जानें ग्रामीण गोदाम योजना से जुडी हुई सम्पूर्ण जानकारी
परिचय एवं उद्देश्य
योजना के मुख्य प्रयोजनों में किसानों के कृषि उत्पाद,तैयार कृषि उत्पाद,उपभोक्ता वस्तुओं एवं कृषिक निवेश वस्तुओं विषयक आवश्यकताओं के निर्वहन हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में सम्बद्ध सुविधाओं के साथ वैज्ञानिक स्टोरेज क्षमता के निर्माण,ग्रेडिंग के संवर्धन ,कृषि उत्पादों की विपणन क्षमता में सुधार हेतु उनका मानकीकरण एवं गुणवत्ता नियंत्रण,फसल तैयार होने के तत्काल बाद मजबूरन बिक्री की रोकथाम,गोदामों में स्टोर किए गए कृषिक जिंसों(पण्य) के संबंध में मालगोदाम रसीद की राष्ट्रीय पद्धति को आरम्भ करने हेतु गिरवी वित्तपोषण के संवर्धन और ऋण के विपणन और देश में कृषिक विपणन ढांचागत सुविधाओं को मजबूत करना शामिल है।तथापि, गोदामों के निर्माण में उपयोग में ली जाने वाली सामग्री एवं गोदामों का डिजायन उनमें रखी जाने वाली प्रस्तावित वस्तुओं पर निर्भर करेगा।
मुख्य लक्षण
पात्र संगठन:-
ग्रामीण गोदामों के निर्माण की परियोजनाएं व्यक्तियों, किसानों, किसानों/उत्पादको के समूह,साझेदारी मालिकाना हक वाली फर्मों,गैर सरकारी संगठनों(एनजीओ)स्वयं सहायता समूहों(एसएसजी),कम्पनियों,निगमों, कोऑपरेटिव, एग्रो प्रोसेसिंग कोऑपरेटिव सोसाइटियों, कृषि उत्पाद विपणन कमेटियों, विपणन बोर्डों एवं समूचे देश में एग्रो प्रोसेसिंग निगमों द्वारा की जा सकती हैं। ग्रामीण गोदामों के नवीनीकरण/विस्तार में सहायता, तथापि, कोऑपरेटिव द्वारा तैयार गोदामों के मामलों में ही दी जा सकती है।
अवस्थिति
योजना के अंतर्गत उद्यमी को अपनी निर्णय लेने की क्षमता के अनुसार किसी भी स्थान पर किसी भी (आकार)साइज के गोदाम के निर्माण की स्वतंत्रता होगी इसमें निर्बंधन केवल यह होगा कि ऐसा गोदाम नगरपालिका सीमा क्षेत्र के बाहर होगा और इसकी स्टोरेज क्षमता न्यूनतम 100 मैट्रिक टन वस्तुओं को स्टोर करने की होगी/होनी चाहिए।
लोकेशन, आकार और क्षमता :
- गोदाम म्युनिसिपल क्षेत्र की सीमा के बाहर होना चाहिए।
- न्यूनतम क्षमता : 50 मैट्रिक टन
- अधिकतम क्षमता : 10,000 मैट्रिक टन
- गोदाम की ऊचाई : 4-5 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए
- गोदाम की क्षमता : 1 क्सूबिक मीटर क्षेत्र त्र 0-4 मैट्रिक टन की गणना का पैमाना
वैज्ञानिक भंडारण के लिए शर्तें
कार्यक्रम के अंतर्गत निर्मित गोदाम इंजीनियरी अपेक्षाओं के अनुरूप ढांचागत दृष्टि से मजबूत होने चाहिए और कार्यात्मक दृष्टि से कृषि उपज के भंडारण के उपयुक्त होने चाहिए। उद्यमी को गोदाम के प्रचालन के लिए लाइसेंस प्राप्त करना पड़ सकता है, बशर्ते राज्य गोदाम अधिनियम या किसी अन्य सम्बद्ध कानून के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा ऐसी अपेक्षा की गई हो। 1000 टन क्षमता या उससे अधिक के ग्रामीण गोदाम केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) से प्रत्यायित होने चाहिए।
