Thursday, August 31, 2017

मक्का की अधिक उपज के लिए किसान भाई करें यह उपाय

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मक्का की अधिक उपज के लिए किसान भाई करें यह उपाय

मक्का में किस उर्वरक की आवश्यकता होती है और किस तरह उसका प्रयोग किया जाये?

मात्रा:

मक्का की भरपूर उपज लेने के लिय संतुलित उर्वरकों क प्रयोग आवश्यक है। अतः कृषकों को मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करना चाहियें। यदि किसी कारणवंश मृदा परीक्षण न हुआ हो तो देर से पकने वाली संकर एवं संकुल प्रजातियां के लिये क्रमशः १२०: ६०:३०:३० नेत्रजन फास्फोरस एवं पोटाश  प्रति हेक्टर प्रयोग करना चाहियें। गोबर की खाद १० टन प्रति हे. प्रयोग करने पर २५% नत्रजन की मात्रा कम कर देनी चाहिये।

विधि:

बुवाई के एक तिहाई नत्रजन, पूर्ण फास्फोरस तथा पोटाश कूड़ों  में बीज के नीचे डालना चाहिये। अवशेष नत्रजन  दो बार मे बराबर-२ मात्रा में टापड्रेसिंग के रूप में करें। पहली टापड्रेसिंग बोने के २५-३० दिन बाद (निराई के तुरन्त बाद) एवं दूसरी नर मंजरी निकलते समय करें। यह अवस्था संकर मक्का मे बुवाई के ५०-६० दिन बाद एवं संकुल में ४५-५० दिन बाद आती है।

खरपतवार नियंत्रण

मक्का की खेती में निराई गुडाई का अधिक महत्व है। निराई-गुडाई द्वारा खरपतवार नियंत्रण के साथ ही आक्सीजन का संचार होता है। जिससे वह दूर तक फैल कर भोज्य पदार्थ का एकत्र कर पौधों को देती है। पहली निराई जमाव के १५ दिन बाद कर देना चाहिये। और दूसरी नियंत्रण ३५-४० दिन बाद करनी चाहियें।
मक्का में खरपतवारों को नष्ट करने के लिये एट्रजीन (५०%- डब्लू.पी. १.५-२.० किग्रा.प्रति हें घुलनशील चूर्ण का ७००-८०० लीटर पानी में घोलकर बुवाई के दूसरे या तीसरे दिन अंकुरण से पूर्व प्रयोग करने से खरपतवार नष्ट हो जाते हे। एलाक्लोर ५० ई.सी. ४ से ५ लीटर बुवाई के तुरन्त बाद जमाव के पूर्व ७००-८०० लीटर पानी में मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है। यदि मक्का के बाद की खेती करनी हो तो एट्राजीन का प्रयोग न करे।

मक्का में साधारणतया कोन से रोग लगते हैं, उनकी पहचान किस प्रकार करें एवं रोग का उपचार किस प्रकार करें?

तुलासिता रोग:

पहचान:

इस रोग में पत्तियों पर पीली धारियां पड़ जाती है। पत्तियों के नीचे की सतह पर सफेद रूई के समान फफूंदी दिखाई देती है। ये ध्ब्बे बाद में गहरे अथवा लाल भूरे पड़ जाते है। रोगी पौधो में भुट्‌टे कम बनते है। या बनते ही नही है।

उपचार:

इनकी रोकथाम हेतु जिंक मैग्नीज कार्बमेट या जीरम ८० प्रतिशत २ किलोग्राम अथवा जीरम २७ प्रतिशत के ३ ली०/हे० की दर से द्दिड़काव आवश्यक पानी की मात्रा में घोलकर करना चाहिये।

पत्तियों का झुलसा रोग:

पहचान

इस रोग में पत्तियों पर बड़े लम्बे अथवा कुद्द अण्डाकार भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते है। रोग के उग्र होने पर पत्तियों झुलस कर सूख जाती है।

उपचार:

इसकी रोकथाम हेतु जिनेब या जिंक मैगनीज कार्बमेट २ किलोग्राम अथवा जीरम ८० प्रतिशत २ ली० अथवा जीरम २७ प्रतिशत ३ लीटर/हे० की दर से  छिड़काव करना चाहिये।
सूत्र कृमियों की रोकथाम के लिये गर्मी की गहरी जुताई करें एवं बुवाई के एम सप्ताह पूर्व खेत में १० किग्रा० फोरट १० जी. फैलाकर मिला दें।

तना सडन

पहचान

यह रोग अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में लगता है। इसमें तने की पोरियों पर जलीय धब्बे दिखाई देते है। जो शीघ्र ही सड़ने लगते है। और उससे दुर्गन्ध आती है। पत्तियों पीली पड़कर सूख जाती है।

उपचार

रोग दिखाई देने पर १५ ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन अथवा ६० ग्राम एग्रोमाइसीन प्रति हे० की दर से छिड़काव  करने से अधिक लाभ होता है।

मक्का में लगने वाले कीट कोन-कोन से हैं एवं उनपर नियंत्रण किस प्रकार किया जाये ?

 तना छेद्क:

पहचान

इस कीट की सुड़ियाँ  तनों में द्देद करके अन्दर ही खाती रहती है। जिससे मृतभोग बनता है। और हवा चलने पर बीच से टूट जाता है।

उपचार

  • १. इसकी रोकथाम हेतु बुवाई के २० से २५ दिन बाद लिन्डेल ६ प्रतिशत गे्रन्यूल २० किलोग्राम अथवा कार्बोयूरान ३ प्रतिशत ग्रेन्यूल २० किलोग्राम अथवा (लिन्डेल + कार्बराइल) (सेवीडाल ४.४ जी.) २५.०० किलोग्राम प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करना चाहिये।
  • २. बुवाई के १५-२०  दिन  के बाद निम्न में से किसी एक रसायन का छिड़काव  करना चाहियें ।
  1. इमिडाक्लोप्रिड ६ मिली./किग्रा. बीज की दर से बीज शोधन करें ।
  2. कार्बेरिल ५०% घुलनशील चूर्ण १.५ किग्रा./ हे. ।
  3. फेनिट्रोथियांन ५० ई .सी. ५००-७०० मिली./हे. ।
  4. क्यूनालफास २५ ई.सी. २ लीटर/हे.।
  5. इन्डोसल्फान ३५ ई.सी. १.५ लीटर/हे.।
  6. ट्रइकोग्रामा परजीवी ५०००० प्रति हे. की दर से खेत मे अंकुरण के ८ दिन बाद ५-६ दिन के अंतर पर दुहरायें, खेत में द्दोड़ना चाहिये।

पत्ती लपेटक कीट

पहचान:

इस कीट की सुड़ियाँ  पत्ती के दोनो किनारों को रेशम जैसे सूत से लपेटकर अंदर से खाती है।

उपचार:

उपयुक्त कीटनाशक रसायनों में  से किसी एक का प्रयोग करना करें ।
  1. इमिडाक्लोप्रिड ६ मिली./किग्रा. बीज की दर से बीज शोधन करें ।
  2. कार्बेरिल ५०% घुलनशील चूर्ण १.५ किग्रा./ हे. ।
  3. फेनिट्रोथियांन ५० ई .सी. ५००-७०० मिली./हे. ।
  4. क्यूनालफास २५ ई.सी. २ लीटर/हे.।

टिड्‌डा :

पहचान:

इस कीट के शिशु तथा प्रौढ दोनो ही पत्तियों को खाकर हानि पहुंचाते है।

उपचारः

इसकी रोकथाम हेतु मिथाइल पैराथियान २ प्रतिशत २०-२५ किलोग्राम का बुरकाव प्रति हेक्टर करना चाहियें।

 भुड़ली (कमला कीट):

पहचान:

इस कीट की गिडारे पत्तियों को बहुत तेजी से खाती है। और फसल को काफी हानि पहुचाती है। इसके शरीर पर रोये होते है।

उपचार:

इसकी रोकथाम हेतु निम्न में से किसी एक रसायन का बुरकाव या छिड़काव  प्रति हेक्टर करना चाहियें।

  1. मिथाइल पैराथियान २ प्रतिशत चूर्ण २० किलोग्राम।
  2. इन्डोसल्फान ४ प्रतिशत धूल २० किलोग्राम।
  3. क्यूनालफास १.५ प्रतिशत धूल २० किलोग्राम।
  4. इन्डोसल्फान ३५ ई.सी. १.२५ लीटर।
  5. डाइक्लोरवास ७० ई.सी. ६५० मि. लीटर।
  6. क्लोरपायरीफास २० ई.सी. १.० लीटर

