Sunday, January 14, 2018

विषय : उत्तरप्रदेश राज्य सूचना आयोग के विकेन्द्रीयकरण के सम्बन्ध में

दिनांक : १५ जनवरी २०१८
श्री आदित्यनाथ योगी जी
मुख्य मंत्री , उत्तरप्रदेश शासन , लखनऊ
विषय : उत्तरप्रदेश राज्य सूचना आयोग के विकेन्द्रीयकरण के सम्बन्ध में
मान्यवर ,
सरकारी तन्त्र के कार्यकलापो में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से प्रचलन आया सूचना अधिकार अधिनियम २००५ काफी हद तक सफल रहा है किन्तु आफिसियल सीक्रेसी एक्ट के सुरक्षा कवच की यादो को कुछ अधिकारी अभी भी संजो कर रखना चाहते है और अवसर मिलने पर इस कानून की महत्त्वपूर्ण धाराओ को कुन्द करने की हर चेष्टा करते रहते है जिससे अनेको भ्रष्टाचार के मामले उजागर न हो I विभागीय अधिकारी , नामित जन सूचना अधिकारी या प्रथम अपीलीय अधिकारी सूचनाओं को दबाने की हर सम्भव चेष्टा करते रहते है I
इन हालातो में राज्य सूचना आयोग की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाती है I किन्तु वहाँ भी एक तरह से आवेदकों की इच्छा शक्ति की परीक्षा लेने का ही काम होता है और सुनवाई के लिए दीवानी न्यायालयों की तर्ज पर तारीख पर तारीख पड़ती रहती है I किसी वजह से यदि आवेदनकर्ता तारीख पर हाजिर नहीं होता है तब उसकी अपील , अपील में दिए गए तथ्यों एवम गुण दोष के आधार पर निर्णय करते हुवे , विभागों के पक्ष में बिना सूचना प्रदान करवाए ही प्रायः खारिज कर दी जाती है I
महोदय , केन्द्रीय सूचना आयोग में सभी सुनवाई वीडियो कांफ्रेंस के जरिये की जाती है जिससे सभी के समय और पैसे बच जाते है वहीँ महाराष्ट्र जैसे राज्य ने अपने यहाँ सूचना आयोग की अनेको पीठे बना रखी है जिससे आवेदक हो या सरकारी अधिकारी सुबह निकलकर शाम को अपने घर वापस आ सकते है
टेक्नालाजी के इस युग में भारत सरकार ने सभी जिलो के मुख्यालयों में NIC के केंद्र और स्टूडियो स्थापित कर रखे है जिनका उपयोग उत्तरप्रदेश राज्य सुचना आयोग में भी प्रारम्भ करवाकर जनता को राहत प्रदान करने के साथ साथ सरकारी कोष एवम अधिकारियों के समय में भी बचत हो सकती है I वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर माह में एक बार सुनवाई हेतु राज्य सूचना आयोग के आयुक्त मण्डल स्तर पर उस मण्डल की सुनवाई हेतु आ सकते है I
आशा है वृहत्तर जनहित में आप किसी एक विकल्प पर विचार कर आवश्यक आदेश पारित करने की कृपा करेंगे I
धन्यवाद सहित
भवदीय
बिमल कुमार खेमानी , संरक्षक *** ई विक्रम सिंह , अध्यक्

No comments:

Post a Comment