वैज्ञानिक भण्डारण हेतु अपनाई जाने वाली पूर्व शर्ते को संक्षेप में इस प्रकार दिया जा सकता है :
1) सीपीडब्ल्यूडी/एसपीडब्ल्यूडी-के विनिदेशानुसार निर्माण 2) कीटाणुओं से सुरक्षा (अस्थाई सीड़ियों के साथ ऊचा पक्का क्लेटफार्म चूहारोधक व्यवस्था सहित) 3) पक्षियों से सुरक्षा जाली वाली खिड़कियॉ/रोशनदान 4) प्रभावी धूम्रीकरण फयूमीगेशन के लिए दरवाजों, खिड़कियों की वायुअवरोधकता 5) गोदाम कॉम्पलेक्स में निम्न सुविधाऐं होनी चाहिए 6) सुगम पक्की सड़क 7) पक्की आंतरिक सड़के 8) जल निकासी की समुचित व्यवस्था 9) अग्नि शमन/ सुरक्षा व्यवस्था 10) सामान लादने/ उतारने की उचित व्यवस्था
ऋण संबद्ध सहायता
योजना के अंतर्गत सहायिकी को संस्थागत ऋण के साथ जोडा गया है और यह केवल ऐसी परियोजनाओं हेतु उपलब्ध होगा जो वाणिज्यिक बैंकों, कोऑपरेटिव बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों,ओडीएफसी, अनुसूचित पीसीबी , एनइडीएफआई और अन्य संस्थान जो नाबार्ड से पुनर्वित प्राप्त करने हेतु पात्र हों।बैकों से उद्यमियों को विनिर्माण,नवीनीकरण विस्तार हेतु ऋण में पर्याप्त दीर्घावधि पुनर्चुकौती अवधि शामिल रहेगी। योजना के अंतर्गत सहायता गोदामों के निर्माण की पूँजीगत लागत के ऊपर ही केवल उपलब्ध रहेगी। विभिन्न बैंक ,तथापि, स्टोरेज के लिए वित्तपोषण करने के अतिरिक्त किसानों की अनेकानेक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सम्बद्ध सुविधाओं यथा उपभोक्ता शॉप, एग्रीक्लीनिक, वेटिंग, ग्रेडिंग, पैकेजिंग एवं गुणवत्ता प्रमाणन, मालगोदाम आदि के लिए वित्तपोषण करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
बीमा
गोदाम के बीमे की जिम्मेवारी गोदाम के मालिक की होगी।
प्रशिक्षण
किसानों हेतु योजना के सम्बन्ध में एक सामान्य जागरूकता कार्यक्रम और विनिर्माण,रखरखाव और ग्रामीण गोदामों के परिचालन के संबंध में उद्यमियों हेतु एक प्रशिक्षण कार्यक्रम राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान, जयपुर द्वारा आयोजित किया जाएगा और वह योजना के अंतर्गत सहायता हेतु पात्र होंगे।
दी जानें वाली सहायता
योजना के अंतर्गत सहायिकी परियोजना की पूँजीगत लागत पर उपलब्ध करायी जाएगी और सहायिकी की दर निम्नानुसार होगी:
क.ऐसे मामलों में जब हिताधिकारी(लाभार्थी) किसान, एग्री गेजुएट, कोआपरेटिव,क्रेन्द्र राज्य मालगोदाम निगम हों सहायिकी परियोजना की पूँजीगत लागत के 25% की दर से उपलब्ध की जाएगी।
ख. व्यक्तियों, कम्पनियों और निगमों के मामलों में सहायिकी 15% की दर से दी जाएगी।
ग. उत्तर पूर्वी राज्यों, पहाडी क्षेत्रों और जब उद्यमी अनुसूचित जाति/जनजाति का हो सहायिकी 33.33% की दर से दी जाएगी।
घ. सहायिकी पाने हेतु पात्र होने के लिए गोदाम न्यूनतम 100 मैटिक टन क्षमता वाला होना चाहिए।