Tuesday, August 29, 2017

किसान क्रेडिट कार्ड पर किसान को ऋण का भुगतान किस प्रकार करना होता है, उस राशि पर लगने वाला ब्याज कीतना होगा जानें

किसान क्रेडिट कार्ड पर किसान को ऋण का भुगतान किस प्रकार करना होता है, उस राशि पर लगने वाला ब्याज कीतना होगा जानें

देश के सभी राज्यों किसान कृषि कार्य के लिए लोन लेते है , यह लोन वार्षिक , अर्धवार्षिक या फसल के अनुसार लेते है | जिसे सरकारी या राष्ट्रीय बैक किसान को लोन देता है | लेकिन ज्यादा तर किसान को यह मालूम नहीं है की लोन पर ब्याज किस आधार पर लिया जाता है | आज आप सभी किसान भाई को लोन और उस पर ब्याज के बारे में पूरी जानकारी दिया जायेगा |
मान लेते है की देश के किसी भी राज्य के कोई भी किसान किसान क्रेडिट कार्ड से 5 लाख रूपये का कर्ज किसी भी राष्ट्रीय बैंक से लेता है | तो अब यह जानना होगा की वह किसान एक साल में कितना रुपया बैंक को लौटना पड़ेगा | इस पर किसान को दो तरह का ब्याज लगेगा | एक 3 लाख रूपये तक के लोन पर 7 प्रतिशत तथा 2 लाख लोन पर 9 प्रतिशत का ब्याज लगेगा | अगर वह किसान जिस तारीख से लोन लिया है अगर उसी तारीख को लोन वापस कर देता है तो 3 लाख रूपये पर 3 प्रतिशत का सब्सिडी मिलेगा | बाकि 2 लाख रूपये पर 9 प्रतिशत का ही ब्याज लगेगा |
अब यह जानना होगा की किसान को एक साल में कितना रुपया बैंक को वापस करना होगा | जैसा की ऊपर बताया की एक साल में लौटने पर 3 लाख रूपये पर 3 प्रतिशत का सब्सिडी मिलेगा | इसका मतलब यह हुआ की 3 लाख रूपये पर 4 प्रतिशत का ब्याज लगेगा | 12000 रुपया 3 लाख पर एक साल का ब्याज होगा | बचे हुए 2 लाख पर 9 प्रतिशत का ब्याज लगेगा | 18000 रुपया 2 लाख रूपये का ब्याज होगा | कुल एक साल में किसान को ब्याज सहित रुपया होगा

(3 लाख लोन + 12000 ब्याज ) + (2 लाख लोन + 18000 ब्याज ) = 5 लाख 30 हजार रुपया |

इसके बाद केंद्र सरकार ने 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा लागू किया था , जिसमें यह नियम है की देश के कोई भी किसान अगर किसान क्रेडिट कार्ड या किसी और माध्यम से भी फसल के लिए कर्ज लेता है तो लिए हुए कर्ज का 2 प्रतिशत प्रधान मंत्री फसल बीमा के लिए काटा जायेगा |
इसका मतलब यह हुआ की किसान ने 5 लाख रूपये का कर्ज लिया था तो उसका राशि का 2 प्रतिशत काट लिया जायेगा | 5 लाख रूपये का 2 प्रतिशत 10,000 रुपया होता है | इसमें आप को ध्यान देने वाली बात यह है की किसान लोन तो 5 लाख रूपये का लेगा लेकिन उसे 2 प्रतिशत काट कर 4 लाख 90,000 रुपया ही मिलेगा | लेकिन ब्याज 5 लाख रूपये पर लगेगा |तो किसान को एक साल में 5 लाख रूपये लोन लेने पर 4 लाख 90,000 रुपया मिलेगा और 5 लाख 30,000 रुपया एक साल में लौटान पड़ेगा |

अब यह जानते है की किसान ने किसी कारण से एक साल में बैंक को पैसा नहीं लौटा पाया तो किसान पर कितना कर्ज रहेगा ?

अगर किसान 5 लाख रुपया लेकर किसी कारण से एक साल में कर्ज नहीं लौटा पाया तो किसान को मिलने वाला 3 प्रतिशत की सब्सिडी नहीं मिलेगी | इसका मतलब यह हुआ की 3 लाख पर 7 प्रतिशत का ही ब्याज चलेगा | किसान जितना देर करेगा किसान पर बोझ उतना ही बढेगा |
यह योजना पिछले 10 साल से लागू है प्रतेक साल मार्च महीने में इसकी समय पूरा हो जाता है , सरकार प्रतेक साल इस योजना को अगले साल के लिए बढ़ा देती है | इस वर्ष देर से लेकिन 14 जून को इस योजना को वर्ष 2017 – 18 के लिए लागू किया गया है | इसके लिए केंद्र सरकार 20339 कड़ोर रुपया स्वीकृत किया है | जिसका आप लोग लाभ उठा सकते है |
अब आप सभी किसान भाई अगर कर्ज लिए हैं या लेने के बारे में सोच रहे हैं तो अपनी कर्ज पर लगने वाला ब्याज को आप इस नियम से जोड़ सकते है |

Monday, August 28, 2017

राजस्व विभाग द्वारा कानून की अवहेलना करते हुवे आम नागरिको का शोषण

सन्दर्भ संख्या : ट्रेप /८३८ -८४९ x २ दिनांक २८ अगस्त २०१७
माननीय श्री योगी आदित्य नाथ जी ,
मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश , लखनऊ
विषय : राजस्व विभाग द्वारा कानून की अवहेलना करते हुवे आम नागरिको का शोषण
महोदय ,
आम नागरिक हो या किसान सभी के जमीन के विवाद में राजस्व विभाग की अहम् भूमिका होती है और दो पक्षों में हुवे भूमि विवाद में राजस्व विभाग द्वारा की गई भूमि के नाप को ही प्रमाणिक माना जाता है I भूमि को नापने के लिए राजस्व विभाग के अधिकारी ( लेखपाल / कानूनगो ) एक विशेष लोहे की चेन का उपयोग करते है , जिसे प्रचलन की भाषा में जरीब ( सर्वेक्षण चेन / measuring chain ) कहते है I
महोदय , उत्तर प्रदेश शासन के उपभोक्ता संरक्षण एवम बाट - माप की अधिसूचना संख्या 331/84-1-2011-23 बा मा - 2010 दिनांक 01 अप्रैल 2011 की अनुसूची - 9 , नियम 17(1) के अनुसार सर्वेक्षण चेन का वार्षिक सत्यापन एवम स्टाम्पन आवश्यक है , जिस हेतु सरकार ने शुल्क भी तय कर रखा है I
महोदय , हमें प्राप्त एक सूचना के अनुसार राज्य भर में जमीन की पैमाइश में काफी गड़बड़ी हो रही है , इसे ध्यान में रखकर सूचना कानून में हमने २ बार सूचनाए मांगी जिसपर तहसीलदार कोल , अलीगढ के द्वारा दिए गए जबाब 148 दिनांक 25-07-17 एवम 149 दिनांक 26-07-17 ( दोनों प्रतिलिपिया संलग्न ) I
दिए गए जबाब के अनुसार उनके विभाग के पास जमीन पैमाइश हेतु कितनी जरीब है उसका कोई भी रिकार्ड उपलब्ध नहीं I उनके अनुसार उनके पास जो जरीबे है वो सब स्वयं प्रमाणित है जिसे किसी तरह से सत्यापन एवम स्टाम्पन की आवश्यकता नहीं I
महोदय , आज के भ्रष्टाचार के युग में जरीब ( सर्वेक्षण चेन / measuring chain ) के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ से इनकार नहीं किया जा सकता , विशेषकर जब नियमानुसार इनकी प्रमाणिकता हेतु सत्यापन एवम स्टाम्पन ही कभी नहीं किया जाता है I -
महोदय , यही स्थिति सम्पूर्ण प्रदेश में में भी हो सकती है और कही भी किसी भी जिले में जरिबो की वार्षिक सत्यापन एवम स्टाम्पन , बाट-माप विभाग द्वारा नहीं करवाई जाती I
हमारा अनुभव है कि जब भी राजस्व विभाग से सम्बंधित कोई सुझाव / सुधार या शिकायत इनके उच्चतम विभाग बोर्ड आफ रेवेन्यु को भेजा जाता है वह यथा-स्थिति में सबसे निम्नतम ईकाई तहसील / लेखपाल को क्रमवार अग्रेसित होता जाता है , और अंत में दाखिल दफ्तर हो जाता है I जिले के शीर्ष अधिकारी शायद आम जनता के सुझाव या किसी शिकायत को न तो स्वीकार करते है न ही सुनना पसंद करते है I
अतः हमारा आपसे अनुरोध है कि इस विषय को गम्भीरता से लेते हुवे आवश्यक निर्देश जारी करते हुवे सम्पूर्ण मामले की जांच करवाते हुवे दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही करने की कृपा करे I
धन्यवाद सहित
भवदीय ,
बिमल कुमार खेमानी , संरक्षक
ई विक्रम सिंह , अध्यक्ष , ट्रेप ग्रुप
प्रतिलिपि :
1. श्री अतुल गर्ग ,
राज्य मंत्री , खाद्य एवम रसद विभाग , उत्तरप्रदेश शासन , लखनऊ
2. मुख्य सचिव , उत्तरप्रदेश शासन , लखनऊ
3. अध्यक्ष , राजस्व परिषद् , उत्तरप्रदेश शासन , लखनऊ
4. जिलाधिकारी , अलीगढ
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Sunday, August 27, 2017

