Thursday, March 1, 2018

सुप्रीम कोर्ट ने एक कैंसर रोगी की अर्जी पर ग्वालियर में मोबाइल टावर बंद करने का आदेश दिया है

रेडिएशन के दुष्प्रभाव के सिलसिले में दायर एक जनहित याचिका पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक कैंसर रोगी की अर्जी पर ग्वालियर में मोबाइल टावर बंद करने का आदेश दिया है। यद्यपि सरकार का कहना है कि हमारे देश में मोबाइल टावर उत्सर्जन नियम वैश्विक नियमों से दसना कड़े हैं। इस बीच यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ तिरुवनंतपुरम के जीव विज्ञानी विभाग के शोध-निष्कर्ष में बताया गया है कि रिसर्चर्स ने कॉकरोच पर मोबाइल रेडिएशन का प्रयोग किया। अध्ययन के दौरान पता चला कि मोबाइल से निकलने वाला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन कॉकरोच के शारीरिक रसायनों (बॉडी फैट और हीमैटोलॉजिकल प्रोफाइल) को तेजी से परिवर्तित कर रहा है यानी इस रेडिएशन से तंत्रिका तंत्र के रसायन में तेजी से बदलाव होता है।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन बॉडी फैट में मौजूद प्रोटीन को तेजी से घटाने और अमीनो एसिड को बढ़ाने लगता है। शरीर में ग्लूकोज और यूरिक एसिड बढ़ जाता है। अंतर्राष्ट्रीय एवं भारतीय मानक के अनुसार मोबाइल फोन का रेडिएशन लेवल 1.6 वाट/किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए मगर प्रतिस्पर्धा के दौर में तमाम कंपनियां कम कीमत पर मोबाइल हैंडसेट बाजार में लाने के लिए मानक की अनदेखी कर रही हैं। सेल्युलर टेलीकम्यूनिकेशन एंड इंटरनेट एसोसिएशन के अनुसार सभी मोबाइल हैंडसेट पर रेडिएशन संबंधी जानकारी देनी जरूरी है मगर कई बड़ी कंपनियां इसे नजरअंदाज कर रही हैं।
इससे पता चलता है कि मोबाइल ‘साइलेंट किलर’ का काम कर रहा है। इन दिनो दुनिया के तमाम मशहूर ब्रांड के ऐसे मोबाइल हैंडसेट बाजारों में भरे पड़े हैं, जिनसे निकलने वाला रेडिएशन मानक से ज्यादा पाया गया है। अपने मोबाइल सेट पर *#07# डायल कर रेडिएशन की खुद भी जांच की जा सकती है। यह नंबर डायल करते ही मोबाइल स्क्रीन पर रेडिएशन वैल्यू आ जाती है। इंडियाज नेशनल स्पेसिफिक एब्जॉर्बशन रेट लिमिट (आईएनएसएआरएल) के अनुसार भी मोबाइल के रेडिएशन का मानक अधिकतम 1.6 वाट प्रति किलोग्राम तक ही होना चाहिए।
रेडिएशन के जानकार अब दुनिया भर में लोगों को लगातार आगाह कर रहे हैं कि मोबाइल का इस्तेमाल बहुत ही सावधानी के साथ करें। मसलन, सेट के साथ प्रोटेक्टिव केस का जरूर इस्तेमाल करें। सेट को शरीर से दूर रखें। शर्ट-पैंट की जेब में मोबाइल न रखें। शरीर से सटे होने पर मोबाइल का रेडिएशन और ज्यादा तीव्रता से प्रभावित करता है। लैंडलाइन फोन का ज्यादा इस्तेमाल करें। जब जरूरत न हो, मोबाइल स्विच ऑफ करके रखें। रात में मोबाइल बंद रखें। सेट को देर तक कान से लगाकर बात न करें। चार्जिंग के दौरान मोबाइल पर बात करने से जरूर परहेज करें क्योंकि ऐसे में रेडिएशन लेवल दसगुना तक बढ़ जाता है।
मोबाइल में सिग्नल कमजोर होने पर, बैट्री डिस्चार्ज होने की स्थितियों में भी इस्तेमाल न करें। आजकल टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने एक 'तरंग संचार' नाम का एक वेब पोर्टल शुरू किया है, जो मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन की स्थिति बताता है। अपने टावर को लोकेट करने के लिए या तो आप पीसी, टैबलेट या मोबाइल के जीपीएस की मदद ले सकते हैं या फिर अपने एरिया को सर्च कर सकते हैं। निर्देशित प्वॉइंट पर क्लिक करते ही टावर के बारे में विस्तृत जानकारी ई-मेल से मिल जाती है।

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