तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग जरा
मध्यवर्गीय आदमी की समस्याए अब राजनीति की केंद्रबिंदु नही रही अब उसका स्थान धर्म सम्प्रदाय ओर जातीय राजनीति ने ले लिया है
बाज़ार की नजरें अब उसकी छोटी बचत पर लगी हुई है सत्ताधारी दल अब बाजार की शक्तियों के गुलाम है एक जनवरी से पीपीएफ, एनएससी और किसान विकास पत्र जैसी स्मॉल सेविंग्स स्कीमों की ब्याज दरों में एक और कटौती कर दी गयी है राष्ट्रीय लघु बचत कोष गैरजरूरी बताया जा रहा है। वित्त मंत्रालय ने बेहद कम जोखिम और निश्चित लाभ देने वाले सरकारी बॉन्ड पर ब्याज दरें 0.25 फीसदी तक घटा दी हैं आम आदमी को एक तरह से समझाया जा रहा है कि उसकी छोटी-छोटी बचतों पर दिया जाने वाला ब्याज देश को कैसे पीछे धकेल रहा है
बाज़ार की नजरें अब उसकी छोटी बचत पर लगी हुई है सत्ताधारी दल अब बाजार की शक्तियों के गुलाम है एक जनवरी से पीपीएफ, एनएससी और किसान विकास पत्र जैसी स्मॉल सेविंग्स स्कीमों की ब्याज दरों में एक और कटौती कर दी गयी है राष्ट्रीय लघु बचत कोष गैरजरूरी बताया जा रहा है। वित्त मंत्रालय ने बेहद कम जोखिम और निश्चित लाभ देने वाले सरकारी बॉन्ड पर ब्याज दरें 0.25 फीसदी तक घटा दी हैं आम आदमी को एक तरह से समझाया जा रहा है कि उसकी छोटी-छोटी बचतों पर दिया जाने वाला ब्याज देश को कैसे पीछे धकेल रहा है
भारतीय स्टेट बैंक ने खाते में मिनिमम बैलेंस न रखने वाले लोगों से इस साल 1,771 करोड़ रुपए की राशि वसूल की है ऐसा करने में दूसरे बैंक भी इस साल पीछे नही रहे है
सरकार कहती है कि कैशलेस हो जाओ और बैंक को अपना मुनाफा कैसे निकालना है यह अच्छी तरह से जानते हैं नोटबन्दी में एटीएम चार्ज के नाम पर भी एसबीआई ने अंधी कमाई की है
गरीब आदमी जब अपने खातों से पैसा निकालने बैंक शाखा जाता हैं तो उसे पता लगता है कि खाते में पड़ी 2000 रुपए की सारी रकम तो चार सौ रुपए महीने के अर्थ दंड के मद में पहले ही खत्म हो गई
गरीब आदमी जब अपने खातों से पैसा निकालने बैंक शाखा जाता हैं तो उसे पता लगता है कि खाते में पड़ी 2000 रुपए की सारी रकम तो चार सौ रुपए महीने के अर्थ दंड के मद में पहले ही खत्म हो गई
1771 करोड़ की यह रकम बैंक के जुलाई-सितंबर के शुद्ध मुनाफे से भी ज्यादा थी. जबकि 2016-17 में एसबीआई ने इस मद किसी तरह का शुल्क नही वसूला था
जब आप किसी दल के निशान के सामने का बटन दबा देते हो तो यह सब बातें क्या आपके जहन में आती हैं ? बिल्कुल भी नही आती है न ! यह सारा मीडिया अखबार ओर जनसंचार के सारे टूल इस तरह से डिजाइन किए जाते हैं कि आपको ये सब बातें याद न रहे आपको सिर्फ वो याद रहे जो जो वो याद रखने देना चाहते हैं
जब आप किसी दल के निशान के सामने का बटन दबा देते हो तो यह सब बातें क्या आपके जहन में आती हैं ? बिल्कुल भी नही आती है न ! यह सारा मीडिया अखबार ओर जनसंचार के सारे टूल इस तरह से डिजाइन किए जाते हैं कि आपको ये सब बातें याद न रहे आपको सिर्फ वो याद रहे जो जो वो याद रखने देना चाहते हैं
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