Friday, March 30, 2018

राजस्थान पुलिस की वेबसाइट पर feedback about website/police station का एक ऑप्शन है, उस ऑपशन पर जा कर feedback for police station पर क्लिक कर संबंधित थाने का फीडबैक दिया जा सकता है। इसका लिंक ये है

मैने 30 जनवरी 2018 को मेरी फेसबुक पर पुलिस पर निम्न पोस्ट लिखी थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि बाड़मेर जिले की पुलिस राजस्थान में सर्वाधिक भ्रष्ट पुलिस घोषित हुई है क्योंकि इस पोस्ट को पढ़कर कई लोगों ने राजस्थान की पुलिस की वेबसाइट पर जाकर अपने-अपने थाने का फीडबैक दिया इसी के आधार पर बाड़मेर जिले की पुलिस टॉप लेवल पर भ्रष्ट घोषित हुई हैं जिसका आंकड़ा इस वीडियो में देखें
https://youtu.be/0fiI1dCjQ_k
राजस्थान पुलिस की वेबसाइट पर जा कर आप भी अपने थाने का फीडबैक अवश्य दें। लिंक नीचे दे रहा हूँ।
सभी साथियों को मेरा नमस्कार।
आज मैं आपको एक विशेष जानकारी देना चाहूंगा,
हो सकता है यह जानकारी आपके पास पहले से हो लेकिन जिस व्‍यक्ति के पास यह जानकारी नहीं है वह व्‍यक्ति अपने अपने संबंधित थाने का फीडबैक देने व पुलिस के व्यवहार एवं कार्यप्रणाली का फीडबैक देने के संबंध में इस जानकारी का इस्तेमाल जरूर करें तथा अन्य पीड़ितों से भी ऐसा करवाएं।
राजस्थान पुलिस की वेबसाइट पर feedback about website/police station का एक ऑप्शन है, उस ऑपशन पर जा कर feedback for police station पर क्लिक कर संबंधित थाने का फीडबैक दिया जा सकता है। इसका लिंक ये है -
इस लिंक पर क्लिक कीजिए और तुरंत थाने का फीडबैक दीजिए।
ये फीडबैक गोपनीय भी रखा जाता है।
उस ऑप्शन पर हम सभी साथियों को हमारे थानों का फीडबैक जरूर देना चाहिए कि हमारे थानाअधिकारी एवं अन्य अधिकारीगण पीड़ितों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, वह FIR दर्ज करते हैं या नहीं करते हैं जांच कैसे करते है, उनकी कार्यप्रणाली कैसी है, थाने की स्थिति कैसी है इत्यादि ... इत्यादि... जो भी आपको शिकायत है वो बयां की जा सकती है।
उक्त वेबसाइट को SCRB Raj. Police/स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो राजस्थान जयपुर के ईमानदार SP श्री पंकज चौधरी/ Pankaj Choudhary हैंडल करते हैं एवं हमारे द्वारा दिए गए फीडबैक के आधार पर थानों की रैंक तय होती है कि थाना कैसा है और उसी के अनुसार थानों में सुधार किया जाता है।
इस लिए आप सभी लोग राजस्थान पुलिस की वेबसाइट के उक्त लिंक पर जाकर फीडबैक जरूर दें और हर महीने अपने थाने का फीडबैक दें ताकि अगर थाने का व्यवहार औऱ कार्यप्रणाली ठीक नहीं है तो थानों में सुधार लाने में हम मदद कर पाएंगे। ये हमारा कर्तव्य है।
यहाँ फीडबैक जरूर दें तथा अन्य पीडीतों से भी फीडबैक दिलावे तथा इस जानकारी को शेयर जरूर करें
इस पोस्ट को सभी लोग ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, और सभी लोग पुख्ता जानकारी के साथ अपने अपने थानों के फीडबैक दें।
सुमेर गौड़, आरटीआई कार्यकर्ता,
बालोतरा, बाड़मेर (राज.)

insurance frad

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Wednesday, March 28, 2018

jago grahak jago

सरकार लाख कहती रहे आपका आधार डाटा सेफ है लेकिन ऐसा है नही... कानपुर में दो लड़के पकड़े गए जो सिर्फ 12 वी पास है। इन लोगों ने तमाम लोगों के एकाउंट से आधार कार्ड के डाटा की चोरी करके लाखों उड़ा दिए। ये लोग क्लोन इम्प्रेशन और आधार कार्ड के जरिये एक ही आई डी से तीन सिमकार्ड एक्टिवेट कर लेते थे फिर आधार कार्ड नंबर से फोन पर कोड डालकर खाते की डिटेल भी पता लगा लेते थे जिसके नाम से सिम होता उसके नाम का एक पेटीएम एकाउंट बनाते फिर थोडी थोड़ी रकम को पेटीएम में फिर उससे अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते। और हैरत होगी जानकर कि आधार का ये डाटा वो फोन वालों से मात्र 20 रुपये तक में ले लेते थे। ...अब सोचिए सिर्फ 12 वी पास लड़के इतनी खुराफात करके आपकी निजी जानकारी ले सकते हैं। बैंक से आपके एकाउंट से पैसे उड़ा सकते हैं तो कोई कंप्यूटर इंजीनियर या एक्सपर्ट कितनी आसानी से ये सब कर सकता है। सब तरफ लीक है कहीं कुछ सेफ नही।

Thursday, March 22, 2018

RTI APPLICATION

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R TI APPLICATION

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बच्चो को अपने खर्चे से पनीर , पूड़ी खिलाने वाले टीचर को तो निलम्बित कर दिया



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बच्चो को अपने खर्चे से पनीर , पूड़ी खिलाने वाले टीचर को तो निलम्बित कर दिया
इसके साथ - साथ अपने खर्चे पर फर्नीचर,
tlm ,
कम्प्यूटर शिक्षा ,
प्रोजेक्टर 
बहतरीन रँगाई पुताई 20 से 40 हजार में
सी सी टीवी
कॉपी- पेंसिल
बैग
आदि काम करने वालो को भी निलम्बित कर मजा चखा दीजिये , ताकि उनको भी सबक मिल सके अपने निस्वार्थ काम का ।
ताकि एसे शिक्षको से प्रभावित हो कार्य करने की प्रेरणा लेने वाले हमारे जैसे शिक्षक भी ऐसे गलत कार्य न करने लगे


Tuesday, March 20, 2018

jago grahak jago

It has been noticed that the major retailers like Home Saaz, Myntra, Jabong, Pantaloons, Shoppers Stop, Lifestyle are adapting to unfair business practices by charging taxes on the discounted prices so arrived after earmarking for the offered discounts. Since the MRP is alwayz inclusive of taxes as per MRP rules for the packaged commodities, the discounted prices also become inclusive of Taxes in that proportion. The charging of taxes on such discounted prices is not only amounting to violation of MRP rules but also mislead the consumers as the product does not get purchase at the net discounted prices.............................................. Please sign the petition and extend your cooperation in getting the same signed by your friends as the issue is of public interest. NDTV Dilli Aajtak The Times of IndiaHindustan Times The Economic Times The Financial Express CNN

jago grahak jago

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शासकीय वाहन का दुरूपयोग कर किया गये फर्जी भुगतान जाच की मांग

