अगर आपकी भी गाड़ी चोरी हो गई है तो आपको टेंशन न लेकर होशियारी से काम लेना चाहिए. सही वक्त पर सही निर्णय लेने से आप इस स्थिति में आसानी से निपट सकते हैं.
अपना घर, अपनी गाड़ी तो हर किसी का ख्वाब होता है. हम खुद के घर और अच्छी सी गाड़ी के लिए कड़ी मेहनत भी करते हैं, जिन्हें विरासत में ये सब मिल जाता है उनकी बात अलग है. आपके घर और आपकी गाड़ी पर कोई आंच न आए इसलिए आप इंश्योरेंस भी करवाते हैं. पर दुर्घटनाओं को कोई नहीं रोक सकता.
आपके घर पर चोरी या आपकी गाड़ी भी चोरी हो सकती है. अगर आपकी भी गाड़ी चोरी हो गई है तो आपको टेंशन नहीं लेना चाहिए, वैसे भी ऐसे मौके पर बुद्धि काम करना बंद कर देती है. गाड़ी चोरी होने की स्थिति में आपको सावधानी से काम लेना चाहिए.
सही वक्त पर सही निर्णय लेने से आप इस स्थिति में आसानी से निपट सकते हैं. गाड़ी चोरी होने के बाद इन कामों को करना न भूलें
जमा करें सारे जरूरी कागजात
सबसे पहले अपने गाड़ी के सारे पेपर्स इकट्ठा करें. जैसे की आरसी बुक, इंश्योरेंस के पेपर्स, ड्राइविंग लाइसेंस. हमेशा ओरिजनल की फोटो कॉपी अपने पास रखें. ऐसे में अगर ओरिजनल कॉपी भी गाड़ी के साथ चोरी हो जाती है तो आपके पास दस्तावेज की कॉपी तो होगी.
एफआईआर लिखवाएं
आपके साथ हुई दुर्घटना का पूरी जानकारी देते हुए एक एप्लीकेशन लिखें और इसे नजदीकी पुलिस थाने में जाकर जमा करें. पुलिस कंप्लेन के साथ ही गाड़ी के कागजात भी जमा करें. आपकी कंप्लेन के आधार पर पुलिस एफआईआर लिखेगी और कार्यवाई शुरु करेगी.
बीमा कंपनी को सूचित करें
पुलिस में कंप्लेन करने के बाद आप बीमा कंपनी को गाड़ी चोरी होने की जानकारी दें. इंश्योरेंस क्लेम के फॉर्म को सारे दस्तावेजों के साथ जमा करें. क्लेम के साथ आरसी की कॉपी, बीमा पॉलिसी की कॉपी, एफआईआर की कॉपी लगाना न भूलें. जल्द से जल्द इंश्योरेंस के लिए क्लेम करें.
आरटीओ को भी सूचित करें
बीमा के लिए क्लेम करने के बाद आपको आरटीओ ऑफिस में भी गाड़ी चोरी होने की जानकारी देनी होगी. शिकायत पत्र के साथ सारे दस्तावेजों की कॉपी भी लगाएं. एफआईआर की कॉपी और क्लेम की कॉपी भी जरूर लगाएं.इसके साथ ही अगर आपके पास अपनी गाड़ी की तस्वीर है तो वो भी जमा करें. शिकायत की रसीद लेना भूलें.
इन सब के अलावा जो सबसे जरूरी है, वो है ‘पीछे पड़े रहना’. आप उस देस के बाशिंदे हैं, जहां लोगों को मुफ्तखोरी की आदत है, पर मुफ्त में कोई काम नहीं कर सकते. भले ही वो काम मुफ्त में करने की कानूनी पाबंदी ही क्यों न हो. इसलिए अपने जूते घिसने के लिए भी मानसिक तौर पर तैयार रहें. क्योंकि ईमानदारी का फल हमेशा मीठा नहीं होता. इसके साथ ही हर ऑफिस में जाकर अपने कंप्लेन की जानकारी जरूर लें.
No comments:
Post a Comment