च. योजना के अंतर्गत सहायिकी के निर्मोचन किए जाने के प्रयोजन से परियोजना की पूँजीगत लागत की गणना निम्नानुसार की जाएगी : *1000 मैट्रिक टन क्षमता तक के गोदामों के मामलों में-वास्तविक लागत अथवा स्टोरेज क्षमता के रू 1200 प्रटि टन, दोनों में से जो भी कम हो।
- *1000 मैट्रिक टन से अधिक क्षमता वाले गोदामों के मामलों में-वास्तविक लागत अथवा रू 1500 स्टोरेज क्षमता के प्रति टन , दोनों में से जो कम हो।
- *एनसीडीसी की सहायता से कोऑपरेटिव द्वारा विनिर्मित गोदामों के नवीनीकरण/विस्तार हेतु – वास्तविक लागत अथवा रू 500 स्टोरेज क्षमता के प्रटि टन, दोनों में से जो भी कम हो।
छ. उपरोक्तानुसार संगणित की गई राशि को तदंतर भी 10000 मैट्रिक टन अधिकतम क्षमता से निर्बंधित किया जाएगा । इसके उपरान्त भी प्रत्येक परियोजना के लिए अधिकतम रू 37.50 लाख रूपये की राशि से ऐसे मामलों में निर्बंधित किया जाएगा जब मामला उत्तर पूर्वी राज्यों का हो और पहाडी क्षेत्रों का हो और उद्यमी अनुसूचित जाति/ जनजाति से संबंध रखता हो । सहायिकी की अधिकतम राशि ऐसे मामलों में रू 50 लाख होगी। एनसीडीसी से सहायता प्राप्त कर कोऑपरेटिव द्वारा विनिर्मित गोदामों के मामलों में नवीनीकरण/ विस्तार की स्थिति में, तथापि, ऐसी कोई सीमा नहीं होगी।
ज. योजना के अंतर्गत ऐसी परियोजनाओं हेतु सहायिकी, तथापि, नाबार्ड के माध्यम से निर्मोचित की जाएगी जब परियोजनाएं वाणिज्यिक, कोऑपरेटिव और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों,एडीएफसी,अनुसूचित पीसीबी, एनइडीएफआई और अन्य संस्थान जो नाबार्ड से पुनर्वित हेतु पात्र हों,इनके द्वारा वित्तपोषित हों ।एडीएफसी द्वारा वित्तपोषित होने की स्थिति में एनडीएफसी से पुनर्वित्त हेतु पात्र होंगी।
झ.गोदाम की क्षमता फ्लोर एरिया के 1.8 मैट्रिक टन प्रति स्कवैयर मीटर की दर से निकाली जाएगी जिसकी औसत ऊँचाई 4.50 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए।
सहायिकी दो किस्तों में निर्मोचित की जाएगी:
क. डीएसी द्वारा नाबार्ड को सहायिकी की 50% राशि पहले ही निर्मोचित कर दी जाएगी।तदनुसार नाबार्ड परियोजना की समाप्ति पर बैंक के ऋण खाते के सामने अंतत: सहायिकी की राशि को समायोजित करने की दृष्टि से संबंधित उधारकर्ता के सहायिकी रिजर्व फंड खाते में बनाए रखने के लिए सहभागी बैंक को सहायिकी अग्रिम रूप में ही निर्मोचित कर देगा । सहभागी बैंक को नाबार्ड द्वारा 50% अग्रिम सहायिकी की राशि सहभागी बैंक के परियोजना प्रोफाइल –सह- दावा फार्म के जमा करने पर निर्मोचित की जाएगी।ख. नाबार्ड द्वारा सहभागी बैंक को सहायिकी राशि की 50% राशि निरीक्षण कमेटी के सदस्यों जिसमें नाबार्ड, सहभागी बैंक एवं संबंधित राज्य में डीएमआई के सदस्य होंगे, द्वारा निरीक्षण किए जाने के उपरान्त निर्मोचित की जाएगी।
सहायता का पैटर्न
| उत्तरपूर्वी राज्यों और पहाडी क्षेत्रों के अलावा अन्य क्षेत्र | उत्तर पूर्वी राज्यों,पहाडी क्षेत्रों के अलावा अन्य क्षेत्रों में व्यक्ति, कम्पनियां और निगम | उत्तर पूर्वी राज्यों, पहाडी क्षेत्रों और अनुसूचित जाति/जनजाति के मामलों में |