शासकीय वाहन का दुरूपयोग कर किया गये फर्जी भुगतान जाच की मांग

पन्ना,दर्पण। लोक निर्माण विभाग पन्ना के प्रभारी अधिकारी द्वारा निर्माण कार्यो मं ठेकेदारो को आर्थिक लाभ पहुचाकर फर्जी भुगतान करने के संबंध में  पूर्व में कई बार समाचार प्रकाशित हो सके है। विगत 3 वर्षो में नियय विरूद्ध बिना टैक्सी परमिट वाहन लगाकर उनको अपने निज घरेलू उपयोग एवं रीवा संे पन्ना अप-डाउन करनें के लिए किया जाता रहा है। एवं फर्जी टूर डायरी बनाकर भुगतान किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार विभाग में पदस्थ प्रभारी परियांेजना यंत्री आलोक श्रीवास्तव द्वारा व्याप्क स्तर पर गढबडी के मामले सामने आये है सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार अजयगढ में  कन्या छात्रावास की माप पुस्तिका क्रमांक 113 के पेज क्रमांक 016 में दिनाॅक 20/12/2015 को एवं इसी माप पुस्तिका के पेज क्रमांक 023 दिनाॅक 30/12/2015 को अजयगढ साइड पर जा कर मेजर मेन्ट चेक करना बताया गया है। परन्तु इन्ही के द्वारा उपयोग किये गये वाहन की लाग बुक उसी दिनाको मंे रीवा होना बताया जा रहा है इसी प्रकार हाई स्कूल भितरी मुटमुरू की माप पुस्तिका क्रमांक 055 के पेज नम्बर 168 एव 169 मंे दिनाॅक 04/12/2015 को साइड पर जा कर मेजर मेन्ट चेक करना बताया गया है। परन्तु उसी दिनाॅक की टूर डायरी में इनके द्वारा उक्त दिनाॅक को सी एम के कार्यक्रम में जरधोवा दिखाया गया है। इससे साबित होता है एक व्यक्ति एक ही दिनाॅक मे दो जगह कैसे रह सकता है। एवं 420 होना साबित होता है। ज्ञात हो की पूर्व में इनके द्वारा मंगल भवन गुनौर की माप पुस्तिका उखाड कर, उनके पेज बदलकर तथा उनमंे अकिंत मापो को बढाकर ठेकेदार को आर्थिक लाभ पहुचाते हुए दोगुना भुगतान कराया गया था जिसकी शिकायत विभाग में ही पदस्थ सहायक परियोजना यंत्री द्वारा विभाग के प्रमुख सचिव से की गई थी एवं उक्त जाच में प्रभारी संभागीय परियोजना यंत्री अनामिका सिंह एवं प्रभारी परियोजना यंत्री आलोक श्रीवास्तव द्वारा ठेकेदारो को आर्थिक लाभ पहुचाए जाने सहित फर्जी भुगतान करना सिद्ध पाया गया था। जिला संघर्ष समिति के सदस्यो ने जिले के लोक प्रिय कलेक्टर मनोज खत्री से उक्त विभाग में हुए भ्रष्टाचार तथा फर्जीवाडे की जाच कर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही कर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही करनें की मांग की है।

Monday, March 19, 2018

andha kanoon

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OPEN LETTER TO THE PRIME MINISTER

OPEN LETTER TO THE PRIME MINISTER
To,
Sri. Narendra Modi
Prime Minster, Republic of India
7, Lok Kalyan Marg
New Delhi
Respected Pradhan Mantri ji,
As I write these lines, I am fully aware that you may never read them. Also, I have nothing new to say. You have the nation’s intelligence services at your beck and call. The Director Intelligence Bureau briefs you every day. The Secretary R&AW awaits your command. The NS is on speed dial. A phone call with the three Service Chiefs along with ISRO, and you have access to the kind of information daily, that all the news channels of India combined, will not have in a lifetime.
At the snap of your fingers, India can launch a nuclear strike from the unknown depths of the oceans. Or, you can send flowers of peace to an adversary. What you do is your decision. But as an American author once said about India’s missile program… Agni does not mean Chrysanthemum. It means fire. Dr. Kalam knew exactly what he was building.
So, what can a former junior army officer tell you that you don’t already know? Absolutely nothing. But it is this very insignificance of mine that makes this letter different. I see dark clouds above anddifficult times ahead. I seek your intervention.
And this is why I say this.
To our East, Xi Jinping has probably been crowned Emperor of China, even if they still call him President. They say that he will rule till he breathes, with all the power of the Party, Politburo and the PLA on centrated in his hands. This simply means a far more aggressive China led by a man who, in real terms, is not accountable to anyone. While we are still figuring out how to respond, China’s encirclement of India is complete. From bases in South China Sea to the 99-year lease of the Hambantota Port, from PLA warships in Gwadar to the One
Belt One Road (OBOR) initiative, we are hopelessly surrounded.
To our West, we are dealing with a rouge nuclear-armed army that
actually owns a nation of 200 million luckless souls. This army is not
accountable to anyone. In 1999, it launched an attack on Kargil,
without so much as informing its own Prime Minister. In 1965, it did
not deem it necessary to inform its own sister services, the Pakistan
Air force and Pakistan Navy that it had launched Operation Gibralter
and attacked India in Kashmir. Both the Pakistan Naval and Air Chiefs
suspected something was wrong, but their worst fears came true when
they heard Madam Noor Jehan singing patriotic songs on radio. That, in
Pakistan, usually means war. Or a coup.
Pakistan will supposedly issue, though some say it already has, tens
of millions of long-term visas to Chinese nationals to settle in
Balochistan for the China Pakistan Economic Corridor projects.
According to the Federation of Pakistan Chambers of Commerce and
Industry (FPCCI), by 2048 the majority population of Balochistan will
be Chinese. Mandarin is already being taught to Pakistani children,
not that they were learning anything useful earlier…and the Yuan will
soon be legal tender in Pakistan.
Earlier we had China to the East and Pakistan to the West. We now have
China to the East and China to the West. The dragon is moving its
tail.
Closer home, there is massive radicalization in Kashmir. From the
pulpit of mosques to social media accounts, the Valley is turning
Wahhabi with a fierceness not seen earlier. ISIS flags are waved at
funerals and clashes.
"Is ISIS really present in Kashmir?" a publisher asked me recently.
"Islamic State is an idea, not a car dealership", I tried to explain.
There may or may not be physical manifestations of this vile idea, but
to assume it does not exist just because you can’t see it, would be a
gross miscalculation.
If terrorists repose faith in an idea, it is real. Lets not look for
overt signs. No one is going to put up neon boards in downtown
Srinagar. Its in the speech in the mosque, the terrorist raising his
index finger on video, the sign of "Tawheed" or oneness of God, the
central monotheistic concept in Islam, it is in the flags draped over
terrorists bodies in funerals. Seek, and you shall find.
A good part of the battle for mind-space in Kashmir can be won if we
have a narrative. Pakistan has a Kashmir narrative. Hurriyat has a
Kashmir narrative. Terror organizations have a Kashmir narrative. All
of them push their narrative everyday. And India, which has the most
powerful Kashmir narrative based on the absolute truth, is reluctant
to even tell its side of the story. So, in the absence of our truth,
their lies flourish. Kunan Poshpora. 700,000 troops in Kashmir.
Genocide. Disappearances. Mass rapes. Unknown graves. Braid chopping.
Flying saucers. Its like Sydney Sheldon has started writing in
Kashmiri.
It is important that an urgent narrative around Kashmir is created and
pushed. There are a lot of fence sitters in Kashmir. They overtly
support the terrorists, but privately hate them. Such is the cost of
living in Kashmir. We must give these fence sitters a story; a
narrative so powerful and true that it blows away everything in its
path. This narrative exists. It is structured around the truth of the
UN Resolutions of Kashmir, the truth about the Hurriyat, the truth
about the lavish lifestyles of those who scream "azaadi". Shopping
malls, private jets, luxury hotel stays, foreign holidays in Spain and
Malaysia…while the hapless population is mired in misery, Asiya
Andrabi’s son is found in a 5 star resort in Bangkok, posing for
photographs with Hulk Hogan. For the separatists, the blood of the
Kashmiris is a credit card with no limit. Keep swiping. Keep killing.
Many Kashmiris support the Hurriyat not because of love or respect,
but because Kashmiris have a long history of supporting whoever they
perceive as the victor. Kashmiris see Hurriyat winning against the
Indian state. They don’t care to know or acknowledge that the Hurriyat
exists because the Indian Constitution allows space for dissent. Had
Hurriyat tried in Pakistan, a minuscule percentage of what it does in
Kashmir, Geelani would have disappeared and the Mirwaiz would have
been found under some culvert in a very small gunny sack. In Kashmir
there is a very fine, almost invisible, line between fear and respect.
Some say there is no such line at all. We must understand these
nuances.
Geelani and his cohorts are doing a very fine balancing act. They are
indispensible to the Pakistanis and have, somehow, convinced the
Indian government that they speak for the Kashmiri people. That
credibility must be damaged, not just by NIA raids but also in the
heart of the Kashmiri people. This is not difficult to do; the
Hurriyat’s credibility is based on falsehood. All we need is to be
constant and consistent in cracking the mirror, with truth.
India is plagued by many other challenges. The North East is still
simmering. The Left Wing Extremism (LWE) areas, or the Red Corridor,
are perhaps India’s greatest internal security challenge. This is a
long list. The list will remain long because the people responsible
for shortening of this list are bureaucrats.
Your greatest initiative to push India to industrial superstardom,
"Make In India" is sputtering to a halt. And the people who are
spiking it are your own bureaucrats. Not just the elite of the
bureaucracy but the middle and lower level functionaries, too. The
entire structure is rotten. They derive their power from stopping
progress and denial of permission. They have created these rules and
laws to buttress their arguments. Sir, if India has to progress, its
bureaucracy must be cut to size.
Before asking countries to invest in India, we must take a step back
and take the surgeon’s knife to India’s "babudom". Let a committee for
reforms in bureaucracy, be constituted; a group with wide ranging
powers. At the very top, we need technocrats. The miracle of the Delhi
Metro happened because of E Sridharan. Had there been a senior
bureaucrat in charge, the Delhi Metro would have gone the way of the
Tejas LCA.
Our issue is not whether we have meritorious people at the top, or
not. The issue is that we have wrong people at the top. And they
decide sensitive policy, without having a day’s exposure to the
practical aspects of the issue. We have a veritable galaxy of "Paper
Tigers" running the administration of India.
When we put the right people at the top, magic happens. ISRO is a
miracle because, scientists lead it. The day a senior bureaucrat is
appointed Chairman of ISRO; you will receive a beautiful presentation
on why ISRO can no longer launch satellites.
It is these very bureaucrats who are killing Make In India, especially
in defence manufacturing. May I submit the following process?
Firstly, we must redefine the entire process for selection and
purchase of any weapons system. Each item takes decades to order and
then decades to reach the soldier. By that time, it is obsolete. Sir,
you are aware that two-thirds of all Indian Army equipment is
obsolete. Our artillery is 35 years old, simply because we did not
order, manufacture or induct a single artillery gun for past 35 years.
Secondly, no one is going to invent any weapons system just for us.
All weapons systems that we are importing are being used in some armed
force of the world. It should not take more than five years to import
even something as sophisticated as a fighter jet. The Air Force knows
what it wants. Let them know the budget. They will figure out what
they want, test it and then make recommendations to the government.
Ditto for other services. But importing is not Make In India, right?
Thirdly, execution is the key. Let us assume that Indian Army wants a
new assault rifle. Army knows what it wants, because technical
evaluation happens everyday in the Indian Army. It’s not a one-time
process for them. Let them shortlist 5 rifles, globally. Let them test
all of them simultaneously. Why should rifle trials take a decade?
It’s a rifle…just a collection of metal moving parts. In a few months,
they should shortlist 3 rifles. Let the negotiations begin. Again,
this must be completed in a stipulated time. The selected vendor
should be partnered with an Indian company to start manufacturing in
India. By the time factory starts production, 15% of rifles can be
directly imported. Yes, there has been a greater push for
transparency. There should a similar push for speed.
Sir, in the end, they key is not global weapons manufacturers making
weapons in India. It is our investment in R&D. We must have an
indigenous manufacturing base, which is the result of Indian minds and
Indian sweat.
The sooner we shut down our Ordnance Factories, the better it would be
for our manufacturing and also the lives of our soldiers. Overpricing
and pathetic quality are their hallmarks. In fact, some of their
products are so bad that Nepal refuses to take them for free. Yes,
Sir. Nepal refused to induct the 5.56 mm INSAS rifle. The rifle is so
bad that even if given free, it is too expensive a deal.
India is marching towards global super-power status. But we are like
an athlete who runs with an iron ball chained to the feet. Everyone
wants the athlete to run faster, but no one is looking at the iron
ball. That iron ball is India’s bureaucracy. Unless we hack away at
that ball and chain, we will keep dragging out feet. We will keep
losing.
The day the top employee and decision maker of every government
department is an experienced and qualified subject mater specialist
who is duly empowered, things will improve. For you, it’s just a snap
of your fingers, but for India it will change everything, just like
appointing Sridharan changed the face of Indian urban mobility. We
have many Sridharans, impatient to give wings to their dreams of
India, but held back by the ball and chain.
Dreams float on an impatient wind
A wind that wants to create a new order
An order of strength and thundering of fire
Dr. APJ Kalam, perhaps India’s greatest ever Supreme Commander of the
Armed Forces wrote these lines. It is his dream that we must
impatiently pursue, with vigor and renewed resolve.
In Hindi, Agni does not mean Chrysanthemum. It means fire.
The ball and chain must go. Dr. Kalam would approve.
Warm Respects & Regards
Major Gaurav Arya (Retd)
Sent from ProtonMail Mobile

