिया मांस है. इसी वजह से फूड कंपनियों ने विशाल मीट उद्योग खड़ा कर दिया. लेकिन अब इसके नुकसान सामने आ रहे हैं. मुर्गियों और मछलियों को तेजी से बड़ा करने के लिए बहुत ज्यादा रसायनों का इस्तेमाल किया गया. सस्ता मीट बेचने की होड़ के चलते ऐसे ऐसे प्रयोग किये गए कि पर्यावरण और सेहत संबंधी परेशानियां खड़ी हो गई हैं.
अब बड़े निवेशक इस स्थिति को बदलना चाहते हैं. बीमा कंपनी अविवा समेत स्वीडन के कई सरकारी पेंशन फंड्स ने प्रमुख फूड कंपनियों को एक खत लिखा है. 23 सितंबर लिखी गई चिट्ठी में फूड कंपनियों से अपील की गई है कि वे पौधे से मिलने वाले प्रोटीन को बढ़ावा दें. खत क्राफ्ट हाइंज, नेस्ले, यूनिलीवर, टेस्को और वॉलमार्ट जैसी दिग्गज कंपनियों को भी भेजा गया है.
फॉर्म एनिमल इनवेस्टमेंट एंड रिटर्न इनिशिएटिव के संस्थापक जेरेमी कोलर के मुताबिक, "दुनिया की बढ़ती प्रोटीन की मांग को पूरा करने के लिए अगर फैक्ट्रियों में पाले जाने वाले मवेशियों का ही सहारा लिया गया तो वित्तीय, सामाजिक और पर्यावरणीय संकट उभरेगा." कोलर निवेश कंपनी कोलर कैपिटल के मुख्य निवेश अधिकारी हैं.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक अगर लोग मांस खाना कम कर दें तो 2050 तक सेहत और जलवायु संबंधी खर्च में 1500 अरब डॉलर की कमी लाई जा सकती है. शोध के मुताबिक मीट उद्योग पर नकेल कसने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है. डेनमार्क में रेड मीट पर टैक्स लगाने की योजना बन रही है. चीन सरकार अपने नागरिकों में मीट की खपत 50 फीसदी कम करना चाहती है.
ज्यादातर फू़ड कंपनियां प्रोसेस्ड मीट बेचती हैं. एंटीबायोटिक और प्रिजर्वेटिव से भरपूर यह मीट कैंसर और कई दूसरी बीमारियों को जन्म देता है. बूचड़खानों से निकलने वाला गंदा पानी भी एक बड़ी समस्या है. अमेरिका और कनाडा की कुछ नदियां तो मीट उद्योग के चलते बुरी तरह दूषित हो चुकी हैं. मीट उद्योग का कचरा भी बड़ा सिरदर्द है. यह दूसरे जीवों को भी बीमार करता है. बीते 10 सालों में दुनिया ने बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू और इबोला जैसी महामारियों का सामना किया है. ये सभी बीमारियां संक्रमित मीट से इंसान तक पहुंचीं.
रेड मीट
हल्की फुल्की मात्रा में रेड मीट का सेवन नुकसानदेह नहीं है, लेकिन उसकी अति नुकसान पहुंचाती है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की एक स्टडी के मुताबिक रेड मीट में एक प्रकार का सिलिसिक एसिड होता है जिससे कैंसर हो सकता है.
कार्बोनेटेड ड्रिंक्स
कोका कोला, पेप्सी और अन्य कार्बोनेटेड ड्रिंक्स में ना सिर्फ अत्यधिक चीनी होती है बल्कि बहुत सारा सोडियम भी होता है. इसके अलावा डायट सॉफ्टड्रिंक्स और भी हानिकारक होती हैं क्योंकि उनमें कृत्रिम स्वीटनर के इस्तेमाल के कारण सोडियम की मात्रा और भी ज्यादा होती है. अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक मानव मस्तिष्क इन पेय पदार्थों के ऊपर अपनी निर्भरता विकसित कर लेता है.
मैदा
मैदे में सफेदी ब्लीच की प्रक्रिया के कारण आती है. यह ब्लीच क्लोरीन गैस से की जाती है. इसी ब्लीच का इस्तेमाल तरल रूप में कपड़ों के लिए भी किया जाता है. इससे ना सिर्फ इस सफेद आटे में से सारा पोषण धुल जाता है बल्कि कैंसर का खतरा भी बढ़ता है.
नमकीन स्नैक
बहुत ज्यादा नमक वाले स्नैक से बचना चाहिए क्योंकि इनमें कैंसर पैदा करने वाले तत्व मौजूद होते हैं. चिप्स को कुरकुरा बनाए रखने के लिए निर्माता इसमें एक्रिलामाइड मिलाते हैं जो कि सिगरेट में भी पाया जाता है. इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के मुताबिक एक्रिलामाइड कैंसर पैदा करने वाली चीज मानी जाती है.
वेजिटेबल ऑयल
सूर्यमुखी से प्राप्त वेजिटेबल ऑयल को देखने में अच्छा बनाने के लिए कई बार रंगाई की प्रक्रिया से गुजारा जाता है. इस तेल में ओमेगा 6 फैटी एसिड होता है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है. लेकिन अगर अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल किया जाए तो ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा रहता है. ये नतीजे द जर्नल ऑफ क्लीनिकल इंवेस्टिगेशन में प्रकाशित किए गए.
प्रोसेस्ड मीट
सॉसेज और कॉर्न्ड बीफ जैसी चीजें खाने में बेशक लजीज होती हैं लेकिन इनमें नमक और प्रिजर्वेटिव की बड़ी मात्रा होती है. प्रोसेस्ड या संसाधित मीट को तैयार करने में इस्तेमाल किया जाने वाला सोडियम नाइट्राइट कैंसर पैदा कर सकता है.
नॉन ऑर्गेनिक फल
इस तरह के फलों को पैदा करने के लिए इस्तेमाल में होने वाले पेस्टिसाइड और नाइट्रोजन फर्टिलाइजर शरीर के लिए हानिकारक हैं. न्यूकासल यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों के मुताबिक इस तरह के फलों के नियमित इस्तेमाल से कैंसर का खतरा रहता है.
रिपोर्ट: आरजेडएन/एसएफ- DW