अब गूगल मैप बताएगा टॉयलेट का रास्ता--

अब गूगल मैप बताएगा टॉयलेट का रास्ता--
2 अक्टूबर से देश के 85 शहरों में मौजूद शौचालयों की लोकेशन गूगल मैप पर डाल दी जाएगी। इसके साथ ही एक ऐप भी लॉन्च की जाएगी जिसमें आसपास शौचालय ढूंढे जा सकेगें।
बाजार और भीड़भाड़ वाले इलाकों के अलावा सड़कों पर लोग टॉयलेट ढूंढ़ने के लिए परेशान होते हैं। सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को होती है।
मिशन टॉयलेट लोकेटर के तहत अभी आगरा, अजमेर, अहमदाबाद, भिलाई नगर, भुवनेश्वर, धानबाद, ग्रेटर मुंबई, गुवाहटी, जयपुर, जम्मू,कोच्चि, विजयवाड़ा समेत ग्रेटर बैंगलूरू को शामिल किया गया है।
आप रास्ते में कहीं जा रहे हैं और अचानक टॉयलेट लगे या पेट खराब हो जाए, तो क्या करेंगे। जाहिर है स्थानीय लोगों से सार्वजनिक शौचालय के बारे में पूछेंगे। इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं होता है। मगर, अब आपको आसानी से पता चल जाएगा कि आप जहां हैं, वहां से सबसे पास कौन सा शौचालय है। भारत सरकार ने एक पहल शुरू की है। इसका नाम ‘मिशन टॉयलेट लोकेटर’ है। इसके तहत जल्द ही केन्द्र सरकार गूगल मैप पर सार्वजनिक शौचालयों की लोकेशन डालने जा रही है।
2 अक्टूबर से देश के 85 शहरों में मौजूद शौचालयों की लोकेशन गूगल मैप पर डाल दी जाएगी। इसके साथ ही एक ऐप भी लॉन्च की जाएगी जिसमें आसपास शौचालय ढूंढे जा सकेगें। इसके लिए नगर निगम सभी टॉयलेट की लोकेशन गूगल मैप पर अपडेट करवाने जा रहा है। ऐप पर पब्लिक टॉयलेट में सफाई की रेटिंग की जानकारी के साथ फीडबैक देने की भी सुविधा होगी।
दिल्ली में योजना लॉन्च-
इस फीचर को सबसे पहले दिल्ली में 23 अगस्त को लॉन्च कर दिया गया है, बाकी शहरों में काम चल रहा है। ये कदम दिल्ली को साफ-सुथरा बनाने और सार्वजनिक जगहों को शौच मुक्त बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। गूगल मैप की मदद से अब दिल्ली में रहने वाले या टूर पर आने वाले लोग 331 पब्लिक टॉयलेट को ढूंढ सकते हैं। यूजर्स को केवल गूगल मैप में पब्लिक टॉयलेट या टॉयलेट लिखकर सर्च करना होगा। इसके बाद गूगल मैप यूजर्स को उनके आसपास मौजूद सारे टॉयलेट का पता बता देगा।
'स्वच्छ भारत टॉयलेट लोकेटर' ऐप के जरिए अभी शहर के सिर्फ नौ पब्लिक टॉयलेट गूगल मैप पर दिखते हैं। बाकी पब्लिक टॉयलेट के लोकेशन की कोई जानकारी गूगल मैप पर नहीं है, जबकि शहर में इस वक्त 331 पब्लिक और कम्युनिटी टॉयलेट हैं। इस कारण बाजार और भीड़भाड़ वाले इलाकों के अलावा सड़कों पर लोग टॉयलेट ढूंढ़ने के लिए परेशान होते हैं। सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को होती है। योजना के तहत गूगल मैप पर सभी पब्लिक टॉयलेट की लोकेशन के साथ इनके खुलने और बंद होने की जानकारी भी शेयर की जाएगी। इस बीच एनडीएमसी ने अपना नया ऐप एनडीएमसी 311 लॉन्च किया है। इसके जरिये यूजर्स विभिन्न नागरिक सेवाओं के बारे में जान सकते हैं और सबसे पास के 'स्मार्ट टॉयलेट' का पता लगा सकते हैं।
सुविधाएं होंगी और भी बेहतर-
एनडीएमसी अध्यक्ष नरेश कुमार के मुताबिक, ऐसे स्मार्ट शौचालयों में एटीएम, रूफटॉप सौर पैनल्स, सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन के साथ ही कई अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी। दिल्ली-एनसीआर में एनडीएमसी द्वारा ऐसे 109 स्मार्ट टॉयलेट का निर्माण किया गया है। एक तरह से एनडीएमसी यात्रियों और आम जनता के लिए शौचालयों को रिसोर्स हब में बदलने की कोशिश कर रहा है। दिल्ली के शौचालयों को गूगल मैप में अपलोड कर दिया गया है, ताकी लोग आसानी से इन्हें खोज सकें।
इन शौचालयों को एनडीएमसी के मोबाइल ऐप 'NDMC311' में भी सर्च किया जा सकता है। तीन महीने के भीतर 41 और सार्वजनिक शौचालयों को एनडीएमसी द्वारा गूगल मैप में अपलोड किया जाएगा। लोग शौचालयों को उपयोग कर अपने अनुभव भी साझा कर सकते हैं। लोगों के अनुभवों के आधार पर एनडीएमसी शौचालयों की बुनियादी सुविधाओं में सुधार करेगी और जरुरत के मुताबिक सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। ये कदम दिल्ली को साफ-सुथरा बनाने के लिए और शौचमुक्त करने के लिए उठाया गया है।
इन शहरों के टॉयलेट आएंगे मैप पर-
मिशन टॉयलेट लोकेटर के तहत अभी आगरा, अजमेर, अहमदाबाद, भिलाई नगर, भुवनेश्वर, धानबाद, ग्रेटर मुंबई, गुवाहटी, जयपुर, जम्मू,कोच्चि, विजयवाड़ा समेत ग्रेटर बैंगलूरू को शामिल किया गया है। इस पहल की शुरूआत सबसे पहले दिल्ली के नेशनल कैपिटल रीजन में की गई थी। एनसीआर में यह पता चला कि रोजाना करीब 50-60 लोग टॉयलेट लोकेटर ऐप का इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही टॉयलेट की कंडीशन को भी रेटिंग देते हैं। अभी तक कुल 5,162 शौचालय को मैप पर डाल दिया गया है। Source- 

Tuesday, August 22, 2017

राज्य सूचना आयुक्त श्री अरविन्द सिंह बिस्ट को उनके पद से हटा कर लखनऊ विकास प्राधिकरण, लखनऊ मे हुए भ्रस्टाचार में उनकी संलिप्प्ता एवं अर्जित संपत्तियों की जाँच कराया जाना

