Friday, May 19, 2017

बीज पैदावार पंजीयन के बाद भी नहीं खरीदा धान, फोरम ने लगाया दो लाख हर्जाना #ग्राहक पंचायत

बीज पैदावार पंजीयन के बाद भी नहीं खरीदा धान, फोरम ने लगाया दो लाख हर्जाना
ग्राहक पंचायत
दुर्ग. प्रमाणित बीज पैदावार के लिए पंजीयन के बाद भी किसान से धान नहीं खरीदने के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने राज्य बीज निगम और प्रमाणीकरण संस्था के खिलाफ फैसला सुनाया। फोरम के आदेश के मुताबिक अब निगम व प्रमाणीकरण संस्था को नुकसान व हर्जाना के रूप में किसान को दो लाख से ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा। बालोद जिले के ग्राम परसाही खपरी के किसान बलराम साहू के परिवाद पर यह फैसला जिला उपभोक्ता फोरम ने सुनाया।
प्रमाणित बीज पैदावार कार्यक्रम
परिवाद के मुताबिक किसान बलराम साहू प्रमाणित बीज पैदावार कार्यक्रम के तहत वर्ष 2000 से लगातार बीज पैदा कर रहा है। 26 जून 2015 को भी इसी मकसद से वह बीपीटी 520207 श्रेणी का तीन क्विंटल बीज 1850 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से 5550 रुपए में खरीदा था। योजना के तहत बीज उत्पादन के लिए 6 जुलाई को 1415 रुपए फीस देकर प्रक्रिया प्रभारी राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम से पंजीयन कराया।
पंजीयन के बाद अधिकारी निरीक्षण करने नहीं आए
बीज उत्पादन की शर्त के मुताबिक प्रबंध संचालक राज्य प्रमाणीकरण संस्था और बीज निगम की निगरानी में खेती करना होती है, लेकिन पंजीयन के बाद दोनों संस्था के अधिकारी धान का निरीक्षण करने नहीं आए। रिमांइडर पर भी अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया और बाद में बीज की खरीदी से भी इंकार कर दिया। इससे किसान को नुकसान उठाकर बीज सामान्य दर पर बेचनी पड़ी।
जनदर्शन में फरियाद का भी असर नहीं
किसान ने परिवाद में बताया कि दोनों संस्थानों के अधिकारियों को बार बार ध्यान दिलाए जाने के बाद भी निरीक्षण नहीं किया गया तो उसने कलक्टर जनदर्शन में भी शिकायत की। इसके बाद भी न तो अफसर निरीक्षण को आए और न ही धान की खरीदी की गई।
संस्था का जवाब पंजीयन निरस्त का है अधिकार
फोरम में सुनवाई के दौरान दोनों संस्थाओं के प्रमुखों ने अपना पक्ष रखा। जिसमें बताया गया उन्हें पंजीयन निरस्त करने का अधिकार है। चूंकि किसान ने फसल का निरीक्षण नहीं कराया, इसलिए धान की खरीदी नहीं की गई। धान की खरीदी नहीं करना सेवा में कमी की श्रेणी में नहीं आता।
फोरम ने कहा दोनों करें 2.05 लाख भुगतान
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फोरम ने प्रमाणीकरण संस्था के प्रबंधन संचालक व बीज निगम के प्रक्रिया प्रभारी को आदेश दिया कि दोनों को संयुक्त रूप से नुकसान की राशि एक लाख 44 हजार 400, खेती में खर्च 40 हजार, पंजीयन शुल्क 1415 रुपए और क्षतिपूर्ति 20 हजार रुपए भुगतान करना होगा।

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