Friday, May 19, 2017

बीज पैदावार पंजीयन के बाद भी नहीं खरीदा धान, फोरम ने लगाया दो लाख हर्जाना #ग्राहक पंचायत

बीज पैदावार पंजीयन के बाद भी नहीं खरीदा धान, फोरम ने लगाया दो लाख हर्जाना
ग्राहक पंचायत
दुर्ग. प्रमाणित बीज पैदावार के लिए पंजीयन के बाद भी किसान से धान नहीं खरीदने के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने राज्य बीज निगम और प्रमाणीकरण संस्था के खिलाफ फैसला सुनाया। फोरम के आदेश के मुताबिक अब निगम व प्रमाणीकरण संस्था को नुकसान व हर्जाना के रूप में किसान को दो लाख से ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा। बालोद जिले के ग्राम परसाही खपरी के किसान बलराम साहू के परिवाद पर यह फैसला जिला उपभोक्ता फोरम ने सुनाया।
प्रमाणित बीज पैदावार कार्यक्रम
परिवाद के मुताबिक किसान बलराम साहू प्रमाणित बीज पैदावार कार्यक्रम के तहत वर्ष 2000 से लगातार बीज पैदा कर रहा है। 26 जून 2015 को भी इसी मकसद से वह बीपीटी 520207 श्रेणी का तीन क्विंटल बीज 1850 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से 5550 रुपए में खरीदा था। योजना के तहत बीज उत्पादन के लिए 6 जुलाई को 1415 रुपए फीस देकर प्रक्रिया प्रभारी राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम से पंजीयन कराया।
पंजीयन के बाद अधिकारी निरीक्षण करने नहीं आए
बीज उत्पादन की शर्त के मुताबिक प्रबंध संचालक राज्य प्रमाणीकरण संस्था और बीज निगम की निगरानी में खेती करना होती है, लेकिन पंजीयन के बाद दोनों संस्था के अधिकारी धान का निरीक्षण करने नहीं आए। रिमांइडर पर भी अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया और बाद में बीज की खरीदी से भी इंकार कर दिया। इससे किसान को नुकसान उठाकर बीज सामान्य दर पर बेचनी पड़ी।
जनदर्शन में फरियाद का भी असर नहीं
किसान ने परिवाद में बताया कि दोनों संस्थानों के अधिकारियों को बार बार ध्यान दिलाए जाने के बाद भी निरीक्षण नहीं किया गया तो उसने कलक्टर जनदर्शन में भी शिकायत की। इसके बाद भी न तो अफसर निरीक्षण को आए और न ही धान की खरीदी की गई।
संस्था का जवाब पंजीयन निरस्त का है अधिकार
फोरम में सुनवाई के दौरान दोनों संस्थाओं के प्रमुखों ने अपना पक्ष रखा। जिसमें बताया गया उन्हें पंजीयन निरस्त करने का अधिकार है। चूंकि किसान ने फसल का निरीक्षण नहीं कराया, इसलिए धान की खरीदी नहीं की गई। धान की खरीदी नहीं करना सेवा में कमी की श्रेणी में नहीं आता।
फोरम ने कहा दोनों करें 2.05 लाख भुगतान
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फोरम ने प्रमाणीकरण संस्था के प्रबंधन संचालक व बीज निगम के प्रक्रिया प्रभारी को आदेश दिया कि दोनों को संयुक्त रूप से नुकसान की राशि एक लाख 44 हजार 400, खेती में खर्च 40 हजार, पंजीयन शुल्क 1415 रुपए और क्षतिपूर्ति 20 हजार रुपए भुगतान करना होगा।

चलती ट्रेन में आरक्षित बोगी से मोबाइल चोरी, फोरम ने रेलवे पर लगाया 50 हजार हर्जाना

