ऑस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी से पर्यावरण प्रबंधन में ग्रेजुएशन करने वाली पूर्वी व्यास की ज़िंदगी उनके एक फैसले ने पूरी तरह बदल दी। अब वह पूरी तरह से जैविक विधि से खेती करने वाली किसान बन चुकी हैं। वह अगली पीढ़ी के किसानों और युवाओं को सिखा रही हैं कि किस तरह खेती करके भी अच्छी ज़िंदगी बिताई जा सकती है।
उन्होंने हर उस चीज़ को पैदा करना शुरू किया जो ज़मीन और उस जगह की भौगोलिक स्थिति उन्हें वहां उगाने देती, जैसे अनाज, फल, आयुर्वेदिक औषधीय पौधों, फलियां, फूलों और सब्जियां। यह एक ऐसा मॉडल था जिससे किसान लगातार पैसा कमा सकते हैं। एक किसान दूध बेचकर रोज़, फूल बेचकर सप्ताह में, सब्ज़ी बेचकर 15 दिन में, फल बेचकर महीने में और अनाज बेचकर साल में पैसे कमा सकते हैं। बाकी चीजों के लिए, पूर्वी ने गांव में वस्तु विनिमय प्रणाली को पुनः शुरू कर दिया है, जहां लोग अपने उत्पाद के बदले उत्पाद ले सकते हैं, पैसे नहीं। पूर्वी कहती हैं कि अब हम अपने खाने के लिए ज़रूरत की 75 से 80 प्रतिशत चीज़ें खुद ही उगा लेते हैं। इससे हमें काफी फायदा हुआ है।
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