राज्य सूचना आयुक्त श्री अरविन्द सिंह बिस्ट को उनके पद से हटा कर लखनऊ विकास प्राधिकरण, लखनऊ मे हुए भ्रस्टाचार में उनकी संलिप्प्ता एवं अर्जित संपत्तियों की जाँच कराया जाना
Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
अटैचमेंट1:53 pm (31 मिनट पहले)
cmup
महोदय
उक्त सम्बन्ध में लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्रों में LDA की उपसचिव, अम्बी बिस्ट द्वारा फर्जी आवंटन के जरिये LDA के एक बड़े भूखण्ड अपने पति राज्य सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिस्ट के नाम किये जाने का मामला प्रकाशित हुए
अतः आपसे अनुरोध है कि-
1-उक्त भ्रस्टाचार चुकि उच्चाधिकारियो से जुड़ा हैं इसलिए प्रश्नगत भू-खण्डों की पत्रावलियां गायब किये जाने या नस्ट किये जाने की संभावना से इनकार नही किया जा सकता है इसलिये उक्त भ्रस्टाचार से संबधित समस्त पत्रावलियां सुरक्षित करायी जाये ताकि वे किसी भी प्रकार नस्ट न हो सके
2-उक्त सूचना आयुक्त द्वारा एक संवैधानिक पद पर बैठ कर जालसाजी के कृत्य से अपने नाम भूखण्ड कराना कदाचार की श्रेणी में आता है अतः RTI ACT की धारा 17 के अधीन उक्त सूचना आयुक्त श्री बिस्ट के विरुद्ध आवश्यक जाँच एवं कार्यवाही के लिये ये मामला राजपाल उत्तर प्रदेश को संदर्भित किया जाये और माननीय सर्वोच्च न्यायालय को भी
3-उक्त सूचना आयुक्त को उसके पद से हटाने के बाद ही उक्त प्रकरण की निष्पक्ष जाँच संभव प्रतीत होती है इसलिए उक्त सूचना आयुक्त को उसके पद से हटाया जाये
4-उक्त श्री अम्बी बिस्ट LDA के सूचना सम्बन्धी मामले देखती है और उक्त सूचना आयुक्त श्री बिस्ट आयोग में LDA के विरुद्ध आयोग में की गयी अपीलों व शिकायतों को सुनते है और बिना विभाग के विरुद्ध दण्ड अधिरोपित किये और मांगी गयी सूचना दिलाये बिना ही नितारित करते का रहे हैं इसलिये आयोग के उस कार्य वितरण की जाँच करायी जाये जिसके तहत उक्त सूचना आयुक्त श्री बिस्ट को प्राधिकरण के सूचना सम्बन्धी दायित्व श्री बिस्ट को सौपा जाया है और श्री बिस्ट द्वारा द्वारा LDA के विरुद्ध अब तक सुने सभी मामलों की जाँच करायी जाये और जारी आदेशों की समीक्षा करायी जाये कि उनके आदेश किस विधि मुखरित है और RTI एक्ट के दायरे में आते है
5-उक्त सूचना आयुक्त द्वारा किस आदेश से प्रदेश के किन किन शहरों में कितने कैंप लगाये हैं और इस सुनवाइयों में अधिकारिओं से मिली भगत करके कितने नागरिकों से जबरन धमकी दे कर ये लिखवाया है कि उन्हें सूचना मिल गयी है जबकि वास्तव में उन्हें सूचना मिली ही न्ह्ही है और इस एवज में श्री बिस्ट ने उन अधिकारिओं से कितना और किस प्रकार का लाभ अर्जित किया है
6-उक्त लाभ के कितने अंश से उन्होंने भू संपत्ति अर्जित की है ?
कृपया उक्त शिकायत को दर्ज कर, आवश्यक निष्पक्ष जाँच और कार्यवाही आदेशित की जाये और कृत कार्यवाही से मुझे भी अवगत कराया जाये
7-उक्त आयुक्त के सम्बन्ध में आवेदित सूचना दिलाई जाये
संलग्नक -उपरोक्तानुसार का संज्ञान भी लिया जाये
--
भवदीय,

(अशोक कुमार गोयल)
अध्यक्ष
सूचना का अधिकार कार्यकर्ता वेलफेयर एसोसिएशन,
पता :- गणेशपुर - रहमानपुर ,थाना चिनहट, लखनऊ -226028
E-Mail :- akgoel1954@gmail.com
मोबाईल :- 8009444448
Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
2:04 pm (23 मिनट पहले)
Governor
इस आशय से प्रेषित है कि राज्य सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिस्ट द्वारा RTI ACT की धारा 17(e) के विपरीत आचरण का संज्ञान लिया जाये और उन्हें सूचना आयुक्त के पद से हटाया जाये तथा उक्त साबित कदाचार के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय को जाँच हेतु ये मामला संदर्भित किया जाये और संदर्भित पत्रावलियों की समुचित सुरक्षा का प्रबंध किया जाये
उक्त शिकायत दर्ज कर प्राप्त्गी दी जाये
---------- अग्रेषित संदेश ----------
प्रेषक: Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
दिनांक: 22 अगस्त 2017 को 1:53 pm
विषय: राज्य सूचना आयुक्त श्री अरविन्द सिंह बिस्ट को उनके पद से हटा कर लखनऊ विकास प्राधिकरण, लखनऊ मे हुए भ्रस्टाचार में उनकी संलिप्प्ता एवं अर्जित संपत्तियों की जाँच कराया जाना
प्रति: cmup <cmup@up.nic.in>
Ashok Goel <akgoel1954@gmail.com>
2:06 pm (21 मिनट पहले)
SCI
सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित है
कृत कार्यवाही से मुझे भी अवगत कराया

Saturday, August 19, 2017

Zero Standard of Rural Postal Services in India

Subject :- Zero Standard of Rural Postal Services in India. As you know, India's 80% of population live in villages. But the postal services in rural areas quite zero standard. It is such that a post offices in an urban area works for full day, but on the other hand a post office in a rural area works for only three hours, despite the fact that two or three additional non-post office villages are attached with this rural post office. Every City or urban area has a post office but not every village has a post office. Urban post offices are separate and have well furnished buildings but rural post offices are premised in private homes. The urban area postal employees are permanent, but the rural area postal employees are temporary/part time. It is such that a post offices in an urban area all Business of Small Savings Paid commission to Agent, but on the other hand a post office in a rural area all Business of Small Savings without Paid any commission. Bonus of PLI Big and Bonus of RPLI Low. Salary of GDS App. 6000- PM. This kind of disparity with the rural folk is unfair and unjust. During after independence, the department of post has registered tremendous progress in rural areas through huge network or extra departmental Post offices. In the rural areas which represents a population ratio of 74.20% the postal development is much more phenomenal. A total number of 2.7 lacks of Gramin Dak Sevaks are taking care of the postal needs of the population through 1,27,183 branch Post Offices without buildings. This represents 89.42% of total connectivity whereas the urban connectivity is about 10.58%. The statistical data for the past decades goes to demonstrate the vast growth of Rural Post Office and GDS staff. It is GDS who are actually running the country's postal services. ** It is illegal and extremely unfair labour practice to consider main workforce of the Postal Department providing 90% of Postal connectivity as "Extra Departmental". The whole system of maintaining lakhs of workers as Extra Departmental employees is itself illegal. Since overwhelming part of the postal services are run by them, almost 90%, they should immediately be departmentalized/made integral part of the Department and paid all benefits admissible to regular employees. They indeed are the real Postal workforce in the country running largest and one of the most efficient Postal services in the world. It is unjust to consider them as class apart from the regular employees. Grant Status/Regularization as government servant to GDS employees as recommended by Justic Talwar and many Committees. The Hon’ble Supreme Court of India in its land mark judgement held that the Extra Departmental agents (now GDS) are holders of civil posts. **For promotion from GDSs to LGOs & MTSs age limit is 50 year and for promotion form GDSs to PA/SA is only 30 year age limit. Which is unfair and injustice to GDSs. Isn't it a discrimination, injustice, high-hundeness. Apart from postal department, other different departments of Centre and other States have also recruited permanent employee in rural areas and these rural employees given promotion along with special kind of facilities .Besides there are other facilities like rural area allowance, concession in merit to rural children , preference in promotion or jobs. The postal department has recruited no permanent employees in rural area. Like other departments, the postal department should also give opportunities of availing facilities and promotions to its rural employees so that the life standard of the GDSs may improve. Here his only fault is that he has served in rural area. Unfortunately, most of the facilities granted by the department to the departmental employees are denied to these low paid poor employees where as the duties, services, functions, risks and responsibilities of the GDS employees similar and equal to those of departmental employees. If we want to revive our rural postal services, The Government of India must make serious efforts. As per provisions in the Constitution, the rural people should also be provided with all some equal rights as urban people enjoy. Department of posts long time services to urban. now turn is rural . It is therefore requested to the implement fully day postal services and modern facilities in rural areas. thanking you in anticipation.See Translation