डीएम ने पत्रकार से कहा- ‘तुम्हें पीट कर भेजूं या ऐसे ही भेजूं’

पत्रकार अमित की तरफ से भेजी गई आरटीआई के जवाब में, जब उसे यह पता चला कि सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने में जालौन में नगर पालिका परिषद ने ज़रूरत से अधिक बजट लिया है, तो वह शिकायत पर अपडेट लेने केे लिए डीएम के अॉफिस पहुंचे। अमित का आरोप है कार्रवाई पर वाजिब जवाब मिलना तो दूर डीएम ने गुस्से मेें कहा, “तुम्हें पीट कर भेजूं या ऐसे ही भेजूं” ।
फेसबुक पर अपनी इस आपबीती को साझा करते हुए अमित ने लिखा है कि जब मैं 23 अक्टूबर 2017 की गई शिकायत स्टेटस जानने डीएम अॉफिस पहुंचा, तो डीएम डॉ. मन्नान अख़्तर ने पहले तो शिकायत के प्रति अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि आप या तो ऑनलाइन शिकायती पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराइए अथवा फिर से हार्ड-कॉपी दीजिए।
जालौन के डीएम की बात सुनकर अमित ने पहले तो ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की कोशिश की लेकिन जब बात नहीं बनी, तो उसनेे भेजे गए 2 मेल का सीधे प्रिंट लेकर उस पर 16 मार्च की तारीख़ डाल दी और जिलाधिकारी को देने फिर उनके पास पहुंंच गये।
दोबारा जब अमित डीएम के दफ्तर पर अपनी शिकायत का प्रिंट लेकर पहुंचे तो डीएम ने कहा कि इस शिकायत का जवाब आपको ऑनलाइन शिकायत पोर्टल पर मिलेगा। जिस पर अमित के मुताबिक उन्होंने जानना चाहा कि ये जवाब कैसे मिलेगा ? मेरे पास कोई SMS या मेल नहीं आया। (मैंने तो कोई एकाउंट ही नहीं बनाया/ना ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत दर्ज की) क्या मेरे पते पर कोई पत्र आएगा ?
दफ्तर में डीएम और अमित की बात सुनकर डीएम का अर्दली अमित से बाहर जाने के लिए बोला। पर अमित ने उसे मना कर दिया। यह देखकर गुस्से में आकर डीएम डॉ. मन्नान अख़्तर ने अमित से बोला तुम्हें पीट कर भेजूं या ऐसे ही भेजूं।
नोट- गांव कनेक्शन ने इस मामले में डीएम का पक्ष जानने के लिए कई बार उनके सीयूजी नंबर पर फोन किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। गांव कनेक्शन से बात करते हुए अमित ने “जब एक पत्रकार से डीएम इस तरह से बात करते हैं, तो आम लोगों से बर्ताव की कल्पना की जा सकती है।”
क्या था मामला -
जालौन नगर पालिका परिषद द्वारा दिनांक में नगर में प्रकाश व्यवस्था के लिए 75 सौर-स्ट्रीट ( छोटी स्ट्रीट्स लाइट, एक पोल, एक बैटरी, एक पैनल, एक LED ) लाइट्स खरीदी गईं थीं। खर्च किए गए बजट के बारे में जानने के लिए जब अमित को RTI से मिली जानकारी से यह पता चला कि परिषद की तरफ से मंगवाई गई एक लाइट की इकाई की कीमत 45,000/- है, जबकि इसी क्षमता की एक लाइट की कीमत बाज़ार में 12,250/- है। इस तरह से मूल राशि से 33,750/- अधिक निकाले गए। तो वह इसकी शिकायत करने डीएम ( जालौन ) के दफ्तर पहंच गया।

discoms over chargeing of dilhi concumers

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Saturday, March 17, 2018

UP: कॉपी बदल बने 600 से ज्यादा फर्जी डॉक्टर, लाखों रुपए वसूलता था गैंग । इलाज लेते वक्त रहे सावधान।