चलती ट्रेन में आरक्षित बोगी से मोबाइल चोरी, फोरम ने रेलवे पर लगाया 50 हजार हर्जाना
ग्राहक पंचायत
दुर्ग. चलती ट्रेन की आरक्षित एसी बोगी से मोबाइल चोरी के मामले में उपभोक्ता फोरम ने रेलवे के खिलाफ आदेश पारित किया है। आदेश के मुताबिक अब रेलवे को बुजुर्ग को मोबाइल की कीमत के साथ 50 हजार रुपए हर्जाना भी देना होगा। आरक्षित बोगी से चोरी को सेवा में कमी का परिणाम मानते हुए फोरम ने यह आदेश पारित किया है।
बिजली विभाग के सेवानिवृत्त ईई ने लगाया परिवाद
चोरी की घटना व इससे हुई परेशानी से आहत विद्युत नगर निवासी बिजली विभाग के सेवानिवृत्त ईई राधेश्याम अग्रवाल ने उपभोक्ता फोरम में परिवाद लगाया था। जिसमें बताया गया था कि वे 12 नवंबर 2015 को दुर्ग व इलाहाबाद के बीच नवतनवा एक्सपे्रस के सेकंड एसी में सफर कर रहे थे। इस दौरान किसी ने उनका 8600 कीमत की मोबाइल पार कर दिया।
कटनी जीआरपी में रिपोर्ट
इसकी सूचना उन्होंने सतना रेलवे स्टेशन में लिखित रूप से टीटीई और कोच अटेंडेंट को दिया, लेकिन दोनों ने ध्यान नहीं दिया। इस पर उन्होंने कटनी जीआरपी में रिपोर्ट भी दर्ज कराई।
ईई ने यह किया था दावा
ईई ने बताया था कि वह मोबाइल तकिए के पास रखकर सोया था। चूंकि वे आरक्षित बोगी में थे इसलिए कोच में कोई भी गैर जरूरी आदमी नहीं आए यह सुनिश्चित करना रेलवे की जिम्मेदारी थी। ईई ने इसे सेवा में कमी करार देते हुए रेलवे जीएम, डीआरएम और स्टेशन मास्टर को पक्षकार बनाया था।
रेलवे का बचाव में यह जवाब
मामले में रेलवे का कहना था कि आरक्षित बोगी में टीटीई व अटेंडेंट के अलावा कोई नहीं जा सकता। चूंकि परिवादी ने तकिया के नीचे मोबाइल रखा था यह उनकी लापरवाही है। वहीं रेलवे में किसी भी कीमती सामान के साथ बिना बुकिंग यात्रा प्रतिबंधित है। इसलिए वे मोबाइल के गायब होने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
फोरम ने यह दिया फैसला
फोरम ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद मामले को सेवा में कमी का माना और इसके लिए रेलवे को जिम्मेदार ठहराते हुए मोबाइल की कीमत 8600 रुपए लौटाने के अलावा मानसिक क्षति के लिए 50 हजार हर्जाना देने का आदेश पारित किया।

Thursday, May 18, 2017

अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नियुक्तियो का उद्देश्य

दिनांक 18 मई 2017
श्री प्रकाश जावेडकर
मानव संसाधन मन्त्री ,
भारत गणराज्य , नईदिल्ली
विषय : अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नियुक्तियो का उद्देश्य
 महोदय
अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नई नियुक्तियो या प्रमोशन में काफी अनियमितताए बरती जा रही है | नई नियुक्तियो हेतु कहीं भी सार्वजनिक विज्ञापन नहीं किये जाते है और अगर कही किये भी गए है वो सिर्फ अंग्रेजी भाषा के अखबारों में जिनका उत्तरप्रदेश में सर्कुलेशन न के बराबर और बहुत ही सीमित है और बहु संख्यक आबादी इन अखबारों को पढ़ते ही नहीं |
हाल में ही मॉडर्न ट्रोमा सेंटर हेतु विभिन्न पदों हेतु विज्ञापन नंबर 02/2015 दिनांक 16.05.2014 , इन्डियन एक्सप्रेस , लखनऊ , नईदिल्ली , टाइम्स आफ इंडिया , आगरा / नईदिल्ली तथा हिन्दू अखबार के विभिन्न संस्करणों में विज्ञापन दिए गए , किन्तु यह विज्ञापन उत्तरप्रदेश के बहुसंख्यक द्वारा पढ़े जाने वाले अखबार दैनिक जागरण , अमर उजाला या हिन्दुस्तान में नहीं दिया गया |
उच्च पदों हेतु तो अंग्रेजी अखबारों में विज्ञापन देना तो कुछ समझ में आता है , परन्तु श्रेणी 3/4 पदों हेतु भी जिसमे स्थानीय बेरोजगार युवक एवम युवतियों को वरीयता मिलनी चाहिए, अग्रेंजी अखबारों में विज्ञापन देना एक तरह से आँखों का धोखा ही कहा जाएगा , जिसकी आड़ में यूनिवर्सिटी प्रशासन अपनी मनमर्जी से अपने अपने चहेतों को भरती कर सके |
इसी तरह से सन 2015 में सहायक सिक्युरिटी अफसर के ११ पदों हेतु विज्ञापन दिया गया जिसे सिर्फ यूनिवर्सिटी की वेबसाईट पर ही दिया गया , किसी भी अखबार में विज्ञप्त नहीं गया , और इस सन 2015 के एवज में २ वर्षो के पश्चात ३-३ बार इंटरव्यू लेकर ११ की जगह 18 लोगो को नियुक्तिया दी गई |
यह सब सदेह के घेरे से परे नहीं है , हाल में ही केंद्र सरकार की स्पेशियल टीम ने भी बहुत ज्यादा अनियमितताए पकड़ी है , जिन्हें सुधार करने के निर्देश भी दिए | अतः हम आपसे अनुरोध करते है कि अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में किसी भी तरह की नियुक्ति या पदोन्नति में भारत सरकार की गाइड लाइन का पूर्णतः अनुपालन करे |
धन्यवाद सहित
भवदीय ,
बिमल कुमार खेमानी , संरक्षक
ई विक्रम सिंह , अध्यक्ष , ट्रेप ग्रुप
प्रतिलिपि : उप-कुलपति , अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय , अलीगढ