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किसी ने ऑनलाइन पैसे निकाल लिए, तो ऐसे मिलेंगे आपके पूरे पैसे वापस

नरेंद्र पाल एक सरकारी स्कूल में टीचर हैं. चंडीगढ़ के पास जीरकपुर में रहते हैं. एक रात 12 बजने के कुछ पहले उनके फ़ोन पर एक SMS आया. इसमें कुछ ऐसा था, जिसे पढ़कर उनके पसीने छूट गए. किसी ने सूरत (गुजरात) के एक ATM से उनके अकाउंट से 10 हज़ार रुपए निकाल लिए थे. इससे पहले कि वो कुछ समझ पाते, उन्हें दो और मैसेज आ गए. एक में 10 हज़ार कटने की बात थी और दूसरे में 20 हज़ार. चूंकि पैसे निकालने वाले ने पहला डेबिट 12 बजने से कुछ मिनट पहले किया था, इसलिए 12 बजने के तुरंत बाद उसने फिर से पैसे निकाल लिए.
ये सिर्फ़ नरेंद्र पाल की कहानी नहीं है. ज़्यादा से ज़्यादा लोग अब ऑनलाइन बैंकिंग सर्विसेज़ का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे बैंकिंग फ्रॉड भी बढ़ रहे हैं. नोटबंदी के बाद से ऑनलाइन ट्रांज़ैक्शन में और भी तेज़ी आई है. पाल के साथ जो कुछ भी हुआ, उसके बाद उन्होंने तुरंत अपने बैंक की हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया. उन्होंने अपने बैंक की शाखा और RBI को लिखा. बताया कि उन्होंने किसी से भी अपने बैंक अकाउंट और ATM कार्ड की डीटेल शेयर नहीं की थी, ऐसे में उनके पैसे किसने और कैसे निकाल लिए?
पाल ने एक शिकायत क्राइम ब्रांच की साइबर सेल में भी दी. अधिकारी उन्हें उस पेट्रोल पंप पर भी ले गए, जहां से उन्होंने आखिरी बार अपने ATM से पैसे निकाले थे. हालांकि, इससे भी कुछ पता नहीं लगा. पाल बताते हैं कि बैंक स्टाफ़ साथ देने वालों में से था, फिर भी अपने पैसे वापस पाने में उन्हें दो महीने से ज़्यादा लग गए और बैंक के न जाने कितने चक्कर काटने पड़े.
लेकिन, अब नरेंद्र पाल जैसे लोगों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. RBI ने बैंकों और कस्टमर्स के लिए ऐसी गाइडलाइन्स जारी की हैं, जिनसे ऑनलाइन फ्रॉड झेलने वालों को बहुत राहत मिलेगी. इससे फ़ायदा कस्टमर को मिलेगा. पहले इस विषय में कोई क्लियर गाइडलाइन्स नहीं थीं या रिफ़ंड के लिए कोई निर्धारित समय-सीमा तय नहीं थी. अब जब ऑनलाइन ट्रान्ज़ैक्शन बहुत होने लगे हैं, ऐसे में बैंक वालों का ऐसा करना बहुत ज़रूरी हो गया है, ताकि उन पर लोगों का विश्वास बना रहे. इसके लिए बैंक अपने फ्रॉड मॉनीटरिंग सिस्टम को और दुरुस्त करेंगे.

बैंक नुकसान की भरपाई करेगा अगर…

#1. अगर लापरवाही बैंक की तरफ़ से हुई है, तो कस्टमर ने चाहे इस बारे में रिपोर्ट की हो या न की हो, बैंक पूरे पैसे वापस करेगा. डिजिटल ट्रान्ज़ैक्शन कई प्लेटफॉर्म से होकर गुज़रता है. जैसे अदाकर्ता का बैंक, प्राप्तकर्ता का बैंक, पेमेंट गेटवे वगैरह. इन ट्रान्ज़ैक्शन को एन्क्रिप्ट करके सुरक्षित रखना ज़रूरी है. एन्क्रिप्ट करने से डाटा ऐसे फॉर्म में बदल जाता है, जो आसानी से अनधिकृत लोगों की समझ में नहीं आता. इस प्रॉसेस में अगर कोई चूक होती है, तो उसकी ज़िम्मेदारी फिर बैंक की ही होगी. RBI की गाइडलाइन्स के मुताबिक बैंक को कस्टमर को रिफंड करना होगा.
#2. अगर गलती न बैंक की है और न कस्टमर की, बल्कि किसी और तीसरी पार्टी की वजह से पैसे कटे हैं, तो ऐसे केस में कस्टमर को ट्रान्ज़ैक्शन के बाद तीन दिन के अंदर बैंक को इसकी जानकारी दे देनी चाहिए. इससे बैंक को कस्टमर के सारे नुकसान की भरपाई करनी पड़ेगी.
#3. अगर कस्टमर की अपनी लापरवाही के कारण उसका ATM पिन, कार्ड नंबर या कोई और डीटेल लीक हुई, तो उसके लिए वो खुद ज़िम्मेदार हैं और सारा नुकसान कस्टमर को खुद उठाना पड़ेगा. इसलिए ज़रूरी है कि कार्ड के खोते ही सबसे पहले उसे ब्लॉक कराया जाए.
#4. अगर कस्टमर बैंक को ट्रान्ज़ैक्शन के बारे में 4 से 7 दिन के अंदर बताएंगे, तो जिसके सेविंग्स बैंक अकाउंट के क्रेडिट कार्ड की लिमिट 5 लाख रुपए है, उसे बैंक को 10 हज़ार या जितने पैसे निकले हैं, इन दोनों में से जो अमाउंट कम होगा, उतना देना पड़ेगा. ऐसा ही करंट बैंक अकाउंट के क्रेडिट कार्ड वालों के साथ भी होगा, जिनकी सालाना एवरेज लिमिट 25 लाख रुपए है. उन्हें भी ज़्यादा से ज़्यादा 10 हज़ार देने होंगे.
ये अमाउंट जो कस्टमर को देना पड़ता है, उसे लाएबिलिटी (liability) कहते हैं. इतना अमाउंट तो कस्टमर को देना ही होगा. उदाहरण के तौर पर- अगर अकाउंट से 5 हज़ार रुपए निकले हैं, तो 5 हज़ार देने होंगे और अगर 5 लाख निकले हैं, तो 10 हज़ार तो कम से कम देने ही पड़ेंगे. बाकी के 4 लाख 90 हज़ार बैंक कस्टमर को देगा.
अगर क्रेडिट कार्ड की लिमिट 5 लाख से ज़्यादा है, तो कस्टमर की लाएबिलिटी लिमिट 25 हज़ार रुपए होगी. मतलब जिनके क्रेडिट कार्ड की लिमिट 5 लाख रुपए से कम है, वो बैंक को ज़्यादा से ज़्यादा 10 हजार रुपए देंगे और जिनके क्रेडिट कार्ड की लिमिट 5 लाख से ज़्यादा है, उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा 25 हज़ार रुपए देने होंगे.
#5. RBI की नई गाइडलाइन्स के मुताबिक कस्टमर के शिकायत करने के बाद दस दिन के अंदर-अंदर बैंक को कस्टमर के अकाउंट में उसके पैसे डालने होंगे.
#6. अगर 7 दिन बाद कस्टमर शिकायत दर्ज कराता है, तो उस केस में बैंक का बोर्ड फ़ैसला लेगा कि क्या एक्शन लेना है. बैंक हर छोटी से छोटी डिटेल चेक करेगा. ट्रान्ज़ैक्शन की पूरी डिटेल, हर रजिस्टर्ड फ़ोन नंबर की डिटेल, हर SMS और हर ईमेल एड्रेस की डिटेल. 90 दिन के अंदर-अंदर बोर्ड को फैसला लेना है. इतने दिन बाद भी अगर वो किसी नतीजे पर नहीं पहुंचते हैं, तो बैंक को कस्टमर से बिना कोई लाएबिलिटी लिए उसके पूरे-पूरे पैसे वापस करने होंगे.