UP: कॉपी बदल बने 600 से ज्यादा फर्जी डॉक्टर, लाखों रुपए वसूलता था गैंग । इलाज लेते वक्त रहे सावधान।
मेरठ। एमबीबीएस की कॉपियां बदलने का खेल वर्ष 2014 से चल रहा था। चार सत्र की परीक्षाओं के दौरान अब तक कई सौ कॉपियां बदली गईं। एसटीएफ का दावा है कि इस दौरान तकरीबन 600 से ज्यादा छात्र फर्जी ढंग से पास होकर डॉक्टर बन गए। इस खेल से कौन-कौन छात्र पासआउट हुए, वह अब कहां-कहां डॉक्टर बने बैठे हैं, उन सब पर जांच बैठा दी गई है।
एसटीएफ आईजी अमिताभ यश के मुताबिक, बिजनौर के शाहपुर का कविराज चारों अभियुक्तों का मुख्य सरगना है। वह वर्ष 2014 से उत्तर पुस्तिकाओं को बदलवा रहा है। हर साल यह गैंग 150 से 200 छात्रों की विभिन्न पेपरों की कॉपियों को बदलवा देता है। एक कॉपी बदलवाने के बदले एक छात्र से डेढ़ लाख रुपये तक वसूले जाते हैं। इस प्रकार यह गैंग अब तक चार करोड़ रुपये से ज्यादा के वारे-न्यारे कर चुका है। गैंग ने यह भी कुबूला है कि सीसीएस यूनिवर्सिटी से जुड़े डिग्री कॉलेजों में विभिन्न परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाएं छात्रों से 10 से 20 हजार रुपये लेकर बदलवाई गई हैं। आईजी ने बताया कि एमबीबीएस के जो छात्र पढ़ाई में कमजोर होते थे, वह पास होने के लिए मोटी रकम खर्च करने को तैयार हो जाते थे। आईजी के मुताबिक, वर्ष 2014, 2015, 2016 और 2017 में छह सौ से ज्यादा गैर मेधावी छात्र इस गोरखधंधे के जरिये पासआउट होकर डॉक्टर भी बन चुके हैं। पता लगाया जा रहा है कि किन कॉलेजों में किस-किस छात्र की कॉपियां बदली गईं। इसके बाद इन पासआउट छात्रों को भी साजिश का आरोपी बनाया जाएगा।
मेरठ से हरियाणा तक फैला है जाल
एसटीएफ आईजी अमिताभ यश ने बताया, विवि के कर्मचारी सादा कॉपियों को कविराज को मुहैया कराते थे। कविराज के संपर्क हरियाणा के संदीप से हैं जो एक दूसरे गैंग से जुड़ा है। संदीप की बेटी मुजफ्फरनगर के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की छात्रा है। संदीप की बेटी ने अपने सहपाठियों को इस गिरोह में जोड़ रखा था। इन छात्रों को सादा कॉपी लिखने के बदले मोटी रकम मिलती थी। अभी हरियाणा का संदीप फरार है, उसकी तलाश की जा रही है। आईजी ने बताया कि मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज के छात्रों पर भी जांच बैठा दी गई है। रुपये लेकर एमबीबीएस की कॉपी लिखने वाले छात्रों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
पांच कॉलेजों में 1300 छात्र दे रहे परीक्षा
चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ से पांच मेडिकल कॉलेज संबद्ध हैं। इनमें दो सरकारी और तीन प्राइवेट कॉलेज हैं। 12 फरवरी से चल रहीं एमबीबीएस की परीक्षाओं में करीब 1300 छात्र बैठ रहे हैं। एसटीएफ मान रही है कि सभी कॉलेजों की कॉपियों को बदलने का खेल हुआ है।
कॉपियां बदलने में सीसीएसयू के तीन कर्मी गिरफ्तार
एसटीएफ ने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में एमबीबीएस, लॉ और अन्य परीक्षाओं की कापियों को बदलने के घोटाले में विवि के तीन कर्मचारी ही पूरी तरह से लिप्त थे। इन तीनों कर्मचारियों समेत चार लोगों को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। दावा किया जा रहा है कि यह पूरा घोटाला मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले की तरह किया गया। इस बात के भी संकेत मिले हैं कि गोरखधंधे में लिप्त लोगों के तार लखनऊ से भी जुड़े हो सकते हैं। इसको देखते हुए लखनऊ की टीम को भी सतर्क कर दिया गया है।
आईजी अमिताभ यश के मुताबिक विश्वविद्यालय कर्मचारी संदीप 10 हजार रुपये में एक खाली कॉपी स्टोर विभाग से निकालकर कविराज को बेचता था। कविराज ये कॉपियां गैंग के फरार सदस्य संदीप निवासी हरियाणा को लिखने के लिए देता था। इसी संदीप की बेटी मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की छात्रा है। वह अपने सहपाठी छात्रों से इन कॉपियों को लिखवाती थी, जिसके बाद ये कॉपियां पुन: कविराज के पास आती थीं ।
ग्राहक बंधु नए डॉक्टर्स से इलाज लेने के दौरान सतर्कता बरतें । ऐसे कई डॉक्टर है जो U.P. से MBBS कर मध्यप्रदेश तथा अन्य राज्यो में प्रैक्टिस कर रहे हैं । शंका होने पर U.P. एसटीएफ या m.p. एसटीएफ को सूचना देवे ।
सतर्क रहे - स्वस्थ रहें
-
अ. भा. ग्राहक पंचायत
मालवा प्रान्त

Thursday, March 15, 2018

PRADHAN KA GHOTALA

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the baseless&false allegations he & his party levelled against me

जब चोरी हो जाए आपकी गाड़ी तो सबसे पहले करें यह 4 काम

अगर आपकी भी गाड़ी चोरी हो गई है तो आपको टेंशन न लेकर होशियारी से काम लेना चाहिए. सही वक्त पर सही निर्णय लेने से आप इस स्थिति में आसानी से निपट सकते हैं.
अपना घर, अपनी गाड़ी तो हर किसी का ख्वाब होता है. हम खुद के घर और अच्छी सी गाड़ी के लिए कड़ी मेहनत भी करते हैं, जिन्हें विरासत में ये सब मिल जाता है उनकी बात अलग है. आपके घर और आपकी गाड़ी पर कोई आंच न आए इसलिए आप इंश्योरेंस भी करवाते हैं. पर दुर्घटनाओं को कोई नहीं रोक सकता.
आपके घर पर चोरी या आपकी गाड़ी भी चोरी हो सकती है. अगर आपकी भी गाड़ी चोरी हो गई है तो आपको टेंशन नहीं लेना चाहिए, वैसे भी ऐसे मौके पर बुद्धि काम करना बंद कर देती है. गाड़ी चोरी होने की स्थिति में आपको सावधानी से काम लेना चाहिए.
सही वक्त पर सही निर्णय लेने से आप इस स्थिति में आसानी से निपट सकते हैं. गाड़ी चोरी होने के बाद इन कामों को करना न भूलें
जमा करें सारे जरूरी कागजात
सबसे पहले अपने गाड़ी के सारे पेपर्स इकट्ठा करें. जैसे की आरसी बुक, इंश्योरेंस के पेपर्स, ड्राइविंग लाइसेंस. हमेशा ओरिजनल की फोटो कॉपी अपने पास रखें. ऐसे में अगर ओरिजनल कॉपी भी गाड़ी के साथ चोरी हो जाती है तो आपके पास दस्तावेज की कॉपी तो होगी.
एफआईआर लिखवाएं
आपके साथ हुई दुर्घटना का पूरी जानकारी देते हुए एक एप्लीकेशन लिखें और इसे नजदीकी पुलिस थाने में जाकर जमा करें. पुलिस कंप्लेन के साथ ही गाड़ी के कागजात भी जमा करें. आपकी कंप्लेन के आधार पर पुलिस एफआईआर लिखेगी और कार्यवाई शुरु करेगी.
बीमा कंपनी को सूचित करें
पुलिस में कंप्लेन करने के बाद आप बीमा कंपनी को गाड़ी चोरी होने की जानकारी दें. इंश्योरेंस क्लेम के फॉर्म को सारे दस्तावेजों के साथ जमा करें. क्लेम के साथ आरसी की कॉपी, बीमा पॉलिसी की कॉपी, एफआईआर की कॉपी लगाना न भूलें. जल्द से जल्द इंश्योरेंस के लिए क्लेम करें.
आरटीओ को भी सूचित करें
बीमा के लिए क्लेम करने के बाद आपको आरटीओ ऑफिस में भी गाड़ी चोरी होने की जानकारी देनी होगी. शिकायत पत्र के साथ सारे दस्तावेजों की कॉपी भी लगाएं. एफआईआर की कॉपी और क्लेम की कॉपी भी जरूर लगाएं.इसके साथ ही अगर आपके पास अपनी गाड़ी की तस्वीर है तो वो भी जमा करें. शिकायत की रसीद लेना भूलें.
इन सब के अलावा जो सबसे जरूरी है, वो है ‘पीछे पड़े रहना’. आप उस देस के बाशिंदे हैं, जहां लोगों को मुफ्तखोरी की आदत है, पर मुफ्त में कोई काम नहीं कर सकते. भले ही वो काम मुफ्त में करने की कानूनी पाबंदी ही क्यों न हो. इसलिए अपने जूते घिसने के लिए भी मानसिक तौर पर तैयार रहें. क्योंकि ईमानदारी का फल हमेशा मीठा नहीं होता. इसके साथ ही हर ऑफिस में जाकर अपने कंप्लेन की जानकारी जरूर लें.