Monday, May 15, 2017

Amazon and all E-Portals-Please stop selling of fake products. Have product recall policy

Amazon and all E-Portals-Please stop selling of fake products. Have product recall policy



You are shopping online more than ever before. It is convenient, easy and the online marketing companies make it very attractive for you to do so with the vast range of merchandise and apparently good deals. But, have you ever suspected that you could be not getting what’s promised on the electronic screen? Or do you just believe that such big and famous companies will sell 100% genuine products? 
We give you a real example of what can happen with you when shopping online.  A customer purchased Lakme Eyeconic Kajal Pack of 2, from the Amazon portal in March 2017. The product was found to be fake as was admitted by the manufacturer Hindustan Unilever Ltd. (HUL).  
Amazon  Seller-Sublime also admitted that the product it has sold/sent is fake. A total of 340 customers  purchased Lakme Eyeconic Kajal from Amazon seller Sublime. Amazon has refunded money to only 7 customers who complained. The Lakme Eyeconic Kajal bought from Amazon seller Sublime by these 340 customers could be fake. It could contain ingredients hazardous to your health. Are you okay with that? Obviously not. So, take action, join us in an effort to protect your Consumer Rights.
Have you bought a product from any e-portal and found it to be fake/counterfeit? Also, have you bought Lakme Eyeconic Kajal from Amazon seller Sublime anytime from January to March 2017? Have you bought Lakme Eyeconic Kajal from any other vendor and found it to be of poor quality or fake? If yes, please write to us at Consumer Education and Research Centre (CERC)*, Ahmedabad with details, on email id enr@cercindia.org  to get justice.
Amazon is responsible for the products sold on its portal. In this case, they later removed the Seller from the portal but Amazon is not discharging its complete responsibility as the primary seller of fake/counterfeit products. The customer is buying from Amazon, not from Sublime; customer has paid to Amazon, not to Sublime; hence customer has entered into purchase contract with Amazon and not Sublime. Amazon is responsible for the customers receiving fake product from its sellers.
What is Amazon doing?  
It has not recalled the Lakme Eyeconic Kajal from all the 340 customers and neither has it refunded the amount to all of them. Amazon is still evaluating appropriate ways to contact other customers and will wait to take action till they complain. How can Amazon expect consumers to know that it is a fake product and then complain? Amazon itself can easily identify all customers who have purchased this product from Sublime and inform them as well as compensate them, irrespective of the complaints received. Their inaction clearly shows the indifference Amazon has towards the health and safety of its customers.
Amazon defense:
Amazon says that they are a platform where buyers and sellers come to transact. They neither buy the products themselves nor hold inventory. According to them, they have systems in place to ensure that only 100% genuine products are sold on their portal. Clearly these systems are not working, as sellers continue to sell counterfeit/fake products with impunity through their portal, without any penalties or consequences.   
We seek your support and participation to see that the online marketplace is not unscrupulously used by e-commerce companies with deep pockets. 
Sign CERC petition and join us in asking Amazon and all E-Portals and the Ministry of Consumer Affairs to:
  • Ensure that Amazon immediately recalls this fake product, Lakme Eyeconic Kajal from all 340 customers as these women are unknowingly exposed to the hazards of toxic substances present in this fake Kajal sold to them through Amazon. They can easily identify all customers who have purchased this product from Sublime and compensate them.
  • All E-Portals should ensure that Sellers on its portal do not sell counterfeit products to consumers who are actually buying based on their trust in Amazon. They should have strict pre-vetting of vendors before allowing them to use the e-portal. Random checking of products sold on the portal should be done and they should diligently review customer feedback for products and sellers. There should be penalties on sellers for defrauding customers. Unless Amazon and all e-portals take responsibility for every sale on its portal, consumers will continue to be cheated and shortchanged and will be exposed to unsafe and spurious products.
  • Amazon and all e-portals should have a voluntary Product Recall Policy and Consumer Alert systems in place to develop confidence of customers. 

