खेतों में ओरगेनिक खाद से रिजल्ट लेने का तरीका
किसी भी खेत में ओरगेनिक या रासायनिक खाद की मात्रा फिक्स नहीं होती , उस खेत की जमीन की गुणवत्ता , किसान की माली हालत , जलवायु , पानी की उपलब्धता के अनुसार एक अनुमानित डोज या मात्रा फिक्स की जाती है . ओरगेनिक खाद किसी भी तरह से फसल को नुकसान नहीं करती है , हर हालत में जमीन को उपजाऊ बनाती है . अधिक डोज डालने से भी कोई नुकसान नहीं है और कम डाला गया है तो ऊपर से और डाला जा सकता है . फसल जैसी डिमांड करती है उस हिसाब से उसके डोज का निर्धारण किया जाता है .
ओरगेनिक खाद के सभी घटक अच्छी तरह मिलाकर बोने से पहले देने से खाद अच्छी तरह से जमीन में मिल जाती है , 20-25 दिन के अन्दर जमीन को मुलायम और भुरभुरा कर देती है , नमी बनाए रखती है जिससे जब फसल उगती है तो जड़ संख्या में अधिक निकलती हैं और गहरी जाती है उसी हिसाब से तना मजबूत होता है . फसल में अगर जड़ व तना तंदुरुस्त होंगे तो उत्पादन भी अच्छा होगा जबकि रासायनिक खाद में जमीन की नमी गायब हो जाती है , जमीन कड़क हो जाती है और जड़ संख्या में कम निकलती हैं तो तना भी कमजोर रहता है और उपज कम हो जाती है .
अंधाधुंध रासायनीकरण , कीट नाशक और नींदा नाशक से जमीन कड़क व निर्जीव हो जाती है जो लाभदायक जीवाणु होते है सब मर जाती है , बहुत से ऐसे तत्व जमीन में बेकार पड़े है , जमीन निर्जीव होने की वजह से फसल वह तत्व खुराक के रूप नहीं में ले पाती है . मनुष्य , जानवर , पक्षीयों में ऐसा कुदरती सिस्टम होता है की वह जो कुछ खाते है उनका शरीर उसमे से आवश्यक तत्व ले लेता है बाकी फालतू चीज बाहर फेक देता है किंतु वनस्पति , पौधों में ऐसा कोई सिस्टम नहीं होता , ये विटामिन हारमोन के रूप में अपनी खुराक लेते है जो जमीन में जीवाणु होते है वह सारे तत्वों को विटामिन , हारमोन के रूप में बदल देते है . जिससे फसल अपना खाना अच्छी तरह से अवशोषित कर लेती है .
ओरगेनिक खाद जमीन में मिलकर लाभदायक जीवाणुओं , केंचुओं को पैदा करने का वातावरण तैयार कर देती है जिससे जमीन में भरपूर जीवाणु पैदा हो जाते है , जीवाणुओं के चलने फिरने से जमीन पोली , भुरभुरी हो जाती है जिससे ऑक्सीजन नाइट्रोजन की जमीन में उपलब्धता बढ़ जाती है जिससे नमी बराबर बनी रहती है , जीवाणुओं का जीवन चक्र चलता रहता है और फसल भी तंदुरुस्त और अच्छा उत्पादन देती है |. अल्पेश कुमार हिम्मतनगर mo 09913961129
किसी भी खेत में ओरगेनिक या रासायनिक खाद की मात्रा फिक्स नहीं होती , उस खेत की जमीन की गुणवत्ता , किसान की माली हालत , जलवायु , पानी की उपलब्धता के अनुसार एक अनुमानित डोज या मात्रा फिक्स की जाती है . ओरगेनिक खाद किसी भी तरह से फसल को नुकसान नहीं करती है , हर हालत में जमीन को उपजाऊ बनाती है . अधिक डोज डालने से भी कोई नुकसान नहीं है और कम डाला गया है तो ऊपर से और डाला जा सकता है . फसल जैसी डिमांड करती है उस हिसाब से उसके डोज का निर्धारण किया जाता है .
ओरगेनिक खाद के सभी घटक अच्छी तरह मिलाकर बोने से पहले देने से खाद अच्छी तरह से जमीन में मिल जाती है , 20-25 दिन के अन्दर जमीन को मुलायम और भुरभुरा कर देती है , नमी बनाए रखती है जिससे जब फसल उगती है तो जड़ संख्या में अधिक निकलती हैं और गहरी जाती है उसी हिसाब से तना मजबूत होता है . फसल में अगर जड़ व तना तंदुरुस्त होंगे तो उत्पादन भी अच्छा होगा जबकि रासायनिक खाद में जमीन की नमी गायब हो जाती है , जमीन कड़क हो जाती है और जड़ संख्या में कम निकलती हैं तो तना भी कमजोर रहता है और उपज कम हो जाती है .
अंधाधुंध रासायनीकरण , कीट नाशक और नींदा नाशक से जमीन कड़क व निर्जीव हो जाती है जो लाभदायक जीवाणु होते है सब मर जाती है , बहुत से ऐसे तत्व जमीन में बेकार पड़े है , जमीन निर्जीव होने की वजह से फसल वह तत्व खुराक के रूप नहीं में ले पाती है . मनुष्य , जानवर , पक्षीयों में ऐसा कुदरती सिस्टम होता है की वह जो कुछ खाते है उनका शरीर उसमे से आवश्यक तत्व ले लेता है बाकी फालतू चीज बाहर फेक देता है किंतु वनस्पति , पौधों में ऐसा कोई सिस्टम नहीं होता , ये विटामिन हारमोन के रूप में अपनी खुराक लेते है जो जमीन में जीवाणु होते है वह सारे तत्वों को विटामिन , हारमोन के रूप में बदल देते है . जिससे फसल अपना खाना अच्छी तरह से अवशोषित कर लेती है .
ओरगेनिक खाद जमीन में मिलकर लाभदायक जीवाणुओं , केंचुओं को पैदा करने का वातावरण तैयार कर देती है जिससे जमीन में भरपूर जीवाणु पैदा हो जाते है , जीवाणुओं के चलने फिरने से जमीन पोली , भुरभुरी हो जाती है जिससे ऑक्सीजन नाइट्रोजन की जमीन में उपलब्धता बढ़ जाती है जिससे नमी बराबर बनी रहती है , जीवाणुओं का जीवन चक्र चलता रहता है और फसल भी तंदुरुस्त और अच्छा उत्पादन देती है |. अल्पेश कुमार हिम्मतनगर mo 09913961129
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