Wednesday, March 14, 2018

कोई दुकानदार ठगे तो फोन से ही ऐसे करें शिकायत, करोड़ों का ले सकते हैं हर्जाना

एक कंज्यूमर के तौर पर आपको यदि किसी ब्रांड, प्रोडक्ट और सर्विस से शिकायत है तो आप कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं। अलग-अलग इश्यूज के हिसाब से कम्पलेंड कोर्ट मे फाइल की जाती हैं। आप अपने स्मार्टफोन के जरिए ही सेकंड्स में कंज्यूमर ऑनलाइन रिसोर्स एंड इम्पावरमेंट (Core Centre) में ऑनलाइन भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
गवर्नमेंट कंज्यूमर ऑनलाइन रिसोर्स एंड एम्पॉवरमेंट सेंटर (https://corecentre.org/) से पोर्टल रन करती है। यहां शिकायत करने के लिए किसी भी कंज्यूमर को सबसे पहले खुद को रजिस्टर करना होगा। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरना होगा। इसमें नाम, ईमेल, एड्रेस और फोन नंबर डालना होगा। इससे एक यूजर आईडी और पासवर्ड क्रिएट हो जाएगा।
किसी भी रजिस्टर्ड ब्रांड के खिलाफ की जा सकती है शिकायत
आप किसी भी रजिस्टर्ड ब्रांड या सर्विस प्रोवाइड के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं। वेबसाइट पर आपको ऐसे सेग्मेंट्स और ब्रांड्स की डिटेल भी मिल जाएगी जो डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स से रजिस्टर्ड हैं। जिसके खिलाफ शिकायत की जा रही है उसकी डिेटेल, शिकायत से रिलेटेड डॉक्युमेंट्स भी शिकायतकर्ता को ऑनलाइन अपलोड करना होते हैं।
स्टेट्स भी चल जाता है पता
कम्पलेंट सबमिट होते ही एक ऑटोमैटिक नंबर जनरेट होता है। यह शिकायतकर्ता को असाइन किया जाता है। इस नंबर के जरिए शिकायत का स्टेट्स पता किया जा सकता है। शिकायतकर्ता एक से ज्यादा कम्पलेंड भी कर सकता है और इनका स्टेट्स भी ट्रैक कर सकता है।
मैसेज भेजकर भी कर सकते हैं शिकायत
आप इस वेबसाइट पर मैसेज करके भी शिकायत कर सकते हैं। वेबसाइट तीन तरह से शिकायत करने का ऑप्शन देती है। पहला ऑनलाइन, दूसरा मैसेज के जरिए और तीसरा, हार्ड कॉपी भेजकर शिकायत की जा सकती है।
इसके अलावा आप कंज्यूमर कोर्ट में भी शिकायत कर सकते हैं
  •  इंडिया में तीन तरह की कंज्युमर कोर्ट हैं। पहली वे जो डिस्ट्रिक्ट लेवल पर समस्याओं का निराकरण करती हैं। हर राज्य में इस तरह की कोर्ट होती है। यह 20 लाख रुपए तक के मामले की सुनवाई करती हैं।
  • इसके बाद स्टेट कंज्युमर कोर्ट होती हैं। यह स्टेट लेवल पर कंज्युमर्स की शिकायतों का निराकरण करती हैं। यह कोर्ट 1 करोड़ रुपए तक के मामले में डील करती हैं।
  • तीसरे नंबर पर नेशनल लेवल की कोर्ट होती हैं। यह देशभर के मामले देखती हैं। यहां 1 करोड़ से ज्यादा अमाउंट के जो मामले हैं, वे भी देखे जाते हैं। कंज्युमर कोर्ट में शिकायत के लिए कंज्युमर को कोई लॉयर करने की जरूरत नहीं। आप खुद ही शिकायत कर सकते हैं।
कैसे करें कम्पलेंड…
  • जिस फोरम में आप कम्पलेंड करना चाहते हैं, पहले उसके ज्युरिडिक्शन के बारे में पता करें। आप जिस क्षेत्र में रहते हैं, वहां की फोरम के ज्युरिडिक्शन में ही आप शिकायत कर सकते हैं।
  • ज्युरिडिक्शन पता करके सही फोरम पर पहुंचे। कंज्युमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के तहत कम्पलेंड करने का फॉर्मेट तय है। इस फॉर्म को आप डाउनलोड कर सकते हैं।
एडवोकेट की जरूरत नहीं होती
  • आपकी शिकायत से जुड़े सपोर्टिंग डॉक्युमेंट्स अटैच करें। इसमें आप संबंधित प्रोडक्ट खरीदने पर मिला बिल, वॉरंटी-गारंटी डॉक्युमेंट लगा सकते है इसके साथ में आपको एक एफिडेविट भी लगाना होगा। जो इस बात की पुष्टि करेगा कि आपने जो शिकायत की है, वो सही है।
  • यह शिकायत आप खुद कर सकते हैं, इसके लिए आपको किसी एडवोकेट की जरूरत नहीं। कम्पलेंट रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए भी भेजी जा सकती है। कम्पलेंड की अतिरिक्त कॉपी भी आपको अपने साथ रखनी होगी, क्योंकि यह कई जगह बाद में काम आती है।

जीवन के हर हिस्से में आम आदमी को कहीं न कहीं ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता

अखिलभारतीय ग्राहक पंचायत के पास ऐसी अनेक सेक्सेस स्टोरीज हैं, जिसमें जनता को राहत मिली है। उदाहरण के लिए पानी के बोतल के दाम अलग-अलग स्थानों पर अलग होते हैं। स्टेशन, बाजार, एयरोड्र्म,पांच सितारा होटल में अलग-अलग। इसकी शिकायत उपभोक्ता मंत्रालय से की गयी। परिणाम स्वरूप सभी स्थानों पर पानी की बोतल एक मूल्य पर मिलेगी और पानी बोतल पर एमआरपी एक ही छापी जाए इसका आदेश उपभोक्ता मंत्रालय ने जारी किया। यह अलग बात है यह बात लागू कराने में अभी उस स्तर की सफलता नहीं मिली है। ग्राहक पंचायत ने अपने प्रयासों से 16 सुपर फास्ट ट्रेनों में सुपर चार्ज रद्द करवाकर देश के रेलयात्रियों के लगभग 80 लाख रूपए अनुमानित बचाने का काम किया है। इसी तरह रेल केटरिंग की रेटलिस्ट प्रकाशित करवाकर देश के नागरिकों को प्रतिदिन 25 करोड़(अनुमानित) की बचत करवाई और मुनाफाखोरी पर लगाम लगी। इसी तरह ट्रेनों में वापसी टिकिट का चार्ज हटवाकर लगभग 38 करोड़ रूपए की अनुमानित मासिक बचत कराई। जाहिर तौर पर ऐसे प्रयास सामान्य जन भी कर सकते हैं। ग्राहकों की सुरक्षा के लिए ग्राहक संरक्षण अधिनियम 1986 का पारित किया जाना कोई साधारण बात नहीं थी। किंतु ग्राहक पंचायत के प्रयासों से यह संभव हुआ। जिसके अनुपालन में देश भर में उपभोक्ता फोरम खुले और न्याय की लहर लोगों तक पहुंची।