विषय : सरकारी विभागों द्वारा विभागीय कार्य हेतु प्राइवेट गाड़िया का मासिक अनुबंध

दिनांक : १५ मई २०१७
श्री योगी आदित्य नाथ जी ,
मुख्य मन्त्री , उत्तरप्रदेश , लखनऊ
विषय : सरकारी विभागों द्वारा विभागीय कार्य हेतु प्राइवेट गाड़िया का मासिक अनुबंध
मान्यवर ,
आपका त्वरित ध्यान राज्य एवम केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा विभागीय कार्य या फिर अपने अधिकारियों के प्रयोग हेतु मासिक अनुबन्ध पर प्राइवेट गाड़िया किराए पर ली जाती है |
मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार किराए हेतु सिर्फ टैक्सी परमिट वाली गाड़िया ही चलाई जा सकती है एवम प्राइवेट परमिट वाली गाड़िया सिर्फ व्यक्तिगत काम के लिए ही होता है जिन्हें किराए पर नहीं चलाया जा सकता |
विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा कानून का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन एक अशोभनीय कृत्य है जिसे बन्द कर आवश्यक सुधार करना नितान्त आवश्यक है |
अतः हम आपसे अनुरोध करते है कि इस तरफ ध्यान देते हुवे आवश्यक आदेश निर्गत करवाकर इसका अनुपालन भी करवाने की कृपा करे |
धन्यवाद सहित
भवदीय ,
बिमल कुमार खेमानी , संरक्षक
ई विक्रम सिंह , अध्यक्ष , ट्रेप ग्रुप
प्रतिलिपि :
1. श्री स्वतंत्र देव सिंह , उप्र परिवहन मंत्री , उत्तरप्रदेश , लखनऊ
2. श्री यासर शाह , उप्र परिवहन राज्य मंत्री , उत्तरप्रदेश , लखनऊ
3. मुख्य सचिव , उत्तरप्रदेश शासन , लखनऊ