i)मालिक का/ स्वयं का योगदान | 25% | 25% | 20% |
ii) सरकार से सहायिकी | 25% | 15% | 33.33% |
iii) वाणिज्यिक/ कोऑपरेटिव बैंकों से संस्थागत ऋण | 50% | 65% | 46.67% |
*ऐसी स्थिति में जब परियोजना औसत समुद्र स्तर से 1000 मीटर से अधिक की ऊँचाई पर अवस्थित हो। **भूमि की लागत, परियोजना की लागत से 10% से अधिक नहीं,मालिक के योगदान का हिस्सा बन सकती है एनसीडीसी अपने विद्यमान सहायता के पैटर्न का अनुकरण करेगा।
संस्थागत उधार
(क) पात्र उधारदात्री संस्थान योजना के अंतर्गत निम्न संस्थान वित्तपोषण करने हेतु पात्र हैं 1. वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक , राज्य कोऑपरेटिव बैंक, राज्य कोऑपरेटिव कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक, कृषि विकास वित्त कंपनियां, उत्तर पूर्वी विकास वित्त निगम और ऐसे सभी संस्थान जो नाबार्ड से पुनर्वित्त प्राप्त करने हेतु पात्र हैं 2. अनुसूचित प्राइमरी शहरी कोऑपरेटिव बैंक और ऐसे कोऑपरेटिव जो एनसीडीसी से ऋण लेते हैं।
(ख) मियादी ऋण (i) परियोजना के 50% तक ऋण मियादी ऋण के रूप में वित्तीय बैंकों से लिया जा सकता है।सहायिकी की राशि चूकि अंतिम भाग में देय होती है सहायिकी की पात्र राशि को हिताधिकारी(लाभार्थी) को देने हेतु आरम्भ में मियादी ऋण के रूप में अनुमत किया जाएगा।पुनर्चुकौती अनुसूची कुल ऋण राशि(सहायिकी को शामिल करते हुए) पर इस तरह निकाली जाएगी कि सहायिकी की राशि विशुद्ध बैंक ऋण राशि के परिसमापन पर समायोजित की जा सकती हो।(सहायिकी को छोडकर)
(ii) पुनर्चुकौती अवधि नकदी प्रवाह पर निर्भर करेगी और रियायत अवधि को शामिल करते हुए अधिकतम 11 वर्ष होगी । प्रथम वार्षिक किस्त प्रथम संवितरण के 23 माह के उपरान्त देय होगी।
(iii) मियादी जमा पर उधारकर्ता पर ब्याज दर भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार लगाया जाएगा।यह ऋण के प्रथम संवितरण की तारीख से प्रयोज्य है।
(iv) वित्तीय संस्थान उद्यमी को अलग से कारोबार चलाने हेतु कार्यशील पूँजी भी प्रदान कर सकते हैं।
पूर्णता हेतु समयसीमा
बैंक द्वारा ऋण मंजूर किए जाने की तारीख से 15 माह के भीतर परियोजना को पूर्ण करने की समयसीमा तय की गयी है।तथापि, परियोजना पूर्ण होने में विलम्ब के कारण अगर न्यायसंगत हों तो सहभागी बैंक द्वारा 3 माह की अतिरिक्त समयसीमा अनुमत की जा सकती है। परियोजना यदि विनिर्धारित समयसीमा के भीतर पूर्ण नहीं हो तो परियोजना पर सहायिकी का लाभ नहीं मिलेगा और अग्रिम रूप में ली गई सहायिकी राशि वापस लौटानी होगी।
परियोजना की मंजूरी एवं सहायिकी के निर्मोचन में अपनायी जाने वाली प्रक्रिया बैंकों द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं के मामलों में