आज आवश्यकता इस बात की है कि समाज के हर वर्ग में ग्राहक चेतना का विकास हो। यह नागरिक चेतना का विस्तार भी है और समाज की जागरूकता का प्रतिबिंब भी। हमें ग्राहक प्रबोधन, जागरण और उसके सक्रिय सहभाग को सुनिश्चित करना होगा। आज जबकि समाज के सामने बैंक लूट, साइबर सुरक्षा, जीएसटी की उलझनें, कैशलेस सिस्टम,भ्रामक विज्ञापन जैसे अनेक संकट हैं, हमें साथ आना होगा। ग्राहकों के हित में पृथक ग्राहक मंत्रालय की स्थापना के साथ-साथ संशोधित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को अधिकाधिक ग्राहकोपयोगी बनाने और शीध्र पारित कराने के लिए प्रयास करने होगें। महंगाई की मार से त्रस्त उपभोक्ताओं के सामने सिर्फ जागरूकता का ही विकल्प है, वरना इस मुक्त बाजार में वह लुटने के लिए तैयार रहे।
एक जागरूक ग्राहक हर समस्या का समाधान है। हम अपनी साधारण समस्याओं को लेकर सरकार और प्रशासन तंत्र को कोसते रहते हैं पर उपलब्ध सेवाओं का लाभ नहीं उठाते। जबकि हमारे पास ग्राहकों की समस्याओं के समाधान के लिए अनेक मंच हैं जिन पर जाकर न्याय प्राप्त किया जा सकता है। इसमें सबसे खास है उपभोक्ता फोरम। यह एक ऐसा मंच है जहां पर जाकर आप अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं। प्रत्येक जिले में गठित यह संगठन सही मायनों में उपभोक्ताओं का अपना मंच है। न्याय न मिलने पर आप इसके राज्य फोरम और केंद्रीय आयोग में भी अपील कर सकते हैं।
इसके साथ ही अनेक राज्यों में जनसुनवाई के कार्यक्रम चलते हैं, जिसमें कहीं कलेक्टर तो कहीं एसपी मिलकर समस्याएं सुनते हैं। मप्र में प्रत्येक जिले में मंगलवार का दिन जनसुनवाई के लिए तय है। कई राज्य सीएम या मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के माध्यम से भी बिजली, गैस, नगर निगम,शिक्षा, परिवहन जैसी समस्याओं पर बात की जा सकती है। सूचना का अधिकार ने भी हमें शक्ति संपन्न किया है। इसके माध्यम से ग्राहक सुविधाओं पर सवाल भी पूछे जा सकते हैं और क्या कार्रवाई हुयी यह भी पता किया जा सकता है। केंद्र सरकार के pgportal.gov.in पर जाकर भी अपनी समस्याओं का समाधान पाया जा सकता है। इस पोर्टल पर गैस,बैंक, नेटवर्क, बीमा से संबंधित शिकायतें की जा सकती हैं।
निश्चय ही एक जागरूक समाज और जागरूक ग्राहक ही अपने साथ हो रहे अन्याय से मुक्ति की कामना कर सकता है। अगर ग्राहक मौन है तो निश्चय ही यह सवाल उठता है कि उसकी सुनेगा कौन? एक शोषणमुक्त समाज बनाने के लिए ग्राहक जागरूकता के अभियान को आंदोलन और फिर आदत में बदलना होगा। क्योंकि इससे राष्ट्र का हित जुड़ा हुआ है।
साधारण प्रयासों से मिलीं असाधारण सफलताएः
एक संगठन और उसके कुछ कार्यकर्ता अगर साधारण प्रयासों से असाधारण सफलताएं प्राप्त कर सकते हैं तो पूरा समाज साथ हो तो अनेक संकट हल हो सकते हैं

जीवन के हर हिस्से में आम आदमी को कहीं न कहीं ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जब उसे इस तरह की लूट या ठगी का शिकार बनाया जाता है। पेट्रोल, रसोई गैस, नापतौल, ज्वैलरी खरीद, चिकित्सा, खाद्य पदार्थों में मिलावट,रेल यात्रा में मनमानी दरों पर सामान देते वेंडर्स,बिजली कंपनी की लूट के किस्से,बिल्डरों की धोखा देने की प्रवृत्ति,शिक्षा में बढ़ता बाजारीकरण जैसे अनेक प्रसंग हैं, जहां व्यक्ति ठगा जाता है। एक जागरूक ग्राहक ही इस कठिन की परिस्थितियों से मुकाबला कर सकता है। इसके लिए जरूरी है कि ग्राहक जागरण को एक राष्ट्रीय कर्तव्य मानकर हम सामने आएं और ठगी की घटनाओं को रोकें। साधारण खरीददारियों को कई बार हम सामान्य समझकर सामने नहीं आते इससे गलत काम कर रहे व्यक्ति का मनोबल और बढ़ता है और उसका लूटतंत्र फलता-फूलता रहता है। हालात यह हैं कि हम चीजें तो खरीदते हैं पर उसके पक्के बिल को लेकर हमारी कोई चिंता नहीं होती। जबकि हमें पता है पक्का बिल लेने से ही हमें वस्तु की कानूनी सुरक्षा प्राप्त होती है। खरीददारी में समझदारी से हम अपने सामने आ रहे अनेक संकटों से बच सकते हैं।
ग्राहकों के पास हैं अनेक विकल्पः

Tuesday, March 13, 2018

सभी अधिकारियों को तो जनता का शोषण करने के लिए इनाम मिलना चाहिए I

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इन सभी अधिकारियों को तो जनता का शोषण करने के लिए इनाम मिलना चाहिए I 
अलीगढ में तो अधिकारी रिश्वतखोरी में लगे हुवे है और हमारे विधायक और सांसद अपराधियों को बचाने या उनकी पैरवी में व्यस्त है

canteen ghotala

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आरटीआई की ताकत कितनी बड़ी है

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मुझ सहित सभी आरटीआई कार्यकर्ताओं में के पक्ष में ज्ञापनों के जरिए सरकार के कानों में आवाज डालने वाले सभी साथियों का मैं आभार व्यक्त करता हूं, उनका शुक्रगुजार हूं, उन्हें धन्यवाद देता हूं। हमारी यही एकता हमारी जीवन रेखा हैं। सभी आरटीआई कार्यकर्ताओं से मेरा अनुरोध है कि समस्त राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश में एकजुटता दिखानी होगी और भ्रष्टाचारियों को चित करना होगा। दूसरी सबसे खास बात यह है कि कुछ दिन पहले इंडिया टुडे के कॉन्क्लेव में कांग्रेस की पूर्व चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी ने देश भर में आरटीआई कार्यकर्ताओं को बनाए जा रहे निशानों एवं उन पर हो रहे हमलों को लेकर चिंता जताई तथा इस बात का खुलासा भी किया तथा स्वीकार भी किया। यह हमारे लिए अच्छी खबर है क्योंकि अब राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां आरटीआई कार्यकर्ताओं पर नजर जमाए हुए हैं वह सभी यही चाहती हैं कि कोई राजनीतिक पार्टी आरटीआई कार्यकर्ताओं के साथ गलत करेगी तो दूसरी राजनीतिक पार्टी आरटीआई कार्यकर्ताओं के साथ खड़ी रहेगी, क्योंकि वह लोग आरटीआई की ताकत को जानते है। आरटीआई की ताकत कितनी बड़ी है आप इसका अंदाज सिर्फ इस बात से लगा सकते हैं कि आरटीआई कानून सरकारों को पलट सकता व नई सरकार बना सकता है जैसे कि यूपीए-2 आरटीआई के कारण गई और दिल्ली की आम आदमी पार्टी को आरटीआई के कारण सत्ता में आने में RTI का उन्हें भरपूर सहयोग मिला। इसलिए वह दिन दूर नहीं जब आरटीआई कार्यकर्ता राज करेंगे तथा हमारे देश की स्वच्छ राजनीति का मुख्य केंद्र बिंदु होंगे। इसलिए साथियों !
हताश नहीं हो!
ऐसे ही सभी साथी एकजुट रहें,
क्योंकि हमारी जीत तय है।
जय हिंद,
वंदे मातरम,
इंकलाब जिंदाबाद,
भारत माता की जय।


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Sunday, March 11, 2018

Complaint received on #Whatsapp9490616555 and solved instantaneously with the involvement of PS Jubileehills, Hyderabad City, Telangana State.







