Tuesday, January 30, 2018

पांच पत्ती काढ़ा बनाने की विधी

पांच पत्ती काढ़ा बनाने की विधी
किसी भी फसल में अगर कीट-पतंग लगने की शुरूवात हो गयी है तो पहली खुराक के रूप में पांच पत्ती का काढ़ा बनाकर छिड़काव किया जाता है। पांच प्रकार के पत्ते जिसमें नीम, आक, धतूरा, बेसरम, सीताफल की पत्तियों को पांच लीटर देसी गाय के गोमूत्र में भरकर मिट्टी के बर्तन में रख दें। इसे छानकर 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ फसल में इसका छिड़काव करने से फसल में कीट-पतंग नहीं लगेंगे।
लहसुन आधारित जैविक कीटनाशक
लहसुन, अदरक, हींग का छिड़काव करने से कीटपतंग मरते नहीं हैं। इसके छिड़काव के बाद इसकी गंध से फसल में कीट पतंग लगते नहीं हैं।
दशपर्णी अर्क बनाने की विधि
दशपर्णी अर्क का उपयोग फसल में लगने वाले सभी प्रकार के रस चुसक और सभी इल्लियों के नियंत्रण के लिए किया जाता है। 200 लीटर पानी, दो किलो गाय का गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, दो किलोग्राम करंज के पत्ते, दो किलोग्राम सीताफल के पत्ते, दो किलोग्राम धतूरा के पत्ते, दो किलोग्राम तुलसी के पत्ते, दो किलोग्राम पपीता के पत्ते, दो किलोग्राम गेंदा के पत्ते, दो किलोग्राम नीम के पत्ते, दो किलोग्राम बेल के पत्ते, दो किलोग्राम कनेर के पत्ते, 500 ग्राम तम्बाकू पीसकर या काटकर, 500 ग्राम लहसुन, 500 ग्राम पीसी हल्दी, 500 ग्राम तीखी हरी मिर्च, 200 ग्राम अदरक या सोंठ।
एक प्लास्टिक के बर्तन में सभी सामग्री मिलाकर जालीदार कपड़े से बांधकर 40 दिन छाया में रख दें। सुई की दिशा में सुबह शाम हिलातें रहें। इसका फसल में छिड़काव करने से रस चुसक और इल्लियाँ नहीं लगेंगी।
नीम आधारित कीटनाशक की निर्माण विधि
नीम आधारित कीटनाशक बनाने के लिए 10 लीटर गोमूत्र में 3 किलोग्राम नीम की पत्ती की चटनी, 2 किलोग्राम आक के पत्तों की चटनी, 2 किलोग्राम सीताफल पत्ते की चटनी, 2 किलोग्राम धतुरा के पत्ते की चटनी, 2 किलोग्राम बेशरम के पत्ते की चटनी को एक मिट्टी के बर्तन में डालकर आग में तबतक उबालें जबतक चार उबाले न आ जाएं।
आग से उतारकर 48 घंटे छाँव में ठंडा होने के लिए रख दें। इसके बाद कपड़े से छानकर 15 लीटर पानी में आधा से एक लीटर तक कीटनाशक मिलाकर स्प्रे करे।तनाछेदक कीटों से बचाव के लिए इसी में आधा किलोग्राम हरी तीखी मिर्च की चटनी और 500 ग्राम देसी लहसुन की चटनी मिलाकर कीटनाशक बनाये।
फफूंदनाशक दवा की निर्माण विधि
खट्टी छाछ में दो दिन के लिए एक तांबे का टुकड़ा डालकर रखा रहने दें, दो दिन बाद इस छाछ की आधा लीटर मात्रा को 15 लीटर पानी में खूब अच्छी तरह मिलाकर फसल में छिड़काव करें। इससे फसल में फफूंदनाशक नहीं लगेगी।
फसल को वायरस से ऐसे बचाएं
पौधों को वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए पूरे फसल चक्र में तीन बार एक लीटर देशी गाय के दूध में 15 लीटर पानी, 50 ग्राम हल्दी प्रति टंकी के हिसाब से स्प्रे करें। इसके अलावा पानी में हींग, हल्दी मिलकर फसल की जड़ों में ड्रिन्चिग करने से वायरस नहीं लगेगा।
फेरोमेन ट्रैप और स्ट्रिकी ट्रैप से फसल में नहीं लगते कीट पतंग
प्रभावी कीट नियंत्रण के लिए स्वनिर्मित लाईट ट्रैप, फेरोमेन ट्रैप और स्ट्रिकी ट्रैप का उपयोग करने से फसल में कीट नहीं आते हैं। फेरोमेन ट्रैप में मादा का लेप करने से इसकी गंध से कीट मर जाते हैं। एक एकड़ में 10 फेरोमेन ट्रैप या फिर 10 पीले रंग के स्ट्रिकी ट्रैप में गिरीस का लेप लगाने से कीट उसी स्ट्रिकी ट्रैप में चिपक जायेंगे।

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