Saturday, May 13, 2017

उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों के नंबर

एटा में बच्चों की ह्रदय विदारक दुर्घटना के बाद एक समय ऐसा आया जब लगा कि सभी जिलाधिकारियों का नवम्बर होना चाहिए,तो मैं उसे पोस्ट कर दिया। इस आशा के साथ कि हो सकता है कि ये नंबर किसी जरूरतमंद के यह काम आ जाये। मित्रों ये उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों के नंबर हैं,अनेक बार जरुरत के समय यह मिल नहीं पाता।जिनको आवश्यकता हो वह इसे शेयर कर लें।
प्रशासनिक कारणवश अधिकारियों के नाम बदल सकते हैं लेकिन नंबर वही रहेंगे। District Name Name of DM Batch CUG Mobile STD OFFICE RESIDENCE FAX E-mail
1 Agra Ajay Chauhan 1998(RR) 9454417509 0562 2260184 2466210 2364718 dmagr@up.nic.in
2 Aligarh Manish Chauhan 2000(RR) 9454417513 0571 2400202 2400798 2407555 dmali@up.nic.in
3 Allahabad Alok Kumar-3 1998(RR) 9454417517 0532 2250253 2250300 2640290 dmall@up.nic.in
4 Ambedkarnagar Kunwar Vikram Singh 9454417539 05271 244250 244107 244107 dmamb@up.nic.in
5 Auraiya Naveen Kumar G.S. 2007(RR) 9454417550 05683 245528 244888 244888 dmaur@up.nic.in
6 Azamgarh Raj Narayan Singh 9454417521 05462 220930 260402 260430 dmaza@up.nic.in
7 Baghpat Prabhu Narain Singh 2007(RR) 9454417562 0121 2220520 2221999 2221900 dmbag@up.nic.in
8 Bahraich Pinky Jowel 2003(RR) 9454417535 05252 232815 232401 232648 dmbeh@up.nic.in
9 Ballia Madhukar Diwedi 1996(SCS) 9454417522 05498 220879 220311 220648 dmbal@up.nic.in
10 Balrampur Sunita Chaturvedi 9454417536 05263 233942 232231 232368 dmblr@up.nic.in
11 Banda Sheetal Verma 2007(RR) 9454417531 05192 224632 220333 220244 dmban@up.nic.in
12 Barabanki Vikas Gothalwal 2003(RR) 9454417540 05248 222730 222229 222629 dmbab@up.nic.in
13 Bareilly Subhash Chand Sharma 1996(SCS) 9454417524 0581 2473303 2557147 2557001 dmbar@up.nic.in
14 Basti Sushil Kumar 9454417528 05542 247155 246306 246403 dmbas@up.nic.in
15 Bheem Nagar Pragyan Ram Misra 1996(SCS) 9454416890 05921 243217 NA
16 Bijnor Amit Gupta 2000(RR) 9454417570 01342 262222 262465 262046 dmbij@up.nic.in
17 Budaun A.V. Rajamauli 2003(RR) 9454417525 05832 266406 268301 269306 dmbud@up.nic.in
18 Bulandshahar Kamini Ratan Chauhan 1997(RR) 9454417563 05732 224351 231343 280898 dmbul@up.nic.in
19 Chandauli Vijay Kumar Tripathi 9454417576 05412 262555 262500 262500 dmchn@up.nic.in
20 Chitrakoot Dalip Kumar Gupta 9454417532 05198 235018 235016 235305 dmchi@up.nic.in
21 CSJM Nagar J.P. gupta 9454418891 9415057925 05368 244577 244211
22 Deoria Yashod Hrishikesh Bhaskar 2006(RR) 9454417543 05568 222316 222306 222519 dmdeo@up.nic.in
23 Etah Y.K. Bahal 9454417514 05742 233302 233301 233860 dmeth@up.nic.in
24 Etawah P. Guruprasad 1999(RR) 9454417551 05688 254770 252544 252758 dmetw@up.nic.in
25 Faizabad M.P. Agarwal 1997(RR) 9454417541 05278 224286 224205 222214 dmfai@up.nic.in
26 Farrukhabad Sachchidanand dubey 1996(SCS) 9454417552 05692 234133 234297 234256 dmfar@up.nic.in
27 Fatehpur G.S. Priyadarshi 2002(RR) 9454417518 05180 224502 224439 224222 dmfat@up.nic.in
28 Firozabad Surendra Singh 2005(RR) 9454417510 05612 285001 285111 285055 dmfir@up.nic.in
29 Gautambuddha Nagar Hirdesh Kumar 1999(RR) 9971020646 0120 2560044 2544700 2552552 dmgbn@up.nic.in
UP District Magistrate's Contact Details
Sl. No District Name Name of DM Batch CUG Mobile STD OFFICE RESIDENCE FAX E-mail
30 Ghaziabad Shashi Bhusan Lal Sushil 2001(RR) 9818268555 9454417565 0120 2824416 2820106 2828798 dmgaz@up.nic.in
31 Ghazipur Lokesh M. 2005(RR) 9454417577 0548 2220204 2220240 2220160 dmgha@up.nic.in
32 Gonda Ram Bahadur 9454417537 05262 230125 232600 232600 dmgon@up.nic.in
33 Gorakhpur Sanjay Kumar 2002(RR) 9454417544 0551 2336005 2336007 2334569 dmgor@up.nic.in
34 Hamirpur G. Sreenieasulu 2005(RR) 9454417533 05282 222251 222201 222121 dmham@up.nic.in
35 Hardoi A.K.Singh Rathour 9454417556 05852 234537 234680 234868 dmhar@up.nic.in