Complaint received on and solved instantaneously with the involvement of PS Jubileehills, Hyderabad City, Telangana State. - Never Hesitate to approach Your


are you being harassed on line

पशु बीमा कराने तरीका, लाभ पाने का तरीका

लखनऊ। डेयरी और पशुपालकों को सबसे ज्यादा नुकसान उस वक्त होता है जब किसी की गाय-भैंस या बकरी की मौत हो जाती है। ऐसी दशा में किसान की उसके दूध आदि से होने वाली आमदनी तो जाती ही है, हजारों रुपए के पशु की मौत होने से जमा पूंजी भी डूब जाती हैं।
लेकिन पशुपालक अगर थोड़ी सावधानी बरतें और पशुओं का बीमा करा लें तो वो ऐसे जोखिम से बच सकते हैं। सरकार की योजना के तहत एक पशुपालक अपनी 50 हजार रुपए तक की गाय-भैंस का बीमा सिर्फ 80 पैसे रोज में एक साल के लिए करवा सकता है। पशुपालकों के जोखिम को कम करने के लिए पशु बीमा योजना का सामान्य परिस्थितियों में 50 फीसदी प्रीमियम केंद्र सरकार, 25 फीसदी राज्य सरकार और बाकी का 25 फीसदी लाभार्थी को देना होता है।
पिछले वर्ष शुरू हुई इस योजना के तहत पशु के बाजार मूल्य के आधार पर बीमित किया जाता है। गाय और भैंस का मूल्य उसके प्रतिदिन देय दूध या उसके ब्यात पर निर्भर करता है। पशु की न्यूनतम बाजार दर गाय के लिए 3000 रुपए प्रति लीटर और भैंस के लिए 4000 रुपए लीटर है। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा मान्य स्थानीय बाजार पर भी बीमा किया जा सकता है।
पशुपालन विभाग के अनुसार यूपी में एक साल में डेढ़ लाख से ज्यादा पशुओं का बीमा किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद के मुख्य कार्रकारी अधिकारी डॉ. एएन सिंह बताते हैं, “योजना काफी सफल रही है, प्रीमियम का बड़ा हिस्सा सरकार खुद ही दे रही हैं। ऐसे में मात्र कुछ रुपए प्रतिदिन का देकर पशुपालक किसी जोखिम से बच सकते हैं। हम लोग लोगों को जागरूक करने के लिए कई तरह के प्रयास भी कर रहे हैं।’
उत्तर प्रदेश में बीमा का जिम्मा ओरिएटंल इंश्योरेंस कं. लिमिटेड को दिया गया है। जिसके तहत दो तरह से बीमा किया जाता है। अगर सिर्फ मृत्यु या चोरी आदि के लिए बीमा कराना है तो बीमा की दर पशु के मूल्य की 2.32 फीसदी होगी एक साल के लिए, जबकि अगर इसमें पूर्ण विकलांगता शामिल किया जाता है तो ये दर बढ़कर 2.98 फीसदी हो जाता है।
19वीं पशुगणना के अनुसार भारत में कुल 51.2 करोड़ पशु हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में पशुओं की संख्या 4 करोड़ 75 लाख (गाय-भैंस, बकरी, भेड़ आदि सब) है। उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में सबसे आगे हैं। लेकिन कुछ साल पहले तक बीमा सिर्फ प्रगतिशील डेयरी किसान ही कराते थे, इस योजना में आम किसानों को तवज्जो दी गई है।
योजना को छोटे किसानों के लिए लाभकारी बताते हुए गोरखपुर के पशु चिकित्साधिकारी आैर पीवीएस एसोसिएशन उत्तर प्रदेश राकेश शुक्ला बताते हैं, “हमारे गोरखपुर में एक साल में 3200 पशुओं बीमा हुआ है। इस दौरान 50-60 पशुपालकों को जानवर की क्षति होने पर बीमा भी मिला है। योजना का लाभ पाने के लिए कोई ज्यादा कागजी भी नहीं है, बस जिले के पशु चिकित्सक के यहां आवेदन करना है। पशुपालक के पास आधार और बैंक खाता होना चाहिए मृत्यु होने पर पैसा खाते में आता है। बाकी काम बीमा और विभाग के कर्मचारी खुद करते हैं।’
प्रीमियम का गणित और गुणाभाग सरल शब्दों में बताते हुए वो कहते हैं, 10 हजार रुपए तक के पशु के लिए जो प्रीमियम सामान्य पशुपालक को देना है वो है मात्र 58 रुपए। यानि हर 10 हजार पर 58 रुपए। ऐसे में अगर किसी भैंस का मूल्य 50 हजार है तो उसका सालाना प्रीमियम 280 रुपए होगा।’ यानि रोज का महज 80 पैसे। इसी तरह अगर किसी बकरी का मूल्य 2000 रुपए है तो उसके लिए पशुपालक को करीब 12 रुपए देने होंगे। योजना पहले से पारदर्शी है जिसमें वाट्सएप नंबर से क्लेम की स्टेटस भी जानी जा सकती है, साथ ही र्काई शंका होने पर सीधे मोबाइल से संपर्क किया जा सकता है। योजना में एजेंट बनने पर युवाओं को रोजगार भी मिल सकता है जिसके लिए प्रति पशु बीमा कराने पर 50 रुपए दिए जाते हैं।
योजना में पिछड़े लोगों का खास ख्याल रखा गया है। चंदौली, मिर्जापुर और सोनभद्र को छोड़कार बाकी 72 जिलों में बीपीएल, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों के लिए केंद्र 40 फीसदी, राज्य 50 फीसदी जबकि लाभार्थी को सिर्फ 10 फीसदी प्रीमियम देना होता है, जो ऊपर खबर में किए गए गणित से भी काफी कम होगा। अनुसूचित जाति के पशुपालकों के लिए केवल 23 रुपए प्रति 10000 कीमत के पशु के लिए प्रीमियम देय है।
पशुपालकों जबकि लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिस्ट तीन जिलों( चंदौली, मिर्जापुर और सोनभद्र ) में बीपीएल, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए केंद्र 50 फीसदी और राज्य सरकार 50 फीसदी प्रीमियम में हिस्सेदारी देते हैं यानी इन जिलों के उक्त वर्गों में आने वाले पशुपालकों के लिए ये योजना पूरी तरह मुफ्त है। लेकिन इन्हीं तीन जनपदों के बाकी वर्गों के लिए लाभार्थी को 15 फीसदी बीमा प्रीमियम का वहन करना होगा।

योजना को लेकर पशुधन विकास परिषद में पशु चिकित्साधिकारी डॉ. वीनू पांडेय बताती हैं, “योजना के तहत छोटे और मंझोले पशुपालकों पर पूरा जोर है, ज्यादा से ज्यादा छोटे किसानों को लाभ मिले इसके लिए एक लाभार्थी के 5 बड़े पशुओं को भी बीमा के दायरे में लाया गया है।”

बीमा कराने तरीका, लाभ पाने का तरीका

  • जिले के पशुचिकित्सा अधिकारी के यहां आवेदन करें।
  • लाभार्थी के पास आधार कार्ड और बैंक खाता होना जरुरी है।
  • बीमा कंपनी के कर्माचरी, पशु चिकित्सक की मौजूदरी में पशु का मूल्य निर्धाकरण कर उसके कान में एक टैग (बिल्ला) लगाएंगे। किसान को इस टैग और पशु के साथ एक फोटो कंपनी में जमा करानी होगी।
  • मृत्यु होने पर पशुपालकों को बीमा कंपनी को तुरंत सूचना देनी होगी। बीमा कंपनी का एजेंट शव का मुआयना करेगा जिसके बाद चिकित्सका पोस्टमार्टम करेंगे,।
  • पशु मृत्यु का दावा फार्म, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पशु के कान का टैग, मूल्याकन पत्र बीमा कंपनी को उपलब्ध कराने पर 15 दिनों में बीमा कंपनी दावों का निस्तारण करेंगी और एक महीने, ज्यादा से ज्यादा तीन महीनों में बीमे का पैसा खाते में जाएगे।
  • बीमा का पैसा, पशु की उम्र, दूध देने की स्थिति आदि के अनुसार पशु मूल्य के अनुपात में कम हो सकता है।

Saturday, March 10, 2018

इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक बहुत बढ़िया फैसला

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sham ful act by jhanshi medical college

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जल माफिया सक्रीय हो रहे है और आप ?

