राज्य उपभोक्ता आयोग ने भारतीय रेलवे को निर्देश जारी करते हुए एक यात्री को सफर में परेशानी होने के कारण उसे मुआवजे के तौर पर 75 हजार रुपए देने की बात कही है। डिस्ट्रिक्ट फोरम के फैसले को सही ठहराते हुए दिल्ली स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रेडरेस्सल कमीशन ने भारतीय रेलवे से यह भी कहा है कि टिकट चेकर की तनख्वाह में से एक तिहाई पैसा काटा जाए, जिसने सही व्यक्ति की सीट पर दूसरे व्यक्तियों के बैठ जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की। आयोग ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट फोरम द्वारा मुआवजे के तौर पर यात्री को 75 हजार रुपए देने की बात करना बिलकुल उचित है।
यह मामला साल 2013 का है। इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए पीड़ित यात्री विजय कुमार ने कहा कि 30 मार्च को वह दक्षिण एक्सप्रेस में विशाखापटनम से नई दिल्ली के लिए सफर कर रहे थे लेकिन उनकी आरक्षित सीट को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कब्जा कर लिया गया। उपभोक्ता केंद्र में कुमार द्वारा की गई शिकायत में दावा किया गया है कि उनके घुटनों में दर्द है, जिसके कारण उन्होंने ट्रेन में सबसे नीचे वाली सीट बुक कराई थी। मध्य प्रदेश के बीना स्टेशन पर कुछ लोग जबरदस्ती उनके कंपारटमेंट में घुस गए और उनमें से एक व्यक्ति ने कुमार की सीट पर कब्जा कर लिया। जब वहां मौजूद यात्रियों ने इसका विरोध किया तो उन्होंने सभी यात्रियों के साथ बदसलूकी करना शुरु कर दिया।
इसके बाद कुमार ने टिकट चेकर और रेलवे के अन्य अधिकारियों से इस मामले की शिकायत करने की कोशिश की तो उन्हें कोई नहीं मिला। बाद में जब इस मामले के बारे में रेलवे को सूचना दी गई तो उन्होंने इसपर कुछ नहीं कहा और न ही अपनी गलती मानी, जिसके बाद डिस्ट्रिक्ट फोरम ने उन्हें निर्देश जारी कर यात्री को मुआवजा देने के लिए कहा था। वहीं कुमार ने इस मुआवजे को बढ़ाने के लिए सिफारिश की थी जिसे कंज्यूमर कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मना कर दिया। इस केस की सुनवाई करते हुए जस्टिस वीणा बीरबल ने कहा कि यात्री को दिया जाने वाला मुआवजा काफी है और इसमें कोई भी इजाफा होना उचित नहीं है।
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