स्वाध्याय और स्वविवेक का इस्तेमाल छोड़कर मेडिकल रिप्रजेंटेटिव का पढ़ाया प्रोपेगैंडा दिमाग में भरने का नतीजा यह हुआ है कि कम से कम यूपी, बिहार-झारखंड और दिल्ली के बड़े हिस्से में शिशु रोग विशेषज्ञों के एक बड़े तबके ने अनापशनाप दवाओं और irrational medical advices से न सिर्फ अपने मरीजों, बल्कि सामान्य जनता को भी नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है।
डायरिया (दस्त) के मरीज बच्चों में ओरल कोलिस्टिन (colistin), रिफैक्सिमिन (rifaximin), लोपरामाइड (loperamide) जैसी दवाओं का बेसिरपैर irrational प्रयोग और यहाँ तक कि 6 माह से छोटे शिशुओं को 2 दिन के दस्त में भी स्तनपान बंद कर Zerolac, Similac और तरह-तरह के फॉर्मूला आहारों को देना धड़ल्ले से चल रहा है और ये ट्रेंड उठान पर है। Colistin एक जहरीला लेकिन बेशकीमती ऐंटिबायॉटिक है, जो लगभग सभी ऐंटिबायॉटिक्स से अभेद्य (multi-drug resistant) जीवाणुओं से उत्पन्न रोगों का उपचार करने में सक्षम है, ऐसे गंभीर मरीजों के लिए जीवन की आखिरी उम्मीद। लेकिन इन लालची और भ्रष्ट दवा कंपनियों और नालायक मूर्ख डॉक्टरों के गठजोड़ के कारण जिस तरह इस बहुमूल्य ऐंटिबायॉटिक का सत्यनारायण के प्रसाद की तरह वितरण हो रहा है, कोलिस्टिन से भी resistance तेजी से फैल रहा है।
Loperamide शिशुओं में adynamic ileus और toxic megacolon जैसी जानलेवा समस्याएँ पैदा करता है और इसीलिए बच्चों में स्पष्ट रूप से इसके इस्तेमाल की मनाही है। लेकिन हहुआए हुए मूर्ख अभिभावकों के दबाव में, जो चाहते हैं कि डॉक्टर एक दिन में दस्त रोक दे, इसका खूब प्रयोग हो रहा है। कोई बच्चा मरता है तो मरे। उसी तरह rifaximin travellers' diarrhea और irritable bowel syndrome का इलाज करने के लिए है, पर उसका भी दुष्प्रयोग वायरल डायरिया में हो रहा है एम आर लोगों से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति करके।
डायरिया (दस्त) के मरीज बच्चों में ओरल कोलिस्टिन (colistin), रिफैक्सिमिन (rifaximin), लोपरामाइड (loperamide) जैसी दवाओं का बेसिरपैर irrational प्रयोग और यहाँ तक कि 6 माह से छोटे शिशुओं को 2 दिन के दस्त में भी स्तनपान बंद कर Zerolac, Similac और तरह-तरह के फॉर्मूला आहारों को देना धड़ल्ले से चल रहा है और ये ट्रेंड उठान पर है। Colistin एक जहरीला लेकिन बेशकीमती ऐंटिबायॉटिक है, जो लगभग सभी ऐंटिबायॉटिक्स से अभेद्य (multi-drug resistant) जीवाणुओं से उत्पन्न रोगों का उपचार करने में सक्षम है, ऐसे गंभीर मरीजों के लिए जीवन की आखिरी उम्मीद। लेकिन इन लालची और भ्रष्ट दवा कंपनियों और नालायक मूर्ख डॉक्टरों के गठजोड़ के कारण जिस तरह इस बहुमूल्य ऐंटिबायॉटिक का सत्यनारायण के प्रसाद की तरह वितरण हो रहा है, कोलिस्टिन से भी resistance तेजी से फैल रहा है।
Loperamide शिशुओं में adynamic ileus और toxic megacolon जैसी जानलेवा समस्याएँ पैदा करता है और इसीलिए बच्चों में स्पष्ट रूप से इसके इस्तेमाल की मनाही है। लेकिन हहुआए हुए मूर्ख अभिभावकों के दबाव में, जो चाहते हैं कि डॉक्टर एक दिन में दस्त रोक दे, इसका खूब प्रयोग हो रहा है। कोई बच्चा मरता है तो मरे। उसी तरह rifaximin travellers' diarrhea और irritable bowel syndrome का इलाज करने के लिए है, पर उसका भी दुष्प्रयोग वायरल डायरिया में हो रहा है एम आर लोगों से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति करके।
सबसे घिनौनी चीज जो हम रोजाना देख रहे हैं वो है दस्त वाले शिशुओं को माँ का दूध बंद कर डब्बे का दूध देने की सलाह। पहले ये नौटंकी दिल्ली, बनारस जैसे शहरों में बड़े बड़े नर्सिंग होम खोले कुछ लोगों ने शुरू की और अब तो गांव के झोलाछापों तक यह दिव्य ज्ञान पहुंच गया है। यह तब है जबकि हर स्वास्थ्य संस्था, हर जर्नल, हर किताब, शिशुओं को स्तनपान बंद करने की सख्त मनाही करती है। इससे बच्चे कुपोषित हो जाते हैं, माताओं का lactation failure होकर दूध सूख जाता है। पता नहीं कितने शिशु इस नौटंकी के कारण बीमारी, कुपोषण और मृत्यु के शिकार होते हैं! कब बंद होगा यह बेहूदापन? और जब CME, Pedicon, Neocon, Embicon में जाकर भी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव से ही पढ़ना-सीखना है, तो इनमें क्या सिर्फ मटरगश्ती करने और मुफ्त का दारू-मुर्गा भकोसने जाते हो?
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