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जल माफिया सक्रीय हो रहे है और आप ?
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यात्रा के दौरान प्यास लगी तो भोपाल रेलवे स्टेशन p.f. 2 पर वाटर वेंडिंग मशीन में 5 ₹ का सिक्का डाला । पानी नही निकला । मशीन खराब है सोचकर tweeter का उपयोग किया , रेल मंत्रालय समय दोपहर 2.28 पर शिकायत की ।
इस दौरान बहोत से यात्री पानी लेने आये लेकिन मशीन तो खराब महसूस हो रही थी ।
समय - 2.38 - पीछे पलटकर देखा तो मशीन के कर्ता धर्ता लोगों को पानी पिलाते नजर आये ।
हमने मुस्कराते हुए पूछा " क्यों कितना कमीशन मिलता है मशीन बंद रखने का "
हमारी और देखकर बोले " आपने शिकायत की थी "
हम - ह्म्म्म्म्म्म तो ,
महाराज कुछ नही बोलते हुए लोगो की जल सेवा करने लगे ।
वाटर वेंडिंग मशीन पर पानी किफायती दरो पर व अच्छा मिलता है । 1 लीटर पानी 5₹ में और क्या चाहिए । रेलवे का यह काम सराहनीय लगा ।
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गर्मी आने वाली है , जल माफिया सक्रीय हो रहे है , वाटर वेंडिंग मशीन चालू रहेगी तो जल माफिया को नुकसान होगा ।
और यदि मशीन बंद रही तो ग्राहकों को नुकसान होगा । नुकसान से बचना है तो सक्रीय रहना होगा ।
कही पर भी मशीन बंद पाये जाने पर सीधा मंत्रालय को tweet करें । अपनी जिम्मेदारी निभाए । कार्यवाही ना होने पर ग्राहक पंचायत को भी सूचित कर सकते है ।

अब ये सरकारी अधिकारी बाबू अपने और अपने परिवार के इलाज में घोटाला कैसे कर पायेंगे

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राज किसी का भी हो ये हरामखोर सरकारी बाबू कही भी भ्रष्टाचार करने में नहीं चुकाते

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राज किसी का भी हो ये हरामखोर सरकारी बाबू कही भी भ्रष्टाचार करने में नहीं चुकाते


Friday, March 9, 2018

GST Malpractices by Amway India

GST Malpractices by Amway India
I recently joined Amway India as a distributor and as per their rules bought some Household FMCG goods and other packaged items (some bills have been attached for your perusal). I was happy that they gave me a 6% discount but charged me 18% GST on top of MRP. Please see the bills and advice if this is fair practice and what redressal steps can be taken to stop this malpractice as it impacts not only me but all people who are so-called distributors but in actual fact consumers of Amway products as Amway operates on a convenient multi-level marketing (MLM) model. Can a big MNC with an annual turnover of more than ₹200 crore get away with this malpractice and fleecing of customers.




Madam in case the discount of 6% has been calculated on MRP and then GST has been charged it is illegal and complaint need to be raised asking refund else will advise alternative remedies if no refund is made. I would be personally keen in monitoring its status. If you could send me complaint and bills by email

final bill settlement by hospitals on demise

Final bill settlement by hospitals on demise of pa

We all have been coming across the huge amount being charged by corporate hospitals towards medical treatment. No doubt the hospitals are also pretending to be starred hotels alike business. Whether it is an ethical or unethical is matter of debate. Meanwhile we are also coming across the incidences wherein the patients have been died but the discharge awaits final payment settlement. In my view the final bill of the dying patient may not be exceeding few hubdred or thousand rupees as hospitals are best operational operndii of depositing interim payments from time to time. I personally feel the hospitals in its professional and humantarian grounds should not demand at all for the final payment if any from the relatives and that could be the best tribute from the hospitals to the departing souls as well as relief to the family who have lost near and dear ones. What do you feel on this feeling?


All should be aware about their rights. Supeme Court has given a decision that for want of payment, no hospital can deny or refuse discharge of the patient dead or alive. If the hospital does, it will invite a criminal charge of ILLEGAL CONFINEMENT. Police will intervene immediatly. If hospital wants to recover money,it has remedy to file a suit in the civil court.None can be kept forcibly or against wishes .

It is tricky subject : Mr. Mohan Siroya in his post says that the 
" Supeme Court has given a decision that for want of payment, no hospital can deny or refuse discharge of the patient dead or alive. " 

This gives a lot of powers for the Family to take the body away without settling the bill even without assuring or Gauranteeing . In the grief and the expenses incurred already there is a good chance that the family might forget . That is not fair on the Hospital which had come handy at the time of distress. 

Then to safe gaurd their interest the Hospitals will ask for more hefty advances before admisssions. The most affected are the poor , who may not have that sort of capacity to generate money in a short time . Many ggo to the the usuary or the the marwari who takes jewels as pledge and gives money . 

There should be delicate balance in these matters . We have to isolate Hospitals which increase the hospitalisation to fill up occupancy and utilization of equipments . The y should be dealt with severely . Government Hospitals should increase their capacity and expertise to deal with such situations .




"should not demand at all for the final payment if any from the relatives and that could be the best tribute" is moral, ethical and at natural Justice. But, if mandated so, Hospitals will be demanding day to day or every 2 days charges of all . 
Already the Hospitals irrespective of Corporate or displaying Board of Multi Specialty, even for Operations collecting in advance either Huge Sums or,deposit of Insurance Coverage and till then, Treating the Patient getting stalled. 
On the other hand, neither the Governments nor the Supreme Court is not able to set for Regulated Charges in Private Hospitals while the pleading from Doctors' profession is the result of highest cost of getting a Medical Degree. 

All these going against the concept of article 21, 41 and 47 AND IS RESULT OF FAILURE IN IMPLEMENTATION OF HEALTH AND EDUCATION . Many Districts do not have adequate PHCs, sufficient Dispensaries and even requisite Hospitals . It is known even to High Courts and I think S.C. too that these 3 types of basic Health institutions do not have adequate number of Treating and Nursing Manpower.

Forget about waiving off pending bills of deceased patients which no corporate hospital will ever do. Let them first practise ethics and provide only the treatment that a patient needs , not expensive scans and tests which are not needed so that they can fleece the patient and recover the cost of expensive equipment like MRI ,catscan etc . Unfortunately the doctors are also given a target by the hospitals to fulfill and they also abet in this loot of the patients. First sign of a good doctor is to make a proper diagnosis not prescribe numerous tests to rule out other possibilities. A layman patient or his relative will be hardly in a position to argue with the doctor which some unscrupulous doctors exploit.

Only solution is to bring all Private Health services under GST.

It is a most impracticable suggestion. Hospitals are also establishments. They have invested crores of rupees and worked their entire lives to be able to fit into the role of a doctor or a hospital administrator. They too have stomachs to feed. Their employees need to be taken care of. How can you even expect such kind of favors! Yes, one thing that can be done is Government should take a serious role in the health of the people. It should make affordable medicare within the reach of every citizen. The corruption and exploitation of corporate hospitals will thus come down.