36 Jalaun Rajshekhar 2004(RR) 9454417548 05162 252201 252200 252390 dmjal@up.nic.in
37 Jaunpur Gaurav Dayal 2004(RR) 9454417578 05452 260666 260201 260230 dmjau@up.nic.in
38 Jhansi Shri Anil Garg 1996(RR) 9454417547 0510 2470556 2443324 2440348 dmjha@up.nic.in
39 Jyotiba Phule Nagar Shri Abhay 2007(RR) 9454417571 05922 252288 262999 259993 dmjpn@up.nic.in
40 Kannauj Sri. Alok Tiwari 2007(RR) 9454417555 05694 234697 234500 235466 dmknj@up.nic.in
41 Kanpur Nagar Dr. Hariom 1997(RR) 9454417554 0512 2306577 2304436 2303461 dmkan@up.nic.in
42 Kanshiram Nagar Selva Kumari J 2006(RR) 9454417516 05744 247483 247482 247481 dmkrn@up.nic.in
43 Kaushambi Atul Kumar 9454417519 05331 232792 232793 232467 dmkos@up.nic.in
44 Kheri Abhishek Prakash 9454417558 05872 252838 252715 252250 dmlkh@up.nic.in
45 Kushinagar Akhilesh Kumar Baranwal 9454417545 05564 240203 240201 240202 dmkus@up.nic.in
46 Lalitpur Chandrika Prasad Tiwari 9454417549 05176 272200 272201 272201 dmlal@up.nic.in
47 Lucknow Anil Kumar Sagar 1998(RR) 9415005000 9454417557 0522 2623024 2623912 2285599 dmluc@up.nic.in
48 Mahamayanagar Suhas L.Y. 2007(RR) 9454417515 05722 227077 224001 227076 dmhat@up.nic.in
49 Maharajganj Pranjal Yadav 2006(RR) 9454417546 05523 222044 222206 222064 dmmah@up.nic.in
50 Mahoba Muthukumara sami-B 2007(RR) 9454417534 05281 254901 256800 244156 dmmab@up.nic.in
51 Mainpuri Ranvir Prasad 9454417511 05672 234308 234401 234544 dmmai@up.nic.in
52 Mathura Ravi Kumar N.G. 2004(RR) 9454417512 0565 2404152 2403200 2404613 dmmat@up.nic.in
53 Mau Rakesh 9454417523 0547 2220233 2500411 2500223 dmmau@up.nic.in
54 Meerut Anil Kumar-III 1998(RR) 9454417566 0121 2664133 2642232 2647200 dmmee@up.nic.in
55 Mirzapur Sanyukta Samaddar 1999(RR) 9454417567 05442 252480 257400 252552 dmmir@up.nic.in
56 Moradabad Sameer Verma 2002(RR) 9454417572 0591 2413288 2413967 2421132 dmmor@up.nic.in
57 Muzaffarnagar Pankaj Kumar 2002(RR) 9454417574 0131 2405103 2433125 2433322 dmmuz@up.nic.in
58 Panchsheel Nagar Saurabh Babu 2000(RR) 8449053158 0122 2334400 2334400
59 Pilibhit Kaushal Raj Sharma 2006(RR) 9454417526 05882 257912 257911 257990 dmpil@up.nic.in
Sl. No District Name Name of DM Batch CUG Mobile STD OFFICE RESIDENCE FAX E-mail
61 Prabuddha Nagar Ajay Kumar Singh 9454416996 01398 270271 254305 254301
60 Pratapgarh Ranjan Kumar 2000(RR) 9454417520 05342 220405 220401 221101 dmpra@up.nic.in
62 Raebareli Amrita Soni 2003(RR) 9454417559 0535 2202302 2703301 2703201 dmrae@up.nic.in
63 Ramabai Nagar Mayur Maheshwari 2003(RR) 9454417553 05111 271266 271433 271366 dmkap@up.nic.in
64 Rampur Balkar Singh 2004(RR) 9454417573 0595 2350403 2351061 2351363 dmram@up.nic.in
65 Saharanpur Juher Bin Sageer 9454417575 0132 2723434 2715526 2715648 dmsah@up.nic.in
66 Sant Kabir Nagar Dinkar Prakash Dube 1996(SCS) 9454417529 05547 226890 226889 2264964 dmskn@up.nic.in
67 Sant Ravidaas Nagar S.V.S.Rangarao 2001(RR) 9454417568 05414 250203 250202 250315 dmsrn@up.nic.in
68 Shahjahanpur Navdeep Rinwa 1999(RR) 9454417527 05842 222540 222221 223341 dmsha@up.nic.in
69 Shrawasti Kanchan Verma 2005(RR) 9454417538 05250 222287 222288 222541 dmshr@up.nic.in
70 Siddharthnagar Chaitra V. 2007(RR) 9454417530 05544 222169 222333 220174 dmsid@up.nic.in
71 Sitapur Ajay Kumar Shukla 2001(RR) 9454417560 05862 242996 242212 242615 dmsit@up.nic.in
72 Sonbhadra Vijay Vishwash Pant 2004(RR) 9454417569 05444 222190 252644 222090 dmson@up.nic.in
73 Sultanpur Govind Raju N.S. 2005(RR) 9454417542 05362 240202 240203 240473 dmsul@up.nic.in
74 Unnao Arvind Kumar Dwivedi 9454417561 0515 2820207 2820201 2820400 dmunn@up.nic.in
75 Varanasi Ravindra 9454417579 0542 2508585 2502626 2502754 dmvar@up.nic.in
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Tuesday, May 9, 2017