Thursday, August 17, 2017

For all complaints on charging more than MRP PLS COMPLAIN TO

For all complaints on charging more than MRP PLS COMPLAIN TO
List of Controllers of Legal Metrology of States/UTs
S.No. Address, Phone No., Fax No., E-mail
1. Controller of Legal Metrology,
Government of Andhra Pradesh
Door.No: 48-8-12 & 12A,
Boddupativari Street,
Near ESI Hospital, Gunadala, Vijayawada- 520004
Ph: 0866-2974239, 0866-2974235
Email: clm-ap@nic.in
2. Controller of Legal Metrology
(Weights & Measures)
Government of Arunachal Pradesh,
Old Secretariat Complex,
Nagarlagun –791110
Tel. Fax: 0360-23508837, Fax: 0360-2350664/2247661
Email: controller@rediffmail.com
3. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Assam,
Ulubari, Guwahati
Tel.Fax: 0361-2470992
Email: legmetroassam@gmail.com, shyammewara2003@yahoo.com
4. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Bihar, Raja Bajar,
Post Vetnari College, Beli Road,
Patna – 800 001
Ph: 0612-2223895, Fax: 0612-2295258
Email: clmbiharpatna@gmail.com
5. Controller of Legal Metrology
(Weights & Measures),
Govt of Chhattisgarh, Indrawati Bhawan, Block-2,
Third Floor, New Raipur,
Chhattisgarh
Ph.0771-2524294/2343274/2343275
Email: clm.cg@nic.in, controllercgwm@gmail.com
6. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Goa, Panaji – 403 001
Ph: 0832-2421037, Tel. Fax: 2426432
Email: conlegal.goa@nic.in
7. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Gujarat,
M S Building, Block-B, 2nd Floor, Nr. Pathikashram,
Gandhinagar- 382011
Tel. Fax: 079-23257060
Email: clmgujarat@legalmetrology.gujarat.gov.in
8. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Food & Civil Supply
Government of Haryana,
30 Bays Building, 2nd Floor,
Sector 17, Chandigarh
Ph: 0172-2701366, Fax: 0172- 2702759
Email: dirfoodhry@gmail.com, clmharyana@yahoo.com
9. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Himachal Pradesh,
Apurti Bhavan, 1st Floor,
Block No. 42, SDA Commercial Complex,
Kasumpti Shimla – 171 009
Ph: 0177-2625345, Fax: 0177-2623749
Email: dfs-hp@nic.in, kcg2213@gmail.com, contlmhp@gmail.com
10. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Jammu & Kashmir,
Revenue Complex Building,
Takkipora, Srinagar
Ph: 0194- 473828/2452512, 2458693, 2546193
Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Jammu & Kashmir,
Civil Sectt. Mini,
Block-I/16, Jammu Tawi
Ph: 0191-2549682/2546193
Email: dclmkenf@gmail.com, dclmjammu@gmail.com, vinod.sambyal123@yahoo.com, prabhakar.manoj0@gmail.com
11. Controller of Legal Metrology,
Department of Food, public Distribution and Consumer Affairs,
Government of Jharkhand
Project Bhawan, Dhurva,
Ranchi, Jharkhand State- 834004
No.- 09431167377
Email: clmjharkhand@gmail.com,
12. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Karnataka,
No.1, Ali Askar Road, P.B. No. 175, Bangalore, Karnataka – 560 052
Ph: 080-22260554, 2259024, Fax: 080-22353959
Email: legalmetrology@karnataka.gov.in, clm-lm-ka@nic.in
13. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Kerala,
Vikas Bhavan,
Thiruvananthapuram, Kerala – 695 033
Ph: 0471-303821, 2305996, 2304038, Fax:0471-2305996
Email: clmkerala@gmail.com,
14. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Madhya Pradesh,
Near Dak Bhavan,
Bhopal-Hoshangabad Road,
Bhopal – 462 011
Tel.Fax: 0755-2551017, Fax: 0755-2768638
Email: cwmbho@mp.nic.in, dcwmbpl@yahoo.co.in
15. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Maharashtra,
7th Floor, Fountain Telecom Building No.1, Hutatma Smarak Chowk,
M G Road, Mumbai – 400 001
Tel.No.022-22621968
Fax:022-22622022
Email: dclmms@yahoo.in
16. Controller of Legal Metrology
(Weights & Measures)
Government of Manipur,
2nd MR Gate, North ADC Lane,
Imphal – 795 001
Ph: 0385-2415637
Email: nripenlaitonjam@ymail.com, leutonjamnripen@yahoo.com
17. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Meghalaya,
Shillong Temple Road, Lower Lachumiere,
Behind All Saints School,
Shillong – 793001(Meghalaya)
Tel. Fax: 0364-2222576/ 2221537
Email: shaphrangt@yahoo.com, ingty.israel@gmail.com
18. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Mizoram,
Aizawal
Ph: 0389-2322872/ 322572, Fax.0389-2321035
Email: metrologymizoram@gmail.com
19. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Nagaland,
Kohima – 797 001
Ph: 0370-221609/2270253, Fax: 0370-222727/2270439
Email: directoratelmcp@gmail.com
20. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Orissa,
Khandagiri,
Bhubneshwar – 751 003
Ph: 0674-2322338/ 2350184/2419967, Fax: 0674-2350864
Email: dclmorissa@gmail.com
21. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Punjab,
Dept of Food and Civil Supplies,
SCO No. 44-45, Phase-II, SAS Nagar,
Mohali, Punjab
Ph: 0172-2703049, Fax:0172-2270349
Email: clmpunjab@gmail.com
22. Controller of Legal Metrology
Government of Rajasthan,
Department of Consumer Affairs,
Udyog Bhavan, Tilak Marg,
Jaipur – 302005
Ph: 0141-2227727, Fax:0141-2227516
Email: cirajasthan@yahoo.co.in, controllerrj12@gmail.com
23. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Sikkim,
Paljor Stadium, Paljor Stadium Road,
Gangatok – 737 101
Ph: 03592-22708, Fax: 03952-22857
Email: chands0202@gmail.com, lmu12gtk@gmail.com
24. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Tamil Nadu,
DMS Compound,
Teynampet, Chennai – 600 006
Ph: 044-24321438, Tel.Fax: 044-24326205/24341966
Email: tnchildlabour@yahoo.com, tncolm@gmail.com
25. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Telangana,
No. 209, PWD Building,
Gandhi Nagar, Hyderabad- 500 080
Ph: 040-27612170, Fax: 040-7613667
Email:clm-ts@nic.in
26. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Tripura,
Khadya O-Bhokta Bhawan (Ground Floor),
Pandit Nehru Complex, Gorkhabasti,
West Tripura, Agartala
Principal Secretary -0381-2416036, Ph: 0381-225997/ 2225534
Fax: 2225984
Email:dipakdas2009@live.com, clm.tripura@gmail.com
27. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of Uttar Pradesh,
7, Walaquad Road, Lucknow – 1 (Uttar Pradesh)
Ph: 0522-2628063/2225997, Fax:0522-2610967/2275902
Email: clmup@rediffmail.com, uplegalmetrology@rediffmail.com
28. Controller of Legal Metrology,
Government of Uttarakhand State,
15, Gandhi Road,
Dehradun-248001.
Ph: 0135-2653159, Tel. Fax: 0135-2651926
Email: negi.praveen27@gmail.com, legalmetuk@gmail.com
29. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of West Bengal,
45, Ganesh Chandra Avenue,
Kolkata – 700 013
Ph: 033- 22256447, Tel.Fax: 22364258
Email: clm.cad-wb@nic.in
30. Commissioner-cum-Secretary Civil Supplies
Government of Andaman & Nicobar Island,
Port Blair – 744 101
Ph: 03192-233377, Fax:03192-240495
Email:pved@and.nic.in
31. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Chandigarh Administration,
Plot No 39, Industrial Area,
Phase II, Ram Darbar, DIC Building, Chandigarh
Ph: 0172-22540444, Fax: 0172-741341,
email: clm_utchd@yahoo.in, dc-chd@nic.in
32. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Dadra & Nagar Haveli Administration,
Silvasa – 396 230
Ph: 02639-42721
33. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Daman & Diu Administration,
Fort area, Moti Daman,
Daman – 396 220
Ph: 02638-54685
Email: jiwm-dmn-dd@nic.in
34. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Lakshdweep,
Kavaratti – 682555
Ph: 04896-262112, Fax: 04896-263298
Email: lk-dwm@nic.in
35. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Government of NCT of Delhi,
117-118, C-Block, Vikas Bhavan,
N.Delhi – 110 002
Ph: 011-23379266, Fax: 23379267
Email: cwmd@nic.in, acwm.delhi@nic.in; acwmhq@gmail.com
36. Controller of Legal Metrology (Weights & Measures)
Dy. Commissioner (Excise) and Ex-officio Under Secy.(Revenue)
Thattanchavady, Puducherry – 605009
Tel.Fax: 0413-2253462, Fax: 0413-2252493/2253462
E-mail: pondyexcise07@dataone.in

