Sunday, January 21, 2018

अगर कोई पुलिस थाने का SHO या SP आपकी शिकायत पर FIR दर्ज नहीं करे तो 166, 217 आईपीसी के तहत यह अपराध होगा.....


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 संज्ञेय अपराध की लिखित इत्तिला सबसे पहले सम्बंधित पुलिस थाने के SHO को देनी पड़ेगी....

अगर वह दर्ज नहीं करे तो फिर SP को देनी पड़ेगी....


वह भी दर्ज नहीं करे तो आप न्यायालय के समक्ष इस्तगासा दायर कर FIR दर्ज करवा सकते हैं....




अगर कोई पुलिस थाने का SHO या SP आपकी शिकायत पर FIR दर्ज नहीं करे तो 166, 217 आईपीसी के तहत यह अपराध होगा.....

2.

अगर शिकायत आईपीसी के तहत ऐसी थी:-

326क-326ख यानि तेजाब डाल देना
354, 354ख यानि छेड़छाड़
370, 370क यानि व्यक्ति का दुर्व्यापार
376, 376क, 376ख, 376ग, 376घ, 376ड़ यानि बलात्कार
509 यानि स्त्री की लज्जा का कार्य

तो 166A आईपीसी के Part C के तहत SHO और SP को जेल जाने के साथ नौकरी भी गंवानी पड़ेगी....

3.

अगर किसी पुलिसकर्मी ने अनुसंधान या साक्ष्य के लिए

बच्चे
बूढ़े
महिला
या विकलांग

को उनके इच्छित स्थान के अलावा पुलिस थाने या पुलिस के किसी ऑफिस में बुलाने की "अपेक्षा" की तो 166A आईपीसी के Part A के तहत यह गम्भीर अपराध होगा....

166A आईपीसी के अपराध की प्रकृति:-

भाग1- संज्ञेय(कोई भी FIR दर्ज करवा सकता है)
भाग2- अशमनीय(राजीनामा नहीं हो सकता है)
भाग3- प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट से विचारणीय
भाग4- दोषी को दो साल तक की सज़ा लेकिन 6 महीने से कम सज़ा नहीं दी जा सकती है।
भाग5- 197 CRPC के तहत सरकार से पूर्व मंजूरी की आवश्यकता नहीं

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