विषय : सूचना कानून के सम्बन्ध में

दिनांक ०९ मई २०१७
श्री राम नायक जी ,
माननीय राज्यपाल , उत्तरप्रदेश ,
राज भवन , लखनऊ
विषय : सूचना कानून के सम्बन्ध में
महोदय ,
हम आपका त्वरित ध्यान सूचना अधिकार कानून में उत्तरप्रदेश राज्य सूचना आयोग में की जाने वाली अनियमितता की तरफ आकृष्ट करना चाहते है
१. कानून की धारा २७ के अनुसार सक्षम सरकार को इस कानून के तहत कुछ नियम बनाने की शक्ति प्रदान की है , जो निम्नवत है
27 (2)(a) the cost of the medium or print cost price of the
materials to be disseminated under sub-section (4)
of section 4;
27 (2)(b) the fee payable under sub-section (1) of section 6
27 (2)(c) the fee payable under sub-sections (1) and (5) of
section 7;
27 (2)(d) the salaries and allowances payable to and the
terms and conditions of service of the officers and
other employees under sub-section (6) of section
13 and sub-section (6) of section 16
27 (2)(d) the procedure to be adopted by the Central
Information Commission or State Information
Commission, as the case may be, in deciding the
appeals under sub-section (10) of section 19; and
27 (2)(e) any other matter which is required to be, or may
be, prescribed
क. जिसका प्रयोग करते हुवे उत्तरप्रदेश शासन ने उत्तरप्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली, २०१५ बनाई |
ख. सूचना अधिकार कानून एवम इसके अंतर्गत बनाए गए नियमो के विरुद्ध उत्तरप्रदेश राज्य सूचना आयोग अपने अंतरिम आदेश या फाइनल आदेशो की प्रति के लिए अपीलकर्ता / शिकायतकर्ता से सिविल न्यायालयों की तरह नक़ल सवाल डालने के लिए बाध्य करता है , तथा रु 10/- की स्टाम्प भी लगवाता है और इस नक़ल सवाल के पश्चात भी आयोग के आदेश अपीलकर्ता / शिकायतकर्ता के पास नहीं भेजा जाता अपितु उसे ही आयोग में आकर लेना होता है |
ग. महोदय , लखनऊ से बाहर का व्यक्ति आयोग के आदेश को प्राप्त करने हेतु ३/४ दिन नहीं रुक सकता , और उसे आयोग के आदेशो की प्रति से वंचित ही रहना पड़ता है |
घ. महोदय , इस तरह से आदेश हेतु शुल्क प्रदान करने का न तो कानून में न ही नियमावली में कोई प्रावधान किया गया है |
ङ. महोदय , केन्द्रीय सूचना आयोग या अन्य किसी भी राज्य आयोग में ऐसी पद्धति प्रचलित नहीं है एवम आयोग के आदेश अपीलकर्ता / शिकायतकर्ता के पास स्पीड पोस्ट से पहुंचाया जाता है जिसके लिए किसी तरह का भी शुल्क लागू नहीं है |
२. उत्तरप्रदेश राज्य सूचना आयोग की कार्य प्रणाली भी काफी त्रुटिपूर्ण है, यहाँ कोई भी सूचना आयुक्त प्रातः ११ बजे से पहले नहीं आते तथा भोजनावकाश तक ही सुनवाई करते है , अतः उनका ज्यादा ध्यान सिर्फ तारीखे देने तक ही रहता है , अपील / शिकायत का निस्तारण की तरफ नहीं |
३. (क) उत्तरप्रदेश राज्य सूचना आयोग में अगर जन सूचना अधिकारी नहीं पहुंचता तो तारीख लगा दी जाती और एक एक अपील / शिकायत हेतु ८ / 10 तारीखे तक लग जाती है , वहीँ दूसरी तरफ अगर जन सूचना अधिकारी या उसका प्रतिनिधि पहुँचता है तथा अपीलकर्ता / शिकायतकर्ता नहीं पहुँचता तो फिर उसका तुरंत निस्तारण लोक प्राधिकरण के पक्ष में कर दिया जाता है / सूचना आयुक्त अपील / शिकायत के गुण दोष की परीक्षा ही नहीं करता |
(ख) आयोग के समक्ष अपील करते वक्त ही अपीलकर्ता सूचना प्राप्त होने से सम्बंधित सभी विवरण मय सभी संलग्नक प्रेषित किये जाते है , जिसके अध्ययन से ही अपीलकर्ता का पक्ष स्पष्ट हो जाता है , अतः आयुक्त दिए गए सभी दस्तावेजो के आधार पर निर्णय ले सकता है | आयोग के समक्ष तो यही प्रश्न रहेगा कि सूचना प्रदान की गई , या नहीं प्रदान की गई या फिर अधूरी दी गई , अतः आयुक्त को तो जन सूचना अधिकारी से ही पूछना आवश्यक है |
४. उत्तरप्रदेश एक बहुत बड़ा राज्य है जिसके कारण आम अपीलकर्ता / शिकायतकर्ता या फिर सरकारी विभाग के लोगो को सुनवाई हेतु बहुत समय और धन खर्च करना पड़ता है | जन सूचना अधिकारी का खर्च तो सरकार वहन करती है वहीँ अपीलकर्ता / शिकायतकर्ता को
अपना काम धंधा बंद कर अपने पैसे भी खर्च करने पड़ते है |
आपके सन्दर्भ हेतु यहाँ यह अप्रसांगिक नहीं की बहुत सारे राज्यों में सूचना आयोग की पीठे अलग अलग शहरों में स्थापित कर रखी है जिससे किसी को भी लम्बी यात्रा या खर्च नहीं करना होता , वहीँ केन्द्रीय सूचना आयोग तो अपने यहाँ वीडियो कांफ्रेस के जरिये ही सुनवाई करता है , जिससे अपीलकर्ता / शिकायतकर्ता का ही नहीं सभी सरकारी विभागों के खर्च की बहुत बड़ी राशि बच जाती है और अधिकारियों का समय भी |
अतः उत्तरप्रदेश राज्य सूचना आयोग को भी दुरुस्त करते हुवे इस कानून की मूल भावना के अंतर्गत सरकारों की गतिविधियों की पारदर्शक जानकारी सस्ती , सुगम एवम सरलता से जनता को प्राप्त हो , इस अनुरोध के साथ हम आपसे निम्न अनुरोध करना चाहते है |
क. राज्य सूचना आयोग द्वारा अपने आदेश में अपनाई जाने वाली असंवैधानिक प्रक्रिया बंद करवाई जाय तथा अपीलकर्ता को आयोग के फैसले निशुल्क स्पीड पोस्ट से प्रेषित किये जाय
ख. राज्य सूचना आयोग की पीठ ३/४ जगह अलग अलग स्थापित की जाए या फिर केन्द्रीय आयोग की तर्ज पर विडिओ कांफ्रेंस द्वारा सुनवाई की जाय |
ग. राज्य के सूचना आयुक्त अपील / शिकायतों का निस्तारण गुण दोष के आधार पर करते हुवे अनावश्यक तारीखों पर तारीख देकर नहीं टाले |
आशा है आप हमारे उपरोक्त सुझावों पर गंभीरता पूर्वक विचार कर अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुवे राज्य सरकार को आवश्यक निर्देश प्रदान कर इन सुझावों को कार्यान्वित करवाने की कृपा करे |
भवदीय ,
बिमल कुमार खेमानी , संरक्षक
ई विक्रम सिंह , अध्यक्ष , ट्रेप ग्रुप

प्रतिलिपि :
१. माननीय योगी आदित्यनाथ जी , मुख्य मंत्री , उत्तरप्रदेश शासन , लखनऊ
२. प्रशासनिक सुधार अनुभाग , उत्तरप्रदेश सरकार , लखनऊ
३. मुख्य सूचना आयुक्त , उत्तरपदेश राज्य सूचना आयोग , लखनऊ
४. प्रेस