Advertising Standards Council of India

Wednesday, August 16, 2017

फोरम के निर्देश पर निजी इंजीनियरिंग कॉलेज ने लौटाई राशि

फोरम के निर्देश पर निजी इंजीनियरिंग कॉलेज ने लौटाई राशि

छत्सीगढ़ प्रवेश व फीस विनायमक समिति की आदेश की अवहेलना करने वाले कोहका स्थित निजी इंजीनियरिंग कॉलेज को फोरम ने दोषी ठहराया है।
दुर्ग. छत्सीगढ़ प्रवेश व फीस विनायमक समिति की आदेश की अवहेलना करने वाले कोहका स्थित निजी इंजीनियरिंग कॉलेज को जिला उपभोक्ता फोरम ने दोषी ठहराया है। जिला उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष मैत्रीय माथुर व सदस्य राजेन्द्र पाध्ये ने कॉलेज प्राचार्य को निर्देश दिए कि वे 67197 रुपए को नौ प्रतिशत ब्याज के साथ परिवादी को दे। इसके अलावा परिवादी 10 हजार मानसिक कष्ट के लिए और पांच हजार रुपए परिवाद व्यय लेने का अधिकारी होगा। 
दस्तावेज लौटा दिए लेकिन फीस नहीं 
कबीर केसल कॉलोनी बिलासपुर निवासी राहुल यादव 23 साल के परिवाद के अनुसार बीई पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया था। 12 जुलाई 2011 को फीस व समस्त शुल्क की राशि कुल 109800 रुपए चेक से जमा की थी। बाद में उसने प्रवेश निरस्त करने के लिए छत्तीसगढ़ तकनीकी शिक्षा संचालनालय और छत्तीसगढ़ प्रवेश तथा फीस विनायमक समिति में निर्धारित दिवस में आवेदन प्रस्तुत किया। कॉलेज ने आवेदन के परिपालन में सभी दस्तावेज लौटा दिए लेकिन फीस नहीं लौटाई।
केवल फीस की राशि लौटाई
छत्तीसगढ़ प्रवेश तथा फीस विनायमक समिति के समक्ष पीडि़त छात्र ने दोबारा आवेदन प्रस्तुत किया। आवेदन पर समिति ने कॉलेज प्रबंधन से जवाब मांगा। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर समिति ने निर्देश दिया कि फीस की राशि के साथ 10 प्रतिशत तिमाही चक्रवृद्धि ब्याज भी कॉलेज प्रबंधन को देना होगा। इस आदेश के बाद कॉलेज प्रबंधन ने पीडि़त छात्र को केवल फीस की राशि लौटाई।
पहले बिलासपुर में किया परिवाद प्रस्तुत
पीडि़त छात्र ने पहले बिलासपुर जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद प्रस्तुत किया। सुनवाई के दौरान 16 मई2016 को फोरम ने यह कहते हुए परिवाद निरस्त कर दिया कि घटना स्थल दुर्ग जिला है। बिलासपुर जिला उपभोक्ता फोरम के क्षेत्राधिकार में दुर्ग शामिल नहीं है।
बचाव में कहा
सुनवाई के दौरान कॉलेज प्रबंधन ने तर्क प्रस्तुत किया कि फीस की राशि लौटा दी गई है। शेष राशि नहीं लौटाने का प्रकरण व्यवहार न्यायालय का है। फोरम के क्षेत्राधिकार में प्रकरण नहीं आने के कारण परिवाद को न्यायहित में खारिज किया जाए

726 रुपए टैक्स काटना बैंक को भारी पड़ गया, फोरम ने लगाया 35 हजार जुर्माना

726 रुपए टैक्स काटना बैंक को भारी पड़ गया, फोरम ने लगाया 35 हजार जुर्माना

DURG, CHHATTISGARH, 
फिक्स डिपाजिट की राशि में इंकम टैक्स के नाम पर 726 रुपए काटने पर उपभोक्ता फोरम ने एसबीआई बालोद शाखा को सेवा में कमी का दोषी ठहराया।
दुर्ग. फिक्स डिपाजिट की राशि में इंकम टैक्स के नाम पर 726 रुपए अतिरिक्त काटने पर जिला उपभोक्ता फोरम ने एसबीआई बालोद शाखा को सेवा में कमी का दोषी ठहराया। फोरम मे बैंक प्रबंधन को आदेश दिया है कि वह परिवादी को 35726 रुपए एक माह के भीतर दे। 
कृषि विकास शाखा बालोद
यह राशि शाखा प्रबंधक कृषि विकास शाखा को देना होगा। इस राशि में टैक्स के नाम पर काटी गई अतिरिक्त राशि 726 रुपए, मानसिक कष्ट के लिए 25000 और वाद व्यय 10000 शामिल है। इस मामले में परिवाद बघमरा निवासी प्रतिमा देवागंन 25 साल ने प्रस्तुत किया था। जिस पर सुनवाई के बाद यह फैसला जिला उपभोक्ता फोरम ने सुनाया।
बैंक ने 726 रुपए का हिसाब नहीं दिया
परिवाद के मुताबिक प्रतिमा ने जमा खाते के माध्यम से दो वर्ष के लिए 4.50 लाख रुपए जमा किया था। अवधि पूर्ण होने पर उसे कुल 540309 रुपए मिलना था। 28 सिंतबर 2013 को उसके खाते में केवल 526353 रुपए ही आया। बैंक ने 13230 रुपए काट लिया। पूछताछ करने पर बैंक ने 726 रुपए का हिसाब नहीं दिया।
ऐसे हुआ खुलासा
परिवादी ने जैसे ही टैक्स के नाम पर राशि काटने की जानकारी मिली उन्होंने बैंक से तत्काल फार्म16 ए मांगा। उसे लेकर वह भिलाई स्थित इंकम टैक्स कार्यालय पहुंची। वहां पर खुलासा हुआ कि 31 मार्च 2012 की स्थिति में टीडीएस के रुप में 4282 रुपए जमा होना था। बैक ने राशि तो काटी है लेकिन उसे जमा नहीं किया है। वहीं 31 मार्च 2013 की स्थिति में 8948 रुपए जमा हुआ है। परिवादी ने बैंक में इसकी शिकायत की। इसके बाद बैंक ने 9 अप्रैल 2012 को राशि जमा किया।
नहीं दिया हिसाब
राशि जमा करने की सूचना बैंक ने फोन पर दी। इसके बाद परिवादी ने फिर से पत्र भेज कर 726 रुपए को किस मद में काटी गई है इसकी जानकारी मांगी। बैंक ने पत्र का जवाब नही दिया।
देरी से दिए जवाब को फोरम ने खारिज किया
सुनवाई के दौरान जिला उपभोक्ता फोरम ने पक्ष रखने बैंक को नोटिस जारी किया था। नोटिस 8 अगस्त 2015 को तामिल भी हुआ। जवाब प्रस्तुत करने में बैंक ने दो माह लगा दिया। 16 अक्टूबर 2015 को जवाब मिलने पर जिला उपभोक्ता फोरम ने जवाब को अस्वीकार कर दिया