क. परियोजना में रूचि रखने वाला प्रोन्नतक मियादी ऋण एवं सहायिकी हेतु संबंधित बैंक द्वारा विनिर्धारित प्रपत्र में परियोजना रिपोर्ट एवं ऋण के मूल्य निरूपण एवं मंजूरी हेतु आवश्यक अन्य दस्तावेजों के साथ परियोजना प्रस्ताव बनाकर लाएगा।प्रोन्नतक द्वारा प्रस्ताव की एक प्रतिलिपि अनुलग्नक के साथ संलग्न सूची में डीएमआई के उप कार्यालय/ क्षेत्रीय अधिकारी को पृष्ठांकित करनी होगी।
ख. संबंधित बैंक परियोजना के मूल्य निर्धारण एवं मंजूरी के उपरान्त बैंक के मंजूरीपत्रक की एक प्रतिलिपि के साथ अनुलग्नक में विनिर्धारित प्रपत्र में अग्रिम सहायिकी हेतु एक संक्षिप्त परियोजना प्रोफाइल सह दावा प्रपत्र क्षेत्रीय कार्यालय नाबार्ड को भेजेगा जिसकी एक प्रतिलिपि वह अनुलग्नक में संलग्न सूचियों के अनुसार डीएमआई के उप कार्यालय/ क्षेत्रीय कार्यालय को भी भेजेगा।
ग. नाबार्ड सहभागी बैंक से परियोजना प्रोफाइल सह दावा प्रपत्र की प्राप्ति पर सहभागी बैंक को सहायिकी की राशि मंजूर कर देगा और सहायिकी राशि का 50% उधारकर्ता वार उनके सहायिकी रिजर्व फंड खाते में ऱखने के लिए निर्मोचित कर देगा।नाबार्ड दावा प्रपत्र की एक प्रतिलिपि डीएमआई के प्रधान कार्यालय को डीएमआई द्वारा नाबार्ड को प्रदान की गई अग्रिम सहायिकी के सामने परियोजनावार पुन: पूर्ति करने अथवा समायोजन करने की दृष्टि से अनुलग्नक के अनुसार अग्रसारित कर देगा । नाबार्ड द्वारा सहायिकी का निर्मोचन डीएमआई से निधियों की उपलब्धता के अध्यधीन होगा।
घ. परियोजना जब पूर्णता के करीब हो प्रोन्नक बैंक को सूचित करेगा और निरीक्षण समिति जिसमें बैंक , नाबार्ड एवं डीएमआई के सदस्य होंगे से यह सुनिश्चित कराने के लिए कि ग्रामीण गोदाम तकनीकी एवं वित्तीय पैरामीटरों के अनुरूप बना है,निरीक्षण कराने की कार्रवाई करेगा । निरीक्षण होने के उपरान्त बैंक डीएमआई के उप कार्यालय/क्षेत्रीय कार्यालय को प्रतिलिपि देने के साथ –साथ तीन प्रतियों में नाबार्ड को अनुलग्नक में विनिर्धारित प्रपत्र में सहायिकी की अन्तिम(फाइनल)राशि प्राप्त करने हेतु दावा प्रपत्र भेजेगा।समिति की निरीक्षण रिपोर्ट एवं पूर्णता प्रमाणपत्र सहायिकी की अंतिम राशि प्राप्त करने हेतु दावा प्रपत्र के साथ बैंकों को भेजी जानी चाहिए जिसकी डीएमआई द्वारा पुन:पूर्ति की जाएगी अथवा नाबार्ड को अग्रिम रूप में दी गई सहायिकी राशि के सामने उसे समायोजित कर लिया जाएगा।
च. प्याज के गोदामों की स्थिति में,एनएचबी ने सूचना दी है कि प्याज गोदामों की स्थिति में सहायिकी के निर्मोचन हेतु संयुक्त निगरानी समिति में एनएचआऱडीएफ का सदस्य भी होना चाहिए।एनएचआरडीएफ के सदस्य के उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में संयुक्त निगरानी समिति में संबंधित राज्य के एनएचबी के एक प्रतिनिधि के अतिरिक्त एक प्रतिनिधि संबंधित राज्य बागवानी/ कृषि विभाग से सहयोजित किया जा सकता है।
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