Sunday, August 13, 2017

नोटबुक बनाने का व्यापार कैसे शुरू करें

कॉपी अध्ययन क्षेत्र में सबसे अधिक महत्वपूर्ण वस्तु है. इसके बिना पढाई लिखाई किया जाना संभव नहीं है. विभिन्न विषयों की आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न तरह के कॉपी का निर्माण किया जाता है, जो कि बाज़ार में अलग अलग कीमतों पर बेचे जाते हैं.
ये नोटबुक अलग अलग ब्रांड और क्वालिटी के साथ मौजूद होते हैं, जिन्हें इनकी क्वालिटी के साथ विभिन्न कीमतों पर बेचीं जाती है. आप भी बहुत कम पैसे में नोटबुक का व्यापार शुरू कर सकते हैं और अपने ब्रांडिंग के साथ इन्हें बेच कर ख़ूब लाभ कमा सकते है. यहाँ पर इस व्यापार से जुडी सभी आवश्यक जानकारियाँ दी जायेंगी. इसी तरह आप कम खर्च में पेपर प्लेट बनाने का व्यापार शुरू कर सकते है.
नोटबुक बनाने का व्यापार कैसे शुरू करें
नोटबुक बनाने के लिए आवश्यक रॉ मटेरियल (Notebook making raw materials)
नोटबुक बनाने के लिए आवश्यक रॉ मटेरियल के विषय में नीचे दिया जा रहा है. इसके लिए विभिन्न कोटेड अथवा अनकोटेड पेपर यानि दिस्ता पेपर और गत्ता की आवश्यकता होती है.
रॉ मटेरियल की कीमत (Price of raw materials):
दिस्ता पेपर : दिस्ता पेपर की क़ीमत 62 रू प्रति किलोग्राम है.
गत्ता : कवर के लिए इस्तेमाल होने वाला गत्ता 1 रूपया प्रति पीस होता है.
कहाँ से ख़रीदें रॉ मटेरियल (Place to buy of raw materials): निम्न वेबसाईट के माध्यम से ऑनलाइन ख़रीदा जा सकता है.
https://dir.indiamart.com/search.mp?ss=notebook+paper&source=autosuggest
नोटबुक बनाने के लिए मशीनरी (Notebook making machines)
  • पिन अप मशीन
  • एज स्क्वायर मशीन
  • कटिंग मशीन
ये मशीनें 4 किलोवाट बिजली लेती है और इसे घरेलु बिजली से भी चलाया जा सकता है.
नोटबुक बनाने के लिए मशीनरी की क़ीमत (Price of Notebook making Machine) :
इन मशीनों की कुल क़ीमत 5.5 लाख से 6 लाख के बीच में होती है.
कहाँ से ख़रीदें :
इसे इस वेबसाईट के माध्यम से ऑनलाइन ख़रीदा जा सकता है:
नोटबुक बनाने की प्रक्रिया (Notebook making process)
नोट बुक्स बनाने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है, यदि एक बार इसकी मशीनरी समझ ली जाए, तो बहुत आसानी से नोटबुक बनाए जा सकते हैं. इसकी संपूर्ण प्रक्रिया नीचे दी जा रही है.
  • सबसे पहले शीट को (जोकि कॉपी के लिए कवर का काम करता है) उसे अच्छे से इस तरह मोड़ें कि वह कॉपी के अनुसार कवर के आकार में आ जाए.
  • इसके बाद इसमें जितने पन्ने की कॉपी बनानी हो, उतने कागज को भी मोड़ कर उसके अन्दर डाल दें. इसके बाद पिनिंग की प्रक्रिया शुरू होती है.
  • इस प्रक्रिया में इन कवर और उसके अन्दर डाले गये दिस्ता काग़ज़ को पिन करना होता है. इसके लिए फोल्ड किये गये दिस्ता को पिंनिंग मशीन की सहायता से पिन करना होता है. पिंनिंग मशीन की सहायता से यह काम आसानी से हो जाता है.
  • तत्पश्चात इसे एज स्क्वायर मशीन पर ले जाकर इसकी फिनिशिंग करनी होती है. फिनिशिंग यानि कवर से बाहर निकले अतिरिक्त पन्ने आदि की छंटाई वगैरह. फिनिशिंग के बाद नोट बुक पूरी तरह स्क्वायर में हो जाती है.
  • एज स्क्वायर मशीन में पहले इसके पिनिंग का स्थान अच्छे आकार में आ जाता है. इसके बाद इसकी कट्टिंग की बारी आती है. पहले बने हुए कॉपी को सामने से काटें और इसके बाद आवश्यकता हो तो बीच से काट के दो भागों में बाँट दें. पिनिंग किये गये क्षेत्र के अलावा सामने के तीनों भागों को काटना होता है. इस तरह कुछ ही समय में नोटबुक बन के बिकने के लिए तैयार हो जाता है.
  • 15 से 20 मिनट के अन्दर कम से कम 6 से 8 कापियां बन के तैयार हो जाती हैं.
नोटबुक की पैकेजिंग (Notebook packaging)
कॉपी बन के तैयार हो जाने पर इसे आवश्यकतानुसार पैक करना पड़ता है, यदि पैकिंग की बात की जाए तो इसे व्होलसेल अथवा रिटेल के रूप में पैक किया जा सकता है. होलसेल में पैक करने के लिए बड़े पैकेट्स बनाए जा सकते हैं, बड़े बड़े बैग्स में डीलर की आवश्यकता के अनुसार कॉपी पैक किया जा सकता है. यदि रिटेल में अपना ब्रांड सीधे सीधे उतारना चाहते हैं तो इसके लिए प्रति पैकेट 6 कॉपी का पैक बनाएं और विभिन्न स्टेशनरी दुकानों पर पहुंचाएं.
नोटबुक बनाने के व्यापार के लिए कुल खर्च (Notebook manufacturing business cost)
इस व्यव्साय की स्थापना के लिए कुल कर्च 10 लाख रूपए का आता है. इस पैसे में आप ये मशीन भी ख़रीद सकते हैं और साथ ही रॉ मटेरियल भी पा सकते है. इसके अलावा इलेक्ट्रिसिटी वायरिंग वगैरह भी इसी पैसे में हो जायेगी.
इस तरह 10 लाख रुपय की लागत के साथ इस व्यापार की शुरुआत बड़ी आसानी से करके अपना नोटबुक ब्रांड बाज़ार में उतार सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं.
नोटबुक बनाने के व्यापार में लाभ (Notebook manufacturing business profit)
एक किलो पेपर में लगभग 6 से 7 नोटबुक बनाई जा सकती है. यदि इसे रिटेल में बेचें तो 15 रूपए प्रति पीस बिकता है. एक नोट बुक बनाने में कुल लागत 11 रूपए की पड़ती है. व्होलसेल में इस तरह की नोटबुक की क़ीमत 12 से 13 रूपए की होती है. इस तरह से व्होलसेल में प्रत्येक नोटबुक में 2 रू का लाभ कमाया जा सकता है.

Saturday, August 12, 2017

ONLINE BUYERS CAN SUE SELLERS ANYWHERE: SC

Three Cheers to Online Buyers
ONLINE BUYERS CAN SUE SELLERS ANYWHERE: SC
Online consumers can sue a company for deficiency in services at any consumer court of their choice. At times when e-commerce trading is growing rapidly, *this ruling from the Supreme Court* has brought a big relief for consumers going for online purchase of products through websites and e-commerce apps.
In over-the-counter purchases, a consumer can file a complaint in the consumer court only within the local limits where the company/ opposite party resides, carries on business or where the transaction takes place.
*A Bench of Justices Adarsh K Goel and S Abdul Nazeer on Friday upheld a ruling of the National Consumer Dispute Redressal Commission (NCDRC)* six months ago. The NCDRC had ordered budget carrier *Spicejet* to pay Rs 1.25 lakh compensation to a passenger for cancellation of flight. A Chandigarh-based woman, *Rajni Aery*, booked a ticket (Chandigarh to Delhi via Bagdodra and Kolkata) on yatra.com on June 23, 2015 by paying Rs 70,900. The airline cancelled her return flight from Kolkata to Delhi without any reason and provided her no alternative. She approached the consumer court in Chandigarh and secured an order against Spicejet

Friday, August 11, 2017

sbi complent fourum

Naveen J Halladi13:39 I require RS.700000 loan on mortgage what are all documents u required for sanctioning loan......See Translation
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State Bank of IndiaDear Naveen J Halladi, Please visit the link http://bit.ly/2uN5gdO for Loan against property and to apply online for the same.See Translation
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Shael Ahmed46:44 None of the machines are working in hyderabad, cash deposit machines, passbook updating, cheque depositsSee Translation
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State Bank of IndiaDear Shael Ahmed, If you have a specific complaint against any of our branches, please use this link to register the same http://bit.ly/CMSSBI We will be happy to assist youSee Translation